राजस्थान का अपवाह तंत्र

🔅राजस्थान का अपवाह तंत्र

★:गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा:★
✒नदिया
✒झील
✒अपवाह तन्त्र या प्रवाह प्रणाली (drainage system) किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है।
✒ यह एक तरह का जालतन्त्र या नेटवर्क है जिसमें नदियाँ एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनती हैं।
✒किसी नदी में मिलने वाली सारी सहायक नदियाँ और उस नदी बेसिन के अन्य लक्षण मिलकर उस नदी का अपवाह तन्त्र बनाते हैं

🔅अपवाह तन्त्र के प्रतिरुप

✒अपवाह तन्त्र में नदियों का ज्यामितीय विन्यास और उससे निर्मित पैटर्न या प्रतिरूप को अपवाह प्रतिरूप कहा जाता है।
 ये निम्नवत हैं:

📌द्रुमाकृतिक प्रतिरुप या वृक्षाकार
📌आयताकार प्रतिरुप
📌जालीदार प्रतिरुप
📌वलयाकार प्रतिरुप
📌कंटकीय या हुकनुमा प्रतिरुप
📌अपकेन्द्रिय प्रतिरुप
📌अभिकेन्द्रीअरीय प्रतिरुप
📌समान्तर प्रतिरुप
📌अनिश्चित प्रतिरुप
📌भूमिगत प्रतिरुप
📌पूर्ववर्ती प्रतिरुप
📌पूर्णरोपित प्रतिरुप या अध्यारोपित

✒ राजस्थान में अपवाह तंत्र के हिसाब से तीन भागों में बांटा गया है
📌बंगाल की खाड़ी की तरफ प्रवाहित नदियां
📌अरब सागर की तरफ प्रभाव वाली नदियां
📌आंतरिक जल प्रवाह वाली नदियां
📌राजस्थान में नदियों में जल का अभाव पाया जाता है
📌राजस्थान की नदी माही और चंबल बारहमासी नदियां है
📌राजस्थान में अधिकांश नदियों का प्रवाह अरावली के पूर्व में स्थित है

🔅चंबल नदी

🔅यह मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है।
📌 इस नदी का उदगम "जानापाव पर्वत " महू से निकलती है जो विध्यांचल पर्वत माला का हिस्सा है
📌इसका प्राचीन नाम "चरमवाती " है।

📌 इसकी सहायक नदिया (बनास,पार्वती, बामणी, कुराल ,मेज ,गुजाली, ईज, चाकण,शिप्रा, सिंध, कलिसिन्ध, ओर कुननों नदी है)।

📌यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के धार,उज्जैन,रतलाम, मन्दसौर भीँड मुरैनाआदि जिलो से होकर बहती है।

📌 यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है।

📌इस नदी पर चार जल विधुत परियोजना चल रही है।
01 गांधी सागर
02 राणा सागर
03 जवाहर सागर
04 कोटा वेराज (कोटा)।

📌 प्रसिद्ध चूलीय जल प्रपातचंबल नदी (कोटा) मे है।
📌 चंबल नदी की लंबाई 965 किलोमीटर है जिसमें 315 किलोमीटर मध्य प्रदेश में 135 किलोमीटर राजस्थान में है

👍 नोट एनसीईआरटी के अनुसार 165 किलोमीटर राजस्थान में मानी गई है
📌 राजस्थान में इसका कुल अपवाह 19500 किलोमीटर है
📌 चंबल नदी का राजस्थान में प्रवेश चौरासी गढ़ नामक स्थान चित्तौड़ के समीप चंबल राजस्थान में प्रवेश करती है
📌 राजस्थान को सर्वाधिक स्थाई जल चंबल नदी से प्राप्त होता है
📌भैसोरगढ़ में बामनी नदी इस में आकर मिलती है
📌चूलिया जलप्रपात से यह 5 किलोमीटर दूर राजस्थान प्रवेश करती है
📌 चित्तौड़गढ़ के बाद कोटा में प्रवेश करते हैं
📌वहां से बूंदी शाखा का विभाजन हो जाता है यह शाखा सवाई माधोपुर में पुनः एक हो जाती है
📌करौली से धौलपुर, धौलपुर से यूपी के इटावा के मुरादगंज के समीप यमुना में जाकर मिल जाती है
📌यूपी और MP की अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण करती है
📌राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन चंबल नदी बनाती है
📌 कोटा बूंदी की सीमा का निर्धारण चंबल नदी करती है

🔅 चम्बल नदी पर प्रमुख बांध
✒ गांधी सागर बांध--- मध्य प्रदेश
✒राणा प्रताप सागर बांध --चित्तौड़गढ़
✒ जवाहर सागर बांध --कोटा
✒ कोटा बैराज ------कोटा
📌 चंबल की कंदराओं का कुल क्षेत्रफल 217500 हेक्टेयर है
📌चंबल ,लूणी ,बनास 6--6 जिलों में प्रभावित है
📌चंबल नदी चितौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर ,करौली ,धौलपुर कुल 6 जिलों में प्रवाहित होती है
📌चंबल नदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ बहाव है यह एकमात्र नदी है जिसका बहाव दक्षिण से उत्तर की तरफ है
📌 चंबल नदी का कुल अपवाह राजस्थान में 195000 है
चंबल नदी का गार्ज प्रवाह साठ किलोमीटर है कोटा सीमा पर सकरे रास्ते से गुजरती है
📌चंबल नदी का प्रवाह वृक्ष आकार प्रणाली का है
📌राजस्थान में मध्यप्रदेश सीमा का निर्धारण करौली जिले में करती है
✒ राजस्थान प्रवेश से पूर्व नदी का पुल लगभग 300 मीटर चौड़ा है किंतु इसके पश्चात इस की घाटी संकीर्ण हो जाती है चोरासिगढ़ से 5 किलोमीटर दूर चुलिया प्रपात है
📌महाभारत के अनुसार राजा रंतिदेव के यज्ञों में जो आर्द्र चर्म राशि इकट्ठा हो गई थी उसी से यह नदी उदभुत हुई थी
📌कालिदास ने भी मेघदूत-पूर्वमेघ 47 में चर्मण्वती नदी को रंतिदेव की कीर्ति का मूर्त स्वरूप कहा गया है-
आराध्यैनं शदवनभवं देवमुल्लघिताध्वा,
सिद्धद्वन्द्वैर्जलकण भयाद्वीणिभिदैत्त मार्गः।
व्यालम्बेथास्सुरभितनयालंभजां मानयिष्यन्,
स्रोतो मूत्यभुवि परिणतां रंतिदेवस्य कीर्तिः'।
📌चंबल की जिक्र महाभारत काल में है। मुरैना के पास इसी नदी के तट पर शकुनी ने जुएं में पांडवों को पराजित कर द्रौपदी का चीरहरण किया था।
🔅चम्बल नदी
(चर्मण्वती,नित्यवाही,सदानिरा,कामधेनू)
🔅यह 250 कि.मी. लम्बी राजस्थान की मध्यप्रदेश के साथ अन्र्तराज्जीय सीमा बनाती है।
🔅रावतभाटा परमाणु बिजली घर है कनाडा के सहयोग से स्थापित 1965 में इसका निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ।
🔅रामेश्वरम:- राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में चम्बल नदी में बनास व सीप नदियां आकर मिलती है और त्रिवेणी संगम बनाती है।
🔅सर्वाधिक अवनालिक अपवरदन इसी नदी का होता है। चम्बल नदी में स्तनपायी जीव 'गांगेय' सूस पाया जाता है।

🔅कोटा बैराज बांध

✒कोटा में स्थित, यह अवरोधक बांध हैं।
✒कोटा बैराज बांध से सिंचाई के लिए नहरे निकली गई हैं।
✒इसका निर्माण 1960 में पहले चरण में किया गया था
✒इस बांध के पास कोटा ताप विद्युत घर स्थापित किया गया है
✒इस बांध से दो नहरें निकाली गई है जिसमें से
दाई नहर राजस्थान( कोटा बारा) व मध्य प्रदेश दोनों ने सिंचाई करती है यह 124 किलोमीटर राजस्थान में तथा 248 किलोमीटर मध्य प्रदेश में है इस परियोजना से पूर्वी जिलों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है 
✒दाई मुख्य नहर पर कुल 8 लिफ्ट नहरे बनी हुई है                         
 ✒बाई नहर राजस्थान में सिंचाई के काम आती है जिसकी लंबाई 178 किलोमीटर है
✒ कनाडा की अंतराष्ट्रीय विकास एजेंसी के सहयोग से चंबल कमांड क्षेत्र में राजस्थान कृषि ड्रेनेज अनुसंधान परियोजना चलाई गई हैइस परियोजना से कोटा बूंदी जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है

【जवाहर सागर बांध】

 ✒इस बांध का निर्माण 1972 में तृतीय चरण में हुआ था
✒यह बाधं राणा प्रताप सागर बांध से 33 किलोमीटर दूर कोटा में बोरावास में पिक अप बांध के रूप में स्थित है
✒यह बांध 45 मीटर ऊंचा तथा 440 मीटर लंबा है इसकी विद्युत क्षमता 99 मेगावाट है यह चंबल नदी पर बना नया बांध है
✒कोटा में स्थित, इससे जल-विद्युत उत्पादित होता हैं। इससे सिंचाई नहीं होती हैं।
✒इस परियोजना का राजस्थान भाग से चंबल नदी के विकास की क्षमता में तीसरा हिस्सा है इस के व्यय व लाभ में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड का समान रूप से हिस्सा है
✒यह योजना योजना आयोग द्वारा 1962 में अनुमोदित कर दी गई थी तथा 60% फैक्टर की दर से 60.00की.वा. की सीमा तक कुल विद्युत उत्पादन करने का प्रावधान है

【राणाप्रताप सागर बांध】➖

✒इस बांध का निर्माण चुलिया जलप्रपात के समीप  चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित भैंसरोड़गढ़ के पास चौरासीगढ़ के उत्तर में रावतभाटा में किया गया है
✒ इस बांध का निर्माण 1970 में द्वितीय चरण  में किया गया था यह चंबल नदी पर बना राज्य का सबसे बड़ा बांध है यह गांधी सागर बांध से 48 किलोमीटर दूर स्थित है
✒राणा प्रताप सागर बांध पर ही  परमाणु बिजली घर की स्थापना कनाडा के सहयोग से की गई है यह यह बांध 1100 मीटर लंबा वह 36 मीटर ऊंचा है इस बांध को फरवरी 1970 में राष्ट्र को समर्पित किया गया इस बांध की  विद्युत क्षमता 172 मेगा वाट है इस परियोजना का राजस्थान में चंबल नदी विकास की श्रंखला में दूसरा स्थान है
✒भराव क्षमता की दृष्टि से राणा प्रताप सागर बांध राज्य में सबसे बड़ा बांध है

 *गांधी सागर बांध*➖

यह बांध राजस्थान से बाहर मध्यप्रदेश 84 गढ़ स्थान के पास  (मंदसौर जिले) वर्तमान में  (नीमच जिला)  रामपुरा भानपुरा के पठारों के बीच
✒1959 में इस बांध का निर्माण किया गया यह बाधं 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 64 मीटर ऊंचा है
✒इसकी विद्युत क्षमता 115 मेगा वाट है
✒ इसका निर्माण चंबल परियोजना के तहत प्रथम चरण में हुआ था
✒यह बांध चंबल नदी पर बना सबसे बड़ा और सबसे पुराना बांध है
✒गांधी सागर बांध पर 23 मेगा वाट का एक जनरेटर लगाया गया है जिससे पन विद्युत उत्पन्न की जाती है

         
✒उपर्युक्त सभी बांधों को चम्बल नदी घाटी परियोजना कहते हैं, जो राजस्थान की पहली परियोजना थी।
✒यह परियोजना राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना हैं। जिसमें 50-50 % की भागीदारी हैं। चम्बल व माही नदी दक्षिण से प्रवेश करती हैं।
✒दूसरी पंचवर्षीय योजना में उत्पादन शुरू व पहली में स्थापना इस परियोजना से 4.5 लाखहेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है इससे राजस्थान के कोटा बूंदी व बॉरा जिलों व मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 386 मेगा वाट है इस परियोजना से राज्य को 193 मेगा वाट विद्युत प्राप्त होती है                         
 ✒चम्बल नदी पर कुल 8 लिफ्ट नहर हैं                                    ✒जिसमें से 6 लिफ्ट नहर बांरा के लिए (बांरा – वराहनगरी), 2 कोटा के लिए।
1➖ जालूपुरा लिफ्ट स्कीम कोटा                       
2➖ दीगोद लिफ्ट स्कीम  कोटा...               
3➖ अंता लिफ्ट स्कीम बॉरा       
4➖ अंता लिफ्ट माइनर चक्षानाबाद बॉरा
5➖पचेल

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