राजस्थान की नदियां
⭕बेड़च(आयड़) नदी/⭕कोठारी नदी/⭕ कालीसिंध नदी/
⭕बाणगंगा नदी
★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा
➖राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है अतः वहां नदीयों का विशेष महत्व है। पश्चिम भाग में सिचाई के साधनों का अभाव है परिणाम स्वरूप यहां नदीयों का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा |राजस्थान में महान जलविभाजक रेखा का कार्य अरावली पर्वत माला द्वारा किया जाता है। अरावली पर्वत के पूर्व न पश्चिम में नदियों का प्रवाह है और उनका उद्गम "अरावली" पर्वत माला है।
➖बेड़च नदी (आयड़) का उदगम गोगुन्दा की पहाडियां (उदयपुर) के उत्तर से होता है
➖बेड़च नदी की कुल लम्बाई:- 190 कि.मी. है
➖आहड सभ्यता (ताम्र युगीन) विकास/बनास संस्कृति का विकास इसी नदी के किनारे हुवा था
➖बेड़च नदी का समापन बीगोद (भीलवाड़ा) स्थान पर बनास में मिल जाती हर
➖राजस्थान में उदयपुर जिलें में गोगुंदा की पहाडियां से इस नदी का उद्गम होता है।
➖आरम्भ में इस नदी को आयड़ नदी कहा जाता है। किन्तु उदयसागर झील के पश्चात् यह नदी बेड़च नदी कहलाती है।
➖ इस नदी की कुल लम्बाई 190 कि.मी. है। यह नदी उदयपुर चितौड़ जिलों में होकर बहती हुई अन्त में भीलवाड़ा जिले के बिगोंद नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है। चितौड़गढ़ जिले में गम्भीरी नदी इसमें मिलती है।
➖लगभग 4000 वर्ष पूर्व उदयपुर जिले में इस नदी के तट पर आहड़ सभ्यता का विकास हुआ। बेड़च नदी बनास की सहायक
➖ चित्तौड़गढ़ में बेड़च नदी में गंभीर नदी मिलती है
➖ चित्तौड़ की गंभीरी, गुजरी ,व वागन नदियां इसकी सहायक नदियां है
➖ यह उदयपुर के उत्तर में गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलती है तथा उदयपुर चित्तौड़गढ़ में बहती हुई भीलवाड़ा में बीगोद के निकट बनास नदी में मिल जाती है वही मेनाल नदी भी इसमें मिलती है इस के संगम स्थल को त्रिवेणी संगम कहते हैं
➖ अपने उद्गम स्थल से उदय सागर झील तक यह नदी आयड नदी के उपनाम से जाने जाती
➖उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिरती है उदय सागर से निकलने के बाद यह बेड़च नदी के नाम से जानी जाती है
⭕उदगम(गोगुन्दा की पहाड़ी)➖(उपनाम)आयड़➖उदयसागर झील उदयपुर क्रमशः➖चितौड़(➕गम्भीरी मिलती है)➖भिलवाड़ा➖समापन (बीगोद में बनास में विलय)
🔖 बनास, बेड़च,मेनाल मिलकर बिनगोद में त्रिवेणी संगम बनाते हैं
➖चित्तौड़गढ़ के अप्पावास गांव के निकट इस पर घोसुण्डा बांध बना हुआ है।
⭕कोठारी नदी
➖कोठारी नदी बनास नदी की सहायक नदी है। यह नदी राजस्थान के राजसमंद ज़िले की दिवेर पहाड़ियों से निकलती है।
➖यह नदी लगभग 145 किलोमीटर लम्बी है।
➖कोठारी नदी उदयपुर तथा भीलवाड़ा में बहती हुई नन्दराम से एक कोस की दूरी पर बनास नदी में जा मिलती है।
➖ इस का बहाव क्षेत्र कल राजसमंद में भीलवाड़ा जिले में बैठकर नंदराय भीलवाड़ा के निकट बनास में मिल जाती है
➖ भीलवाड़ा में मांडलगढ़ से 8 किलोमीटर दूर मेजा बांध ईस नदी पर बना हुआ है
➖ इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया है
➖इसकी सहायक नदी बहमनी भीलवाडा के चौप्पन गांव में इसमें मिलती है
⭕ कालीसिंध नदी
➖कालीसिंध नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के देवास जिला के बागली गाँव के समीप विँध्याचल से हुआ हैं।
➖यह चम्बल नदी की सहायक नदी है
➖ शाजापुर और नरसिहगढ़ जिलो में प्रवाहित होते हुए राजस्थान में रायपुर झालवाड़ के निकट प्रवेश करती हैँ।
➖यहाँ झालावाड़ तथा कोटा जिलो में बहती हुई नौनेरा नामक स्थान कोटा पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
➖नदी की कुल लम्बाई 150 किलोमीटर हैँ। इसके किनारे बसा प्रमुख नगर देवास हैँ।
➖ राज्य में यह झालावाड़ कोटा , बारा की सीमा पर बहती हुई कोटा के पास नोनेरा ग्राम के समीप चंबल में मिल जाती है
➖आहू, परवन, निवाज (निमाज) व उजाड़ इसकी सहायक नदियां है
➖कालीसिंध व आहू नदी के संगम पर गागरौन का दुर्ग बना हुवा है
➖ झालावाड़ शहर कालीसिंध नदी के किनारे पर स्थित है
➖इस नदी पर कोटा में हरिशचन्द्र बांध बना है।
⭕बाणगंगा नदी
➖बाणगंगा भारत की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का पानी भरतपुर में घना पक्षी राष्ट्रीय उद्यान में भूमिगत होकर नम भूमि का निर्माण करता है।
➖इसे 'अर्जुन की गंगा' भी कहा जाता है।
➖इसे ताल नदी भी कहा जाता है
➖बाणगंगा नदी ऐसी दूसरी है जिसका पानी सीधा यमुना में जाता है इसकी लम्बाई (किलोमीटर में) 380 है।
➖बाणगंगा राजस्थान के तीन जिलों में बहती है: जयपुर, दौसा एवं भरतपुर बहती हुई उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फतेहाबाद के निकट यमुना में मिल जाती है यह यमुना की सहायक नदी है। बाणगंगा राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके उद्गम से लेकर विलय तक कोई सहायक नदी नहीं है।
➖एक मान्यता के अनुसार अर्जुन ने एक बाण से इसकी धारा निकाली थी अतः इसे अर्जुन की गंगा भी कहते है।
➖लगभग 380 कि.मी. लम्बी इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में बैराठ की पहाडियों से होता है। यह जयपुर, दौसा, भरतपुर में बहने के पश्चात् उतरप्रदेश मे आगरा के समीप फतेहबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में विलीन हो जाती है। उपनाम: इसे खण्डित रूण्डित व तालानदी भी कहते है।
➖इस नदी के तट पर बैराठ सभ्यता विकसित हुई।
राजस्थान में बैराठ नामक स्थान पर ही मौर्य युग के अवशेष प्राप्त हुए है।
➖ इस नदी का उद्गम जयपुर जिले के बैराठ पहाड़ियों से हुआ है
➖ चंबल बाणगंगा गंभीरी नदीया ये तीनों नदियां सीधे यमुना में मिलती है
➖ इस नदी पर जयपुर में जमा रामगढ़ बांध बना हुआ है इसका निर्माण 1903 में हुवा था
➖इस नदी पर अज़ान बाँध भरतपुर में बना हुवा है
Note :- रामसर (ईरान) नामक स्थान पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें नम भूमि/आद्र भूमि /वेटलैंड भूमि पर जैव विविधता सम्मेलन का आयोजन 2 फरवरी 1971 किया गया जिसे लागू 25 दिसम्बर 1975 को किया गया जिसमे विश्व मे 2231 स्थान चुने गए जहाँ नम भूमि है भारत में 26 स्थान है जबकि राजस्थान में 2 स्थान है जिसमे प्रथम केवला देव अभ्यारण 1 अक्टूबर 1981 तथा दूसरा साम्भर झील 23 मार्च 1990
गुरुकुल एक कदम सफलता की और
⭕बाणगंगा नदी
★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा
➖राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है अतः वहां नदीयों का विशेष महत्व है। पश्चिम भाग में सिचाई के साधनों का अभाव है परिणाम स्वरूप यहां नदीयों का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा |राजस्थान में महान जलविभाजक रेखा का कार्य अरावली पर्वत माला द्वारा किया जाता है। अरावली पर्वत के पूर्व न पश्चिम में नदियों का प्रवाह है और उनका उद्गम "अरावली" पर्वत माला है।
➖बेड़च नदी (आयड़) का उदगम गोगुन्दा की पहाडियां (उदयपुर) के उत्तर से होता है
➖बेड़च नदी की कुल लम्बाई:- 190 कि.मी. है
➖आहड सभ्यता (ताम्र युगीन) विकास/बनास संस्कृति का विकास इसी नदी के किनारे हुवा था
➖बेड़च नदी का समापन बीगोद (भीलवाड़ा) स्थान पर बनास में मिल जाती हर
➖राजस्थान में उदयपुर जिलें में गोगुंदा की पहाडियां से इस नदी का उद्गम होता है।
➖आरम्भ में इस नदी को आयड़ नदी कहा जाता है। किन्तु उदयसागर झील के पश्चात् यह नदी बेड़च नदी कहलाती है।
➖ इस नदी की कुल लम्बाई 190 कि.मी. है। यह नदी उदयपुर चितौड़ जिलों में होकर बहती हुई अन्त में भीलवाड़ा जिले के बिगोंद नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है। चितौड़गढ़ जिले में गम्भीरी नदी इसमें मिलती है।
➖लगभग 4000 वर्ष पूर्व उदयपुर जिले में इस नदी के तट पर आहड़ सभ्यता का विकास हुआ। बेड़च नदी बनास की सहायक
➖ चित्तौड़गढ़ में बेड़च नदी में गंभीर नदी मिलती है
➖ चित्तौड़ की गंभीरी, गुजरी ,व वागन नदियां इसकी सहायक नदियां है
➖ यह उदयपुर के उत्तर में गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलती है तथा उदयपुर चित्तौड़गढ़ में बहती हुई भीलवाड़ा में बीगोद के निकट बनास नदी में मिल जाती है वही मेनाल नदी भी इसमें मिलती है इस के संगम स्थल को त्रिवेणी संगम कहते हैं
➖ अपने उद्गम स्थल से उदय सागर झील तक यह नदी आयड नदी के उपनाम से जाने जाती
➖उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिरती है उदय सागर से निकलने के बाद यह बेड़च नदी के नाम से जानी जाती है
⭕उदगम(गोगुन्दा की पहाड़ी)➖(उपनाम)आयड़➖उदयसागर झील उदयपुर क्रमशः➖चितौड़(➕गम्भीरी मिलती है)➖भिलवाड़ा➖समापन (बीगोद में बनास में विलय)
🔖 बनास, बेड़च,मेनाल मिलकर बिनगोद में त्रिवेणी संगम बनाते हैं
➖चित्तौड़गढ़ के अप्पावास गांव के निकट इस पर घोसुण्डा बांध बना हुआ है।
⭕कोठारी नदी
➖कोठारी नदी बनास नदी की सहायक नदी है। यह नदी राजस्थान के राजसमंद ज़िले की दिवेर पहाड़ियों से निकलती है।
➖यह नदी लगभग 145 किलोमीटर लम्बी है।
➖कोठारी नदी उदयपुर तथा भीलवाड़ा में बहती हुई नन्दराम से एक कोस की दूरी पर बनास नदी में जा मिलती है।
➖ इस का बहाव क्षेत्र कल राजसमंद में भीलवाड़ा जिले में बैठकर नंदराय भीलवाड़ा के निकट बनास में मिल जाती है
➖ भीलवाड़ा में मांडलगढ़ से 8 किलोमीटर दूर मेजा बांध ईस नदी पर बना हुआ है
➖ इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया है
➖इसकी सहायक नदी बहमनी भीलवाडा के चौप्पन गांव में इसमें मिलती है
⭕ कालीसिंध नदी
➖कालीसिंध नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के देवास जिला के बागली गाँव के समीप विँध्याचल से हुआ हैं।
➖यह चम्बल नदी की सहायक नदी है
➖ शाजापुर और नरसिहगढ़ जिलो में प्रवाहित होते हुए राजस्थान में रायपुर झालवाड़ के निकट प्रवेश करती हैँ।
➖यहाँ झालावाड़ तथा कोटा जिलो में बहती हुई नौनेरा नामक स्थान कोटा पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
➖नदी की कुल लम्बाई 150 किलोमीटर हैँ। इसके किनारे बसा प्रमुख नगर देवास हैँ।
➖ राज्य में यह झालावाड़ कोटा , बारा की सीमा पर बहती हुई कोटा के पास नोनेरा ग्राम के समीप चंबल में मिल जाती है
➖आहू, परवन, निवाज (निमाज) व उजाड़ इसकी सहायक नदियां है
➖कालीसिंध व आहू नदी के संगम पर गागरौन का दुर्ग बना हुवा है
➖ झालावाड़ शहर कालीसिंध नदी के किनारे पर स्थित है
➖इस नदी पर कोटा में हरिशचन्द्र बांध बना है।
⭕बाणगंगा नदी
➖बाणगंगा भारत की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का पानी भरतपुर में घना पक्षी राष्ट्रीय उद्यान में भूमिगत होकर नम भूमि का निर्माण करता है।
➖इसे 'अर्जुन की गंगा' भी कहा जाता है।
➖इसे ताल नदी भी कहा जाता है
➖बाणगंगा नदी ऐसी दूसरी है जिसका पानी सीधा यमुना में जाता है इसकी लम्बाई (किलोमीटर में) 380 है।
➖बाणगंगा राजस्थान के तीन जिलों में बहती है: जयपुर, दौसा एवं भरतपुर बहती हुई उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फतेहाबाद के निकट यमुना में मिल जाती है यह यमुना की सहायक नदी है। बाणगंगा राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके उद्गम से लेकर विलय तक कोई सहायक नदी नहीं है।
➖एक मान्यता के अनुसार अर्जुन ने एक बाण से इसकी धारा निकाली थी अतः इसे अर्जुन की गंगा भी कहते है।
➖लगभग 380 कि.मी. लम्बी इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में बैराठ की पहाडियों से होता है। यह जयपुर, दौसा, भरतपुर में बहने के पश्चात् उतरप्रदेश मे आगरा के समीप फतेहबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में विलीन हो जाती है। उपनाम: इसे खण्डित रूण्डित व तालानदी भी कहते है।
➖इस नदी के तट पर बैराठ सभ्यता विकसित हुई।
राजस्थान में बैराठ नामक स्थान पर ही मौर्य युग के अवशेष प्राप्त हुए है।
➖ इस नदी का उद्गम जयपुर जिले के बैराठ पहाड़ियों से हुआ है
➖ चंबल बाणगंगा गंभीरी नदीया ये तीनों नदियां सीधे यमुना में मिलती है
➖ इस नदी पर जयपुर में जमा रामगढ़ बांध बना हुआ है इसका निर्माण 1903 में हुवा था
➖इस नदी पर अज़ान बाँध भरतपुर में बना हुवा है
Note :- रामसर (ईरान) नामक स्थान पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें नम भूमि/आद्र भूमि /वेटलैंड भूमि पर जैव विविधता सम्मेलन का आयोजन 2 फरवरी 1971 किया गया जिसे लागू 25 दिसम्बर 1975 को किया गया जिसमे विश्व मे 2231 स्थान चुने गए जहाँ नम भूमि है भारत में 26 स्थान है जबकि राजस्थान में 2 स्थान है जिसमे प्रथम केवला देव अभ्यारण 1 अक्टूबर 1981 तथा दूसरा साम्भर झील 23 मार्च 1990
गुरुकुल एक कदम सफलता की और
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