प्रस्तावना
🔰 संविधान की प्रस्तावना
:★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा
➖संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है।
➖भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
➖प्रस्तावना में भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है।
➖ प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण यह 'हम भारत के लोग' - इस वाक्य से प्रारम्भ होती है
➖केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया था कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता, परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है।
➖प्रख्यात न्यायविद् व संविधान विशेषज्ञ एन.एन पालकीवाला ने प्रस्तावना को “संविधान का परिचय-पत्र” कहा है। प्रस्तावना में संविधान सभा की महान एवं आदर्श सोच दिखाई पड़ती है। इसमें संविधान-निर्माताओं की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब नज़र आता है।
🔰संविधान की प्रस्तावना:
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथाउन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिएदृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वाराइस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पास की गयी प्रस्तावना को आमुख भी कहते हैं।
➖ संविधान की प्रस्तावना को 'संविधान की कुंजी' कहा जाता है.
➖ प्रस्तावना के अनुसार संविधान के अधीन समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु अथवा स्त्रोत 'भारत के लोग' ही हैं.
➖ प्रस्तावना में लिखित शब्द यथा : "हम भारत के लोग .......... इस संविधान को" अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं." भारतीय लोगों की सर्वोच्च संप्रभुता का उद्घोष करते हैं.
➖ प्रस्तावना को न्यायालय में प्रवर्तित नहीं किया जा सकता यह निर्णय यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मदन गोपाल, 1957 के निर्णय में घोषित किया गया.
➖ बेरुबाड़ी यूनियन वाद (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि जहां संविधान की भाषा संदिग्ध हो, वहां प्रस्तावना विविध निर्वाचन में सहायता करती है.
➖ बेरुबाड़ी बाद में ही सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना. इसलिए विधायिका प्रस्तावना में संशोधन नहीं कर सकती. परन्तु सर्वोच्च न्यायालय के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्यवाद, 1973 में कहा कि प्रस्तावन संविधान का अंग है. इसलिए विधायिका (संसद) उसमें संशोधन कर सकती है.
➖ केशवानंद भारती ने ही बाद में सर्वोच्च न्यायालय में मूल ढ़ाचा का सिंद्धांत दिया तथा प्रस्तावना को संविधान का मूल ढ़ाचा माना.
➖ संसद संविधान के मूल ढ़ाचे में नकारात्मक संशोधन नहीं कर सकती है, स्पष्टत: संसद वैसा संशोधन कर सकती है, जिससे मूल ढ़ाचे का विस्तार व मजबूतीकरण होता है,
➖ 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा इसमें 'समाजवाद', 'पंथनिरपेक्ष' और 'राष्ट्र की अखंडता' शब्द जोड़े गए.
➖प्रस्तावना में शामिल कुछ शब्द संविधान के दार्शनिक पक्ष को समेटे हुए हैं, जैसे- संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र शब्द भारत की प्रकृति के बारे में एवं न्याय, स्वतंत्रता व समानता शब्द भारत के नागरिकों को प्राप्त अधिकारों के बारे में बतलाते हैं।
➖संप्रभुता- भारत एक संप्रभु देश है। यह अपने बाह्य और आतंरिक दोनों मामलों पर निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र है। यह किसी विदेशी सीमा का अधिग्रहण कर सकता है और अपनी सीमा के किसी भाग पर अपना दावा त्याग सकता है।
➖समाजवादी- भारत में लोकतांत्रिक समाजवाद है अर्थात् यहाँ उत्पादन और वितरण के साधनों पर निजी और सार्वजानिक दोनों क्षेत्रों का अधिकार है। भारतीय समाजवाद का चरित्र गांधीवादी समाजवाद की ओर अधिक झुका हुआ है, जिसका उद्देश्य अभाव, उपेक्षा और अवसरों की असमानता का अंत करना है।
➖धर्मनिरपेक्ष- भारत में सभी धर्म समान हैं और सभी को सरकार से समान समर्थन प्राप्त है।
➖लोकतांत्रिक- प्रस्तावना भारत में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र की मौज़ूदगी को दर्शाती है।
➖गणतंत्र- भारत का प्रमुख (राष्ट्रपति) चुनाव के बाद सत्ता में आता है, न कि उत्तराधिकारिता के माध्यम से।
➖संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिये राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं।
➖प्रस्तावना नागरिकों को आपसी भाईचारा व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है। बंधुत्व का उद्देश्य सांप्रदायिकता,क्षेत्रवाद,जातिवाद तथा भाषावाद जैसी बाधाओं को दूर करना है।
➖प्रस्तावना में प्रतिबंधकारी शक्तियाँ भले ही न हों, परंतु यह हमारे संविधान की आत्मा है। संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर के अनुसार-“संविधान की प्रस्तावना हमारे दीर्घकालिक सपनों का विचार है।” प्रस्तावना एक ऐसा उचित स्थान है, जहाँ से कोई भी संविधान का मूल्यांकन कर सकता है।
⭕उद्देशिका का महत्व
➖संविधान के मूल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दर्शन की अभिव्यक्ति है।
संविधान निर्माताओं के महान और आदर्श विचारोँ की कुंजी है।
➖सर अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर के अनुसार उद्देशिका हमारे स्वप्नों और विचारोँ का प्रतिनिधित्व करती है।
➖के. एम. मुंशी के अनुसार उद्देशिका हमारे प्रभुत्व संपन्न, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की जन्मकुंडली है।
➖सर अर्नेस्ट वार्कर ने उद्देशिका को अपने सामाजिक, राजनैतिक विचारोँ की कुंजी माना तथा अपनी पुस्तक प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल एंड पोलिटिकल थ्योरी मेँ आमुख के रूप मेँ शामिल किया।
➖एम. हिदायतुल्ला के अनुसार उद्देशिका हमारे संविधान की आत्मा है
♀【उद्देशिका /प्रस्तावना 】:-
-हम भारत के लोग
-भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न
-समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य ,बनाने के लिए तथा उसके
-समस्त नागरिकों को[{ सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक, न्याय}]
-विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
-प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा
-उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मे 【आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईस्वी मिति मार्गशीर्ष शुल्क सप्तमी संवत 2006 विक्रमी 】
को एदत्त द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं!
प्रश्न-संविधान में किसे संविधान की आत्मा कहा गया है ?
उत्तर- प्रस्तावना को
प्रश्न-प्रस्तावना में संशोधन कौन से संविधान संशोधन में हुआ था ? उत्तर:- 42वा संशोधन 1976 में
प्रश्न-42वें संशोधन में कौनसे शब्द जोड़े गए थे ?
उत्तर :-समाजवादी >धर्मनिरपेक्ष >अखंडता
प्रश्न-हमारी प्रस्तावना में कितने न्याय उनके बारे में बताया गया है?
उत्तर:- 3 प्रकार के न्याय के बारे में
•सामाजिक न्याय •आर्थिक न्याय •राजनीतिक न्याय
प्रश्न-संविधान की प्रस्तावना में किस तिथि का अंकन किया गया है ?
उत्तर:- 26 नवंबर 1949 ईस्वी मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी
प्रश्न -प्रस्तावना के अनुसार अंतिम सत्ता किसमें निहित है ?
उत्तर :-जनता में
प्रस्तावना में भारत को क्या कहा गया है ?
उत्तर- एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य कहा गया है
प्रश्न-किस तारीख को भारत की अधिराज्य की स्थिति समाप्त हो गई थी ?
उत्तर:-26 जनवरी 1950 को
प्रश्न -प्रस्तावना में गणराज्य शब्द कहां से लिया गया है ?
उत्तर:- अमेरिका से
प्रश्न -प्रस्तावना में किस शब्द का उल्लेख नहीं है ?
उत्तर:- संघीय सब्द का
प्रश्न:-प्रस्तावना में कौन सा वाद न्यायालय में दायर हुआ जिसमें यह माना गया की प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है ?
उत्तर :-इन री बेरुबारी 1960 में न्यायाधीश -सुब्बाराव
【नोट:- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद में प्रस्तावना को संविधान का अंग माना गया था उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी 1973 ईस्वी में हुआ था 13 न्यायाधीश बैठाए गए 68 दिन तक सुनवाई चली 7:6अनुपात मत पड़े 703 पृष्ठों में व्याख्या कीजिए अनुच्छेद 368 में इसका प्रावधान माना गया】
प्रश्न- निम्नलिखित में से किसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को राजनीतिक जन्मकुंडली कहा था ?
उत्तर:-के एम मुंशी ने
प्रश्न-भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए ?
उत्तर:-42वें संशोधन 1976 द्वारा
प्रश्न- "हम भारत के लोग "शब्दों का प्रयोग भारतीय संविधान में कहां किया गया है ?
उत्तर:-संविधान की प्रस्तावना में
प्रश्न -भारतीय संविधान में किन भागों में आर्थिक न्याय को संविधान का लक्ष्य घोषित किया गया था ?
उत्तर:-प्रस्तावना और नीति निदेशक तत्व सिद्धांत
प्रश्न-भारत में राजनीतिक शक्ति का स्रोत है ?
उत्तर:-जनता
प्रश्न-भारत के संविधान की उद्देशिका का विचार लिया गया है ?
उत्तर:- USA के संविधान द्वारा
प्रश्न-संविधान में सब देश को किस नाम नामों से उल्लेखित है ?उत्तर:-भारत /इंडिया
प्रश्न-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कौन से देश के संविधान से प्रस्तावित है ?
उतर:-अमेरिका
प्रश्न-सर्वोच्च न्यायालय के किस मामले के तहत बताया गया की प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है लेकिन संसद द्वारा बदला नहीं जा सकता ?
उत्तर:-केशवानंद भारती वाद
प्रश्न-प्रस्तावना को संविधान की आत्मा किसने कहा था ?
उत्तर:-ठाकुरदास भार्गव
प्रश्न:-उद्देश्य प्रस्ताव को संविधान सभा की जन्मकुंडली कहा है?
उत्तर-के.एम. मुंसी
प्रश्न-1980 का मिनर्वा मिल्स केस सर्वोच्च न्यायालय के मूल ढांचे की प्रस्तावित व्याख्या की थी
प्रश्न- गोकुलनाथ बनाम पंजाब राज्य के मामले में सक्षम न्यायाधीश कौन था ?
उत्तर:- हिदायतुल्ला
:★गुरुकुल कोटपूतली महेश रहीसा
➖संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है।
➖भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
➖प्रस्तावना में भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है।
➖ प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण यह 'हम भारत के लोग' - इस वाक्य से प्रारम्भ होती है
➖केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया था कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता, परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है।
➖प्रख्यात न्यायविद् व संविधान विशेषज्ञ एन.एन पालकीवाला ने प्रस्तावना को “संविधान का परिचय-पत्र” कहा है। प्रस्तावना में संविधान सभा की महान एवं आदर्श सोच दिखाई पड़ती है। इसमें संविधान-निर्माताओं की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब नज़र आता है।
🔰संविधान की प्रस्तावना:
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथाउन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिएदृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वाराइस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पास की गयी प्रस्तावना को आमुख भी कहते हैं।
➖ संविधान की प्रस्तावना को 'संविधान की कुंजी' कहा जाता है.
➖ प्रस्तावना के अनुसार संविधान के अधीन समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु अथवा स्त्रोत 'भारत के लोग' ही हैं.
➖ प्रस्तावना में लिखित शब्द यथा : "हम भारत के लोग .......... इस संविधान को" अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं." भारतीय लोगों की सर्वोच्च संप्रभुता का उद्घोष करते हैं.
➖ प्रस्तावना को न्यायालय में प्रवर्तित नहीं किया जा सकता यह निर्णय यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मदन गोपाल, 1957 के निर्णय में घोषित किया गया.
➖ बेरुबाड़ी यूनियन वाद (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि जहां संविधान की भाषा संदिग्ध हो, वहां प्रस्तावना विविध निर्वाचन में सहायता करती है.
➖ बेरुबाड़ी बाद में ही सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना. इसलिए विधायिका प्रस्तावना में संशोधन नहीं कर सकती. परन्तु सर्वोच्च न्यायालय के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्यवाद, 1973 में कहा कि प्रस्तावन संविधान का अंग है. इसलिए विधायिका (संसद) उसमें संशोधन कर सकती है.
➖ केशवानंद भारती ने ही बाद में सर्वोच्च न्यायालय में मूल ढ़ाचा का सिंद्धांत दिया तथा प्रस्तावना को संविधान का मूल ढ़ाचा माना.
➖ संसद संविधान के मूल ढ़ाचे में नकारात्मक संशोधन नहीं कर सकती है, स्पष्टत: संसद वैसा संशोधन कर सकती है, जिससे मूल ढ़ाचे का विस्तार व मजबूतीकरण होता है,
➖ 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा इसमें 'समाजवाद', 'पंथनिरपेक्ष' और 'राष्ट्र की अखंडता' शब्द जोड़े गए.
➖प्रस्तावना में शामिल कुछ शब्द संविधान के दार्शनिक पक्ष को समेटे हुए हैं, जैसे- संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र शब्द भारत की प्रकृति के बारे में एवं न्याय, स्वतंत्रता व समानता शब्द भारत के नागरिकों को प्राप्त अधिकारों के बारे में बतलाते हैं।
➖संप्रभुता- भारत एक संप्रभु देश है। यह अपने बाह्य और आतंरिक दोनों मामलों पर निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र है। यह किसी विदेशी सीमा का अधिग्रहण कर सकता है और अपनी सीमा के किसी भाग पर अपना दावा त्याग सकता है।
➖समाजवादी- भारत में लोकतांत्रिक समाजवाद है अर्थात् यहाँ उत्पादन और वितरण के साधनों पर निजी और सार्वजानिक दोनों क्षेत्रों का अधिकार है। भारतीय समाजवाद का चरित्र गांधीवादी समाजवाद की ओर अधिक झुका हुआ है, जिसका उद्देश्य अभाव, उपेक्षा और अवसरों की असमानता का अंत करना है।
➖धर्मनिरपेक्ष- भारत में सभी धर्म समान हैं और सभी को सरकार से समान समर्थन प्राप्त है।
➖लोकतांत्रिक- प्रस्तावना भारत में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र की मौज़ूदगी को दर्शाती है।
➖गणतंत्र- भारत का प्रमुख (राष्ट्रपति) चुनाव के बाद सत्ता में आता है, न कि उत्तराधिकारिता के माध्यम से।
➖संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिये राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं।
➖प्रस्तावना नागरिकों को आपसी भाईचारा व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है। बंधुत्व का उद्देश्य सांप्रदायिकता,क्षेत्रवाद,जातिवाद तथा भाषावाद जैसी बाधाओं को दूर करना है।
➖प्रस्तावना में प्रतिबंधकारी शक्तियाँ भले ही न हों, परंतु यह हमारे संविधान की आत्मा है। संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर के अनुसार-“संविधान की प्रस्तावना हमारे दीर्घकालिक सपनों का विचार है।” प्रस्तावना एक ऐसा उचित स्थान है, जहाँ से कोई भी संविधान का मूल्यांकन कर सकता है।
⭕उद्देशिका का महत्व
➖संविधान के मूल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दर्शन की अभिव्यक्ति है।
संविधान निर्माताओं के महान और आदर्श विचारोँ की कुंजी है।
➖सर अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर के अनुसार उद्देशिका हमारे स्वप्नों और विचारोँ का प्रतिनिधित्व करती है।
➖के. एम. मुंशी के अनुसार उद्देशिका हमारे प्रभुत्व संपन्न, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की जन्मकुंडली है।
➖सर अर्नेस्ट वार्कर ने उद्देशिका को अपने सामाजिक, राजनैतिक विचारोँ की कुंजी माना तथा अपनी पुस्तक प्रिंसिपल्स ऑफ सोशल एंड पोलिटिकल थ्योरी मेँ आमुख के रूप मेँ शामिल किया।
➖एम. हिदायतुल्ला के अनुसार उद्देशिका हमारे संविधान की आत्मा है
♀【उद्देशिका /प्रस्तावना 】:-
-हम भारत के लोग
-भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न
-समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य ,बनाने के लिए तथा उसके
-समस्त नागरिकों को[{ सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक, न्याय}]
-विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
-प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा
-उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा मे 【आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईस्वी मिति मार्गशीर्ष शुल्क सप्तमी संवत 2006 विक्रमी 】
को एदत्त द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं!
प्रश्न-संविधान में किसे संविधान की आत्मा कहा गया है ?
उत्तर- प्रस्तावना को
प्रश्न-प्रस्तावना में संशोधन कौन से संविधान संशोधन में हुआ था ? उत्तर:- 42वा संशोधन 1976 में
प्रश्न-42वें संशोधन में कौनसे शब्द जोड़े गए थे ?
उत्तर :-समाजवादी >धर्मनिरपेक्ष >अखंडता
प्रश्न-हमारी प्रस्तावना में कितने न्याय उनके बारे में बताया गया है?
उत्तर:- 3 प्रकार के न्याय के बारे में
•सामाजिक न्याय •आर्थिक न्याय •राजनीतिक न्याय
प्रश्न-संविधान की प्रस्तावना में किस तिथि का अंकन किया गया है ?
उत्तर:- 26 नवंबर 1949 ईस्वी मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी
प्रश्न -प्रस्तावना के अनुसार अंतिम सत्ता किसमें निहित है ?
उत्तर :-जनता में
प्रस्तावना में भारत को क्या कहा गया है ?
उत्तर- एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य कहा गया है
प्रश्न-किस तारीख को भारत की अधिराज्य की स्थिति समाप्त हो गई थी ?
उत्तर:-26 जनवरी 1950 को
प्रश्न -प्रस्तावना में गणराज्य शब्द कहां से लिया गया है ?
उत्तर:- अमेरिका से
प्रश्न -प्रस्तावना में किस शब्द का उल्लेख नहीं है ?
उत्तर:- संघीय सब्द का
प्रश्न:-प्रस्तावना में कौन सा वाद न्यायालय में दायर हुआ जिसमें यह माना गया की प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है ?
उत्तर :-इन री बेरुबारी 1960 में न्यायाधीश -सुब्बाराव
【नोट:- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद में प्रस्तावना को संविधान का अंग माना गया था उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी 1973 ईस्वी में हुआ था 13 न्यायाधीश बैठाए गए 68 दिन तक सुनवाई चली 7:6अनुपात मत पड़े 703 पृष्ठों में व्याख्या कीजिए अनुच्छेद 368 में इसका प्रावधान माना गया】
प्रश्न- निम्नलिखित में से किसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को राजनीतिक जन्मकुंडली कहा था ?
उत्तर:-के एम मुंशी ने
प्रश्न-भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में दो शब्द समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष जोड़े गए ?
उत्तर:-42वें संशोधन 1976 द्वारा
प्रश्न- "हम भारत के लोग "शब्दों का प्रयोग भारतीय संविधान में कहां किया गया है ?
उत्तर:-संविधान की प्रस्तावना में
प्रश्न -भारतीय संविधान में किन भागों में आर्थिक न्याय को संविधान का लक्ष्य घोषित किया गया था ?
उत्तर:-प्रस्तावना और नीति निदेशक तत्व सिद्धांत
प्रश्न-भारत में राजनीतिक शक्ति का स्रोत है ?
उत्तर:-जनता
प्रश्न-भारत के संविधान की उद्देशिका का विचार लिया गया है ?
उत्तर:- USA के संविधान द्वारा
प्रश्न-संविधान में सब देश को किस नाम नामों से उल्लेखित है ?उत्तर:-भारत /इंडिया
प्रश्न-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कौन से देश के संविधान से प्रस्तावित है ?
उतर:-अमेरिका
प्रश्न-सर्वोच्च न्यायालय के किस मामले के तहत बताया गया की प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है लेकिन संसद द्वारा बदला नहीं जा सकता ?
उत्तर:-केशवानंद भारती वाद
प्रश्न-प्रस्तावना को संविधान की आत्मा किसने कहा था ?
उत्तर:-ठाकुरदास भार्गव
प्रश्न:-उद्देश्य प्रस्ताव को संविधान सभा की जन्मकुंडली कहा है?
उत्तर-के.एम. मुंसी
प्रश्न-1980 का मिनर्वा मिल्स केस सर्वोच्च न्यायालय के मूल ढांचे की प्रस्तावित व्याख्या की थी
प्रश्न- गोकुलनाथ बनाम पंजाब राज्य के मामले में सक्षम न्यायाधीश कौन था ?
उत्तर:- हिदायतुल्ला
Comments
Post a Comment