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Showing posts from September, 2018

माही नदी

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⭕माही नदी ★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा ➖माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। माही का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिला के समीप मिन्डा ग्राम  सरदारपुरा की विंध्याचल पर्वत श्रेणी में मेमद झिला(अम्मोरू की पहाड़ियों) से हुआ है। ➖ यह दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। यह मध्य प्रदेश के धार, झा बुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राजस्थान राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है। ➖यह राजस्थान से गुजरात में पंचमहल जिले में रामपुर के पास प्रवेश करती है ➖इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं। ➖यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग कुल 576 है राजस्थान में लम्बाई 171 किलोमीटर  है। ➖यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। यह भारत की पवीत्र नदियो मे से एक है। ➖माही नदी दक्षिण राजस्थान में मुख्यत: बांसवाड़ा और डूंगरपुर ज़िले की मुख्य नदी है। यह नदी मध्य प्रदेश के धार ज़िले में विंध्याचल पर्वत के 'अममाऊ' स्थान से निकलती...

लुणी नदी

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★लुणी नदी महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली ➖लूनी नदी भारत की एकमात्र अन्तर्वाही नदी हैं। यह नदी अरावली पर्वत के निकट आनासागर से उत्पन्न होकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए कच्छ के रन में जाकर मिलती है। ➖"लूनी" का नाम संस्कृत शब्द लवणगिरि (नमकीन नदी) से लिया गया है और अत्यधिक लवणता के कारण इसका यह नाम पड़ा है। ➖लूनी नदी का उद्गम पश्चिमोत्तर भारत के राजस्थान राज्य अजमेर के निकट अरावली श्रेणी की नाग पहाड़ी के पश्चिमी ढलानों में उदगम, जहां इसे सागरमती के नाम से जाना जाता है गोविन्द गढ़ के निकट सरस्वती व सागरमती धाराओ से हुवा है ➖पश्चिमी ढलानों से यह नदी आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम की ओर पहाड़ियों से होती हुयी इस प्रदेश के मैदानों के पार बहती है। फिर यह रेगिस्तान के एक भाग से होकर अंतत: गुजरात राज्य के कच्छ के रण के पश्चिमोत्तर भाग की बंजर भूमि में विलुप्त हो जाती है। ➖लूनी एक मौसमी नदी है और इसका अपवाह मुख्यत: अरावली श्रेणी की दक्षिणी-पश्चिमी ढलानों से होता है। जवाई, सुकड़ी, मिठड़ी बाड़ी लिलड़ीं सागी सगाई गुहिया खारी और जोजारी इसकी प्रमुख सहायक नदियां है ➖लूनी नद...

बंगाल की तरफ

⭕पार्वती नदी ★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली ➖पार्वती नदी मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वतमाला के उत्तरी पार्श्व में स्थित सिहोर (म.प्र.) से निकलकर कडैयाहाट (बाँरा) के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है ➖यह 18 किलोमीटर तक राजस्थान व मध्य प्रदेश की सीमा बनाते हुए बाँरा जिले में राजस्थान में प्रवेश करती है तथा बाँरा व कोटा जिले में बहने के बाद पालीया गाँव (सवाईमाधोपुर) के निकट चम्बल नदी में मिल जाती हैँ ➖इसकी सहायक नदियोँ में ल्हासी, अंधेरी, विलास, बरनी, बैँथली आदि प्रमुख हैँ। ➖ मुहाना ==पार्वती नदी सीहोर जिले के आष्टा तहसील के पास बहे सिदिगंज गाव के पास से निकलती है नदी के उद्गम स्थल पर ही रामपुर नामक डेम बना हुआ है। ➖ पार्वती नदी मध्य प्रदेश व कोटा की सीमा का सीमांकन करती है ➖ पार्वती नदी पर धौलपुर जिले में आगाई बांध निर्मित कर धोलपुर जिले को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है ➖पार्वती नदी मध्य प्रदेश की नदी है, जिसे 'पारा' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर ग्वालियर प्रदेश में बहती हुई सिन्ध (या काली सिन्ध) में मिल जाती है। ⭕खारी ...

राजस्थान की नदियां

⭕बेड़च(आयड़) नदी/⭕कोठारी नदी/⭕ कालीसिंध नदी/ ⭕बाणगंगा नदी ★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा ➖राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है अतः वहां नदीयों का विशेष महत्व है। पश्चिम भाग में सिचाई के साधनों का अभाव है परिणाम स्वरूप यहां नदीयों का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा |राजस्थान में महान जलविभाजक रेखा का कार्य अरावली पर्वत माला द्वारा किया जाता है। अरावली पर्वत के पूर्व न पश्चिम में नदियों का प्रवाह है और उनका उद्गम "अरावली" पर्वत माला है। ➖बेड़च नदी (आयड़) का उदगम गोगुन्दा की पहाडियां (उदयपुर) के उत्तर से होता है ➖बेड़च नदी की कुल लम्बाई:- 190 कि.मी. है ➖आहड सभ्यता (ताम्र युगीन) विकास/बनास संस्कृति का विकास इसी नदी के किनारे हुवा था ➖बेड़च नदी का समापन बीगोद (भीलवाड़ा)  स्थान पर बनास में मिल जाती हर ➖राजस्थान में उदयपुर जिलें में गोगुंदा की पहाडियां से इस नदी का उद्गम होता है। ➖आरम्भ में इस नदी को आयड़ नदी कहा जाता है। किन्तु उदयसागर झील के पश्चात् यह नदी बेड़च नदी कहलाती है। ➖ इस नदी की कुल लम्बाई 190 कि.मी. है। यह नदी उदयपुर...
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⭕बनास नदी 🔰बंगाल की खाड़ी की तरफ जाने वाली नदियां ★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★ ➖बनास नदी एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। ➖ बन + आस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रूप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास 'वीरों का मठ' से निकलती है ➖यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई अजमेर ,टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम (त्रिवेणी) के नजदीक सवाई माधोपुर की खण्डार तहसील में चंबल में गिर जाती है। ➖ इसकी लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। ➖बेडच नदी 190 किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। ➖ यह 145 किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। ➖ बनास नदी टोंक जिले में सर्पाकार  हो जाती है ➖इसकी लंबाई लगभग 480 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरे...