☯ मुगलकालीन स्थापत्य कला

▪मुगलकाल में हिन्दू व जैन शैली का प्रभाव पड़ा

▪ मुगलकाल में भवनों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है

▪मुगल स्थापत्य कला भारतीय, ईरानी , मध्य एशिया, व तुर्की का समन्वय है

▪मुगल शैली में विशाल गुम्बद,नोकदार मेहराब,तहखाना,बगल डॉट, बेलबूटों का प्रयोग, ज्यामिति विन्यास ,पित्रड्यूरा का प्रयोग, चार बाग पद्धति ,बहते पानी का प्रयोग किया गया है

▪संगमरमर के पत्थरों पर हीरो जवाहराहत की जड़ावत पित्रड्यूरा है

⏯ बाबर

▪काबुली बाग मस्जिद (पानीपत) 1529 में
▪संभल जामा मस्जिद (रुहेलखंड) चगताई शैली का प्रयोग
▪अयोध्या मस्जिद (मीर बंक सेनापति द्वारा)
▪चार भाग बनवाएं
↪ वागेवफ़ा बाग (काबुल)
↪ बागेकला बाग (काबुल)
↪ आरामबाग (इसे नूर-ए-अफगान कहते है) ज्यामिति विधि का प्रयोग किया गया है
↪ जाहेराबाग - आगरा

⏯ हुमायू कालीन स्थापत्य कला

▪दीनपनाह स्मारक (दिल्ली) धर्म का शरण स्थल 1533 में बनवाया जिसमे पुस्तकालय बनाया गया वर्तमान में इसे पुराना किला कहते है
:- इसी क़िले की सीढ़ियों से हुमायू की गिरकर मौत हो गई थी

▪आगरा की मस्जिद
▪फतेहाबाद की मस्जिद (ईरानी शैली में)
▪फतहाबाद नगर बसाया (हिसार में)

⏯ शेरशाह सुर

▪शेरगढ़ नगर बसाया 1540 ( जिसके लाल दरवाजा व खूनी दरवाजा अवशेष बचे है)

▪किला-ए-कुहान मस्जिद (पुराने किले)
▪ शेरशाह का मकबरा ( पुत्र इस्लामशाह ने बनवाया) सहसराम बिहार जिला में

↪ कंनिघम ने ताजमहल से भी सुंदर कहा है जो झील के बीच चबूतरे पर निर्मित है
↪ यह भारतीय व इस्लामिक कला का मिश्रण है यह बलुआ पत्थर से निर्मित है
↪ यह प्रथम अष्टकोणीय मकबरा है जो दिगुणी शैली से निर्मित है जिसका झील में प्रतिबिंब दिखता है

▪सड़क-ए-आजम (जी. टी.रोड़) - सोनार गांव (पूर्वी बंगाल से सिंधु नदी अटक पंजाब तक)

▪शाहाना - प्रत्येक 4 मिल दूर पर 1700 सराये बनाई
▪ रोहतासगढ़ दुर्ग बनाया

⏯ अकबर कालीन स्थापत्यकला

▪गुम्बदों का कम प्रयोग मेहराबों का प्रयोग सिर्फ अलकरण हेतु किया गया है

▪बलुआ पत्थरो का अधिकतर प्रयोग व संगमरमर का सीमित प्रयोग किया गया है

🈁 हुमायू का मकबरा (दिल्ली)



▪इसका निर्माण अकबर की सौतेली मां हाजी बेगम द्वारा ईरानी वास्तुकार " मिरक मिर्जा गियास " ने 1565 में करवाया था

▪इसमें लाल बलुआ पत्थरों व संगमरमर का प्रयोग किया गया है

▪इसमें दी गुम्बद प्रणाली का प्रयोग किया गया है इसे ताजमहल का पूर्वगामी कहा गया है

▪इस मकबरे में सर्वाधिक मुगल राजकुमारों को दफनाया गया है इसलिए इसको मुग़लो की कब्रगाह कहा गया है कुल 18 शासक राजकुमार दफन किये गए

▪हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें स्थित हैं

▪यह ईरानी शैली पर आधारित चारबाग़ पद्धति से बना है एवम कृत्रिम फवारे है




▪1857 में बहादुर शाह को इसी मकबरे में बन्दी बनाया गया था

▪यह मुगलकाल का पहला मकबरा है जिसमे संगमरमर के प्रयोग हुवा है

▪ मेहराब व गुम्बद व स्तम्भ व शह्तिर का प्रयोग किया गया है ट्यूडर मेहराब ( मेहराबी व सेहतरी का समान प्रयोग)का प्रयोग किया गया है

▪ इस इमारत समूह को 1993 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया

☯ अकबर कालीन दुर्ग

▪अकबर ने चार दुर्ग बनाये जो निम्न है :-
1.आगरा के शाही आवास (1564 प्रधान कारीगर कासिम खा )
2.इलाहाबाद दुर्ग (1583)
3.लाहौर दुर्ग (1585)
4.अटक दुर्ग

🈁 आगरा का किला



▪आगरा किला का निर्माण 1565 में प्रधान कारीगर कासिम ने किया

▪यह यमुना नदी के किनारे डेढ़ मील तक विस्तृत है इसके दो दरवाजे है
१.दिल्ली दरवाजा
२.अमरसिंह दरवाज़ा

▪इसमे 500 इमारतों का निर्माण हुवा है

▪ अकबर का किला 1504 में सिकंदर लोदी ने बनवाया था अकबर ने प्रथम बार तथा साहजहा ने द्वितीय बार पुनर्निर्माण करवाया था

▪अण्डाकार गुम्बद अकबर के समय मे प्रसिद्ध था लेकिन आगरा के किले में गुम्बद का प्रयोग नही किया गया इसमें गुजरात व राजस्थानी का मिश्रण है

▪इस किले का एक अर्ध-वृत्ताकार नक्शा है, जिसकी सीधी ओर यमुनानदी के समानांतर है। इसकी चहारदीवारी सत्तर फीट ऊंची हैं। इसमें दोहरे परकोटे हैं, जिनके बीछ बीच में भारी बुर्ज बराबर अंतराल पर हैं, जिनके साथ साथ ही तोपों के झरोखे, व रक्षा चौकियां भी बनी हैं।

▪ इसके चार कोनों पर चार द्वार हैं, जिनमें से एक खिजड़ी द्वार, नदी की ओर खुलता है।

▪इसके दो द्वारों को दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट कहते हैं (लाहौर गेट को अमरसिंह द्वार भी कहा जाता है)

▪यहां कई हिन्दू व इस्लामी स्थापत्यकला के मिश्रण देखने को मिलते हैं। बल्कि कई इस्लामी अलंकरणों में तो इस्लाम में हराम (वर्जित) नमूने भी मिलते हैं, जैसे—अज़दहे, हाथी व पक्षी, जहां आमतौर पर इस्लामी अलंकरणों में ज्यामितीय नमूने, लिखाइयां, आयतें आदि ही फलकों की सजावट में दिखाई देतीं हैं।

 🈁 इलाहाबाद दुर्ग


▪1583 में निर्मित अकबर का सबसे बड़ा किला है

▪इलाहाबाद में संगम के निकट स्थित इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में बनवाया था

▪ वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है।

▪इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहां पर ऊंची मीनारें हैं सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाजत है इसके अलावा यहां अक्षय वट के नाम से मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ और पातालपुर मंदिर भी है।

▪समकालीन लेखक अब्दुल कादिर बदायूंनी ने 'मुंतखवुल-तवारीख' में लिखा है कि किले की नींव सन् 1583 में डाली गई थी

▪ नदी की कटान से यहां की भौगोलिक स्थिति स्थिर न होने से इसका नक्शा अनियमित ढंग से तैयार किया गया था। वे लिखते हैं कि अनियमित नक्शे पर किले का निर्माण कराना ही इसकी विशेषता है।

▪ किले का कुल क्षेत्रफल तीस हजार वर्ग फुट है। इसके निर्माण में कुल लागत छह करोड़, 17 लाख, 20 हजार 214 रुपये आयी थी

▪किले में एक जनानी महल है, जिसे जहांगीर महल भी कहते हैं



▪अशोक का कौशाम्बी स्तम्भ लेख (प्रयाग प्रशस्ति) यही लगवाया गया है

 🈁 लाहौर दुर्ग (1585)



▪लाहौर किले के भीतर शीश महल, आलमगीर गेट, नौलखा पेवेलियन और मोती मस्जिद देखी जा सकती है। यह किला 1400 फीट लंबा और 1115 फीट चौड़ा है।

▪यूनेस्को ने 1981 में इसे विश्वदाय धरोहरों सूची में शामिल किया है माना जाता है कि इस किले को 1560 ई. में अकबर ने बनवाया था

🈁 अटक दुर्ग (1581)

▪अटक का सुदृढ़ क़िला, जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे मुग़ल बादशाह अकबर ने बनवाया था

▪मध्य काल में अटक को भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।

▪यह कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"

☯ फतेहपुर सीकरी

▪यह आगरा से 22 मील दूर स्थित है इसका निर्माण 1569 में प्रारम्भ हुवा जिसे अकबर ने 1571 में अपनी राजधानी बनाया था

▪स्मिथ (इतिहासकार) ने इसे पत्थरों में ढाला गया रोमांस कहा है

▪फर्गुसन ने " किसी महान व्यक्ति की दिमाग की उपज " कहा है

▪अकबर के सर्वश्रेष्ठ इमारतें स्थित है जो लाल पत्थरों से निर्मित है व परम्परागत शहतीर व कगुरनामा स्तम्भ वाली पद्धति का प्रयोग हुवा है

▪इमारते धारणीय और चापाकार शैलियों के संन्यवय हेतु प्रसिद्ध है

▪फतेहपुर सीकरी के भवनों को लौकिक आधार पर दो भागों में बांटा गया है धार्मिक व लौकिक

▪धार्मिक भवन :- जामा मस्जिद व सलीम चिश्ती का मकबरा

▪लौकिक भवन :- बुलन्द दरवाजा ,पंचमहल दीवाने आम,दीवाने खास,जोधाबाई का महल,बीरबल का महल,तुर्की सुल्ताना महल, मरियम महल, आदि

🈁 दीवान ए आम

▪इसका आयताकार प्रांगण था स्तम्भ से बरामदे की छत जुड़ी हुई है यहा अकबर बैठकर न्याय करता था

🈁 दीवान ए खास



▪स्तम्भ पर वृर्ताकार मंच बना हुआ है जो 36 गुथे हुए ताड़ो पर टिका हुआ है मंच पत्थर के पुल द्वारा भवन से जुड़ा है

▪मंच स्तम्भ हिन्दू मुस्लिम ईसाई बोद्ध कला का प्रतीक हैं

🈁 जोधाबाई का महल



▪फतेहपुर सीकरी का सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ महल है

▪इसका निर्माण गुजरात के हिन्दू कारीगरों द्वारा होने के कारण गुजरात शैली का व्यापक प्रभाव है

▪जोधाबाई का महल में उत्कीर्ण अलंकरण दक्षिणी वास्तुकला से प्रभावित है

▪यहाँ गुजरात, मांडू एवं ग्वालियर की वास्तुकला का परम्परागत इस्लामी वास्तुकला के साथ मिश्रण किया गया है। साथ ही, इसकी नीली टाइलों से बनी छत, फ़तेहपुर सीकरी में अपने तरह की एकमात्र वास्तुकला है

▪यह दो मंजिला इमारत है इसका मुख्य दरवाज़ा दक्षिण की तरफ़ है।

▪इमारत पर हिन्दू स्थापत्य का प्रभाव है, चाहे वह कारीगरी में हो या दीवारों पर चित्रकारी में।

▪इस शानदार इमारत के उत्तरी तथा दक्षिणी ओर नील रंग के टाइलों का प्रयोग किया गया था, जो कि मुल्तान से लाये गये थे।

▪फ़तेहपुर सीकरी में बने सभी भवनों के आकार में यह महल सबसे बड़ा है। महल 320 फुट लम्बा और 215 फुट ऊँचा

🈁 तुर्की सुल्ताना महल




▪यह एक मंजिला इमारत है जिसका निर्माण पंजाब के कारीगरों ने किया था

▪पर्शी ब्राउन ने इसे मुगल स्थापत्य कला का रत्न कहा है

▪इसमें आंशिक रूप से संगमरमर के प्रयोग की सबसे सुंदर रचना है

 🈁 पंचमहल (हवामहल)



▪ यह महल पिरामिड आकार मे बोद्ध शैली में निर्मित पांच मंजिला ईमारत है उपर से क्रमशः छोटी होती गई है

▪सबसे निचली मंजिल पर 84 स्तम्भ व सबसे ऊपर की मंजिल पर मात्र 4 स्तम्भ है

▪यह भवन नालन्दा के बोद्ध विहारों से प्रेरित है

▪पांचवी मंजिल पर बना गुम्बद इस्लामिक कला का प्रतीक है

▪पंचमहल में कुल 176 खम्भे हैं, जिनमें से 84 भूतल पर, 56 प्रथम तल पर और 20 तथा 12 खम्भे क्रमशः द्वितीय तथा तृतीय तल पर हैं। अन्तिम तल पर 4 खम्भे हैं, जिनके ऊपर एक छतरी स्थित है। महल के सामने अनूप तालाब नामक एक ताल भी स्थित है

🈁 बीरबल का महल

▪यह दो मंजिला महल अकबर के नवरत्न महेशदास (बीरबल) के लिए बनवाया गया जो हिन्दू फ़ारसी का संन्यवय है


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