राजस्थान का सामान्य परिचय


राजस्थान का सामान्य परिचय

★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
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★ राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3,42,239.74 वर्ग कि.मी. या 1,32,140 वर्गमील है। जो कि देश का 10.41प्रतिशत है और क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।
★ राजस्थान का क्षेत्रफल 128 देशो से ज्यादा है
★ 1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और उसी दिन से राजस्थान देश का प्रथम राज्य बना।
★:2011 में राजस्थान की कुल जनसंख्या 6,85,48,437 थी जो की देश की जनसंख्या का 5.67 प्रतिशत है। भारत मे 8वा स्थान है
π राजस्थान की स्थिति, विस्तार, आकृति, एवं भौतिक स्वरूप
★: भुमध्य रेखा के सापेक्ष राजस्थान उतरी गोलार्द्ध में स्थित है।
★:ग्रीन वीच रेखा के सापेक्ष राजस्थान पुर्वी  गोलार्द्ध में स्थित है।
:★ग्रीन वीच व भुमध्य रेखा दोनों के सापेक्ष राजस्थान उतरी पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है।
★:राजस्थान राज्य भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 23° 3' से 30°12' उत्तरी अक्षांश (विस्तार 7. 9') तथा 69°30' से 78°17' पूर्वी देशान्तर (विस्तार 8°47') के मध्य स्थित है।
:★कर्क रेखा अर्थात 23° 30'  उतरी अक्षांश राज्य के दक्षिण में बांसवाड़ा-डुंगरपुर जिलों से गुजरती है। बांसवाड़ा शहर कर्क रेखा से राज्य का सर्वाधिक नजदीक शहर है।
:★माही नदी कर्क रेखा को 2 बार काटती है
:★विस्तारः- उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 826 कि. मी. व विस्तार उत्तर में कोणा गाँव (गंगानगर) से दक्षिण में बोरकुण्ड गाँव(कुशलगढ़, बांसवाड़ा) तक है।
:★पुर्व से पश्चिम तक चैड़ाई 869 कि. मी. व विस्तार पुर्व में सिलाना गाँव(राजाखेड़ा, धौलपुर) से पश्चिम में कटरा(फतेहगढ़,सम, जैसलमेर) तक है।
:★राजस्थान का अक्षांशीय अंतराल - 7°9'
:★राजस्थान का देशान्तरीय अंतराल - 8°47'
:★आकृति :विषम कोणीय चतुर्भुज या पतंग के समान।
:★स्थलीय सीमा
5920 कि.मी.(1070 अन्तराष्ट्रीय व 4850 अन्तराज्जीय)।
:★रेडक्लिफ रेखा
रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के मध्य स्थित है। इसके संस्थापक सर सिरिल एम रेडक्लिफ को माना जाता है। इसकी स्थापना 14/15 अगस्त, 1947 को की गयी। इसकी भारत के साथ कुल सीमा 3310 कि.मी.(राजस्थान के साथ1070 km) है।
:★रेडक्लिफ रेखा पर भारत के चार राज्य स्थित है।
:जम्मू-कश्मीर(1216 कि.मी.)
:पंजाब(547 कि.मी.)
:राजस्थान(1070 कि.मी.)
:गुजरात(512 कि.मी.)
★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
:★रेडक्लिफ रेखा के साथ सर्वाधिक सीमा- जम्मू कश्मीर(1216 कि.मी.)
:★रेडक्लिफ रेखा के साथ सबसे कम सीमा- गुजरात(512 कि.मी.)
:★रेडक्लिफ रेखा के सर्वाधिक नजदीक राजधानी मुख्यालय- श्रीगंगानगर
:★रेडक्लिफ रेखा के सर्वाधिक दुर राजधानी मुख्यालय- जयपुर
:★रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्र में बड़ा राज्य- राजस्थान
:★रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्र में सबसे छोटा राज्य- पंजाब
:रेडक्लिफ रेखा के साथ राजस्थान की कुल सीमा 1070 कि.मी. है। जो राजस्थान के चार जिलों से लगती है।
:श्री गंगानगर- 210 कि.मी.(पाक के सबसे नजदीक)
:बीकानेर- 168 कि.मी(सर्वाधिक दूर)न्यूनतम
:जैसलमेर- 464 कि.मी.(सबसे ज्यादा)
:बाड़मेर- 228 कि.मी.
:★रेडक्लिफ रेखा राज्य में उत्तर में गंगानगर के हिंदुमल कोट से लेकर दक्षिण में बाड़मेर के शाहगढ़ बाखासर गाँव तक विस्तृत है।
:★रेडक्लिफ रेखा पर पाकिस्तान के 9 जिले पंजाब प्रान्त का बहावलपुर, बहावलनगर व रहीमयार खान तथा सिंध प्रान्त के घोटकी, सुक्कुर, खेरपुर, संघर, उमरकोट व थारपाकर राजस्थान से सीमा बनाते हैं।
:★राजस्थान के साथ सर्वाधिक सीमा- बहावलपुर
:★राजस्थान के साथ न्युनतम सीमा- खैरपुर
:★पाकिस्तान के दो राज्य(प्रांत) राजस्थान से छुते हैं।
:पंजाब प्रांत
:सिंध प्रांत
★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
:★रेडक्लिफ रेखा एक कृत्रिम रेखा है।
:★राजस्थान से सर्वाधिक सीमा जैसलमेर(464 कि.मी.) व न्युनतम सीमा बीकानेर(168 कि.मी.) की रेडक्लिफ रेखा से लगती है।
:★रेडक्लिफ के नजदीक जिला मुख्यालय- श्री गंगानगर
:★रेडक्लिफ के सर्वाधिक दुर जिला मुख्यालय- बीकानेर
:★रेडक्लिफ पर क्षेत्रफल में बड़ा जिला- जैसलमेर
:★रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्रफल में छोटा जिला- श्री गंगानगर
:★राजस्थान के केवल अन्तराष्ट्रीय सीमा वाले जिले- 2(बीकानेर, जैसलमेर)
:★राजस्थान के परिधिय जिले - 25
:★राजस्थान के अन्तर्राज्जीय सीमा वाले जिले - 23
:★राजस्थान के केवल अन्तर्राज्जीय सीमा वाले जिले - 21
:★राजस्थान के 2 ऐसे जिले है जिनकी अन्तर्राज्जीय एवं अन्तराष्ट्रीय सीमा है- गंगानगर(पाकिस्तान + पंजाब), बाड़मेर(पाकिस्तान+ गुजरात)
:★राजस्थान के 4 जिले ऐसे है जिनकी सीमा दो - दो राज्यों से लगती है-
:हनुमानगढ़:- पंजाब + हरियाणा
:भरतपुर:- हरियाणा + उतरप्रदेश
:धौलपुर:- उतरप्रदेश + मध्यप्रदेश
:बांसवाड़ा:- मध्यप्रेदश + गुजरात
:★राज्स्थान में सबसे पहले सूर्य उदय धौलपुर जिले के सिलाना गाॅंव में होता है। राजस्थान में सबसे बाद में सूर्यउदय जैसलमेर जिले के कटरा गाॅंव में होता है और यही पर सबसे बाद में सूर्यस्त होता है।
:★राजस्थान में कर्क रेखा बाॅंसवाडा जिले के कुषलगढ़ तहसील से होकर गुजरती है। अतः बांसवाडा जिले में सूर्य की किरणे सर्वाधिक सीधी पड़ती है। जबकी श्री गंगानगर जिला कर्क रेखा से सर्वाधिक दूरी पर स्थित है अतः श्री गंगानगर जिले में सूर्य की किरणे सर्वाधिक तिरछी पडती है।
★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
:★कर्क रेखा
23°30' उतरी अक्षाश को कर्क रेखा कहते है। कर्क रेखा भारत के आठ राज्यों से होकर गुजरती है - 1. गुजरात 2. राजस्थान 3. मध्यप्रदेश 4. छत्तीसगढ़ 5. झारखण्ड 6. पश्चिम बंगाल 7. त्रिपुरा 8. मिजोरम
:★कर्क रेखा राजस्थान के बांसवाड़ा के मध्य से होकर गुजरती है। डूंगरपूर जिले को स्पर्श करती है।
:★राजस्थान:-राजस्थान शब्द का पहला उल्लेख 7 वी. सदी (625 ई.)के बसंन्तगढ़ के लेख में हुआ है। बसंन्तगढ़ लेख सिरोही में है(यह खिमण माता के मंदिर में रखा है)।
:★ जबकि मारवाड इतिहास के लेखक मुहणौत नैणसी ने भी अपनी पुस्तक "नैणसी री ख्यात" में "राजस्थान" शब्द का प्रयोग किया(राजस्थान साहित्य में प्रथम)
:★ 19 वी. सदी में कर्नल जम्स टाॅड ने अपनी पुस्तक "एनाॅल्स एंड एटीक्विटिज आॅफ राजस्थान" मेे राजस्थान सब्द का प्रयोग किया। इस पुस्तक का दूसरा नाम "सैण्ट्रल एंड वेस्टर्न स्टेट्स आॅफ इंडिया" है।
:★इस पुस्तक का पहली बार हिन्दी अनुवाद राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार गोरीषंकर- हीराचंद ओझा ने किया। इसे हिन्दी में "प्राचीन राजस्थान का विश्लेषण" कहते है।
:★कर्नल जेम्स टाॅड 1818-1821 के मध्य मेवाड़ (उदयपुर) प्रांत में पोलिटिकल ऐजेन्ट थे। उन्होने अपने घोडे़ पर बैठकर घूम-घूम कर इतिहास लेखन किया अतः कर्नल जम्स डाॅड को "घोडे वाला बाबा" के नाम से भी जाना जाता है।
:★जार्ज थामस
कर्नल जेम्स टाॅड से पूर्व सन् 1800 ई.में "जार्ज थामस" ने राजस्थान के लिए "राजपुताना" की संज्ञा दी। इस बात का उल्लेख विलियम फ्रेंकलिन की पुस्तक "मिलिट्री मेमोयरी" में आता है।
:★राजस्थानीय सब्द का प्रथम प्रयोग चितोड़ शिलालेख(532ई) में कीया गया
:★  1791 ई में राजा भीमसिंह द्वारा मराठों पर प्रत्यक्ष कार्यवाही हेतु पत्रों पर राजस्थाना व राजधानीया सब्द का प्रयोग किया गया
★: पुरानी बहियों में कर्नल जेम्स टॉड ने रायथान व  रजवाड़ा का राजस्थान को
★: 26 जनवरी 1950 को राजस्थान शब्द को मान्यता मिली तथा जयपुर को राजधानी घोषित किया गया
: ★राजस्थान का वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 1956 को सातवां एकीकरण द्वारा प्राप्त हुआ तब 26 जिले में पांच संभाग थे
:★ राजस्थान
:श्रीलंका से 5 गुना
:इंग्लैंड से 2 गुना
:जापान के बराबर
:जर्मनी के बराबर
:इजराइल से 17 गुना बड़ा है
★: राजस्थान को संवैधानिक मान्यता 26 जनवरी 1950 को सत्यनारायण राव समिति द्वारा सिफारिश के आधार पर किया गया
★: पृथ्वी पर प्रारंभिक तीन अवस्था में थी
अंगारालैंड पहाड़
गोंडवानालैंड पहाड़
टेथिस सागर पश्चिमी
: रेगिस्तान व खारे पानी की झील टेथिस सागर के अवशेष है
: अरावली वह पठारी भाग गोंडवानालैंड के भाग हैं
:अंगारालैंड का कोई भी भाग राजस्थान में नही है
★: सूर्योदय सर्वप्रथम धौलपुर में सबसे अंत में जैसलमेर में 35 मिनट का अंतर है क्योंकि एक देशांतर 4 मिनट को दर्शाता है कुल  देशांतर 35 मिनट को दर्शाएंगे
★: राजस्थान की जलवायु उष्णकटिबंधीय शुष्क अर्ध शुष्क प्रकार की है
★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
★: राजस्थान के जिलों की आकृति
:दौसा --धनुष के आकार का
:जोधपुर-- ऑस्ट्रेलिया के समान
: सीकर --प्याले के समान /अर्धचंद्राकार
:राजसमंद --मस्तिष्क पर टीका के समान
: अजमेर --त्रिभुजाकार
: टोंक --पतंगाकार
:भीलवाड़ा --आयताकार
: जैसलमेर सातभुजा  आकृति/ अनियमित बहुभुज
:जोधपुर :मयूराकार
:चित्तौड़गढ़ ,उदयपुर-- घोड़े की नाल के समान (इल्ली)
:धौलपुर ,करौली-- बतख के समान  
राजस्थान का वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 1956 को 19 रियासते थी 3 ठिकाने, एक केंद्र शासित प्रदेश के एकीकरण से प्राप्त हुआ है
:★राजस्थान का सांस्कृतिक विभाजन
:मेवाड़ - उदयपुर, राजसंमद, भीलवाडा, चितौड़गढ़, प्रतापगढ़
:मारवाड़ -जोधपुर, नागौर, पाली, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर
:दुंढाड़ - जयपुर, दौसा, टोंक व अजमेर का भाग
:हाडौती - कोटा , बूंदी, बांरा, झालावाड़
:शेखावाटी - चुरू, सीकर, झुन्झुनू
मेवात - अलवर, भरतपुर
बागड़ - डूगरपुर, बांसवाडा
★: राजस्थान के जिलों की आकृति
:दौसा --धनुष के आकार का
:जोधपुर-- ऑस्ट्रेलिया के समान
: सीकर --प्याले के समान /अर्धचंद्राकार
:राजसमंद --मस्तिष्क पर टीका के समान
: अजमेर --त्रिभुजाकार
: टोंक --पतंगाकार
:भीलवाड़ा --आयताकार
: जैसलमेर सातभुजा  आकृति/ अनियमित बहुभुज
:जोधपुर :मयूराकार
:चित्तौड़गढ़ ,उदयपुर-- घोड़े की नाल के समान (इल्ली)
:धौलपुर ,करौली-- बतख के समान  
राजस्थान का वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 1956 को 19 रियासते थी 3 ठिकाने, एक केंद्र शासित प्रदेश के एकीकरण से प्राप्त हुआ है
★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
: ★राजस्थान के पडोसी राज्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा
: पंजाब --उत्तर पर स्थित है
: इसकी लंबाई 89 किलोमीटर है
: हनुमानगढ़ में से सर्वाधिक
: श्री गंगानगर से न्यूनतम
: पाकिस्तान और पंजाब का विभाजन गंगानगर करता है
: पंजाब हरियाणा की सीमा  हनुमानगढ़ बनाता है
: पंजाब के 2 जिले
मुख़्तसर
फाजिल्का
: 🔅हरियाणा
📌 राजस्थान के उत्तर पूर्व में स्थित है
📌 राजस्थान के 7 जिले
झुंझुनू ,सीकर, चूरू, जयपुर, अलवर, भरतपुर, हनुमानगढ़
📌 हरियाणा के 8 जिले लगते हैं
📌 हरियाणा व पंजाब का विभाजन-- हनुमानगढ़
📌 हरियाणा में उत्तर प्रदेश का विभाजन.. भरतपुर करता है
: 🔅 उत्तर प्रदेश
📌 राजस्थान के उत्तर पूर्व में स्थित है
📌 राजस्थान के 2 जिलो धोलपुर व भरतपुर
📌 उत्तर प्रदेश के 2 जिले आगरा ,मथुरा
📌 उत्तर प्रदेश व हरियाणा के मध्य भरतपुर आता है
📌 उत्तर प्रदेश में मध्य प्रदेश की मध्य धोलपुर आता है
: 🔅 मध्य प्रदेश
📌 यह राजस्थान के पूर्व व दक्षिण पूर्व में स्थित है इसकी लंबाई 1600 किलोमीटर है
📌 राजस्थान के 10 जिले और मध्य प्रदेश के 10 जिले की सीमा पर स्थित है
: 🔅 गुजरात
📌 राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में स्थित है
📌 राजस्थान के 6 जिले बांसवाड़ा डूंगरपुर उदयपुर सिरोही जालौर बाड़मेर
📌 बांसवाड़ा जिला गुजरात व मध्य प्रदेश की संयुक्त सीमा बनाता है
📌 गुजरात के 5 जिले कच्छ बनासकांठा साबरकांठा पंचमहाल दाहोद
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★महत्वपूर्ण प्रश्न
1 राजस्‍थान का प्रवेश द्वार किसे कहा जाता है - भरतपुर
2 महुआ के पेङ पाये जाते है - उदयपुर व चितैङगढ
3 राजस्‍थान में छप्‍पनिया अकाल किस वर्ष पङा - 1956 वि स
4 राजस्‍थान में मानसून वर्षा किस दिशा मे बढती है - दक्षिण पश्चिम से उत्‍तर पूर्व
5 राजस्‍थान में गुरू शिखर चोटी की उचाई कितनी है - 1722 मीटर
6 राजस्‍थान में किस शहर को सन सिटी के नाम से जाना जाता है - जोधपुर को
7 राजस्‍थान की आकति है - विषमकोण चतुर्भुज
8 राजस्‍थान के किस जिले का क्षेत्रफल सबसे ज्‍यादा है - जैसलमेर
9 राज्‍य की कुल स्‍थलीय सीमा की लम्‍बाई है - 5920 किमी
10 राजस्‍थान का सबसे पूर्वी जिला है - धौलपुर
11 राजस्‍थान का सागवान कौनसा वक्ष कहलाता है - रोहिङा
12 राजस्‍थान के किसा क्षेत्र में सागौन के वन पाये जाते है - दक्षिणी
13 जून माह में सूर्य किस जिले में लम्‍बत चमकता है - बॉसवाङा
14 राजस्‍थान में पूर्ण मरूस्‍थल वाले जिलें हैंा - जैसलमेर, बाडमेर
15 राजस्‍‍थान के कौनसे भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है - दक्षिणी-पूर्वी
16 राजस्‍थान में सर्वाधिक तहसीलोंकी संख्‍या किस जिले में है - जयपुर
:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली★:
17 राजस्‍थान में सर्वप्रथम सूर्योदय किस जिले में होता है - धौलपुर
18 उङिया पठार किस जिले में स्थित है - सिरोही
19 राजस्‍थान में किन वनोंका अभाव है - शंकुधारी वन
20 राजस्‍थान के क्षेत्रफल का कितना भू-भाग रेगिस्‍तानी है - लगभग दो-तिहाई
21 राजस्‍थान के पश्चिम भाग में पाये जाने वाला सर्वाधिक विषैला सर्प - पीवणा सर्प
22 राजस्‍थान के पूर्णतया वनस्‍पतिरहित क्षेत्र - समगॉव (जैसलमेर)
23 राजस्‍थान के किस जिले में सूर्यकिरणों का तिरछापन सर्वाधिक होता है - श्रीगंगानगर
24 राजस्‍थान का क्षेतफल इजरायल से कितना गुना है - 17 गुना बङा है
25 राजस्‍थान की 1070 किमी लम्‍बी पाकिस्‍तान से लगीसिमा रेखा का नाम - रेडक्लिफ रेखा
26 कर्क रेखा राजस्‍थान केकिस जिले से छूती हुई गुजरती है - डूंगरपुर व बॉसवाङा से होकर
27 राजस्‍थान में जनसंख्‍या की द़ष्टि से सबसे बङा जिला - जयपुर
28 थार के रेगिस्‍तान के कुल क्षेत्रफल का कितना प्रतिशत राजस्‍थान में है - 58 प्रतिशत
29 राजस्‍थान के रेगिस्‍तान में रेत के विशाल लहरदार टीले को क्‍या कहते है - धोरे
30 राजस्‍थान का एकमात्र जीवाश्‍म पार्क स्थित है - आकलगॉव (जैसलमेर)


.

:★राजस्थान के भौतिक विभाग

:★पृथ्वी अपने निर्माण के प्रराम्भिक काल में एक विशाल भू-खण्ड पैंजिया तथा एक विशाल महासागर पैंथालासा के रूप में विभक्त था कलांन्तर में पैंजिया के दो टुकडे़ हुए उत्तरी भाग अंगारालैण्ड तथा दक्षिणी भाग गोडवानालैण्ड के नाम जाना जाने लगा। तथा इन दोनों भू-खण्डों के मध्य का सागरीय क्षेत्र टेथिस सागर कहलाता है। राजस्थान का पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र तथा उसमें स्थित खारे पानी की झीलें टेथिस सागर का अवशेष है। जबकि राजस्थान का मध्य पर्वतीय प्रदेश तथा दक्षिणी पठारी क्षेत्र गोडवानालैण्ड का अवशेष है।
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:★राजस्थान को समान्यतः चार भौतिक विभागो में बांटा जाता हैः-

:-पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश
:-अरावली पर्वतीय प्रदेश
:-पूर्वी मैदानी प्रदेश
:-दक्षिणी पूर्वी पठारी भाग

【:★:पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश:★】

:बालूमय मैदान
:लूणी बेसिन

:★इस प्रदेश का सामान्य ढाल पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर (उत्तर-दक्षिण से दक्षिण-पश्चिम की ओर ) है।
:★मिट्टी :- रेतीली बलुई, लवणीय।यहाँ की मृदा में जैविक पदार्थो की कमी और लवणता अधिक होती है।
:★वर्षा :- 20 सेमी. से 50 सेमी।
:★यहाँ वर्षा जुलाई- सितम्बर के मध्य होती है।
:★जलवायु – शुष्क, उष्ण एवं अत्यधिक विषम।
:★राजस्थान का अरावली श्रेणीयों के पश्चिम का क्षेत्र शुष्क एवं अर्द्धशुष्क मरूस्थली प्रदेश है।
:★ यह एक विशिष्ठ भौगोलिक प्रदेश है। जिसे भारत का विशाल मरूस्थल अथवा थार का मरूस्थल के नाम से जाना जाता है।
:★थार का मरूस्थल विश्व का सर्वाधिक आबाद तथा वन वनस्पति वाला मरूस्थल है।
:★ ईश्वरी सिंह ने थार के मरूस्थल को रूक्ष क्षेत्र कहा है।
:★राज्य के कुल क्षेत्रफल का 61.11प्रतिशत है। इसका क्षेत्रफल 175000 वर्ग किमी है
 :★विस्तार - 25° उत्तरी सेे  30° उत्तरी अंक्षास
                  69°30` पूूर्वी से 70°45` पूर्वी देशांतर
:★यह दो देशों पाकिस्तान (सिंध प्रांत) व भारत (गुजरात, राजस्थान, हरियाणा व पंजाब) में 2,33,100 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
:★ राजस्थान में इसका क्षेत्रफल 1,75,000 वर्ग किलोमीटर है।
:★उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व 640 किमी है
:★पश्चिम से पूर्व 300 किमी है
:★60-360औसत ऊँचाई है
:★थार के रेगिस्तान का 58 % है
■पहले राजस्थान में यह 58 प्रतिशत था, परन्तु अरावली पर्वतमाला केे अत्यधिक विनाश (मानवीय कारण) केे कारण थार मरूस्थल का विस्तार लगातार पश्चिमी से पूर्व की ओर हो रहा है। युनेस्को के 4 जून, 2013  के शोेध के अनुसार राज्य केे 5 जिलेें जयपुर, अजमेर, राजसमंद, सिरोही व अलवर भी रेेगीस्तानी जिलों में शामिल होने के कगार पर हैै।
➤ यह 4 संभाग मेें फैला हुआ है-
     जयपुर संभाग- झूंझुुनूं, सीकर
     जोधपुर संभाग - जोेधपुुर, जैसलमेर, बाड़़मेर, जालौर, पाली
     अजमेेर संभाग- नागौर
     बीकानेर संभाग - श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, बीकानेर
➤ तापमान - गर्मियों में उच्चतम 49°C
                    सर्दियों में निम्नतम -3°C
                   औसत वार्षिक तापमान- 22°C
➤थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है
➤रेगिस्तानी भूमि का मुख्य हिस्सा बीकानेर, जैसलमेर तथा बाड़मेर में है। इसे भरतीय मरुस्थल कहते है
➤पथरीले मरुस्थल को हम्माद कहा जाता है
➤बालासन पर्वत व चट्टानों के मध्य का भाग
➤पलाया:- पवन अपरदन से निर्मित गर्तों को कहा जाता है
➤खड़ीन :-स्वभाविक निम्न भूमि है
फलोदी ,पोकरण ,मोहनगढ़ के मध्य का भाग बालुका मुक्त प्रदेश है जबकि यह छेत्र महान मरुस्थल कहलाता है
➤घग्घर का मैदान हिमालय का जल वाली एकमात्र नदी है अंत प्रवाह की सबसे बड़ी नदी है
➤उदगम--कालका पर्वत (हिमाचल)--पंजाब--हरियाणा--टिब्बी हनुमानगढ़(राज में प्रवेश)--सहर--  भटनेर--/सूरतगढ़--/अनूपगढ़---फोर्ट अब्बास पाकिस्तान
➤पाकिस्तान में घग्घर नदी को हरका  नदी कहते हैं
➤मृत नदी घग्गर नदी को कहते हैं
➤गंगानगर हनुमानगढ़ में घग्घर के बहाव  क्षेत्र को नाली प्रदेश कहा जाता है
➤वैदिक कालीन सरस्वती नदी को घग्घर कहा जाता है
➤लूणी का उद्गम नाग पहाड़ अजमेर में है
➤सेवण घास जैसलमेर भूगर्भ जल पट्टी के रूप में प्रसिद्ध लाठी सीरीज है
➤जोहड़ शेखावाटी में जल संचय की बावड़ियों को कहा जाता है
➤कुवो का बैरा  ढूंढाड़ क्षेत्र को कहा जाता है
➤रुक्ष क्षेत्र ईश्वर प्रकाश ने कहा
➤घोटारू में  विलियम गैस का भंडार है
➤तनोट व  मनिहारी टिब्बा प्राकृतिक गैस के भंडार है
➤गुडामालानी बाड़मेर पेट्रोलियम भंडार विश्व में सबसे कम गहराई पर है
➤लू मरुस्थल में गर्म तेज हवाओं को लू कहा जाता है
➤भौगोलिक प्रदेश का निर्धारण सर्वप्रथम प्रोफेसर बी सी मिश्रा ने नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशन 1968 में किया इसमें 7 भागों में बांटा गया

:पश्चिम शुष्क प्रदेश
:अर्ध शुष्क प्रदेश
:नहरी क्षेत्र
:अरावली प्रदेश
:पूर्व कृषि प्रदेश
:दक्षिणी पूर्वी कृषि प्रदेश
:चंबल के बीहड़ प्रदेश
➤: पूर्ण मरुस्थल
बाड़मेर जोधपुर जैसलमेर बीकानेर गंगानगर हनुमानगढ़ 6 जिलों में है
➤अर्द्ध मरुस्थल
जालौर पाली नागौर चुरू झुंझुनू सीकर 6 जिलों में है
➤पर्मो कार्बोनिफेरस काल में विस्तृत समुद्र था
➤पथरीला मरुस्थल जैसलमेर बीकानेर के उत्तरी भाग फलौदी में है
➤तुरदिगम व सेवण मरुस्थल की घास का प्रकार है
➤ थार मरुस्थलीय का स्थानीय नाम- थली
:★मरुस्थलीय जिलों का घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
:★यह सर्वाधिक जैव विविधता वाला  मरुस्थल है
:★यह ग्रेट पोलियों आर्कटिक मरुस्थल(अफ्रीका)का एक भाग है
:★इस क्षेत्र में राज्य की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
:★ प्राचिन काल में इस क्षेत्र से होकर सरस्वती नदि बहती थी।
:★ सरस्वती नदी के प्रवाह क्षेत्र के जैसलमेर जिले के चांदन गांव में चांदन नलकुप की स्थापना कि गई है। जिसे थार का घडा कहा जाता है।
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:★इस क्षेत्र को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
1. पश्चिमी विशाल मरुस्थल (25 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिम में ) इसके उपभाग -पथरीला मरुस्थल (हम्माद), मिश्रित मरुस्थल (रैग), रेतीला मरुस्थल (इर्ग ) 
2. राजस्थान बांगड़ या अर्द्ध शुष्क मैदान -लूणी बेसिन ( गौडवाड़ प्रदेश ), नागौरी उच्च भूमि प्रदेश व घग्घर मैदान इसके प्रमुख उपभाग है।
:★यह मरुस्थल विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या एवं जैव-विविधता वाला मरुस्थल है।
:★इसका विस्तार राजस्थान के 12 जिलो में है (बाड़मेर, जैसलमेर, बिकानेर, जोधपुर, पाली, जालोर, नागौर,सीकर, चुरू झूझूनु, हनुमानगढ़ व गंगानगर 12 जिलों में है।)
:★संपुर्ण पश्चिमी मरूस्थलिय क्षेत्र समान उच्चावच नहीं रखता अपीतु इसमें भिन्नता है।

:★इसी भिन्नता के कारण इसको 4 उपप्रदेशों में विभक्त किया जाता है-

:शुष्क रेतिला अथवा मरूस्थलि प्रदेश
:लूनी- जवाई बेसीन
:शेखावाटी प्रदेश
:घग्घर का मैदान

:1 शुष्क रेतीला अथवा मरूस्थलि प्रदेश

:यह वार्षिक वर्षा का औसत 25 सेमी. से कम है।

:इसमें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर एवं जोधपुर और चुरू जिलों के पश्चिमी भाग सम्मलित है।

: इन प्रदेश में सर्वत्र बालुका - स्तुपों का विस्तार है।

:पश्चिमी रेगीस्तान क्षेत्र के जैसलमेर जिले में सेवण घास के मैदान पाए जाते है।

:जो कि भूगर्भिय जल पट्टी के रूप में प्रसिद्ध है। जिसे लाठी सीरिज कहलाते है।

:पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र के जैसलमेर जिले में लगभग 18 करोड़ वर्ष पुराने वृक्षों के अवशेष एवं जीवाश्म मिले है। जिन्हें "अकाल वुड फाॅसिल्स पार्क" नाम दिया है।

:पश्चिमी रेगिस्तान क्षेत्र के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर जिलों में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैसों के भंडार मिले है।

:इसका ढाल पाकिस्तान की तरफ पश्चिम में हैं

2 लुनी - जवाई बेसीन

:यह एक अर्द्धशुष्क प्रदेश है।
:जिसमें लुनी व इसकी प्रमुख नदी जवाई एवं अन्य सहायक नदियां प्रवाहित होती है।
:इसका विस्तार पालि, जालौर, जौधपुर व नागौर जिले के दक्षिणी भाग में है।
:यह एक नदि निर्मीत मैदान है। जिसे लुनी बेसिन के नाम से जाना जाता है।

3 शेखावाटी प्रदेश

:इसे बांगर प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
:शेखावटी प्रदेश का विस्तार झुझुनू, सीकर, चुरू तथा नागौर जिले के उतरी भाग में है।
:इस प्रदेश में अनेक नमकीन पानी के गर्त(रन) हैं जिसमें डीडवाना, डेगाना, सुजानगढ़, तालछापर, परीहारा, कुचामन आदि प्रमुख है।

4 घग्घर का मैदान

:गंगानगर हनुमानगढ़ जिलों का मैदानी क्षेत्र का निर्माण घग्घर के प्रवाह क्षेत्र के बाढ़ से हुआ है।

तथ्य
:★यह टेथिस सागर का अवशेष है
:★भारत का सबसे गर्म प्रदेश राजस्थान का पश्चिमी शुष्क प्रदेश है।
:★टीलों के बीच की निम्न भूमी में वर्षा का जल भरने से बनी अस्थाई झीलों को स्थानीय भाषा में टाट या रन कहा जाता है।
:★राष्ट्रीय कृषि आयोग द्वारा राजस्थान के 12 जिलों श्री गंगानगर, हनुमानगढ, बीकानेर, नागौर, चुरू, झुझुनू, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, जालौर व सीकर को रेगिस्तानी घोषित किया।
:★मरूस्थलिय क्षेत्र में पवनों की दिशा के समान्तर बनने वाले बालूका स्तुपों को अनुर्देश्र्य बालूका,
:★समकोण बनाने वाले बालूका स्तुपों को अनुप्रस्थ बालुका कहतें है।

:इर्ग:- सम्पूर्ण रेतीला मरूस्थल (जैसलमेर)
:हम्माद:- सम्पूर्ण पथरीला मरूस्थल (जोधपुर)
:रैंग:- रेतीला और पथरीला (मिश्रित मरूस्थल)रेगिस्तानी क्षेत्र में  रामगढ़ व रूद्रवा छेत्र।
:अनुप्रस्थ:- पवन/वायु की दिशा में बनने वाले बालुका स्तूप (सीधे)
:अनुदैध्र्य :- आडे -तीरछे बनने वाले बालुका स्तूप
:बरखान :- रेत के अर्द्धचन्द्राकार बालुका स्तूप
:धोरे – रेगिस्तान में रेट के विशाल लहरदार टीलें।
:पश्चिमी शुष्क मरुस्थल का 60 प्रतिशत भाग बालुका स्तूपों से आच्छादित है।
:मरहो – थार मरुस्थल के जटिल बालुका स्तूपों की कतार के मध्य निचली भूमि  जो वर्षा से जल युक्त हो जाती है।
:धरियन – जैसलमेर के स्थानांतरित बालूका स्तूप।
:बालुका स्तूपों में अपरदन एवं स्थानांतरण मार्च से जुलाई के बिच सर्वाधिक होता है।
:रेखीय बालूका स्तूप ( पवनानुवर्ती ) – यह वर्ष भर एक ही दिशा में चलने वाली पवनों के कारण बनते है तथा जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में काफी मात्रा में पाए जाते है।
:बरखान – सर्वाधिक गतिशील एवं मरुस्थलों के वास्तविक स्तूप। इनकी आकृति अर्ध्द चन्द्राकर होती है। यह बालूका स्तूप अपना स्थान परिवर्तित करते रहते है।बरखान बालूका स्तूपों का निर्माण एक ही दिशा में चलने वाली पवनों के कारण होता है।
:थार मरुस्थल में अधिकांश बालूका स्तूप पैराबोलिक प्रकार के है।
:सीफ – इन रेगिस्तानी टीलों की उत्पत्ति विपरीत दिशा में बहने वाली पवनों के द्वारा होती है।
: मावठ -(शीतकालीन वर्षा ) पश्चिमी विक्षोभों (भूमध्यसागरीय चक्रवातों ) से होने वाली वर्षा।
: यह आर्द्र जलवायु प्रदेशों में होती है। यह वर्षा रबी की फसलों के लिए लाभ कारी होती है
: टाट /रन -बालूका स्तूपों के बीच की निम्न भूमि में जल के भर जाने से बनी अस्थायी झीलें एवं दलदली भूमि।
: लिटिल रन – कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र का मैदान।
: कूबड़ पट्टी – राजस्थान के नागौर जिले एवं अजमेर जिले कुछ क्षेत्रों में भू-गर्भिक पानी में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक होने के कारण वहां के निवासियों की हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है एवं पीठ झुक जाती है इसलिए इस कूबड़ पट्टी कहते है।
: पीवणा – राजस्थान के पश्चिम भाग में पाया जाने वाला सर्वाधिक विषैला सर्प।
: बाड़मेर – राजस्थान का मरू जिला कहलाता है
: जोहड़ – शेखावाटी क्षेत्र के कच्चे तालाब।
: आकलगाँव (जैसलमेर ) – यहाँ राजस्थान का एकमात्र जीवाश्म पार्क स्थित है।
: समगांव ( जैसलमेर ) – पूर्णतया वनस्पति रहित क्षेत्र।
: अनियमित, अपर्याप्त और अनिश्चित वर्षा – राजस्थान में बारम्बार सूखा और अकाल पड़ने का मुख्य कारण है
: त्रिकाल – अकाल की वह स्थिति जब वर्षा इतनी कम हुई हो की एना एवं चारे की कमी के साथ ही पेयजल की उपलब्धता भी अपूर्ण रह जाये।
: त्रिकाल 1868-69 ई. में पड़े अकाल को कहा गया है।
: चालीस का अकाल – 1783 ई. (वि. स. 1840 ) में पड़े अकाल को कहा गया है।
: छप्पनिया अकाल – 1899-1900 ई. (वि. स. 1956 )में पड़े अकाल को कहा गया।  यह राजस्थान को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला अकाल था
:रेगिस्तानी मार्च धीरे धीरे मरुस्थल का आगे बढ़ना

भाग 2
:★अरावली पर्वतीय प्रदेश:★

:★अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है।
है।
:★भौगोलिक स्थिति 24° 35′ 33″ उत्तर, 74° 42′ 30″ पूर्व
:★यह दक्षिण-पश्चिम में सिरोही से प्रारंभ होकर उत्तर-पूर्व में खेतड़ी तक तो श्रृंखलाबद्ध है और आगे उत्तर में छोटी-छोटी श्रृंखलाओं के रुप में दिल्ली तक विस्तृत
:★ यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है।
:★राज्य के मध्य अरावली पर्वत माला स्थित है। यह विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत माला है।
:★यह पर्वत श्रृंखला प्री केम्ब्रियन (पोलियोजोइक) युग की है।
:★यह पर्वत श्रृखला दक्षिण-पश्चिम से उतर-पूर्व की ओर है। इस पर्वत श्रृंखला की चैडाई व ऊंचाई दक्षिण -पश्चिम में अधिक है। जो धीरे -धीरे उत्तर-पूर्व में कम होती जाती है।
:★ यह दक्षिण -पश्चिम में गुजरात के पालनपुर से प्रारम्भ होकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली तक लम्बी है।
:★अरावली पर्वत श्रंखला की कुल लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलीमीटर है, अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 80 % विस्तार राजस्थान में है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायशीना पहाड़ी पर बना हुआ है जो अरावली का की भाग है
:★जबकि राजस्थान में यह श्रंखला खेडब्रहमा (सिरोही) से खेतड़ी (झुंझुनूं) तक 550 कि.मी. लम्बी है जो कुल पर्वत श्रृंखला का 80 प्रतिशत है।

:★अरावली पर्वतीय प्रदेश का विस्तार राज्य के सात जिलों सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपूर, दौसा और अलवर में।
:★ अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई समुद्र तल से 930 मीटर है।

:★राज्य के कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 10 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

:★अरावली पर्वतमाला को ऊँचाई के आधार पर तीन प्रमुख उप प्रदेशों में विभक्त किया गया है।

:दक्षिणी अरावली प्रदेश
:मध्यवर्ती अरावली प्रदेश
:उतरी - पूर्वी अरावली प्रदेश

1 दक्षिणी अरावली प्रदेश

:इसमें सिरोही ,उदयपुर और राजसमंद सम्मिलित है।
:यह पुर्णतया पर्वतीय प्रदेश है इस प्रदेश में गुरूशिखर(1722 मी.) सिरोही जिले में मांउट आबु क्षेत्र में स्थित है जो राजस्थान का सर्वोच्च पर्वत शिखर है।

यहां की अन्य प्रमुख चोटियां निम्न है:-
: गुरूशिखर(1722 मी.)(5650 फिट 3.38 से गुना पर)
: सेर(सिरोही)-1597 मी. ,
: देलवाडा(सिरोही)-1442 मी. ,
: जरगा-1431 मी. ,
: अचलगढ़- 1380 मी. ,
:आबू 1295 मी.
:कुंम्भलगढ़(राजसमंद)-1224 मी.
:ऋषिकेश 1017
:कमलनाथ 1001
:सज्जनगढ़ 938
:लीलागढ़ 874
:डोरा पर्वत 869
:नागपनी 867
:इशराना भाकर 839
:रोजा भाकर 730
:झरोला पहाड़ 588

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:★प्रमुख दर्रे(नाल)ः- जीलवा कि नाल(पगल्या नाल)- यह मारवाड से मेवाड़ जाने का रास्ता है।

:★सोमेश्वर की नाल विकट तंग दर्रा,हाथी गढ़ा की नाल कुम्भलगढ़ दुर्ग इसी के पास बना है यह राजसमंद में है।

:★ सरूपघाट,
:★ देसुरी की नाल(पाली)
:★ दिवेर एवं हल्दी घाटी दर्रा(राजसमंद) आदि प्रमुख है।
:★हाथी दर्रा राजसमंद
:★पखेरिया दर्रा ब्यावर अजमेर
:★शिवपुरी घाट ब्यावर अजमेर
:★केवड़ा की नाल उदयपुर
:★जिल्वाडा की नाल पाली
:★पगल्या दर्रा पाली
:★बर दर्रा पाली
:★सूरा घाट अजमेर

:★आबू पर्वत से सटा हुआ उडि़या पठार आबू से लगभग 160 मी. ऊँचा है।और गुरूशिखर मुख्य चोटी के नीचे स्थित है।
:★जेम्स टाॅड ने गुरूशिखर को सन्तों का शिखर कहा जाता है। यह हिमालय और नीलगिरी के बीच सबसे ऊँची चोटी है

2 मध्यवर्ती अरावली प्रदेश

:यह मुख्यतयः अजमेर जिले में फेला है।
:इसका औसत ऊचाई 700 मी. है
: इस क्षेत्र में पर्वत श्रेणीयों के साथ संकरी घाटियाँ और समतल स्थल भी स्थित है।
:अजमेर के दक्षिणी पश्चिम में तारागढ़(870 मी.) और पश्चिम में सर्पीलाकार पर्वत श्रेणीयां नाग पहाड़(795 मी.) कहलाती है।
:- तारागढ़(870 मी.)
:-नाग पहाड़(795 मी.)
:-
प्रमुख दर्रे:- बर, परवेरियां, शिवपुर घाट, सुरा घाट, देबारी, झीलवाडा, कच्छवाली, पीपली, अनरिया आदि।

3 उतरी - पुर्वी अरावली प्रदेश

इस क्षेत्र का विस्तार जयपुर, दौसा तथा अलवर जिले में है। इस क्षेत्र में अरावली की श्रेणीयां अनवरत न हो कर दुर - दुर हो जाती है। इस क्षेत्र में पहाड़ीयों की सामान्य ऊँचाई 450 से 700 मी. है। इस प्रदेश की
 प्रमुख चोटियां:-
:रघुनाथगढ़(सीकर)- 1055 मी. ,
:खोह(जयपुर)-920 मी. ,
:भेराच(अलवर)-792 मी. ,
:बरवाड़ा(जयपुर)-786 मी.
:बाबई 780 मी.
:बिलाली 775 मी.
:मनोहरपुरा747 मी.
:सिरवास 651 मी.
:भानगढ 649
:जयगढ़ 648
:नाहरगढ़ 599
:अलवर का किला 597

:★सांभर के उत्तर-पूर्व में शेखावाटी तोरावाटी अलवर व जयपुर में सम्मिलित है यह घाटी अपरदित है

:★ (उदयपूर, चितौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपूर,प्रतापगढ, भीलवाड़ा, सीकर, झूझूनूं, अजमेर, सिरोही, अलवर, तथा पाली जयपूर कुल  13  जिलों में अरावली का विस्तार है)
:★
: उतर पूर्व में खेतड़ी सिंघाना
: दक्षिण पूर्व बिन्ध पठार

:★अरावली का पुराना नाम अड़वाल पर्वत है यह क्वाटरजाइट चट्टानों से निर्मित है
:★ सांभर के उत्तर-पूर्व में शेखावाटी तोरावाटी अलवर व जयपुर में सम्मिलित है यह घाटी अपरदित है
:★ राजसमंद में दरों की नाल कहा जाता है

 :★सिरोही में पहाड़ी तीव्र ढाल को भास्कर कहा जाता है

:★राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के अनुसार अरावली के पश्चिम में 12 जिले अरावली के पूर्व में 21 जिले हैं

:★अरावली का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में है न्यूनतम विस्तार अजमेर में है

:★वर्षा क्षेत्र 50 सेंटीमीटर से 90 सेंटीमीटर है

:★अरावली की जलवायु उप आद्र जलवायु है

:★कास्का एवं काकनवाड़ी  पठार  सरिस्का अभ्यारण स्थित है
:  माला खेत :-शेखावाटी में अरावली पहाड़ियों को कहा जाता है
: हर्ष पर्वत --सीकर जीण माता
: हर्षनाथ पहाड़ी --अलवर
: हर्षद माता --दौसा

उत्तर पूर्व में दिल्ली ----- गुजरात ----उदयपुर -----बांसवाड़ा -----डूंगरपुर---- प्रतापगढ़ -----मांडलगढ़ -----बूंदी ----कोटा----- झालावाड़

★ : मेसा का पठार पर चित्तौड़गढ़ का किला स्थिति है
: उड़िया का पठार-- सिरोही का सबसे ऊंचा पठार 1360 गुरु शिखर के नीचे
: आबू का पठार सिरोही का दूसरा ऊंचा पठार 1200
: भोरठ  का पठार उदयपुर का तीसरा गोगुंदा में कुंभलगढ़ के मध्य
: देशनहरों का पठार जरगा व रागा की पहाड़ियों के मध्य उदयपुर
: लसाडिया का पठार उदयपुर जयसमंद झील के पूर्व में

★अन्य पहाड़िया में पठार
 :मुकुंदरा वाडा की पहाड़ियां ..कोटा झालावाड़
: हर्ष की पहाड़ियां ..सीकर
: मालाणी पर्वत ..जालौर बालोतरा बाड़मेर
: त्रिकुट पहाड़ी जैसलमेर
: अडवाल पर्वत ..बूंदी
: भरौच अलवर
:  सुंधा पर्वत भीनमाल जालौर
: नोकोड पर्वत सिवाना बाड़मेर
: चिड़िया टूक पहाड़ी जोधपुर
: नाग पहाड़ अजमेर
: मेंसा पठार चित्तौड़गढ़
: लसाडिया पठार उदयपुर
: खो अलवर
: कुंभलगढ़ ...राजसमंद

भाग 3
:★. पूर्वी मैदानी भाग

:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★
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अरावली पर्वत के पूर्वी भाग और दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग के दक्षिणी भाग में पूर्व का मैदान स्थित है।
:★यह मैदान राज्य के कुल क्षेत्रफल का 23.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 39 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
:★ इस क्षेत्र में - भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, जयुपर, दौसा, टोंक, भीलवाडा तथा दक्षिण कि ओर से डुंगरपुर, बांसवाडा ओर प्रतापगढ जिलों के मैदानी भाग सम्मिलित है।
:★ यह प्रदेश नदी बेसिन प्रदेश है अर्थात नदियों द्वारा जमा कि गई मिट्टी से इस प्रदेश का निर्माण हुआ है।
:★ इस प्रदेश में कुओं द्वारा सिंचाई अधिक होती है।
:★सर्वाधिक घनत्व वाला भाग है
:★खादर नदियों द्वारा नवीन जलोढ़ जहां नदी का पानी पहुचता है
:★बाँगर जहा नदियों का जल नही पहुचता
:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★
:★इस मैदानी प्रदेश के तीन उप प्रदेश है।

: बनास- बांणगंगा बेसीन
: चंम्बल बेसीन(480 किमी.बहाव)
: मध्य माही बेसीन(576 किमी.बहाव)

1 बनास- बांणगंगा बेसीन

:बनास और इसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित यह एक विस्तृत मैदान है यह मैदान बनास और इसकी सहायक बाणगंगा, बेड़च, डेन, मानसी, सोडरा, खारी, भोसी, मोरेल आदि नदियों द्वारा निर्मीत यह एक विस्तृत मैदान है जिसकी ढाल पूर्व की और है।

2 चम्बल बेसीन

: इसके अन्तर्गत कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली तथा धौलपुर जिलों का क्षेत्र सम्मिलित है।
: कोटा का क्षेत्र हाड़ौती में सम्मिलित है किंतु यहां चम्बल का मैदानी क्षेत्र स्थित है।
: इस प्रदेश में सवाईमाधोपुर, करौली एवं धौलपुर में चम्बल के बीहड़ स्थित है। यह अत्यधिक कटा- फटा क्षेत्र है, इनके मध्य समतल क्षेत्र स्थ्ति है।
:★ 50 सेमी वर्षा रेखा वाले इस मैदान को अरावली पर्वतमाला से एवं 75 सेमी वर्षा रेखा इसे दक्षिणी पूर्वी पठार से अलग करती है

3 मध्य माही बेसीन या छप्पन का मैदान

: इसका विस्तार उदयपुर के दक्षिण पुर्व से डुंगरपुर, बांसवाडा और प्रतापगढ़ जिलों में है।
: माही मध्य प्रदेश से निकल कर इसी प्रदेश से गुजरती हुई खंभात कि खाडी में गिरती है।
: यह क्षेत्र वागड़ के नाम से पुकारा जाता है तथा प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के मध्य भाग में छप्पन ग्राम समुह स्थित है। इसलिए यह भू-भाग छप्पन के मैदान के नाम से भी जाना जाता है।
:माही पर बाध बोरकुण्ड के कढाना में
:जलवायु आद्र 50-80

:★डांग चम्बल बेसिन के उबड़ खाबड़ मैदान
:★छप्पन की पहाड़ियों--जालोर से बालोतरा
:★छप्पन का मैदान--बांसवाड़ा से प्रतापगढ़ तक

♀4. दक्षिण-पूर्व का पठारी भाग

:★राज्य के कुल क्षेत्रफल का 9.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
:★ राजस्थान के इस क्षेत्र में राज्य के चार जिले कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ सम्मिलित है।
:★इस पठारी भाग की प्रमुख नदी चम्बल नदी है और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिद्ध, परवन, निवाज, इत्यादि भी है। इस पठारी भाग की नदीयां है।
:★ इस क्षेत्र में वर्षा का औसत 80 से 100 से.मी. वार्षिक है।
:★ राजस्थान का झालावाड़ जिला राज्य का सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला जिला है और यह राज्य का एकमात्र अति आन्र्द्र जिला है।
:★इस क्षेत्र में मध्यम काली मिट्टी की अधिकता है। जो कपास, मूंगफली के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
:★यह पठारी भाग अरावली और विध्यांचल पर्वत के बीच "सक्रान्ति प्रदेष" ( ज्तंदेपजपवदंस इमसज) है।
:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★
★:दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग को दो भागों में बांटा गया है।

: हाडौती का पठार - कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़
: विन्ध्यन कगार भूमि - धौलपुर. करौली, सवाईमाधोपुर भीलवाडा चित्तौड़ प्रतापगढ़
:★दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में दक्कन लावा का पठार क्षेत्र में भैंसरोडगढ़ (चितौडगढ) से बिजोलिया(भीलवाड़ा) तक का भू-भाग ऊपरमाल कहलाता है।
:★बीजासण का पहाड़ – यह मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के नजदीक स्थित है।
:★यह सम्पूर्ण प्रदेश चम्बल और उसकी सहायक कालीसिंध, परवन और पार्वती नदियों द्वारा प्रवाहित है।
:★शाहबाद उच्च क्षेत्र – हाड़ौती का पूर्ववर्ती भाग।
:★वर्षा – 80 सेमी. से 120 सेमी। 
:★राज्य का सर्वाधिक वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र।
:★मिट्टी – काली उपजाऊ मिट्टी, जिसका निर्माण प्रारम्भिक ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है।  यहाँ लाल व कछारी मिट्टी भी पाई जाती है।
:★धरातल पथरीला व चट्टानी है।
:★जलवायु – अति आर्द्र जलवायु क्षेत्र।
:धौलपुर में लाल बलुवा पत्थर
:करौली में गुलाबी बलुवा पत्थर
:बूंदी में स्लेट पत्थर
:बिजोलिया की पट्टियां
:केसरपुरा /मानपुरा हिरे

:★मुकुन्दरा पहाड़ियों--झालावाड़ से कोटा तक
:★उड़िया पठार--सिरोही 1360 मी. माउंट आबू के समीप राजस्थान का सबसे ऊंचा
:★आबू पठार -1200 सिरोही दूसरा ऊँचा
:★मेशा का पठार चितौड़ गढ़
दो नदियों के भाग को मेशा कहते है
:★उपरमाल पठार भैसोरगढ़ चित्तौड़गढ़ व बिजोलिया भीलवाड़ा के मध्य
:★औसत ऊचाई 320-420मी.
:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★

:@ राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम

: भोराठ/भोराट का पठार:- उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।
: लासडि़या का पठारः- उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।
: गिरवाः- उदयपुर में चारों ओर पहाडि़यों होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
: देशहरोः- उदयपुर में जरगा(उदयपुर) व रागाा(सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।
: मगराः- उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।
: ऊपरमालः- चित्तौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से लेकर भीलवाडा के बिजोलिया तक का पठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।
: नाकोडा पर्वत/छप्पन की पहाडि़याँः- बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में
स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समुह नाकोड़ा पर्वत। छप्पन की पहाड़ीयाँ कहलाती है।
: छप्पन का मैदानः- बासवाडा व प्रतापगढ़ के मघ्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है।(56 गावों का समुह या 56 नालों का समुह)
: राठः- अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।
: कांठलः- माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।
: भाखर/भाकरः- पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ीयों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।
: खेराड़ः- भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।
: मालानीः- जालौर ओर बालोत्तरा के मध्य का भाग।
: देवल/मेवलियाः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।
: लिटलरणः- राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटल रण कहते है।
: माल खेराड़ः- ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।
:पुष्प क्षेत्रः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।
: सुजला क्षेत्रः- सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।

: मालवा का क्षेत्रः- झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।

: धरियनः- जैसलमेर जिले का बलुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या 'न' के बराबर धरियन कहलाता है।

: भोमटः- डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।

: कुबड़ पट्टीः- नागौर के जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है।जिससे शारीरिक विकृति(कुब) होने की सम्भावना हो जाती है।

: लाठी सीरिज क्षेत्रः- जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ्र तक पाकिस्तानी सिमा के सहारे विस्तृत एक भु-गर्भीय मीठे जल की पेटी। इसी लाठी सीरिज के ऊपर सेवण घास उगती है।

: बंागड़/बांगरः- शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।
वागड़ः- डुगरपुर व बांसवाड़ा।

: शेखावाटीः- चुरू सीकर झुझुनू।

: बीहड़/डाग/खादरः- चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डांे को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है।यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है। सर्वाधिक बीहड़ - धौलपुर में।
:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★
: मेवातः- उत्तरी अलवर।

: कुरूः- अलवर का कुछ हिस्सा।

: शुरसेनः- भरतपुर, धौलपुर, करौली।

: योद्धेयः- गंगानगर व हनुमानगढ़।

: जांगल प्रदेशः- बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।

: गुजर्राजाः- जोधपुर का दक्षिण का भाग।

: ढूढाड़ः- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।

: माल/वल्लः- जैसलमेर।

: कोठीः- धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।

: अरावलीः- आडवाल।

: चन्द्रावतीः- सिरोही व आबु का क्षेत्र।

: शिवि/मेदपाट/प्राग्वाटः- उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।

: गोडवाडः- बाड़मेर, जालौर सिरोही।

: पहाडि़याँ-

मालखेत की पहाडि़याः- सीकर
हर्ष पर्वतः- सीकर
हर्षनाथ की पहाडि़याँः- अलवर
बीजासण पर्वतः- माण्डलगढ़(भीलवाड़ा)
चिडि़या टुक की पहाड़ीः- मेहरानगढ़(जोधपुर)
बीठली/बीठडीः- तारागढ़(अजमेर)
त्रिकुट पर्वतः- जैसलमेर(सोनारगढ़) व करौली(कैलादेवी मन्दिर)
सुन्धा पर्वतः- भीनमाल(जालौर)
इस पर्वत पर सुन्धा माता का मन्दिर है इस मन्दिर में राजस्थान का पहला रोप वे लगाया गया है।(दुसरा रोप वे- उदयपुर में)
मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ीयाः- कोटा व झालावाड़ के बीच।

:★महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली:★

Comments

  1. Bhaiya correct karo details
    Rajasthan ka Udaipur -australia k saman h.
    And aapne Jodhpur likha h niche bhi Jodhpur mentioned h wo to sahi h Mayur k saman.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bhai shi hai ye
      Rajsthan ka jodhpur Australia jaisa hi hai

      Delete
    2. उदयपुर है
      ऑस्ट्रेलिया के समान

      Delete
  2. Sir isme download karne ka system nahi h...
    But very helpful artical
    Thx a lot

    ReplyDelete

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