राष्ट्रीय आय


■ NATIONAL INCOME : CONCEPT AND MEASUREMENT


राष्ट्रीय आय : अवधारणा एवम माप

▪राष्ट्रीय आय का लेखांकन अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की आर्थिक क्रियाओं तथा उनके पारस्परिक सम्बन्धो की सांख्यिकीय व्याख्या प्रस्तुत करता है तथा साथ ही विश्लेषण का ढांचा प्रदान करता है
▪राष्ट्रीय आय
किसी देश के उत्पादन साधनों द्वारा किसी वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के भौतिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते है
▪राष्ट्रीय आय एक लेखा वर्ष की अवधि के दौरान एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित कारक आय का कुल जोड़ है
▪राष्ट्रीय आय का प्रथम विचार एडम स्मिथ ने दिया था
(अपनी पुस्तक "एन इंक्वायरी इन टू नेचर एंड कॉलेज ऑफ द वेल्थ आफ नेशन")  🔝एडम स्मिथ अर्थशास्त्र का जनक है

▪राष्ट्रीय आय लेखांकन का विचार प्रो. जे.एम. किन्स ने विकसित किया
▪ राष्ट्रीय आय का प्रथम प्रयोग कुजनेट ने 1934 में किया था
▪ भारत मे सर्वप्रथम प्रयोग दादा भाई नारोजी ने 1868 में किया इन्होंने राष्ट्रीय आय को 340 करोड़ बताया तथा प्रति व्यक्ति आय 20 रूपय बताई
▪साधारण सब्दो में राष्ट्रीय आय से अभिप्राय है किसी देश मे एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवम सेवाओं के कुल मूल्य से है दूसरे सब्दो में एक देश मे वर्ष भर में आर्थिक क्रियाओं से अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहते है इसमे सभी साधनों को दी गई मजदूरी, ब्याज,लगान, एवम लाभ सामिल किये जाते है
● राष्ट्रीय आय की परिभाषा :-
राष्ट्रीय आय की परिभाषाओं को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है
1.मार्शल , पिगू तथा फिशर की परम्परागत परिभाषाए
2.आधुनिक परिभाषाए
▪मार्शल के अनुसार " किसी एक देश का श्रम तथा पूजी उसके प्राकृतिक साधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष भौतिक व अभौतिक वस्तुओं का एक सुद्ध योगफल पैदा करता है जिसमे सभी प्रकार की सेवाएं समिलित होती है यदि उस देश की वास्तविक सुद्ध वार्षिक आय या देश का राजस्व या राष्ट्रीय लाभांश है "
▪मार्शल की परिभाषा की विशेषताएँ:
(1) राष्ट्रीय आय की गणना का आधार एक वर्ष है अर्थात् एक वर्ष के उत्पादन के आधार पर ही राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है ।
(2) मार्शल ने राष्ट्रीय आय में विदेशों से अर्जित आय को भी शामिल किया है ।
(3) मार्शल ने राष्ट्रीय आय की गणना कुल उत्पादन के आधार पर न करके शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन के आधार पर की है । इसे परिभाषा में स्पष्ट कर दिया गया है ।
(4) मार्शल ने राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पादन को आधार बनाया है ।
▪:- सुद्ध राष्ट्रीय आय = (देश मे एक वर्ष में उत्पादित कुल वस्तुओं व सेवाओ का मूल्य) - (उत्पादन के कारण प्लांट व मशीनों के मूल्यों में गिरावट या घिसाव) + (विदेशी विनियोग से प्राप्त लाभांश)
▪पिगू के अनुसार " राष्ट्रीय आय समाज की वस्तुपरक आय का वह भाग है जो मुद्रा में मापा जा सकता है और इसमे विदेशों से प्राप्तं आय भी सम्मलित होती है "
पीगू की परिभाषा की विशेषताएँ:
(1) मुद्रा को मूल्यांकन का आधार बनाकर पीगू ने अपनी परिभाषा को सरल एवं स्पष्ट बना दिया है ।
(2) राष्ट्रीय आय की गणना में विदेशों से प्राप्त आय को भी शामिल कर लिया गया है ।
(3) मुद्रा को मापदण्ड बनाकर पीगू ने राष्ट्रीय आय की गणना को सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है क्योंकि इससे आय की दोहरी गणना की कठिनाई से बचा जा सकता है ।
(4) गणना में सरलता एवं परिभाषा स्पष्ट होने के कारण पीगू की परिभाषा मार्शल की तुलना में अधिक व्यावहारिक है
▪फिशर के अनुसार " राष्ट्रीय लाभांश में केवल अंतिम उपभोक्ताओं द्वारा प्राप्त सेवाएं सामिल है चाहे भौतिक या मानवीय वातावरण से प्राप्त हो "
▪मार्शल और पिगू कि परिभाषा हमे आर्थिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारणों को बताती है जबकि फिशर की परिभाषा भिन्न भिन्न वर्षो के आर्थिक कल्याण की तुलना करने में सहायक है
▪साइमन कुजनेट के अनुसार " राष्ट्रीय आय वस्तुओं व सेवाओ का वह सुद्ध उत्पादन है जो एक वर्ष की अवधि में देश की उत्पादन प्रणाली में अंतिम उपभोक्ता के हाथों में पहुचता है
🔝परिभाषा के महत्वपूर्ण बिंदु
1.राष्ट्रीय आय में केवल कारक आय को सामील किया जाता है (अपनी सेवा देने के बदले प्राप्त पुरुस्कार कारक आय है)
2.राष्ट्रीय आय में केवल एक देश के सामान्य निवासियों की आय को सम्मलित किया जाता है
▪स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिये राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया
▪राष्ट्रीय आय समिति का गठन प्रो प्रफुल्ल चन्द्र महलनोबिस (1949) की अध्यक्षता में हुवा इस कमेटी के सदस्य सलाहकार प्रो. साइमन कुजनेट्स थे
▪1956 से ही प्रतिवर्ष केंद्रीय सांख्यकीय संगठन (CSO) द्वारा राष्ट्रीय आय का प्रकाशन किया जा रहा है
▪भारत की राष्ट्रीय आय समिति के अनुसार, ”राष्ट्रीय आय में एक दी हुई अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का आकलन किया जाता है किन्तु इसमें दोहरी गणना नहीं की जाती ।”
▪उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय आय में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के वास्तविक मूल्य को शामिल किया जाता है ।
▪राष्ट्रीय आय की सहायता से देश की आर्थिक उपलब्धता की जानकारी मिलती है राष्ट्रीय आय देश की अर्थव्यवस्था के प्रवाह को दर्शाता है
☯स्वतंत्रता से पूर्व राष्ट्रीय आय का इतिहास
▪दादा भाई नोरोज़ी (1868) इन्होंने राष्ट्रीय आय 340 करोड़ बताई थी तथा प्रति व्यक्ति आय 20₹ बताया था इन्होंने "इंग्लैंड डेबिट टू इंडिया" नामक पत्र में राष्ट्रीय आय को दर्शाया था
▪फिण्डले सिराज (1911,1922,1931) इन्होंने प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 49 रुपय बताया था
▪वाडिया व जोशी (1912-13) इन्होंने प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 44.30 ₹ रुपय बताया था
▪शाह व खम्मर ने (1921) में दिया
▪डॉ वी.के.आर. वी राव (1925-29) इन्होंने प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 76 ₹ रुपय बताया था तथा आय विधि का प्रथम प्रयोग किया
🔝राष्ट्रीय आय समिति का गठन प्रो.प्रफुल्ल चन्द्र महालनोबिस (1949) कि अध्यक्षता में हुवा था इसके सदस्य सलाहकार प्रो.साइमन कुजनेट्स थे
🔝1956 से प्रतिवर्ष केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रकाशित किये जाते है
☯राष्ट्रीय आय की परिभाषा की विशेषता
राष्ट्रीय आय में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं के वास्तविक मूल्य को सामील किया जाता है
1.राष्ट्रीय आय का सम्बन्ध एक देश की अर्थव्यवस्था से होता है
2.राष्ट्रीय आय का आंकलन एक वितीय वर्ष (1 अप्रेल से 31 मार्च )तक होता है
3.देश के भौगोलिक क्षेत्र में निवासी व गैर निवासियों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है
4.इसमे उत्पादन आर्थिक क्रियाओं सम्बन्ध होता है इसमे अनुत्पादन क्रियाओं को सामील नही किया जाता
5.राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार कीमत पर की जाती है
6.राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार कीमत पर की जाती है
7.राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में व्यक्त की जाती है
आय के दो रूप है
1.कारक आय(FACTOR INCOME) व
2.हस्तांतरण आय (TRANSFER INCOME)
▪अपनी सेवाओं के बदले आय का अर्जन कारक आय है तथा दान व चंदा हस्तान्तरण आय है
1.कर्मचारियों का पारिश्रमिक
2.लगान व किराया
3.ब्याज(RENT)
4.लाभ(PROFIT)
🔝राष्ट्रीय आय कारण आय का जोड़ है हस्तांतरण आय में राष्ट्रीय आय को सामील नही किया जाता है क्योंकि सेवाएं अर्पित करने के लिए पुरुस्कार के रूप में अर्जित नही की जाती है
☯सामान्य निवासी
वह व्यक्ति जो साधारणतः सम्बंधित देश मे निवास करता है व जिसकी आर्थिक रुचि उसी देश मे केंद्रित है तथा आर्थिक सौदे उसी देश मे संचालित करता हो
1.सामान्य निवासी में व्यक्ति व संस्थाएं है
2.नागरिक होने आवश्यक नही है
☯राष्ट्रीय आय की अवधारणा व अन्तर्सम्बन्ध
राष्ट्रीय आय की गणना दो आधार पर की जाती है
1.भौगोलिक आधार पर
2.राजनैतिक आधार पर
1.भौगोलिक आधार पर
घरेलू सिमा एक देश की भौगोलिक सिमा में निवासी व विदेसी निवासियों द्वारा होने वाले कुल उत्पादन के मूल्यों को जोड़ते हुए सकल घरेलू उत्पाद का स्तर ज्ञात किया जाता है
▪घरेलू सिमा राजनीतिक सिमा ना होकर आर्थिक सिमा है जो काफी विस्तृत है
1.समुद्री सीमा व वायुयान मार्ग
2.मछली पकड़ने का क्षेत्र ,तेल निकालने का क्षेत्र तैरते हुए प्लेटफार्म
3.दूतावास सैनिक प्रतिष्ठान आदि शामिल है
2.राजनैतिक आधार पर
एक देश के निवासी द्वारा भौगोलिक सिमा में दूसरे देश की भौगोलिक सिमा के लिए किए गए उत्पादन मूल्यों को जोड़ते है

◾ राष्ट्रीय आय की धारणाएं ( Concepts of National Income)
राष्ट्रीय आय से सम्बंधित कई अवधारणाए है जैसे -
1.सकल घरेलू उत्पादन -बाजार कीमत पर (GDPmp -Gross Domestic Priduct at Market Price)
2.सकल घरेलू उत्पादन -साधन लागत पर (GDPfc -Gross Domestic Priduct at Factur Cost)
3.सुद्ध घरेलू उत्पादन -बाजार कीमत पर (NDPmp -Net Domestic Priduct at Market Price)
4.सुद्ध घरेलू उत्पादन -साधन लागत पर (NDPfc -Net Domestic Priduct at Factur Cost)
5.सकल राष्ट्रीय उत्पादन -बाजार कीमत पर (GNPmp -Gross National Priduct at Market Price)
6.सकल राष्ट्रीय उत्पादन -साधन लागत पर (GNPfc -Gross National Priduct at Factur Cost)
7.सुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन -बाजार कीमत पर (NNPmp -Net National Priduct at Market Price)
8.सुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन -साधन लागत पर (NNPfc -Net National Priduct at Factur Cost)
9.निजी आय (Private Income)
10.व्यक्तिगत आय (PI -Personal Income)
11.व्यक्तिगत खर्च योग्य आय (PDI)
12.राष्ट्रीय खर्च योग्य आय (NDI)

◾1.GDPmp सकल घरेलू उत्पादन बाजार कीमत पर
▪किसी देश की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं व सेवाओ का उत्पादन होता है उसकी बाजार कीमत के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है
GDPmp =C+I+G (X-M)
यहा पर
C -उपभोग व्यय
I -विनियोग व्यय
G -सरकारी व्यय
X-M सुद्ध निर्यात है
▪समीकरण
GDPMP = GNPMP -NIFA.
GDPMP = NDPMP + DEPRECIATION
GDPMP =GDPFC + IT - अनुदान
Note :- अगर हम
▪GDPmp -D घटाते है तो NDPmp प्राप्त होता है
▪सरकार द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं व सेवाएं + व्यक्तिगत सरल पूजी निर्माण +उपभोक्ता द्वारा क्रय की गई वस्तुएं व सेवाएं +सुद्ध निर्यात इसमे सामील किये जाते है
1.GDP में होने वाली वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन ही किसी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर है
2.यह परिमाणात्मक दृष्टिकोण है इसके आकार से देश की आंतरिक उत्पादन शक्ति का पता चलता है परंतु इससे देश के अंदर उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के स्तर का पता नही चल पाता है
3.अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की और से सदस्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण इसके आधार पर किया जाता है
▪माना कोई भारतीय कंपनी विदेशों में काम कर रही है तो इस सम्पति भारत की GNP में जुड़ेगा तथा जिस देश मे कार्य कर रहा है उस देश की GDP में जुड़ेगा
◾ 2.GDPfc सकल घरेलू उत्पाद साधन लागत पर
▪इससे अभिप्राय है एक लेखा वर्ष की अवधि के दौरान एक देश की घरेलू सिमा के अंदर सृजित कारक आय (कर्मचारियों का पारिश्रमिक +लगान+ब्याज+लाभ) के कुल जोड़ से है जिसमे मूल्यहास्य सामील होता है
GDPfc = NDPfc +मूल्यह्रास
समीकरण
GDPFC = GDPMP -IT +सब्सिडी
GDPFC = GNPFC - NIFA
GDPFC = NDPFC - D
◾3.NDPmp सुद्ध घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर
▪Net Domestic Product में मूल्यह्रास घटाने के लिए प्रत्येक देश द्वारा अनुसंधान एवं विकास तथा नवीनीकरण व आधुनिकीकरण किया जा रहा है मूल्यह्रास के लिए जो विधियां प्रयुक्त की जा रही है उनसे इनका मान कभी शून्य नही हो सकता है इसलिए NDP सदैव GDP से कम होती है
▪NDP के विभिन्न उपयोग :-
▪इसका प्रयोग मूल्यह्रास के कारण होने वाली क्षति को समझने के लिए किया जाता है साथ ही किसी समयावधि के दौरान उधोग धंधे और कारोबार में अलग अलग क्षेत्रो की स्थति का आंकलन भी इसी में किया जाता है
▪समीकरण
NDPMP = GDPMP -मूल्यह्रास
NDPMP = NDPFC +IT - अनुदान
NDPMP = NNPMP -NIFA
◾4.NDPfc सुद्ध घरेलू उत्पाद साधन लागत पर
साधन लागत पर सुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात करने के लिए बाजार कीमत पर सुद्ध घरेलू उत्पाद में से अप्रत्यक्ष कर घटाया जाता है और अनुदान जोड़ा जाता है
NDPfc =NDPmp - IT + सब्सिडी
▪समीकरण
NDPFC = GDPFC -.मूल्यह्रास(D)
NDPFC = NNPFC - NIFA
NDPFC = NDPMP -IT +सब्सिडी
◾5.GNPmp सकल राष्ट्रीय उत्पाद बाजार कीमत पर
▪किसी अर्थव्यवस्था में सकल राष्ट्रीय उत्पाद उस आय को कहते है जो GDP में विदेशो से होने वाली सुद्ध आय को जोड़कर प्राप्त की जाती है
▪इसमे सिमा से बाहर होने वाली आर्थिक गतिविधियों को भी सामील किया जाता है विदेशो से होने वाली आय निम्न माध्यम सामील है
1.निजी प्रेषण(निजी लेन देन से प्राप्त आय)
2.विदेसी ऋण पर ब्याज
3.विदेसी अनुदान
▪एक देश के सामान्य निवासियों के द्वारा उत्पादित समस्त वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य के योग को GNPmp कहते है इसमे अंतिम वस्तु का मूल्य सामील किया जाता है
▪इसमे कच्चे माल,अर्द्ध निर्मित वस्तुओं को सामील नही किया जाता ताकी दोहरी गणना की समस्या उतपन्न ना हो
▪समीकरण
GNPMP = GDPMP +NIFA
GNPMP = GNPFC +IT -सब्सिडी
GNPMP = NNPMP +मूल्यह्रास(D)
◾GNP का उपयोग
1.सकल राष्ट्रीय उत्पाद के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष देशों की रैंकिंग तय करता है तथा इसके आधार पर देशों की क्रय शक्ति की तुलना कर रेंक प्रदान करता है
2.राष्ट्रीय आय के आकलन में GNP व GDP की तुलना का पैमाना है
3.यह अर्थव्यवस्था के पैटर्न को व उत्पादक के व्यवहार को समझने में सहायक है
◾6.GNPfc सकल राष्ट्रीय उत्पाद साधन लागत पर
▪GNP के उत्पादन में जो साधन लगे हुए है उन साधनों की आय को सामील किया जाता है जैसे भूमि,लगान, पूजी,ब्याज आदि
▪समीकरण
GNPFC = GNPMP -IT +सब्सिडी
GNPFC = NNPFC + मूल्यह्रास (D)
GNPFC = GDPFC +NIFA
◾7.सुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन -बाजार कीमत पर (NNPmp )
▪सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में से मूल्यह्रास घटाने के बाद जो आय बचती है उसे अर्थव्यवस्था का सुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते है
▪NNP =NDP+(X-M)
1.यह किसी भी अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय है
2.यह किसी देश की राष्ट्रीय आय को आकलन करने का सबसे अच्छा तरीका है
3.जब हम NNP को देश की कुल जनंसख्या से भाग देते है तो उससे प्रति व्यक्ति आय का पता चलता है यह प्रति व्यक्ति आय वार्षिक आय है
▪समीकरण
NNPMP = GNPMP -मूल्यह्रास (D)
NNPMP = NDPMP +NIFA
NNPMP = NNPFC +IT -सब्सिडी
◾8.NNPfc सुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
▪यह राष्ट्रीय आय का दूसरा नाम है इसमे समीकरण
NNPFC = NNPMP -IT +सब्सिडी
NNPFC = GNPFC -मूल्यह्रास(D)
NNPFC = NNPFC +NIFA
🔝यहा पर
IT (INDIRECT TEX) परोक्ष कर
SUB.(SUBSIDIES) सबसिडी /अनुदान
D (DEPRACIATION) मूल्यह्रास
NIFA (NET INCOME FROM ABRUAD) विदेशो से प्राप्त सुद्ध साधन आय
🔝NNPFC ही NY है ,NI है राष्ट्रीय आय है
◾9.निजी आय (Private Income)
▪निजी आय में सभी निजी क्षेत्र द्वारा उत्पादित आय को सामील किया जाता है
▪Private Income =NNPfc +TP +IPD +CSS +PPU
यहा पर
TP - सरकार व विदेशों से प्राप्त हस्तांतरण भुगतान
IPD सार्वजनिक ऋणों पर ब्याज
CSS सामाजिक सुरक्षा अंशदान
PPU सामाजिक उपक्रमों के अत्रिरेक लाभ

▪एक लेखा वर्ष के दौरान किसी देश के निजी क्षेत्र या गैर सरकारी संस्थानों द्वारा अर्जित आय को निजी आय कहते है
▪निजी आय =
साधन लागत पर राष्ट्रीय आय
+ सरकार के निजी क्षेत्र को हस्तांतरित आय
+ सेष विश्व से निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित आय
+ राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज
- सार्वजनिक आय
- सामाजिक सुरक्षा में कर्मचारियों का योगदान
◾10.व्यक्तिगत आय (Personal Income)
यह निजी क्षेत्र को प्राप्त सम्पूर्ण आय है किंतु निजी क्षेत्र को प्राप्त सम्पूर्ण आय लोगो तक नही पहुचती है
▪व्यक्तिगत आय लोगो की क्रय क्षमता को दर्शाती है इसलिए यह उपभोग का सूचक है
समीकरण
▪व्यक्तिगत आय = निजी आय - निगम लाभ कर - अवितरित लाभ या निगम बचत
◾11.व्यक्तिगत खर्च योग्य आय (PDI)
▪इसका अभिप्राय किसी देश के व्यक्तियों तथा व्यक्तिगत आय से है इसमे केवल परिवार क्षेत्र को सामील किया जाता है इसमे व्यक्तिगत भुगतान के बाद जो बचता है वह व्यक्तिगत व्यय योग्य आय है
▪समीकरण
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय - प्रत्यक्ष कर - अनिवार्य शुल्क व दण्ड
◾12.राष्ट्रीय खर्च योग्य आय (NDI)
वस्तु व सेवाओ की उपलब्धता के आधार पर राष्ट्रीय खर्च योग्य आय की गणना की जाती है
▪सकल विनियोग (ग्रॉस इन्वेस्टमेंट)
सकल पूजी निर्माण =विसुद्ध विनियोग स्थीर +मूल्यह्रास +मालसूची
चित्र
Id -राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज
Tr - स्थानांतरण भुगतान
Sg - सरकारी बचत
Sp -निजी बचत
Tp -प्रत्यक्ष कर ➡➡ ये भुगतान संतुलन में सामील नही होते है
▪GNI = GNP = GNE बराबर बराबर होती है
यहा GNE =C + I +G (X-M) होते है तथा
GNI में r +i +w +पाई π +मांग +रॉयल्टी+ सेल्फ एम्प्लॉयमेंट आय + सामाजिक सुरक्षा अंशदान + मूल्यह्रास + अन्डिस्ट्रिब्यूट + इनडायरेक्ट टैक्स + कोरप्रेसन टैक्स - सब्सिडी


◾राष्ट्रीय आय को मापने की विधियां
राष्ट्रीय आय को मापने हेतु निम्न विधियां है
1.उत्पादन गणना विधि (PRODUCATION METHOD)
2.आय गणना विधि (INCOME METHOD)
3.व्यय गणना विधि (EXPENDITURE OR OUTLAY METHOD)

साइमन कुजनेट्स ने किसी देश की राष्ट्रीय आय को मापने की निम्न विधियां बताई है
◾1.उत्पादन विधि या मूल्यवर्धित विधि (Production or Added Method)
▪साइमन कुजनेट्स ने इस विधि को 'वस्तु सेवा विधि 'कहा है
▪इसके अंतर्गत देश मे उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओ का सुद्ध मौद्रिक मूल्य ज्ञात किया जाता है तथा उनके योग को अंतिम उत्पादन योग कहा जाता है
▪यह सबसे सरल विधि है इसमे अंतिम वस्तु का मूल्य को जोड़ा जाता है
♦उत्पादन विधि की सावधानी
1.इसमे पुरानी क्रय विक्रय वस्तुओं को सामील नही किया जाता है
2.सवलेखा उत्पादन को मूल्य वर्द्धि में सामील किया जाता है
3.मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्यों को सामील नही किया जाता क्योकि मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य अंतिम वस्तु में सामील किया जाता है
4.दोहरी गणना से बचने के लिए मूल्य संवर्धन विधि का प्रयोग किया जाता है

◾2.आय गणना विधि
▪देश मे विभिनन वर्गों की आय को जोड़ लिया जाता है इसमे मजदूरी व परिश्रमीकी ,स्वम की नियुक्ति आय व कर्मचारियों के कल्याण के लिए अंशदान ,लाभांश, ब्याज,अतिरिक्त लाभ ,लगान व किराया सामील है
▪इस पद्धति के अंतर्गत राष्ट्रीय आय की गणना के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों तथा व्यवसायिक उपक्रमों की सुद्ध मौद्रिक आय का योग प्राप्त किया जाता है

♦सावधानियां
1.हस्तांतरण आय को सामील नही किया जाता है(पेंशन, बेरोजगारी भत्ता आदि
2.गैर कानूनी कार्यो से प्राप्त आय को सामील नही किया जाता (चोरी व जुवा आदि)
3.पुरानी बिक्री व खरीद को सामील नही किया जाता है
4.शेयर व बॉन्ड को सामील किया जाता है क्योंकि यह सेवाओ का पुरस्कार है
5.अचानक प्राप्त आय (लाटरी)को सामील नही किया जाता है
6.स्वम के मकान किराया को सामील किया जाता है
◾3.व्यय विधि
▪इसके अनुसार राष्ट्रीय आय कुल उपभोग व कुल बचतों का जोड़ होती है इसके लिए आय व बचत के आंकड़े होने चाइए
▪यह एक वर्ष में अर्थव्यवस्था में होने वाले व्यय के कुल प्रवाह का जोड़ है
◾4.सामाजिक लेखांकन प्रणाली (Social Accounting Method)
▪इस विधि में सम्पूर्ण समाज मे लेनदेन करने वालो को विभिन्न भाग में बांटा जाता है ये वर्ग उत्पादक ,व्यापारी व अंतिम उपभोक्ता के रूप में होता है
▪यह नवीनतम विधि है जिसका प्रयोग मंदी काल मे किया गया था
◾राष्ट्रीय आय में गणना सम्बंधित कठिनाई
1.दोहरी गणना की कठिनाई
2.अधिकांस उत्पादन का स्वम उपभोग कर लेना एक कठिनाई है
3.वस्तु के बदले वस्तु विनिमय प्रणाली करना गणना में बाधक है
4.कीमत स्तर में परिवर्तन के कारण कठिनाई
5.विश्वसनीय सॅमको का अभाव
6.विशिष्ठीकरन की कठिनाई
7.कुछ विसिष्ठ सेवा जैसे नर्स का घर पर सेवा देना गणना को कठिन बनाता है
8.लोगो का अनपढ़ होना
9.बहुत सारे लेन देन सरकार की जानकारी में ना होना
◾राष्ट्रीय आय का महत्व
1.राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था का दर्पण होती है
2.राष्ट्रीय आय के मूल्यांकन से एक देश की सही आर्थिक जानकारी मिलती है
3.राष्ट्रीय आय के आधार पर उचीत आर्थिक विकास नीतियां बनाई जाती है
4.राष्ट्रीय आय विभिन्न क्षेत्रों का तुलनात्मक अध्ययन करने में सहायक है
5.आर्थिक नियोजन को आधार प्रदान करता है
◾राष्ट्रीय आय का चक्रीय प्रवाह
▪यह विचार सर्वप्रथम "फ्रेंकोयज क्वीजने" ने 1758 में किया गया
▪कार्ल मार्क्स ने आर्थिक तालिका को दुबारा प्रस्तुत किया है
▪एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र होते है जिनमे
1.परिवार क्षेत्र (HOUSEHOLD SECTOR)
2.उत्पादक क्षेत्र (PRODUCER SECTOR)
3.सरकारी क्षेत्र (GOVERNMENT SECTOR)
4.विदेशी क्षेत्र (THE EXTERNAL SECTOR)
1.परिवार क्षेत्र (HOUSEHOLD SECTOR)
इसमे वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोक्ताओं को सामील किया जाता है परिवार उत्पादन के साधनों का स्वामी होता है
2.उत्पादक क्षेत्र (PRODUCER SECTOR)
वस्तुओं व सेवाओ के उत्पादन हेतु फर्मे उत्पादन के कारक (भूमि,श्रम, पूजी,उधमसील कौशल) को परिवार क्षेत्र से भाड़े पर लेता है
3.सरकारी क्षेत्र (GOVERNMENT SECTOR)
इसमे कल्याणकारी एजेंसी व सरकार को सामील किया जाता है
4.विदेशी क्षेत्र (THE EXTERNAL SECTOR)
इसे शेष विश्व कहा जाता है आयात व निर्यात व घरेलू अर्थव्यवस्था के बीच सम्बन्ध को बताता है
◾अन्तरक्षेत्रीय प्रवाह

▪अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र पर निर्भर करता है इसे अन्तरक्षेत्रीय अंतर्निर्भरता कहते है
1.परिवार क्षेत्र वस्तु व सेवा पूर्ति के लिए उत्पादक क्षेत्र पर निर्भर है तथा उत्पादक क्षेत्र सेवाओ की पूर्ति के लिए परिवार क्षेत्र पर निर्भर है
2.सरकारी क्षेत्र करो के लिए परिवार व उत्पादक पर निर्भर है जबकि परिवार व उत्पादक कानूनी व्यवस्था के लिए सरकार पर निर्भर है
◾आय के चक्रीय प्रवाह में दो प्रवाह होते है
1.वास्तविक प्रवाह (REAL FLOWS)
2.मौद्रिक प्रवाह (MONEY FLOWS)
▪1.वास्तविक प्रवाह :-विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं व सेवाओ का प्रवाह है
▪2.मौद्रिक प्रवाह:- अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के मध्य मुद्रा के प्रवाह से है
🔸आय के प्रवाह को चक्रीय प्रवाह क्यो कहते है ?
▪आय के प्रवाह को चक्रीय प्रवाह इसलिए कहते है क्योकि
1.विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्तियां एवम भुगतानों का प्रवाह निरन्तर होता है
2.एक दिशा में वास्तविक प्रवाह के साथ साथ उसके विपरीत मौद्रिक प्रवाह होता है
▪चक्रीय प्रवाह रुकता नही चलता रहता है इसमे केवल प्रवाह चरो को सामील किया जाता है स्टॉक चरो को नही
◾मौद्रिक प्रवाह वास्तविक प्रवाह का व्युत्क्रम है

◾चक्रीय प्रवाह मॉडल का महत्व
1.इससे अन्तरक्षेत्रीय अंर्तनिर्भरता का ज्ञान होता है
2.राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने में सहायक है
▪अवस्था प्रथम
इस अवस्था मे उत्पादक क्षेत्र द्वारा परिवार क्षेत्र से उत्पादन के कारकों को भाड़े पर लेकर वस्तुओं व सेवाओ का निर्माण करता है
▪अवस्था 2
मूल्य वर्द्धि का कारण आय में परिवर्तन है


◾राष्ट्रीय आय (GNP) एवम कल्याण :-
"आर्थिक कल्याण सामाजिक कल्याण का वह भाग है जिसको प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से मुद्रा के मापदण्ड से सम्बंधित किया जाता है"
▪राष्ट्रीय आय (GNP) व आर्थिक कल्याण में परस्पर सीधा व सकारात्मक सम्बन्ध होता है
▪राष्ट्रीय आय में वृद्धि से लोगो की उपभोग में वृद्धि होती है
▪राष्ट्रीय आय का पुनर्वितरण से निर्धनों के पक्ष में करने से समाज के आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी
◾मौद्रिक GDP तथा वास्तविक GDP
♦Nomininal GDP (मौद्रिक GDP)
एक लेखा वर्ष के दौरान एक देश की घरेलू सिमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओ का बाजार मूल्य जिसका अनुमान आधार वर्ष की कीमतों पर लगाया जाता है
♦Real GDP (वास्तविक GDP)
एक लेखा वर्ष के दौरान एक देश की घरेलू
सिमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओ का बाजार मूल्य है इसका अनुमान आधार वर्ष की कीमतों से लगाया जाता है
▪अगर सकल घरेलू उत्पाद में समान आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है
▪अगर विकास से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तो कल्याण में कमी होती है
◾अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :-
▪राष्ट्रीय आय लेखा वर्ष का आधार वर्ष 2004 -05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया यह निर्णय प्रवण सेन कमेटी की संस्तुति पर किया गया
▪सकल घरेलू उत्पाद (GDPfc) के आधार पर आकलन की परम्परा को बदलकर बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPmp) को सकल घरेलू उत्पाद के रूप में स्वीकार किया गया है
▪CSO की घोषणा के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद(GDP) की गणना के लिए क्षेत्रवार सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added -GVA) के अनुमान के लिए साधन लागत के स्थान पर 'मूल्य कीमतें' को प्रयोग में लाया जाएगा
🔝मूल्य कीमत =क्रेता से प्राप्त कर - सब्सिडी
▪साधन लागत पर GVA की गणना करते समय सभी अनुदानों को सामील कर लिया जाता है जबकि किसी भी कर को सामील नही किया जाता है

▪बाजार मूल्य पर GVA की गणना करते समय उत्पादन करो को सामील किया जा सकता है तथा उत्पादन अनुदान को सामील नही किया जाता है

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