लोकदेवी सीतला माता

🔰सीतला माता

Gurukul Gk word kotputli

🔀राजस्थान में सात दिन में 9 त्यौहार होते है(सात वार नव त्यौहार)
🔀सितलाष्टमी चाकसू(जयपुर)को सील डूंगरी पर मेला भरता है
🔀सीतला माता बच्चों को चेचक से रक्षा करती है इसलिए माता को ठंडा भोज चढ़ाने यहा आते है
🔀चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सीतलामाता का लखी मेला भरता है
🔀माधोसिंह द्वितीय ने मंदिर को पुनः बनावाया इस मंदिर में अनगढ़ मूर्तियाँ है जिन पर दाने निकले हुए है
🔀मंदिर में 108 सीढ़िया है जिनपर चढ़कर श्रद्धालु जयकारे का उद्घोष करते है
🔀राजस्थान में सीतला माता को साध,सीतला व साधल कहते है
🔀सीतल रखती हैं सीतलामाता

🔀मां शीतला के कोप की कथा इस प्रकार है। कहते हैं कि एक बार किसी गांव में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे तो मां को गांववासियों ने गर्म भोजन प्रसादस्वरूप चढ़ा दिया। शीतला की प्रतिमूर्ति मां भवानी का गर्म भोजन से मुंह जल गया तो वे नाराज हो गईं और उन्होंने कोपदृष्टि से संपूर्ण गांव में आग लगा दी। बस केवल एक बुढ़िया का घर सुरक्षित बचा हुआ था। गांव वालों ने जाकर उस बुढ़िया से घर न जलने के बारे में पूछा तो बुढ़िया ने मां शीतला को गरिष्ठ और गर्म भोजन खिलाने वाली बात कही और कहा कि उन्होंने रात को ही भोजन बनाकर मां को भोग में ठंडा-बासी भोजन खिलाया, जिससे मां ने प्रसन्न होकर बुढ़िया का घर जलने से बचा लिया। बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने मां से क्षमा मांगी और रंगपंचमी के बाद आने वाली सप्तमी के दिन उन्हें बासी भोजन खिलाकर मां का बसौड़ा पूजन किया।

🔀स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है:

वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।

🔀सीतला माता का वाहन गधा हैं

🔀पुजारी-कुम्हार समाज के लोग होते है।

🔀बासडिया प्रसाद बनाया जाता हैं

🔀इसी दिन मारवाड़ में घुडला पर्व मनाया जाता है।

🔀देवी शीतला चेचक जैसे रोग कि देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन(झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.

🔀स्कंद पुराण में शीतला माता के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है

लेखक .डॉ महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली

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