बौद्ध धर्म
🔰Budhism and Jainism – Teachings, Causes of rise and fall of Buddhism.
बौद्ध धर्म और जैन धर्म - शिक्षण, बौद्ध धर्म के उदय और पतन के कारण
➖ ईसा पूर्व छठी शताब्दी में उत्तर भारत की मध्य गंगा घाटी क्षेत्र में जहां एक ओर मगध के विशाल साम्राज्य की नींव पड़ रही थी वही दूसरी और वैदिक ब्राह्मणों कर्मकांड व दोषों के खिलाफ धार्मिक आंदोलन की सुरुवात हुई
➖इस समय अनेक संप्रदाय अस्तित्व में आए जिनमें केवल बौद्ध धर्म और जैन धर्म ही प्रसिद्ध हुए
➖ प्रमुख संप्रदाय एवं उनके संस्थापक चित्र
➖बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है।
➖ ईसा पूर्व 6 वी शताब्धी में गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है।
🔰महात्मा बुद्ध का परिचय
➖बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुंबिनी (आधुनिक रुम्मिनदेई) ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल में हुवा
➖बुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ था
➖ सिद्धार्थ का गोत्र गोतम था अतः उन्हें गौतम कहा गया
➖सिद्धार्थ (बुद्ध) के पिता शुद्धोदन शाक्यों के राजा थे। शाक्य अपने आपको इश्य्वकु वंस का मानते थे
➖सिद्धार्थ की माता महामाया(कोलिय वंस की राजकन्या) उनके जन्म के सातवें दिन बाद मर गयी थी उसका लालन पालन उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था
➖पत्नी यशोधरा/बिम्बा/गोपा/
➖पुत्र राहुल( जिसका शाब्दिक अर्थ बन्धन होता है)
➖ज्ञान की प्राप्ति निरंजना /पुनपुन नदी के किनारे
➖महापरिनिर्वाण निधन 483 ईसा पूर्व 80 वर्ष की आयु में हिरण्यवती नदी के तट पर कुशीनारा (कुशीनगर) भारत में हुआ था।
➖बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं:
हीनयान,
थेरवाद,
महायान,
वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है एवं सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है।
➖ ईसाई धर्म के बाद बौद्ध धर्म दुनिया का दुसरा सबसे बड़ा धर्म हैं, दुनिया के करीब 2 अरब (29%) लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं
➖दुनिया के 200 से अधिक देशों में बौद्ध अनुयायी हैं। किंतु चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है।
➖कहा जाता है कि उनका नाम रखने के लिये 8 ऋषियो को आमन्त्रित किया गया था, सभी ने दो सम्भावनायें बताई थी सिद्धार्थ या तो वे एक महान राजा बनेंगे या वे एक महान साधु या परिव्राजक बनेंगे इसमे कालदेवल एवं कोडियन ने भविष्यवाणी की थी
➖ बाल्यावस्था से ही सिद्धार्थ की आध्यात्मिक रूचि के कारण 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह शाक्य कुल या कोलिय गणराज्य की कन्या यशोधरा से कर दिया
➖इसका बोध ग्रंथ में बिम्बा,गोपा, भड़कचना नाम मिलता है
➖28 वर्ष में सिद्धार्थ को यशोधरा से राहुल पुत्र प्राप्त हुवा लेकिन सांसारिक दुखो से द्रवित होकर उन्होंने गृहत्याग कर दिया गया
➖❗सिद्धार्थ ने अपने घोड़े कन्थक व सारथी छन्दक को लेकर गृहत्याग दिया
➖ गोतम बुद्ध मैं वैरागी उत्पन्न करने वाले चार दृश्य
1.जर्जर शरीर वाला व्रद्ध व्यक्ति
2. रोगी व्यक्ति
3.मरा हुवा व्यक्ति
4.प्रसन्न मुद्रा में संयासी
➖सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद् को तो पढ़ा हीं , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता
➖ गृह त्याग के पश्चात सिद्धार्थ ने अनोमा नदी के किनारे सिर मुंडवा कर भिक्षुओं के वस्त्र धारण किए
➖गृह त्याग के पश्चात उनके प्रथम गुरु वैशाली के समीप आलारकालाम का नाम नामक सन्यासी थे एवं सांख्य दर्शन के आचार्य थे इसी कारण गौतम बुद्ध के धर्म पर सांख्य दर्शन का प्रभाव है
➖आलारकालाम के बाद राजगृह के रूद्रक(उद्रक)रामपुत सिद्धार्थ के गुरु बने किन्तु सिद्धार्थ संतुष्ट नही हुए रूद्रक ने नैव संज्ञा नासज्ञातन नामक योग का उपदेश दिया
➖सिद्धार्थ ने कठोर साधना छोड़कर सुजाता के हाथ से भोजन ग्रहण किया
➖35 वर्ष की आयु में एक वट व्रक्ष के निचे 49 वे दिन वैसाख पूर्णिमा की रात को सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुवा इस घटना को सम्बोधि कहा जाता है
➖प्रथम उपदेश पांच (आंज, कोडियन, असजीवप्प,महानाम,भददीय)थे प्रथम उपदेश को धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया
➖बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद अवशेषो को आठ भागो में विभाजित किया गया था
मगध नरेश अजातशत्रु
वैशाली के लिच्छवी
कपिलवस्तु के शाक्य
अल्लकप्प के बुली
रामग्राम के कोलिय
वेठदीप के ब्राह्मण
पावा व कुशीनगर के मल्ल
पिपल्लीवन के मौर्य थे
➖धर्म-चक्र-प्रवर्तन
वे 80 वर्ष की उम्र तक अपने धर्म का संस्कृत के बजाय उस समय की सीधी सरल लोकभाषा पाली में प्रचार करते रहे। उनके सीधे सरल धर्म की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने लगी।
➖चार सप्ताह तक बोधिवृक्ष के नीचे रहकर धर्म के स्वरूप का चिंतन करने के बाद बुद्ध धर्म का उपदेश करने निकल पड़े।
🌊आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया और पहले के पाँच मित्रों को अपना अनुयायी बनाया और फिर उन्हें धर्म प्रचार करने के लिये भेज दिया।
⭕उपदेश
➖भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश किया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की। बुद्ध के उपदेशों का सार इस प्रकार है -
➖महात्मा बुद्ध ने सनातन धरम के कुछ संकल्पनाओं का प्रचार किया, जैसे अग्निहोत्र तथा गायत्री मन्त्र
ध्यान तथा अन्तर्दृष्टि
मध्यमार्ग का अनुसरण
चार आर्य सत्य
अष्टांग मार्ग
➖आर्यसत्य की संकल्पना बौद्ध दर्शन के मूल सिद्धांत है। इसे संस्कृत में 'चत्वारि आर्यसत्यानि' और पालि में 'चत्तरि अरियसच्चानि' कहते
आर्यसत्य चार हैं-
(1) दुःख : संसार में दुःख है,
(2) समुदय : दुःख के कारण हैं,
(3) निरोध : दुःख के निवारण हैं,
(4) मार्ग : निवारण के लिये अष्टांगिक मार्ग हैं।
➖प्राणी जन्म भर विभिन्न दु:खों की शृंखला में पड़ा रहता है, यह दु:ख आर्यसत्य है।
➖संसार के विषयों के प्रति जो तृष्णा है वही समुदय आर्यसत्य है। जो प्राणी तृष्णा के साथ मरता है, वह उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है। इसलिए तृष्णा की समुदय आर्यसत्य कहते हैं।
➖ तृष्णा का अशेष प्रहाण कर देना निरोध आर्यसत्य है। तृष्णा के न रहने से न तो संसार की वस्तुओं के कारण कोई दु:ख होता है और न मरणोंपरांत उसका पुनर्जन्म होता है। बुझ गए प्रदीप की तरह उसका निर्वाण हो जाता है। और, इस निरोध की प्राप्ति का मार्ग आर्यसत्य - आष्टांगिक मार्ग है।
इसके आठ अंग हैं-
सम्यक् दृष्टि,
सम्यक् संकल्प,
सम्यक् वचन,
सम्यक् कर्म,
सम्यक् आजीविका,
सम्यक् व्यायाम,
सम्यक् स्मृति और
सम्यक् समाधि।
इस आर्यमार्ग को सिद्ध कर वह मुक्त हो जाता है।
⭕पंचशील
भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायीओं को पांच शीलो का पालन करने की शिक्षा दि हैं।
1. अहिंसा
पालि में – पाणातिपाता वेरमनी सीक्खापदम् सम्मादीयामी !
अर्थ – मैं प्राणि-हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
2. अस्तेय
पाली में – आदिन्नादाना वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
अर्थ – मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
3. अपरिग्रह
पाली में – कामेसूमीच्छाचारा वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
अर्थ – मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
4. सत्य
पाली नें – मुसावादा वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
अर्थ – मैं झूठ बोलने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
5. सभी नशा से विरत
पाली में – सुरामेरय मज्जपमादठटाना वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी।
अर्थ – मैं पक्की शराब (सुरा) कच्ची शराब (मेरय), नशीली चीजों (मज्जपमादठटाना) के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
⭕प्रसिद्ध स्थान
1. लुम्बिनी – जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ।
2. बोधगया – जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त हुआ।
3.सारनाथ – जहां से बुद्ध ने दिव्यज्ञान देना प्रारंभ किया।
4. कुशीनगर – जहां बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ।
5.दीक्षाभूमि, नागपुर – जहां भारत में बौद्ध धर्म का पुनरूत्थान हुआ।
➖ बुद्ध ने अपने ज्ञान का उपदेश तपस्सु और मल्लिक दो बंजारों दिया
गुरुकुल एक कदम सफलता की और
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