जोखिम व अनिश्चितता की स्थती में उपभोक्ता का व्यवहार : स्लटस्की प्रमेय
🔰Graduation Level
1.Theory of consumer behavior under risk and uncertainty, Slutskty’s theorem, ordinary
and compensated demand curve
🔰जोखिम व अनिश्चितता की स्थती में उपभोक्ता का व्यवहार
: स्लटस्की प्रमेय
: सामान्य तथा क्षतिपूर्वक मांग वक्र
(लेखक महेश रहीसा गुरुकुल कोटपूतली)
➖उपभोक्ता ऐसे अंको का निर्माण करना संभव है जिन्हें परिस्थिति की अनिश्चितता में चयन का अनुमान लगाया गया हो न्यूमैन मोर गैस्टन का NM थ्योरी से उपभोक्ता व्यवहार की गणना की जाती है
➖ डेनियल बरनोलि के अनुसार
" विवेकशील उपभोक्ता जोखिम और अनिश्चितता के अंतर्गत निर्णय लेता है वह प्रत्याशित उपयोगिता के आधार पर लेता है प्रत्याशित उपयोगिता का क्रम रेखीय होता है उपयोगिता का अनुमान बदलता रहता है
➖ प्रो.जॉन वाले न्युमैन एवं ऑर्गेनस्टर्न ने अपनी पुस्तक "The Theory Of Games and Economic Behavior"1947 में यह दर्शाया गया कि उपभोक्ता के लिए ऐसे अंगों का निर्माण करना संभव है जिन्हें अनिश्चित परिस्थितियों में चयन के अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त किया गया जाता है साथ ही यह भी दर्शाया जा सकता है कि N M यूटिलिटी में कुछ गणनात्मक विश्लेषण होता है
🔰1.Bernoulli Hypothesis
बर्नौली परिकल्पना
🔰2.Neumann-Morgenstern Method of Measuring Utility
न्यूमन-मॉर्गनस्टर्न (N M)थ्योरी उपयोगिता मापने की विधि के सदर्भ में
🔰3. Friedman-Savage Hypothesis
फ्राइडमैन-सैवेज परिकल्पना
🔰4.Markowitz Hypothesis
मार्कोविट्ज़ परिकल्पना
🔰5.Slutskty Theorem स्लटस्की प्रमेय
🔰1.Bernoulli Hypothesis
बर्नौली परिकल्पना
गुरुकुल कोटपूतली
➖ बर्नौली परिकल्पना उपभोक्ता का नव प्रतिष्ठित सिद्धात इस धारणा पर आधारित हैं कि उपभोक्ता जुवा नही खेलता तथा ऐसी बाजी(बेट) नही लगता जहा जितने व हारने की संभावनाएं बराबर हो
➖ ऐसी बाज़ी में दाव लगाने को क्यो तैयार नही होता ?
➖ इसका स्पष्टिक़रण 18 वी सताब्दी में स्वीस गणितज्ञ डेनियल बर्नौली ने प्रस्तुत किया जिसे बर्नौली परिकल्पना कहते है
➖ वर्ष 1932 में सेंट पीटर्सबर्ग में अपने आवास के दौरान बर्नौली ने यह देखा कि रूसी लोग 50-50 सम्भवना के दौरान श्रेष्ठ बाजी पर भी दांव लगाने को तैयार नहीं है
➖ यह जानते हुए की दाव लगाई गई मुद्रा से उनके मौद्रिक लाभ की गणितीय प्रत्यासा बहुत अधिक है
➖ बर्नौली ने इस विरोधाभास को "सेंट पीटर्सबर्ग विरोधाभास"कहा है
➖ इस मत को समझाने में मत दिया -लोग अपनी समस्त आय को दाव पर लगाने को तैयार नही होते क्योकि मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है ज्यो ज्यो आय में बढ़ोतरी होती है
➖ अन्य सब्दो में आय में वर्द्धि के साथ साथ मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता घटी जाती है
➖ इसलिए व्यक्ति Fairbet / Games /Obeal को स्वीकार नही करता है Fairbet जिसमे लाभ हानी की सम्भावना बराबर होती है
➖ व्यक्ति का उपयोगिता फलन जोखिम टालने के कारण नतोदर होता है
➖ इस सिद्धांत को MU वक्र चित्र या TU वक्र दोनों से समझा जाता है
यह चित्र 17.2 से मनाया जाएगा कि पैसे की शर्तों में एक छोटे से नुकसान के बावजूद, कुल उपयोगिता के मामले में हानि कुल उपयोगिता में लाभ से अधिक है, हालांकि वह शर्त जीतने के मामले में धन में अधिक वृद्धि के बावजूद है। यह धन की मामूली उपयोगिता में तेजी से गिरावट के कारण हुआ क्योंकि व्यक्ति के पैसे में वृद्धि हुई है
🔰2.Neumann-Morgenstern Method of Measuring Utility
न्यूमन-मॉर्गनस्टर्न (N M)थ्योरी उपयोगिता मापने की विधि के सदर्भ में
➖प्रो जान वान न्युमैन औऱ आस्कर मार्गेनस्टर्न ने जोखिम चुनाव से प्रत्याशित उपयोगिताओ की गणन संख्या(Cordinal) माप विधि का विकास किया
इस तरह के जोखिम चुनावों लाटरी ,जुए आदि के सम्बंध में पाया जाता है इसलिए उन्होंने एक उपयोगिता सूचकांक की गणना की जिसे N --M उपयोगिता सूचकांक कहा गया
➖N - M उपयोगिता सिद्धात सूचकांक जोखिमपूर्ण चुनावों के अंतर्गत गठन संख्या उपयोगिता का संकल्पनात्मक माप प्रस्तुत करता है
➖इस सूचकांक में दोनों का मान एक के बराबर होता है
UB = UAPA + (1-PA)UC = इसमे उपभोक्ता तटस्थत रहेगा
UB > UAPA + (1-PA)UC = इसमे उपभोक्ता पैसा लगायेगा
UB < UAPA + (1-PA)UC = इसमे उपभोक्ता पैसा नही लगाएगा
➖प्रत्यासित मान की उपयोगिता उसके प्रत्यासित उपयोगिता से अधिक होगी उसे टालेगा
➖द्वितीय क्रम में उत्पादन फलन नतोदर ऋणात्मक होगा इसमें प्रतियासित उपयोगिता का ज्यादा लोस होता है
: N M थ्योरी का सम्बंध सूचक से होता है इसमें सूचकांक तैयार किये जाते है
इसमें जोखिम उठाना हैं या नहीं इसका सूचकांक बनाते है इसमे दोनों का मान 1 होता है
➖जे वॉन न्यूमैन और ओ. मॉर्गनस्टमेंट ने अपनी पुस्तक ""थ्योरी : गेम्स एंड इकोनॉमिक बिहेवियर ""में जुआ, लॉटरी टिकट इत्यादि में पाए जाने वाले खतरनाक विकल्पों से अपेक्षित उपयोगिता के कार्डिनल मापन की विधि विकसित की। इसके लिए, उन्होंने एक यूटिलिटी इंडेक्स बनाया जिसे N-M उपयोगिता सूचकांक कहा जाता है।
🔰मान्यताओं:
N-M उपयोगिता इंडेक्स निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है:
(1) अपेक्षित उपयोगिता को अधिकतम करने के लिए व्यक्ति जोखिम भरा परिस्थितियों में व्यवहार करता है।
(2) उनके विकल्प संक्रमणीय हैं: यदि वह पुरस्कार और जीत के लिए पुरस्कार (जीत) पसंद करते हैं, तो वह A से C पसंद करते हैं।
(3) संभावना P है जो 0 और 1 (0 <P <1) के बीच है, जैसे कि व्यक्ति पुरस्कार A के बीच उदासीन है जो निश्चित है और लॉटरी टिकट क्रमशः P और 1 - P के साथ पुरस्कार S और V प्रदान करते हैं।
(4) यदि दो लॉटरी टिकट एक ही पुरस्कार प्रदान करते हैं, तो व्यक्ति जीतने की उच्च संभावना के साथ लॉटरी टिकट पसंद करता है।
(5) व्यक्ति अनिश्चित विकल्पों की संभावना संयोजन पूरी तरह से आदेश दे सकता है।
(6) अनिश्चितता या जोखिम में स्वयं की उपयोगिता या अक्षमता नहीं है
: N-M उपयोगिता सूचकांक जोखिम पूर्ण चुनावों के अंतर्गत गणना उपयोगिता का माप प्रस्तुत करता है
इसका उपयोग जुवा खेलने लाटरी लगाने,आदि में दो या दो से अधिक विकल्पों के सम्बंध में भविष्यवाणी करता है
🔰3. Friedman-Savage Hypothesis
फ्राइडमैन-सैवेज परिकल्पना
➖फ्रीडमैन-सैवेज ने अनिश्चित तथा जोखिमपूर्ण स्थितियों में उपभोक्ता के व्यवहार का एक नवीन तथा यथार्थ विश्लेषण प्रस्तुत किया
➖जब व्यक्ति बीमे की पॉलिसी लेता है तब वह जोखिम से बचने के लिए भुगतान करता है लेकिन जब वह लाटरी खरीदता है तो उसे बड़े लाभ के लिए छोटा अवसर प्राप्त होता है इस तरह जोखिम उठा लेता है,
➖ कुछ लोग बीमा कराने तथा जुआ खेलने दोनों में संलग्न होते हैं और इस तरह वे जोखिम से बचने का भी प्रयास करते हैं और जोखिम उठाते भी हैं क्यों ?
इसका विश्लेषण N-M विधि के विस्तार के रूप में फ्रीडमैन-सैवेज परिकल्पना द्वारा प्रस्तुत किया गया है
: फ्रीडमैन-सैवेज के अनुसार एक निश्चित स्तर से नीचे की आय के लिए मौद्रिक आय की सीमांत उपयोगिता घटती है उस स्तर और उसके ऊपर एक निश्चित स्तर के बीच की आय के लिए बढ़ती है और उसके ऊपर की आय के लिए वह पुनः घटने लगती है
➖जब व्यक्तियों की आय का स्तर कम होता है तो वह बीमा कराते हैं
➖मध्यम स्तर के व्यक्ति जुआ खेलते हैं इस तरह की आय वर्ग के लोग अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए जोखिम उठाने को तत्पर रहते हैं
➖उच्य आय वर्ग वाले व्यक्तियों के लिए मुद्रा की सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है ऐसे लोग लॉटरी टिकट खरीदने ,जुआ खेलने तथा अन्य जोखिम पूर्ण निवेश में अपनी आय नहीं लगाएंगे जब तक अनुकूल संभावनाएं नए हो
➖ व्यक्ति इसलिए जोखिम में व्यवहार करता है क्योंकि वह अपने लाभ और संभावित उपयोगिता को अधिक कर सकें
➖शून्य (0) एवं एक (1) के मध्य संभावित उपयोगिता ऐसी होती है 1 > P > O
एक से ज्यादा नहीं और शून्य से कम नहीं होती है
➖लोग जटिल व विरोधी ढंग से व्यवहार करते हैं एक और तो जुआ खेलते हैं और दूसरी और बीमा करवाते हैं एक ही समय में जोखिम उठाने वाले वह बचने वाले रूप में कार्य करते हैं
➖ फ्रीडमैन-सैवेज ने बरनौली के मुद्रा के घटते हुए सीमांत उपयोगिता की परिकल्पना से आय कि सभी विस्तारों के लिए प्रस्थान किया
🔝🔜 अधिकतम लोगों के लिए मुद्रा आय के मध्यवर्ती भाग किसी विशेष स्तर तक मुद्रा सीमांत उपयोगिता घटती है आय के मध्यवर्ती स्तर पर मुद्रा की सीमांत उपयोगिता बढ़ती है बहुत ऊंचे स्तर पर फिर घटती है
🔰4.Markowitz Hypothesis
मार्कोविट्ज़ परिकल्पना
मार्कोविट्ज़ परिकल्पना ,फ्रीडमैन सेवेश परिकल्पना का एक सुधार है
➖ क्योंकि इसमें एक व्यक्ति की निरपेक्ष आय के स्थान पर उसकी वर्तमान आय पर ध्यान दिया जाता है
➖मार्कोविट्ज़ परिकल्पना में यह मत व्यक्त किया गया है कि व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब बीमा कराने अथवा दाव लगाने के प्रति उसका व्यवहार समान होता है
➖ वह इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि एक व्यक्ति की वर्तमान आय में थोड़ी या बड़ी कमियां अथवा उसके बीमा कराने और दाव लगाने के व्यवहार को निर्धारित करती है
➖यह परिकल्पना मार्कोविट्ज़ ने 1952 में दी गई थी
➖मार्कोविट्ज़ परिकल्पना यह परिकल्पना बर्नौली परिकल्पना, न्यूमन-मॉर्गनस्टर्न (N M)थ्योरी उपयोगिता मापने की विधि ,फ्राइडमैन-सैवेज परिकल्पना सभी आय के निरपेक्ष स्तरों पर निर्भर है
➖मार्कोविट्ज़ ने मुद्रा की आय के सीमांत उपयोगिता से संबंधित नहीं बल्कि मुद्रा आय के स्त्रोत में अंतर से संबंधित है
➖मार्कोविट्ज़ परिकल्पना बताती है कि वर्तमान स्तर में छोटी व्रद्धिया के कारण मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता में वर्द्धि होती है
Y0 se Y2 के मध्य एक व्यक्ति की आय बढ़ती है तो मुद्रा की सीमांत उपयोगिता बढ़ती है
Y 2 से अधिक सीमांत उपयोगिता कम तो मुद्रा की सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है
Y0 से Y1 के मध्य आय घटती है तो मुद्रा की सीमांत उपयोगिता बढ़ती है
Y1 के बाई और सीमांत उपयोगिता घटती है
मुद्रा की छोटी आय में वर्द्धि सीमांत उपयोगिता MUबढ़ती है
मुद्रा की बड़ी आय में वर्द्धि तो सीमांत उपयोगिता घटती है
परिणाम व्यक्तियों का झुकाव छोटी ईमानदारी की शर्तों को स्वीकारना होगा परंतु की मुद्रा की बड़ी राशियों से संबंधित जोखिम उठाने को तैयार नहीं होंगे
🔰5.Slutskty Theorem
स्लटस्की प्रमेय
➖स्लटस्की प्रमेय कीमत में होने वाले परिवर्तन के आय प्रभाव एवं प्रतिस्थापन प्रभाव की व्याख्या करता है
➖स्लटस्की के अनुसार कीमत प्रभाव को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है अर्थात
कीमत प्रभाव = आय प्रभाव +प्रतिस्थापन प्रभाव
🔀आय प्रभाव
आय में परिवर्तन के फलस्वरुप उपभोक्ताओं की मांग पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रकट करता है जब दो वस्तुओं की कीमत स्थिर रहती है
🔀 प्रतिस्थापन प्रभाव
इसके के अंतर्गत उपभोक्ता उचित तटस्थता वक्र पर रहता है
इसको स्पष्ट करने के लिए स्लटस्की ने एक समीकरण का विकास किया
समीकरण के प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित थे
1.प्रतिस्थापन प्रभाव सदैव ऋणात्मक होता है
2. आय प्रभाव धनात्मक तथा ऋण आत्मक हो सकता है
3. आय प्रभाव धनात्मक अथवा ऋणात्मक होना प्रमुख रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि उपभोक्ता वस्तु विशेष की कितनी मात्रा का क्रय करता है
👉 सामान्य मांग वक्र तथा छतिपूर्ति मांग वक्र
➖सामान्य मांग वक्र
किसी वस्तु की कीमत एवं मांग के सामान्य संबंध को व्यक्त करता है
➖ क्षतिपूरक मांग वक्र
इस बात की व्याख्या करता है कि किसी वस्तु की कीमत में व्रद्धि होने पर अन्य वस्तु की कीमत की कमी द्वारा उपभोक्ता के कुल व्यय की क्षतिपूर्ति कर दी जाती है तब मैं उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ेगा
☢कीमत प्रभाव
जब किसी वस्तु की कीमत में कमी या वृद्धि के परिणाम स्वरुप उपभोक्ता की मांग पर क्या प्रभाव होगा इसमे (आय, रूचि की स्थिर माना जाता है)
➖कीमत घटती है तो संतुष्टि उच्च वक्रो पर चली जाती है
➖ कीमत बढ़े तो संतुष्टि नीचे वक्रो पर चली जाती है
: चित्र में x वस्तु की कीमत गिरने पर संतुष्टि AC बिंदु पर चली जाती है
☢आय प्रभाव
उपभोक्ता की आय में परिवर्तन से उसकी मांग पर प्रभाव को व्यक्त करता है
➖आय बढ़ने पर अगर उसकी मांग कम तो उसे हीन वस्तु कहते हैं
➖आय बढ़ने पर मांग ज्यादा उसे श्रेष्ठ वस्तु कहते है
चित्र 1
Icc वक्र का ढाल धनात्मक होता है जिस वस्तु की तरफ झुकाव होता है वह वस्तु श्रेष्ठ होती है
ICC1 =X वस्तु निम्न और Y वस्तु सामान्य
ICC2 वक्र में Y वस्तु निम्न तथा X वस्तु सामान्य वस्तु होती है
चित्र 2
☢प्रतिस्थापन प्रभाव
इसमे आय व एक वस्तु की कीमत स्थिर होती है
➖एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणाम स्वरुप संतुलन उसी वक्र पर बना रहे बस उसकी खरीद बदल जाए प्रतिस्थापन प्रभाव कहलाता है
➖उपभोक्ता महंगी वस्तु के स्थान पर सस्ती वस्तु को प्रतिस्थापित कर लेता है
➖ सापेक्ष कीमतों में परिवर्तन के फलस्वरुप मांग व उपयोग की मात्रा पर प्रभाव प्रकट करना वस्तु के सापेक्ष भाव में परिवर्तन होता है
➖प्रतिस्थापन प्रभाव हमेशा ऋण आत्मक होता है इसकी संतुष्टि स्तर में परिवर्तन नहीं होता है
🔰हिक्स का प्रतिस्थापन प्रभाव
🔰स्लटस्की का प्रतिस्थापन प्रभाव
🔰हिक्स का प्रतिस्थापन प्रभाव
हिक्स ने स्वतंत्र आय में क्षतिपूरक परिवर्तन द्वारा प्रतिस्थापन प्रभाव की व्याख्या की है
उपभोक्ता की मौद्रिक आय में इतना परिवर्तन किया जाए जिससे संतुष्टि का पूर्व आय स्तर प्राप्त हो जाए उसे तत्व तष्टातावक्र वक्र पर बना रहे
आय के स्तर को इतना घटा दिया जाए कि अधिमान उसी वक्र पर बना रहे
यह परिवर्तन आय में क्षतिपूरक परिवर्तन है
-अपेक्षाकृत कीमत कम होने पर प्रतिस्थापन प्रभाव के कारण मांग मात्रा बढ़ती है
-प्रतिस्थापन प्रभाव सदैव ऋणात्मक होता है
➖कीमत वृद्धि के फलस्वरूप
कीमत प्रभाव =प्रतिस्थापन +प्रभाव आय
प्रभाव तीनों ऋण आत्मक होते हैं
हीन वस्तुओं में कीमत प्रभाव =प्रतिस्थापन प्रभाव - आय प्रभाव
कीमत वृद्धि पर उपभोक्ता वस्तु को पहले से कम खरीदता है
➖गिफिन वस्तु में
प्रतिस्थापन प्रभाव- आय प्रभाव
इसमे मांग का नियम लागू नहीं होता है
: चित्र.
➖Pcc वक्र का ढाल ऋणात्मक हो तो मांग की लोच ed > । ( ईकाई से अधिक)
➖Pcc वक्र का ढाल क्षेतिज हो तो मांग की लोच ed = ।
➖Pcc वक्र का ढाल धनात्मक हो तो मांग की लोच ed < ।
विलासिता व श्रेष्ठ वस्तु में एंजिल वक्र लोच =इकाई से अधिक ढाल होता है तथा नतोदर वक्र होता है
☢मुख्य बाते
➖कीमत प्रभाव मार्शल ने दिया
➖प्रतिस्थापन प्रभाव हिक्स व स्लटस्की ने दिया
➖माग वक्र मार्शल ने दिया
➖क्षतिपूरक मांग वक्र स्लटस्की ने दिया
☢स्लटस्की का प्रतिस्थापन प्रभाव
उपभोक्ता की आभासी वास्तविक आय को स्थिर मानकर व्याख्या की जाती है
कीमत बदलाव के फलस्वरूप क्रय शक्ति में परिवर्तन से ऊंचे वक्रो पर संतुष्टि प्राप्त होती है
आय को इतना कम करो कि पहले जितना सहयोग मिलता रहे
कीमत प्रभाव =प्रतिस्थापन प्रभाव +आय प्रभाव
ऊँचे वक्रो पर सन्तुष्टि ज्यादा मिलती है
इसमे वास्तविक आय में कम कटौती होती है
उपभोक्ता की वास्तविक आय से ज्यादा क्षतिपूर्ति होती है
Q=Y/2P साधारण मांग फलन आय से सीधा सम्बन्ध पाया जाता है (स्वम् की कीमत से विपरीत सम्बन्ध मांग फलन की समरूपता डिग्री शून्य है
➖एंजिल वक्र
विभिन्न आय स्तरों पर उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तु का प्रदर्शन
विभिन्न वस्तुओं में एंजिल वक्र ऋणात्मक होता है
गुरुकुल ....एक कदम सफलता की और
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