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Showing posts from 2020

आय प्रश्न उतर

■ आय [Revenue] 1.सम्प्राप्ति [Revenue] है A. लागतें - लाभ B. लागतें + लाभ √√ C. लागतें × लाभ D. लागतें ÷ लाभ ‣‣ रेवेन्यू लागतों एवम लाभ का जोड़ है 2.एक पूर्ण प्रतियोगिता फर्म के लिए कीमत होती है? A. MR से अधिक B. AR से अधिक C. MR के बराबर D. दोनों B और C √√ ‣‣ एक पूर्ण प्रतियोगिता फर्म के लिए कीमत  AR से अधिक व MR के बराबर होती है 3.सही समीकरण चुनिए ? A. TR = ∑ AR B. MR = ∆TR /∆Q √√ C. TR =AR / कुल उत्पादन D. AR =TR × कुल उत्पादन 4.औसत सम्प्राप्ति (MR) - A.ऋणात्मक हो सकती है B.ऋणात्मक नही हो सकती C.तब शून्य के बराबर होती है जब कुल सम्प्राप्ति(TR)शून्य होता है D. दोनो A और C √√ 5.एकाधिकार की स्थिति में MR केवल तब ऋणात्मक होगा जब A.AR बढ़ रहा हो B.AR घट रहा हो √√ C.AR स्थीर हो D.AR शून्य हो 6.निम्नलिखित समीकरणों में से कोनसा सही नही है? A. AR = P×Q / Q √√ B. AR = P+Q C. AR = P-Q D. AR = P÷Q 7.जब सीमांत सम्प्राप्ति आय शून्य होती है तब कुल सम्प्राप्ति A.न्यूतम होती है B.शून्य होती है C.अधिकतम होती है √√ D.सीमान्त सम्प्राप्ति के बराबर होती है...
🔰 4.Consumer equilibrium: Cardinal and ordinal approach उपभोक्ता संतुलन : गणनावाचक दृष्टिकोण और कर्मवाचक दृष्टिकोण ▪उपभोक्ता वह होता है जो वस्तुओं और सेवाओं को अपनी संतुष्टि ले लिए खरीदता है तथा एक उपभोक्ता उस समय संतुलन में होगा जब उसकी संतुष्टि अधिकतम होगी 🔺उपयोगिता ▪उपयोगिता से अभिप्राय किसी वस्तु के उपभोग से प्राप्त होने वाली संतुष्टि से है अथवा किसी आवश्यकताओ को संतुष्ट करने की क्षमता उपयोगिता है ▪उदहारण एक कप चाय से मिलने वाली संतुष्टि उपयोगिता है ▪उपयोगिता को मापना कठिन है क्योंकि यह मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर आधरित है प्रत्येक व्यक्ति की उपयोगिता अलग अलग होती है ▪एज्वर्थ, एंटोनेली, इरविंग ,फ़िशर ने बताया कि उपयोगिता को मापा जा सकता है और उपयोगिता विभिन्न वस्तुओं के उपभोग की गई मात्रा पर निर्भर करता है ▪उपयोगिता फलन U = U (X1 ,X2 ,..Xn) है जो व्यक्तियों के फलनीय सम्बन्ध को दर्शाता है ▪विलियम जोवेन्स ,कार्ल मेंजर,लियॉन बेलरेस ,मार्शल के अनुसार उपयोगिता को मापा जा सकता है जिसका माप "यूटील्स" है  🔝उपयोगिता का सम्बन्ध लाभ हानि से न होकर केवल आवश्यकता संत...
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☯ मुगलकालीन स्थापत्य कला ▪मुगलकाल में हिन्दू व जैन शैली का प्रभाव पड़ा ▪ मुगलकाल में भवनों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है ▪मुगल स्थापत्य कला भारतीय, ईरानी , मध्य एशिया, व तुर्की का समन्वय है ▪मुगल शैली में विशाल गुम्बद,नोकदार मेहराब,तहखाना,बगल डॉट, बेलबूटों का प्रयोग, ज्यामिति विन्यास ,पित्रड्यूरा का प्रयोग, चार बाग पद्धति ,बहते पानी का प्रयोग किया गया है ▪संगमरमर के पत्थरों पर हीरो जवाहराहत की जड़ावत पित्रड्यूरा है ⏯ बाबर ▪काबुली बाग मस्जिद (पानीपत) 1529 में ▪संभल जामा मस्जिद (रुहेलखंड) चगताई शैली का प्रयोग ▪अयोध्या मस्जिद (मीर बंक सेनापति द्वारा) ▪चार भाग बनवाएं ↪ वागेवफ़ा बाग (काबुल) ↪ बागेकला बाग (काबुल) ↪ आरामबाग (इसे नूर-ए-अफगान कहते है) ज्यामिति विधि का प्रयोग किया गया है ↪ जाहेराबाग - आगरा ⏯ हुमायू कालीन स्थापत्य कला ▪दीनपनाह स्मारक (दिल्ली) धर्म का शरण स्थल 1533 में बनवाया जिसमे पुस्तकालय बनाया गया वर्तमान में इसे पुराना किला कहते है :- इसी क़िले की सीढ़ियों से हुमायू की गिरकर मौत हो गई थी ▪आगरा की मस्जिद ▪फतेहाबाद की मस्जिद (ईरानी शैली में) ▪फ...

मुगलकालीन शिक्षा

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☯ मुगलकाल में शिक्षा ,भाषा ,साहित्य,कला और स्थापत्य कला का विकास -:-  मुगलकाल में शिक्षा -:-  मुगलकाल में भाषा -:-  मुगलकाल में कला -:-  मुगलकाल में स्थापत्य कला का विकास ◆ मुगलकाल में शिक्षा (Development of Education) ▪ मुगलकाल में शिक्षा हिन्दू और मुस्लिम दोनो प्रकार की पद्धतियों द्वारा दी जाती थी ▪ मुगलकाल में प्राथमिक शिक्षा :- मकतबों में दी जाती थी ▪ मुगलकाल में उच्य शिक्षा :- मदरसों में दी जाती थी ▪ मुगलकाल में  शिक्षा का माध्यम फारशी होता था (अकबर ने फ़ारसी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा दिया था) ▪शिक्षा की उपाधियां :- १.तर्क व दर्शन के लिए :- फ़ाजिल उपाधी २.धार्मिक शिक्षा के लिए :- आमिल उपाधी ३.साहित्य शिक्षा के लिए :- काबिल उपाधि से नवाजा जाता था  ▪ मुगलकाल में शिक्षा के केंद्र :- मुल्तान,  दिल्ली, आगरा, जौनपुर, लाहौर आदि मुस्लिम शिक्षा के केंद्र थे ◆ बाबर :- ▪ " सूरते आम विभाग " शिक्षा की देखरेख के लिए बनवाई थी ◆ हुमायु :- ▪ " मदरसा ए बेगम " (हुमायु ने महाम अनगा के सहयोग से दिल्ली में मदरसा बनवाया था ) ▪ शेरमण्डल (प...

राज्यपाल

#गुरुकुल_कोटपुतली_पटवार_नोट्स ■ राज्यपाल ▪जिस प्रकार संघ की कार्यपालिका राष्ट्रपति में निहित होती है उसी प्रकार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होती है ▪सविधान के भाग 6 के अनुच्छेद (152-237) तक राज्य के राज्यपाल का प्रावधान किया गया है - राज्य कार्यपालिका (अनु.152-167) - राज्य विधानमंडल  (अनु.168-213) - उच्य व जिला न्यायालय (अनु.214-237) ▪राज्यपाल + विधानपरिषद + विधानसभा तीनो मिलकर राज्य की कार्यपालिका विधानमंडल कहलाते है ▪भारत मे 22 एक सदनात्मक विधानमंडल है तथा 6 द्विसदनात्मक विधानमंडल है ▪राज्यपाल का पद कनाडा के सविधान से लिया गया था ● प्रमुख अनुच्छेद अनु.152 - राज्यों के बारे में उल्लेख किया गया है (28 राज्यो का) अनु.153 -  प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा Note :-(7वे सविधान संसोधन (1956) द्वारा यह प्रावधान किया गया कि एक व्यक्ति दो या दो से अधिक राज्यो के राज्यपाल हो सकता है) अनु.153(3) संसद की संचित निधि से 3,50,000 वेतन भत्ता प्रदान किया जाएगा अनु.154 -  राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित है जिसे स्वम या स्वम द्वा...

उपभोक्ता का व्यवहार

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■ Theory of Consumer Behavior (उपभोक्ता का व्यवहार) ▪उपभोक्ता का व्यवहार सूक्ष्म आर्थिक विश्लेषण की प्रारंभिक कड़ी है  ▪समाज मे उपभोक्ता का उपभोग समस्त आय पर निर्भर करता है जब आय बढ़ती है तो उपभोग की मात्रा भी बढ़ती है उपभोग व आय में सम्बन्ध को उपभोग फलन कहते है ▪उपभोक्ता का व्यवहार विश्व की समस्त विपणन क्रियाओं का केन्द्र बिन्दु उपभोक्ता है। ▪आज विपणन के क्षेत्र में जो कुछ भी किया जा रहा है उसके केन्द्र में कही न कही उपभोक्ता विद्यमान है  इसलिए उपभोक्ता को बाजार का राजा या बाजार का मालिक कहा गया है। ▪सभी विपणन संस्थाए उपभोक्ता की आवश्यकताओं इच्छाओं, उसकी पंसद एवं नापंसद आदि पर पर्याप्त ध्यान देने लगी है इतना ही नहीं विपणनकर्ता उपभोक्ता के व्यवहार को जानने एवं समझने में लगे हुए है। ▪उपभोक्ता व्यवहार से आशय उपभोक्ता की उन क्रियाओं एवं प्रति क्रियाओं से है जो वह किसी उत्पादको क्रय करने एवं उपयोग के दौरान उससे पहले या बाद में करता है। ✒️ वाल्टर तथा पॉल के अनुसार-’’उपभोक्ता व्यवहार वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत लोग यह निर्णय लेते है कि कौन सा माल तथा सेवाए कब, कहॉ से,...

रोजगार का क्लासिक सिद्धात

रोजगार का क्लासिकल सिद्धांत Classical theory of employment ▪रोजगार के क्लासिकी  सिद्धात का यह मानना कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के बिना पूर्ण  रोजगार की प्राप्ति नहीं हो सकती है अर्थात अर्थव्यवस्था में बिना स्फीति का पूर्ण रोजगार पाया जाता है ▪मजदूर- कीमत लोचशीलता (नम्यता) दिए हुई होने पर आर्थिक प्रणाली में स्वयं शक्तियां शक्तियां पाई जाती हैं तो पूर्ण रोजगार कायम रखने की प्रवृत्ति रहती हैं उसी स्तर पर उत्पादन भी होता है ▪ अत: रोजगार की स्थिति एक समान नहीं रहती है इस स्तर से विचलन की स्थिति असमान रह जाती हैं जो अपने आप पूर्ण रोजगार की और अग्रसर होती चली जाती है ■ मान्यताएं (Assumptions) रोजगार का क्लासिकी सिद्धात निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है - 1.बिना विदेशी व्यापार के तथा बिना सरकारी हस्तक्षेप के पूंजीवादी अर्थव्यवस्था पाई जाती है 2.श्रम और वस्तु बाजारों में पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है 3.श्रम समरूप होता है 4.अर्थव्यवस्था का कुल उत्पादन उपभोग और निवेश पर व्यय हो जाता है 5.मुद्रा की मात्रा दी हुई होती है 6. मुद्रा मजदूरी और वास्तविक मजदूरी का सीधा और समानुपा...

राष्ट्रीय आय

■ NATIONAL INCOME : CONCEPT AND MEASUREMENT राष्ट्रीय आय : अवधारणा एवम माप ▪राष्ट्रीय आय का लेखांकन अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की आर्थिक क्रियाओं तथा उनके पारस्परिक सम्बन्धो की सांख्यिकीय व्याख्या प्रस्तुत करता है तथा साथ ही विश्लेषण का ढांचा प्रदान करता है ▪राष्ट्रीय आय किसी देश के उत्पादन साधनों द्वारा किसी वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के भौतिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते है ▪राष्ट्रीय आय एक लेखा वर्ष की अवधि के दौरान एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित कारक आय का कुल जोड़ है ▪राष्ट्रीय आय का प्रथम विचार एडम स्मिथ ने दिया था (अपनी पुस्तक "एन इंक्वायरी इन टू नेचर एंड कॉलेज ऑफ द वेल्थ आफ नेशन")  🔝एडम स्मिथ अर्थशास्त्र का जनक है ▪राष्ट्रीय आय लेखांकन का विचार प्रो. जे.एम. किन्स ने विकसित किया ▪ राष्ट्रीय आय का प्रथम प्रयोग कुजनेट ने 1934 में किया था ▪ भारत मे सर्वप्रथम प्रयोग दादा भाई नारोजी ने 1868 में किया इन्होंने राष्ट्रीय आय को 340 करोड़ बताया तथा प्रति व्यक्ति आय 20 रूपय बताई ▪साधारण सब्दो में राष्ट्रीय आय से अभिप्राय है किसी...