केंद्रीय प्रवृत्ति के माप
:समान्तर माध्य,माध्यिका, बहुलक
🔰Measures of central tendency: Arithmetic Mean, Median and Mode
आंकड़ों का संशिप्त रूप में व्याख्या करने की संख्यात्मक विधि है
🔀केंद्रीय प्रवृत्ति
चर मूल्यों के एक समूह व्यक्तिगत (खंडित अथवा अखंडित श्रेणी) में किसी चर मूल्य के आसपास अन्य मूल्यों को केंद्रित होने की प्रवृत्ति को केंद्रीय प्रवृत्ति कहा जाता है
🔀केंद्रीय प्रवृत्ति के माप
उस बिंदु को जिस के आस पास अन्य बिंदुवों का जमाव होने की प्रवृत्ति पाई जाती है
“केन्द्रिय प्रवृत्ति उस माप को कहते हैं, जो दिये गये आकड़ों (Data) का प्रतिनिधित्व करता है।”
दूसरे शब्दों में-
“केन्द्रिय प्रवृत्ति के मापों से तात्पर्य औसत मान (Average Value) से होता है।”
सांख्यिकी में औसत का अर्थ ही केन्द्रिय प्रवृति की माप से लगाया जाता है।
रास के अनुसार-
“केन्द्रिय प्रवृत्ति का मान वह मान है, जो समस्त आकड़ों का श्रेष्ठतम प्रतिनिधित्व करता है"
केंद्रीय बिंदु या केंद्रीय प्रवृत्ति के माप या सांख्यिकीय माध्य कहा जाता है केंद्रीय प्रवृत्ति की प्रमुख माप निम्नलिखित है
1. समांतर माध्य
2.मध्यका या माध्यिका
3.बहुलक या भुयिष्टक
१.गणितीय माध्य --
समान्तर माध्य ,गुणोत्तर माध्य ,हरात्मक माध्य
२.स्थितिक माध्य -- मध्यका व बहुलक (स्थती देखने से ज्ञात हो जाता है)
⚜समान्तर माध्य (Mean)
➖समान्तर माध्य वह मूल्य है जो किसी श्रेणी के समस्त मूल्यों के योग में उसकी संख्याओ का भाग देने से प्राप्त होता हैं
➖परिभाषा– गणितीय मध्यमान भिन्न भिन्न आकड़ों के योग को उनकी संख्या में विभाजित करनें पर प्राप्त मूल्य है।
➖सिम्पसन एवं काफ्का के शब्दों में–
मध्यमान एक लब्धि है, जो कि समूह में पदों के योग को पदों की संख्या से विभाजित करनें पर प्राप्त होता है।
उदाहरण–
संख्याओं 20, 10, 5, 15 10 का मध्यमान Mean ज्ञात कीजिए।
हल- संख्याओं का योग / संख्याओं की संख्या
60/ 4= 15 Answer.
➖मध्यमान के गुण–
1.किसी भी एक मान के ज्ञात न होनें पर मध्यमान की गणना संभव नहीं, इस प्रकार मध्यमान सभी आकड़ों का उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
2.इसका द्वारा समस्त शोधकर्ता समान मूल्य प्राप्त करते हैं, क्योकि इसमें निश्चित नियमों ( सूत्रों) का प्रयोग किया जाता है, इसलिए यह एक विश्वसनीय विधि है
3.मध्यमान के समस्त अंको के विचलन का योग शून्य होता है, इस प्रकार यह एक संतुलन विन्दु होता है।
4.मध्यामान सबसे अधिक बार केन्द्रिय प्रवृत्ति की मापों में प्रयुक्त होता है क्योकि यह एक सरल व गणना करनें में आसान विधि से प्राप्त हो जाता है।
5.बीजगणितीय नियमों से प्रयोग से अज्ञात आकड़ों को भी इस विधि से प्राप्त किया जा सकता है।
6.मध्यमान से लिए गये विचलनों के वर्ग का योग किसी अन्य मूल्य से लिए गये विचलन के वर्गों के योग से कम होता है
➖मध्यमान के दोष Demerits of Mean-
1.यदि अंक श्रृंखला में एक मूल्य ज्ञात न हो तो मध्यमान की गणना नहीं की जा सकती है।
2.मध्यमान की गणना सभी मूल्यों की सहायता से की जा सकती है, अत कभी कभी असामान्य या सीमान्त पद इसके मूल्यों को प्रभावित करते हैं।
3.इसी कारण यह मापन अंकों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाता है।
4.कभी कभी यह अवास्तविक मूल्य भी प्रदर्शित करता है।
🔀समान्तर माध्य के उपनाम
X / माध्य /औसत /समान्तर माध्य/Mean
➖समान्तर माध्य X ,गणितीय माध्य है एक आदर्श माध्य है
🔀समान्तर माध्य मापने की विधि
1.प्रत्यक्ष रीति
2.लघु रीति
3.पद विचलन रीति
4.आंकलन/योग रीति
चित्र .1
➖वास्तविक माध्य से लिया गया विचलन शून्य (0) होता है
➖वास्तविक माध्य से लिया गया विचलनों के वर्गों का योग हमेशा न्यूतम होता है
➖सम्पूर्ण वितरण की अभिव्यक्ति का एकमात्र सार्थक प्रतिनिधि मूल्य माध्य कहलाता है
➖समान्तर माध्य _X =श्रेणी के सभी पदों का योग/श्रेणी के सभी पदों की संख्या, या €X/N
🔰विभिन्न माध्यो के बीच पारस्परिक सम्बन्ध
सूत्र Z =3M - 2X
X = मध्यका M = बहुलक
चित्र 2
धनात्मक असममित X > M > Z
ऋणात्मक असममित Z > M > X
सर्वाधिक लोकप्रिय माध्य समान्तर माध्य है
वास्तविक माध्य = कल्पीत माध्य + संसोधन कारक
सूत्र चित्र
➖समान्तर माध्य की जांच चार्लियन विधि द्वारा किया जाता है
➖समान्तर माध्य में व्यक्तिगत अवलोकन विचलनों का योग शून्य होता है
➖पदमूल्य असमान X > GM > HM
➖गणितीय माध्य X,GM ,HM,QM
➖सामाजिक व आर्थिक समस्या का विवेचना में समान्तर माध्य उपयोगी है
➖सूत्र चित्र X -Z = 3 (X-M)
🔰2. मध्यांक Median-
गैरेट के अनुसार–
जब अव्यवस्थित अंक या अन्य माप आकार या मूल्यों के अनुसार क्रमबद्ध हो तो उनके मध्य का अंक मध्यांक कहलाता है।
गिलफोर्ड के अनुसार–
मध्यांक मान किसी मापनीं पर उस बिंदु के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके ऊपर ठीक आधी इकाईयां व जिसके नीचे ठीक आधी इकाईयां स्थित होती है।
दूसरे शब्दों में
मध्यांक ज्ञात करनें के लिए सबसे पहले हमें दिये गये आकड़ों को एक व्यवस्थित क्रम में रखनें के पश्चात मध्य का अंक मध्यांक के रूप में चुन लिया जाता है।
उदाहरण के लिए–
14, 24, 30 31, 36, 44, 60 मे मध्यांक 31 है।
➖मध्यांक के गुण ( Merits of Median)-
1.गणना करनें में सरल व समय की बचत होती है।मूल्य सदैव निश्चित रहता है
2.सीमान्त मूल्यों के ज्ञात न होने पर भी मध्यांक की गणना संभव है।
➖मध्यांक के दोष ( Demerits of Median)-
1.कभी कभी जब मूल्यों के मान मे पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है तो इसके द्वारा प्राप्त मान समस्त आकड़ों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
2.बीजगणितीय विवेचन संभव नहीं है
3.किसी सूत्र के प्रयोग न होनें से प्राप्त मान विश्वसनीयता खो देतै है।
यह स्थेतिकी माध्य है यह तोरण द्वार से भी ज्ञात किया जाता है
गॉल्टन विधि का सम्बंध मध्यका से है इसका प्रयोग बुद्धिमता की जांच हेतु किया जाता है
1.व्यक्तिगत श्रेणी
2.खण्डित श्रेणी
3.सतत श्रेणी
तीनों के सूत्र
चित्र 3
➖N आवर्ती का जोड़ है
➖N + 1 को लिखने हेतु आरोही या अवरोही क्रम में जमाते है
➖मध्यका = Q2 द्वितीय चतुर्थक है
➖सर्वोत्तम मध्यका वह जो प्रत्यक्ष रूप से मापनिय ना हो
➖छात्रों के बौद्धिक स्तर की जांच करना
➖खुले सिरे वर्गान्तर में सर्वोत्तम केंद्रीय माप है
➖गुणात्मक प्रवर्ती समको का सारांश जानने में प्राप्तक के आधार पर बौद्धिक स्तर की जांच
➖ईमानदारी ,सुंदरता,बोधिक स्तर का मापन करना
➖इसपर सीमान्त मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता
Note एक क्रमबद्ध माला को दो बराबर श्रेणियां में बाटने वाला मूल्य मध्यका है
माध्यिका की गणना का सूत्र
चित्र 4
🔰बहुलांक मान Mode-
किसी भी आवृत्ति वितरण में बहुलांक मान वह मान है जिसकी आवृत्ति सर्वाधिक होती है।
गिलफोर्ड के अनुसार–
किसी वितरण में वह बिन्दु जिसकी आवृत्ति सर्वार्धिक हो, बहुलांक कहलाता है।
उदाहरण के लिए-
आवृत्ति वितरण 1, 2, 2, 4,9, 6, 16, 18, 2, 13, 2, 2, 45, 2 में बहुलांक ज्ञात कीजिए।
इस आवृत्ति वितरण में 2 की आवृत्ति सर्वार्धिक बार है अतह 2 बहुलांक Mode है।
➖बहुलांक के गुण Merits of Mode-
1.गणना करना सबसे सरल है।
2.सीमान्त पदों के बिना भी गणनीय है
3.इसकी गणना में केवल अधिकतम केन्द्रीयकरण का बिन्दु ज्ञात होना ही पर्याप्त है।
➖बहुलांक के दोष Demerits of Mode-
1.प्राप्त परिणाम संदेहास्पद होता है।
2.अनिश्चित व सबसे अपरिभाषित विधि है।
3.इसकी गणना समस्त मूल्यों पर निर्भर नहीं होती है, इसकी गणना करनें के लिए केवल सर्वार्धिक आवृत्ति वाले मूल्य का ही मान ज्ञात होना पर्याप्त है।
बहुलक श्रेणी का वह मूल्य है जो श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है अर्थात जिसकी आवर्ती सर्वाधिक बार होती है
1.व्यक्तिगत श्रेणी में निरीक्षण द्वारा ,श्रेणी को विभिन्न श्रेणी में बदलकर
2.खण्डित श्रेणी में निरीक्षण द्वारा आवर्तियो के सामूहिकरण द्वारा ,घनत्व द्वारा किया जाता है
3.वर्गीकृतश्रेणी में वर्गों अपवर्जी होना आवश्यक है तथा तीनो वर्गीकरण में समान हो
चित्र
Mode सब्द का प्रयोग फ्रेंच भाषा के LA mode से लिया गया है सकेन्द्रनन बिंदु ही mode है
यह केंद्रीय प्रवर्ती का सबसे अधिक अस्थिर माध्य है
यह स्थिक माध्य है
मौसम सम्बंधित जानकारी बहुलक द्वारा प्राप्त होती है
कार्ल पियर्सन की विषमता =SK =X -Z और 3(X-M)
मूल्यों का अधिकतम संकेन्द्रण का बिंदु बहुलक है
समूहन रीति बहुलक से सम्बंधित है
अन्य
गुणोत्तर माध्य -किसी श्रेणी में n मूल्यों के सभी n पदों के गुणनफल का n वा मूल्य होता है
सूत्र
चित्र
बहुलक में घनत्व परीक्षण का प्रयोग करते है
बहुलक में गणना में वर्गान्तर समान होना चाइए
गुरुकुल एक कदम सफलता की और
भहुत सुंदर ई I love this gurukul
ReplyDeleteज्ञरक्ष़
ReplyDeleteGood notes
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteParinatmak taknik ka chhetra mahatva .bata Sakta h koi jaruri h
ReplyDeleteNice concept h sir
ReplyDeleteNice concept h sir
ReplyDeleteNice concept h sir
ReplyDeleteBahut hi aache se bataye h sir
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteकैन्र्दीय प्रवत्ती के उद्देशय
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