मौर्यकालीन कला,विज्ञान साहित्य व चित्रकला

इतिहास प्रथम प्रश्न पत्र

🔰1.मौर्यकालीन कला,विज्ञान साहित्य व चित्रकला

🔅सामान्य परिचय
1. मौर्य काल का शासन 323 ई पु से  184 ई पु तक था तथा इसका संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था

2.चन्द्रगुप्त मौर्य (321-298 ई पु)

➖नंद वंस के शासक घनानंद को हराकर कौटिल्य की सहायता से राजा बना तब वह 25 वर्ष का था

🔝चाण्क्य ने साम्राज्य उखाड़ फेकने की सपथ ली "राजकीलम खेल खलते बालक को शिष्य बनाया

➖305 ई पु में सेल्यूकस निकेटर को हराया था (हेलना से विवाह व चार प्रान्त काबुल कंधार हेरात व मकराना चंद्रगुप्त को दिए) 500 हाथी उपहार में दिए

🔝मेगस्थनीज (सेल्युकस का राजदूत) ने "इंडिका" किताब लिखी

➖इनकी मृत्यु 298 में श्रवणबेलगोला/संथारा पद्धति से अपने गुरु भद्रबाहु से जैन दीक्षा के उपरान्त ली

3."परिशिष्ठ पर्वत" जैन ग्रन्थ में मोरपालक क्षत्रिय बताया

4."कथामंजरी" क्षेमेन्द्र ने नन्दवंश का बताया

5."मुद्राराक्षस"विशाखदत्त में घनानंद पुत्र बताया

6."कथा सरिसागर"सोमदेव ने नंदवंश का बताया

7."स्ट्रेबो व जस्टिन "यूरोपियन इतिहासकारो ने सेन्ड्रोकोटस कहा है

8."प्लूटार्क व एरियल" ने एंड्रोकोट्स कहा था

9.विलियम जोन्स ने सेन्द्रोकोट्स की तुलना चन्द्रगुप्त से की थी

🔰बिन्दुसार (295 - 273 ई पु)

10.प्रथम सिरजियन सम्राट बना (गर्भ चीरकर उतपन्न हुवा था) इनके प्रधानमंत्री पहले चाणक्य व बाद में ख़लाटत्क रहा था

11.यूनानी साहित्य में इसे "अमित्रोचेट्स/अमित्रघाट (शत्रु विनाशक ) कहा

12.
जैन साहित्य  "सिंहसेन" कहा है
वायुपुराण "भद्रसार " कहा है

13.बिन्दुसार ने आजीविका धर्म का आधारित था इसकी मृत्यु 273 ई पु में हुई

14.सीरिया का राजा (एण्टियोकस प्रथम) ने सुखी अंजीर, शराब,व दार्शनिक मंगवाया था इसका राजदूत डायमेकस कहा था

15.मिश्र का राजा टॉलमी फिलाडेल्फि द्वितीय का राजदूत डायोनिसियस इसके समय आय था

16.बिन्दुसार के समय तक्षशिला में विद्रोह का दमन अशोक व सुसीम ने किया

🔰सम्राट अशोक (273 - 232 ई पु)

17.अशोक का नाम के बारे में अलग अलग स्रोत है
➖पुराणों में "अशोकवर्धन"
➖मास्की लेख में "बुध साक्य"
➖शिलालेख में "देवनामप्रिय"
➖बौद्ध साहित्य में "चंडी अशोक"
➖गुर्जरा, मास्की,नेयूटुर,उड़गोलन शिलालेखों में "अशोक नाम है

18.राज्याभिषेक दो बार हुवा था
273 ई. पु.
269 ई. पु.(इससे पूर्व अवंति/उज्जैन का राजा था)

19.बोद्ध ग्रन्थों में दिव्यदान व सिंहली जनश्रुति के अनुसार उत्तराधिकारी युद्ध मे 99 भाइयों की हत्या कर दी थी

20.कलीग युद्ध (261 ई पु )राज्याभिषेक के आठवें वर्ष  नरसंहार किया (वर्णन 13 वे शिलालेख में किया गया)इसका शासक नंदराज था इसके बाद 2 राजधानी बनाई (उतर में तोशाली व दक्षिण में जोगढ़)

21.सासन के दसवें वर्ष बोधगया की यात्रा की थी

22.अंतिम समय मे बोध धर्म अपनाया था उपगुप्त के कहने पर (इसका वर्णन भाब्रू शिलालेख में है)

🔰मौर्यकालीन साहित्य

23 प्रमुख मौर्यकालीन साहित्य किताब व लेखक निम्न है
१.अर्थशास्त्र  - कौटिल्य
२.मुद्राराक्षस  - विशाखदत्त
३.सरित्सागर  - सोमदेव 
४.वरहत्कथामजरी - क्षेमेन्द्र
५.मुद्रा राक्षस व्याख्या - घुंडीराज
६.विष्णुपुराण की टीका - रत्नगर्भ की
७.मुद्रा राक्षस कथा - महादेव की
८.चाणक्य कथा  - रविंनर्तक
९.महाभाष्य & दशकुमारचरित - पतंजलि
१०.राजतरंगिणी - कल्हण

24.प्रमुख मौर्यकालीन बोद्ध साहित्य
१.दीपवंश
२.महावंस
३.महावंस टिका
४.महाबोधि वंस
५.कम्बोडियाई महावंस
६.मिलिंद पन्हों
७.दिव्यदान
८.आरजममंजुश्री मूलकल्प
९.कलयुग राजवर्ततात

25.मौर्यकालीन जैन साहित्य
१.पृरीष्ठपरवन &त्रिस्तकसला -हेमचन्द्र
२.भद्रबाहु चरित्र -रतननन्दी का
३.वरहद कथाकोश - हरिषेण

🔰अर्थशास्त्र (व्याख्यात्मक)

26.भाषा -संस्कृत है
➖विषय राजनीती व प्रसासन पर आधारित है
➖खोज सर्वप्रथम श्याम शास्त्री पुणे 1904 में (तंजौर के एक ब्राह्मण द्वारा दिया गया था)
➖1909 में संस्कृत व 1915 में अंग्रेजी में अनुवाद करवाया गया था

🔝कुल 15 अधिकरण(भाग,)180 प्रकरण व 4000 श्लोक है (सैली गध पध है)

🔝ना मौर्य शासकों का नाम व ना पाटलिपुत्र सब्द का उल्लेख नही हुवा है

🔝राजस्व कुल उपज का 1/6 बताया है इसमे पहली बार शूद्रों को आर्य कहा है

🔝दो प्रकार के गुप्तचर संस्था व संचार थे

🔅मौर्यकालीन अर्थशास्त्र के अभिकरण
1.राजा समस्याओं का समाधान करेगा एवम ज्ञान साखा का विवेचन करेगा

2.पदाधिकारीयो का विवेचन करेगा

3.दीवानी न्ययालय मामले

4.फौजदारी न्यायालय मामले

5.कर्मचारियों के दायित्व का वर्णन

6.सप्तांग सिद्धात का वर्णन (राज्य के सात भाग है)

10.युद्ध नीति का वर्णन

11.शत्रु में भेद डालकर नष्ठ करना विधि

15.अर्थशास्त्र का अर्थ (नंद राजा को नस्ट करने हेतु इसे लिखा)

27.तीर्थ :- सबसे ऊंचे कर्मचारियों को कहा जाता है

28.इसमे 4 व्यापारिक मार्गो का वर्णन किया है दक्षिण भारत के व्यापारीक मार्ग को महत्वपूर्ण बताया है

🚏पुष्पकलावती मार्ग (पाक) .....पाटलिपुत्र बिहार ,ताम्रलिप्ति बंदरगाह (पश्चिम बंगाल) तक

🚏पाटन (गुजरात)से ...कोसम्भी UP तक

🚏प्रतिष्ठान (महाराष्ट्र)...श्रावस्ती (UP तक)

🚏भैरोच (गुजरात) ...मथुरा UP तक

29.व्यापारी मार्गो के साथ प्रसिद्व वस्तु :-
कलीग/अंगजनपद - हाथी
काशी  -सुती वस्त्र
नेपाल  - कम्बल
कम्बोज - घोड़ो के लिए प्रसिद्ध
मगध बाट बनाने के लिए प्रसिद्ध

🔰मुद्राराक्षस  (विशाखदत्त)

30.यह संस्कृत का ऐतिहासिक नाटक है जिसके रचयिता विशाखदत्त हैं। इसकी रचना गुप्तकाल में चौथी शताब्दी में हुई थी।

31.इसमें चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य संबंधी ख्यात वृत्त के आधार पर चाणक्य की राजनीतिक सफलताओं का अपूर्व विश्लेषण मिलता है(चाणक्य के षड्यंत्र द्वारा अमात्य राक्षस घनानन्द का सेनापति की हराने का वर्णन है

32.भारत का प्रथम जासूसी ग्रन्थ है इसमे चन्द्रगुप्त के लिए वर्षण सब्द का प्रयोग किया है जो निम्नकुल कहा जाता है

33.राजतरंगीनी (कल्हण) में कश्मीर को जालोक व अशोक ने श्रीनगर को बसाया व भारत का क्रमबद्ध इतिहास का वर्णन किया गया है

34.इंडिका (मेगस्थनीज)

-दास प्रथा नही थी और न अकाल पड़ते थे भारतीयों को लेखन कला का ज्ञान नही था सम्राट की सुरक्षा हेतु महिला अगरक्षिका होती थी

35.जिला प्रसासन अधिकारी को एग्रोमाईनी कहा है

🔰मौर्यकालीन साहित्य पार्ट 2

⚠अशोकाअवधान
⚠दिव्याअवधान (अवधान श्रेष्ठ कार्यो को कहा जाता है )इन गर्न्थो में मौर्य शासकों के बारे में जानकारी मिलती है

37.दिव्यावदान नेपाल से प्राप्त ग्रन्थ है इसमे अशोक की पुत्री चारुमती का विवाह नेपाल के "युवराज खत्रियदेवपाल" से हुवा था

38.अशोक ने नेपाल में देवपाटन (ललितपाटन) नगर बसाया था इसमे गुप्तकाल की जानकारी नही मिलती है

⚠दीपमहावंश

39.यह श्रीलंका से प्राप्त हुआ है इसे सिंहली बोध धर्म की जानकारी मिलती है

40.सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा के श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार का वर्णन मिलता है

 41.अशोक के दो उपनाम मिलते है
देवनामप्रिय
प्रियदर्शी

⚠तमिलग्रन्थ में लामा तारानाथ ने तिब्बती भाषा मे "कग्यूर व तंगयुर" ग्रन्थ लिखे जिसमे मौर्य वंश की जानकारी मिलती है

42.तमिल ग्रन्थ में मारवाड़ के चित्रकार का वर्णन मिलता है

⚠मेगस्थनीज (सेल्युकस निकेटर का राजदूत था 305 में युद्ध हारने पर अप्पणी पुत्री हेलना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया
➖इनकी कृति "इंडिका" है जिसकी मूल कॉपी उपलब्ध नही है
➖डॉ स्वान बैंक ने दुबारा लिखा जिसे द्वितीय इंडिका कहा जाता है
➖इसमे पाटलिपुत्र को "पोलि ब्रोथस"सब्द कहा
➖इस ग्रन्थ में भौगोलिक राजनीतिक आर्थिक जानकारी मिलती है
🔝गंगा नदी को भारत की सबसे बड़ी नदी बताया है
🔝 इसमे दास प्रथा को नही बताया है दास प्रथा नही थी

🔝भारत मे 7 जातियों का वर्णन मिलता है
1.सबसे ज्यादा किसान
2.दार्शनिक
3.अहीर
4.कारीगर/शिल्पी
5.सैनिक
6.निरीक्षक
7.पार्षद/समासद सबसे कम

⚠43.फाइयांन (चीनी यात्री)

यह चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (चंद्रगुप्त 2) के समय 3 वर्षो तक अध्यन करने आया था जो गुप्तकाल में आया था

➖इनकी किताब : फो -कुओं -थी (बोद्ध देशों की व्रतांत यात्रा) थी

➖इसमे मौर्य वंश की जानकारी मिलती है इन्होंने अशोक के महलों को देवताओं और परियों के द्वारा बनाया गया माना है

🔰 मौर्यकालीन स्तम्भ निर्माण

1.लोरिया नंदगढ़ स्तम्भ (शिर्ष पर सिंह)
2.संकिसा स्तम्भ (फरुखाबाद) हाथी
3.रामपुरवा स्तम्भ (बृषभ)
4.सारनाथ स्तम्भ (सिंह)

🔰 मौर्यकालीन स्तम्भ लेख

1.▪मेरठ का स्तम्भ लेख(वर्तमान में दिल्ली) यह टिफेन थैलर द्वारा पढा गया 1750 में

2.▪टोपरा स्तम्भ लेख (उत्तरप्रदेश)
3.▪प्रयाग स्तम्भ लेख (उत्तरप्रदेश)
4.▪लोरिया नंदनगढ़ स्तम्भ लेख (प .चंपारण बिहार)
5.▪लोरिया अरेराज लेख (बिहार)
6.▪रामपुरवा स्तम्भ लेख (बिहार)


⛰.मेरठ का स्तम्भ लेख

▪यह स्तम्भ लेख पहले मेरठ में था बाद में फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली ले जाया गया

▪कालांतर में बारुद खाने में विस्फोट(फरुखसियर के साशन काल मे) होने के कारण खंडित हो गया था

▪बाद में इसे 1967 में पुनर्स्थापित किया गया

⛰.टोपरा स्तम्भ लेख यमुना नगर UP

▪यह स्तंभ लेख पहले टोपरा कला गांव (यमुनानगर जिला उत्तर प्रदेश) में था तथा बाद में फिरोज तुगलक द्वारा दिल्ली में लाया गया

▪टोपरा में प्राप्त स्तंभ लेख पर ही अशोक के 7 स्तंभ लेख उत्तीर्ण है जबकि शेष स्थानों से प्राप्त स्तंभ लेख
पर केवल 6 स्तम्भ लेख उत्कीर्ण मिलते हैं

🔝ध्यान रहे-  दिल्ली टोपरा स्तंभ लेख को सुनहरी लाट, भीमसेन लाट तथा फिरोजलाट के नाम से जाना जाता है

⛰प्रयाग स्तम्भ लेख

▪यह स्तम्भ लेख पहले कौशाम्बी कोसम (इलाहाबाद उत्तरप्रदेश) में था इसके बाद अकबर द्वारा इलाहाबाद किले में लाया गया

▪अशोक द्वारा महात्माओं के नाम आदेश के रूप में है

▪इसमे अकबर के सामन्त बीरबल का भी उल्लेख है

⛰लोरिया नंदगढ़ स्तम्भ

▪यह पश्चिम चंपारण बिहार में स्थित है इस स्तम्भ पर मयूर का चित्र है जो मौर्य ओर मोरिय जनपद से सम्बंधित है इसपर औरगजेब का नाम अंकित है

⛰लोरिया अरराज (चंपारण बिहार)

⛰रामपुरवा स्तम्भ लेख (बिहार)

▪इसमे दो स्तम्भ मिलते है एक स्तम्भ लेख युक्त और दूसरा लेख विहीन लेखयुक्त स्तम्भ पर सिंह आकृति उत्कीर्ण है जो वर्तमान में राष्ट्रपति भवन में रखी जे

▪लेख विहीन स्तम्भ पर बृषभ की आकृति उत्कीर्ण है एकमात्र स्तम्भ है जिसके शिर्ष पर बृषभ बना हुवा है

▪इनमें से एक पर 'सप्त स्तम्भ आदेश' लेख प्राप्त हुए हैं।

▪इन लेखों में अशोक की धार्मिक घोषणाएँ तथा उसके धार्मिक कार्यों का विवरण दिया गया है।

🔰सारनाथ का स्तंभ

▪सारनाथ का स्तंभ धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना का स्मारक था और धर्मसंघ की अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए इसकी स्थापना हुई थी।

▪यह चुनार के बलुआ पत्थर के लगभग 45 फुट लंबे प्रस्तरखंड का बना हुआ है।

▪धरती में गड़े हुए आधार को छोड़कर इसका दंड गोलाकार है, जो ऊपर की ओर क्रमश: पतला होता जाता

▪दंड के ऊपर इसका कंठ और कंठ के ऊपर शीर्ष है।

▪कंठ के नीचे प्रलंबित दलोंवाला उलटा कमल है।

➖गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में विभक्त है।
उनमें क्रमश: हाथी, घोड़ा, सांढ़ तथा सिंह की सजीव प्रतिकृतियाँ उभरी हुई है

➖कंठ के ऊपर शीर्ष में चार सिंह मूर्तियाँ हैं जो पृष्ठत: एक दूसरी से जुड़ी हुई हैं। इन चारों के बीच में एक छोटा दंड था जो 32 तिल्लियों वाले धर्मचक्र को धारण करता था, जो भगवान बुद्ध के 32 महापुरूष लक्षणों के प्रतीक स्वरूप था

➖ अपने मूर्तन और पालिश की दृष्टि से यह स्तंभ अद्भुत है।

➖ इस समय स्तंभ का निचला भाग अपने मूल स्थान में है। शेष संग्रहालय में रखा है। धर्मचक्र के केवल कुछ ही टुकड़े उपलब्ध हुए। चक्ररहित सिंह शीर्ष ही आज भारत गणतंत्र का राज्य चिह्न है।

➖15 अगस्त 1947 को शिर्ष स्तम्भ को राष्ट्रीय प्रतीक माना गया था

🔰लघु स्तम्भ

1.सांची लघु स्तम्भ लेख (रायसीन मध्यप्रदेश)

➖इस स्तंभ लेख में चार सिंह आपस में पीठ सटाए बैठे हैं जिसके नीचे हंसों को दाना चुगते दिखाया गया है

➖इसमे संघ भेद रोकने सम्बंधित आदेश जे

 2.सारनाथ का लघुस्तम्भ लेख (वाराणसी उतर प्रदेश)

3.कोसम्भी (रानी का लेख) इलाहाबाद उत्तरप्रदेश
 -इसमे अशोक की पत्नी करूवाकि व पुत्र तीवर का उल्लेख मिलता है

4.रुमीनदेई स्तम्भ लेख (नेपाल)
अशोक का सबसे छोटा अभिलेख है जिसका विषय आर्थिक है इसमे भूमिकर घटाकर 1/8 कर दिया है

5.निगाली सागर स्तम्भ लेख (नेपाल)

⭕अशोक के शिलालेख और उसके विषय

♻शिलालेख -1. इसमें पशु बलि की निंदा की गई।

♻शिलालेख-2. समाज कल्याण, मनुष्य व पशु चिकित्सा।

♻शिलालेख-3. अशोक के तीसरे शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसके राज्य में प्रादेशिक, राजूक , युक्तों को हर 5 वें वर्ष धर्म प्रचार हेतु भेजा जाता था जिसे अनुसन्धान कहा जाता था। इसमें बचत, धार्मिक नियम और अल्प व्यय को धम्म का अंग बताया है।

♻शिलालेख-4. भेरिघोष की जगह धम्म घोष की धोषणा।

♻शिलालेख-5. धर्म महामत्रों की नियुक्ति (13 वें वर्ष )

♻शिलालेख-6. आत्म नियंत्रण की शिक्षा। .

♻शिलालेख-7.व 8. अशोक द्वारा तीर्थ यात्राओ का वर्णन।

♻शिलालेख-9. सच्ची भेंट व सच्चे शिष्टाचार का वर्णन।

♻शिलालेख-10. राजा व उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें।

♻शिलालेख-11. धम्म की व्याख्या। धर्म के वरदान को सर्वोत्तम बताया।

♻शिलालेख-12. स्त्री महामत्रों की नियुक्ति व सभी प्रकार के विचारो के सम्मान की बात कही। धार्मिक सहिष्णुता की निति।

♻शिलालेख-13. कलिंग युद्ध, अशोक का हृदय परिवर्तन, पड़ोसी राजाओं का वर्णन।

♻शिलालेख-14. धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी।

🔰अशोक के 14 शिलालेख विभिन्‍न लेखों का समूह है जो आठ भिन्‍न-भिन्‍न स्थानों से प्राप्त किए गये हैं-

(1) धौली- यह उड़ीसा के पुरी जिला में है।

(2) शाहबाज गढ़ी- यह पाकिस्तान (पेशावर) में है।

(3) मान सेहरा- यह पाकिस्तन के हजारा जिले में स्थित है।

(4) कालसी- यह वर्तमान उत्तराखण्ड (देहरादून) में है।

(5) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है।

(6) सोपारा- यह महाराष्ट्र के पालघर जिले में है।

(7) एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है।

(8) गिरनार- यह काठियाबाड़ में जूनागढ़ के पास है।

🔰अशोक के अभिलेख

➖अशोक के 40 के लगभग अभिलेख प्राप्त हुए भंडारण लेखक में अभिलेखों के आधार पर इतिहास लिख दिया

➖1750 में त्रिफेंथेर ने अशोक स्तम्भ का पता लगाया 1837 में जेम्स प्रिपेज ने पढ़ने की शैली का विकास किया

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