व्यापार के सिद्धात
13.Theories of trade – comparative cost and opportunity cost, Terms of Trade
🔰व्यापार के सिद्धात .तुलनात्मक लागत और अवसर लागत व्यापार की शर्तें
🔰तुलनात्मक लागत सिद्धात
(comparative cost )
तुलनात्मक लागत का सिद्धात का प्रतिपादन डेविड रिकार्डो ने किया
रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धात श्रम के मूल्य सिद्धात पर आधरित है
रिकार्डो के अनुसार लागतो में निरपेक्ष अंतर नही बल्कि तुलनात्मक अंतर दो देशों के बीच सम्बन्ध निर्धारित करता है
रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धात दो देशों व दो वस्तुओं का सरल मॉडल है
➖रिकार्डो के विचार में दो देशों के बीच का आयात निर्यात तुलनात्मक लागत के आधार पर होता है रिकार्डो की दृष्टि में अंतरराष्ट्रीय व्यापार इसलिए होता है क्योंकि विभिन्न देशों को विभिन्न देशों को भिन्न-भिन्न वस्तु उत्पादन में भिन्न भिन्न लाभ होता है
➖ जब दो देश वस्तुओं का उत्पादन सापेक्षिक रूप से भिन्न भिन्न श्रम लागत के आधार पर करते हैं तो यह प्रत्येक देश में लिए लाभदायक होगा कि वह उन वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्ट करण प्राप्त करें जिनकी लागत सापेक्षिक रूप से न्यूनतम है
रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत इस मान्यता पर आधारित है की उत्पत्ति के साधनों में पूर्ण गतिशीलता है अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कोई व्यवधान नहीं है अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार तथा वस्तु विनिमय प्रणाली विद्यमान है और परिवहन लागतो का भी अभाव है
व्यापार की अनिवार्य शर्ते =M1 /ME <M3 /M4<1
➖Tha प्रिसिंपल आफ पोलटिकल इकोनॉमी एंड टेक्स्टन पुस्तक रिकार्डो ने 1817 में दिया इसे तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत भी कहते है
🔰मान्यताएं.
1. दो देश दो वस्तुएं एक उत्पादन मॉडल की मान्यता पर आधारित है 2×2×1
2. श्रम ही उत्पादन का एकमात्र साधन है अन्य साधनों को श्रम इकाई में परिवर्तित किया जा सकता है
3. सभी श्रम सम्मान है अपरिवर्तित है
4. उत्पादन के साधन देश की सीमा में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है जबकि दो देशों के मध्य अगतिशीलता पाई जाती है
5. स्थिर लागतो के नियमों के अधीन वस्तुओं का उत्पादन होता है
6.वस्तु विनिमय प्रणाली का आधार व्यापार होता है
7.तकनीकी की गीता ज्ञान अपरिवर्तित रहता है
8.स्वतंत्र व्यापार होता है व्यापार पर प्रतिबंध नहीं होता परिवहन लागत नहीं आती दोनों देशों में उत्पादन के सभी साधन पूर्ण रोजगार में लगे होते हैं
🔖अन्य बाते
1डेविड रिकार्डो द्वारा प्रतिपादित मूल्य का श्रम सिद्धांत से आशय है कि वस्तु के मूल्य का निर्धारण उस वस्तु में निहित श्रम की मात्रा द्वारा किया जाता है अर्थात श्रम कितना लगा हुआ है
2.एक देश में जब जिस वस्तु के उत्पादन में न्यूनतम अहित हो वह वस्तु का तुलनात्मक लाभ का क्षेत्र है
3.दो देशों के मध्य वास्तविक विनिमय अनुपात का निर्धारण का श्रेय जे एस मिल को जाता है
4. तुलनात्मक लागत सिद्धांत की आनुभविक व सांख्यकी जांच मेकडुगल 1991 की थी
5.तुलनात्मक लागत सिद्धांत की मौद्रिक व्याख्या टासींग ने की थी
देश ➖चावल ➖श्रम (श्रम के घण्टे)
भारत➖8 घंटे ➖9 घण्टे
बांग्लादेश ➖12घण्टे➖10
स्थिति
M1 /M2 <M3 /M4<1
भारत 1 यूनिट चावल उत्पादन में 8 घंटे में करता है तो 8 श्रमिक कपास का उत्पादन 8/9 =0.89
परिवर्तित रूप में रखने पर 9 श्रमिक एक यूनिट उत्पादन करते हैं 9 श्रमिक चावल में लगाई जाए तो 9/8=1.12उत्पादन होगा
बांग्लादेश एक यूनिट चावल उत्पादन में 12 श्रमिक लगे हैं कपास में लगा दिए जाएं तो 12/10 =1.20
परिवर्तित रूप में
10 श्रमिक 1 यूनिट कपास उत्पादन में लगाए
चावल में लगा दिए जाएं तो 10 /12 =.83
अतःभारत चावल में लाभ व बांग्लादेश को चावल में हानि होती है
व्यापार 1:1 होना चाहिए
भारत 1➖.89 =.11का फायदा
बांग्लादेश1➖.83=.17 का फायदा
चित्र ..
🔰अवसर लागत का सिद्धांत 1936
इसके प्रतिपादक हैबलर थे इन्होंने दो वस्तुओं के बीच विनिमय अनुपात प्रतिस्थपन अथवा उत्पादन सम्भवना वक्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है
➖वास्तविक लागत की विचारधारा पर आधारित रिकार्डो की तुलनात्मक लागत सिद्धांत को अपर्याप्त एवं अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित बताते हुए है हैबलर ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अवसर लागत सिद्धांत का प्रतिपादन किया
➖ हैबलर के अनुसार उत्पादन संभावना वक्र की आकृति उत्पादन के नियमों अर्थात लागत की दशाओ से प्रभावित होती है
1.स्थिर लागत दशा(स्थीर उतपत्ति के नियम)
2.बढ़ती अवसर लागत(घटते उतपत्ति के नियम)
3.घटती अवसर लागत(बढ़ते उतपत्ति के नियम)
➖अवसर लागत से आशय है एक वस्तु की दूसरी वस्तु से प्रतिस्थापन करने की लागत से है अवसर लागत को त्याग ते हुए विकल्प के रूप में व्यक्त किया है
➖दो वस्तुओं के बीच का अनुपात प्रतिस्थापन वक्र/ उत्पादन संभावना वक्र द्वारा व्यक्त किया जाता है
➖उत्पादन संभावना वक्र लागत दसाहो से प्रभावित हैं
➖हेबलर ने रिकार्डो के सिद्धांत में सुधार किए हैं
1.रिकॉर्ड उत्पादन को एक मात्र साधन मानता था जबकि हैबलर पूंजी व श्रम को सम्मिलित करता है
2.रिकार्डो एक देश ,एक वस्तु में पूर्ण विशिष्ट करण दूसरा देश दूसरी वस्तु में पूर्ण विशिष्ट करण को मानता है जबकि हैबलर ने पूर्ण विशिष्टीकरण और अपूर्ण विशिष्ट कर्ण दोनों को अपने सिद्धांत में शामिल करता है
3.रिकार्डो ने पैमाने के स्थिर प्रतिफल को मानता है जबकि हैबलर तीनों पैमानों को मानता है
➖ यह सिद्धांत अवसर लागत को शामिल करता है
➖यह एक व्यवहारिक सिद्धांत है क्योंकि तीनों लागतो को शामिल किया जाता है जो व्यवहार में पाई जाती हैं
🔰 अवसर लागत सिद्धांत की मान्यताएं
1. व्यापार दो देशों के मध्य होता है दो वस्तुएं, दो साधन श्रम व पूजी होती हैं
2. साधन बाजार व वस्तु बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है
3.प्रत्येक वस्तु की कीमत उसकी सीमांत मुद्रा लागतो के बराबर होती है
4. प्रत्येक साधन की पूर्ति होती है
5.प्रत्येक साधन की कीमत उसकी सीमांत उत्पादकता के बराबर होती है
6. प्रत्येक देश में पूर्ण रोजगार की स्थिति पाई जाती है
7. प्रोधोगिकी अपरिवर्तनशील है
8.दोनों देशों के साधनों में अगतिशीलता पाई जाती है
9.दोनों देशों के मध्य स्वतंत्र व्यापार होता है
10.दोनों देशों का आकार समान जैसे विकासशील देश है तो विकासशील होता है
11.उत्पादन के दो साधन संसाधनों को सम्मिलित करता है श्रम व पूजी
⭕स्थीर लागत
उत्पादन सम्भावना वक्र बाए से दाएं गिरते हुए एक सीधी रेखा होती है अर्थात एक वस्तु की दूसरी वस्तु से विनिमय करने की सीमान्त अवसर लागत स्थिर होगी
➖दोनों देशों के उत्पादन संभावना वक्र का ढाल अलग अलग होना चाहिए अगर समान होगा तो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नहीं होगा
➖उत्पादन संभावना वक्र एक सीध में होता है इसमें वस्तुओं की सीमांत प्रतिस्थापन की दर समान होती है
➖एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने पर दूसरी इकाई का त्याग करना पड़ता है इसलिए प्रतिस्थापन दर स्थिर होती है
➖ सापेक्ष लागते स्थिर होती है मांग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है
➖वस्तुओं का पूर्ण विशिष्टकरण होता है पी पी पी वक्र घरेलू कीमतें रेखा है
➖A वस्तु ईकाई बढ़ाने पर B की इकाई छोड़नी पड़ती है
चित्र
⭕बढ़ती अवसर लागत
बढ़ती अवसर लागत की दशा में उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु के प्रति नतोदर होता है
बढ़ती अवसर लागत की दशा में उत्पादन संभावना वक्र के नतोदर होने के कारण व्यापार में संलग्न देशों व्यापार को बाद में पूर्ण विशिष्टीकरण ना करके आंशिक विशिष्टकरन करते हैं
चित्र
⭕घटती अवसर लागत
घटती अवसर लागत की दशा में उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु के प्रति उन्नतोदर हो जाता है क्योंकि इस दशा में एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु की सीमांत अवसर लागत गिरती है
हैबलर के अनुसार घटती अवसर लागत की दशा में व्यापार से जुड़े देश उत्पादन में पूर्ण विशिष्ट करण अपनाते हैं
चित्र
🔅निरपेक्ष लाभ सिद्धात /एडम स्मिथ
🔅पारस्परिक मांग सिद्धात जे एस मील
🔅प्रस्ताव वक्र मार्शल
🔅सापेक्षित लागतो का हेक्सचर ओहलीन सिद्धात
🔝➖अंतरराष्ट्रीय व्यापार तुलनात्मक लागत सिद्धांत डेविड रिकार्डो ने दिया
2.रिकार्डो द्वारा प्रतिपादित "मूल्य श्रम सिद्धांत "का वस्तु का मूल्य निर्धारण उस वस्तु में निहित श्रम की मात्रा द्वारा किया जाता है
3.एक देश को जिस वस्तु को उत्पादन करने में न्यूनतम अहित हो रहा हो वह वस्तु क्षेत्र तुलनात्मक लाभ का क्षेत्र है
4. मूल्य के श्रम सिद्धांत मान्यता समरूप श्रम इकाई है
5. वेल्थ ऑफ नेशन पुस्तक के लेखक एडम स्मिथ थे जिसका प्रकाशन 1776 में किया गया इसमे वनिकवादियो का विरोध किया था जिसने स्वतंत्र व्यापार के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किया इसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लाभों को समझने के लिए निरपेक्ष लागतो का उल्लेख किया
🔰व्यापार की शर्तें
➖व्यापार शर्तें उस दर की ओर संकेत करती हैं जिस दर पर एक देश की वस्तु का दूसरे देश की वस्तुओं से विनिमय होता है यह दर ही देश के आयतों के रूप में उस देश के निर्यातो की क्रय शक्ति की माप है
और निर्यात कीमतों व आयात कीमतों के मध्य संबंध व्यक्त करता है
🔖 सूत्र व्यापार शर्तें =आयातो का कुल मूल्य /निर्यातो का कुल मूल्य
Pm/Px
➖साधारण शब्दों में जिस दर पर एक देश की वस्तुओं का दूसरे देश की वस्तुओं से विनिमय होता है उन्हें व्यापार शर्ते कहते हैं आयात के बदले हमें कितना निर्यात मिलता है वही व्यापार शर्ते हैं
➖ किसी देश के आयात के रूप में उस देश की निर्यात का माप है
➖अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जिस मूल्य पर वस्तुओं का आदान प्रदान होता है उसे अंतरराष्ट्रीय विनिमय अनुपात को व्यापार शर्ते कहते हैं
🔰व्यापार की शर्तों का वर्गीकरण
A. वस्तुओं के विनिमय अनुपात से सम्बंधित व्यापार शर्ते
👉टासिंग ने सुद्ध तथा सकल वस्तु विनिमय व्यापार शर्तो की धारणा प्रस्तुत की
1.सुद्ध वस्तु विनिमय व्यापार की शर्तें
N =Px/Pm
N सुद्ध विनिमय व्यापार की शर्तें
Px निर्यात मूल्य
Pm आयात मूल्य
यदि आयात मूल्य की तुलना में निर्यात मूल्य अधिक होता है तो व्यापार की शर्तें देश के अनुकूल तथा विपरीत स्थिति में प्रतिकूल होती है
अनुकूलतम व्यापार की शर्ते -Px >Pm
प्रतिकूल व्यापार की शर्ते -Px < Pm
2.सकल वस्तुओं व्यापार की शर्तें टाजिंग 1927
सूत्र में G =Qm /Qx
(आयात मात्रा/ निर्यात मात्रा )
यदि चालू वर्ष की सकल वस्तु विनिमय व्यापार की शर्त (G) में वृद्धि होती है तो अनुकूल तो व्यापार शर्त का घोतक है
दो समयावधि के मध्य होने वाले व्यापारिक परिवर्तनों की तुलना करने के लिए किया जाता
3.आय व्यापार शर्ते
आय व्यापार की शर्तों को आयात करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है
इस शब्द का प्रतिपादन जी.एस डोरेंस व एच् स्टेहल ने किया यदि किसी भी देश के भुगतान संतुलन साम्य में है तब
PC.Qx =Pm.Qm
Qm = Of.Qx /Pm
यहा
Px -निर्यात वस्तु का मूल्य
Qx-निर्यात वस्तु की मात्रा
Pm -आयात वस्तु का मूल्य
Qm-आयात वस्तु की मात्रा
उपरोक्त समीकरण में Qm देश की आयात क्षमता को प्रदर्शित करता है एक देश अधिक आयात करता है यदि (अन्य बातों के स्थिर रखने पर)
१. निर्यात की कीमतों(px) में वृद्धि हो जाएगी
२.आयात की कीमतों में कमी हो जाए
३.निर्यात की मात्रा में वर्द्धि हो जाए
B. साधनों के स्थानांतरण से संबंधित व्यापार की शर्तें
1.एक घटक के व्यापार शर्तें
इस
का प्रतिपादन वाइनर ने किया
S =Px /Pm .Zx
यहा
Zx -निर्यातों की उत्पादकता का सूचकांक
S- एक घटकीय व्यापार की शर्तें
Px/Pm - शुद्ध वस्तु विनिमय व्यापार शर्तें
2.दिघटकीय व्यापार की शर्तें
सूत्र D =N.Zx /Am
यहां Zm -आयात वस्तु का उत्पादकता सूचकांक है
यदि D में वृद्धि होती है तो यह एक बात का सूचक है कि निर्यात उत्पादन में प्रदेश के साधनों का एक इकाई के बदले आयात उत्पादन में प्रयुक्त विदेशी साधनों की अधिकता प्राप्त की जा सकती है
C. उपयोगिता से संबंधित व्यापार शर्तें
1. वास्तविक लागत व्यापार शर्ते
वाइनर ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के वास्तविक लाभों का निर्धारण करने के लिए वास्तविक व्यापार का प्रतिपादन किया
R =Px /Pm .Zx.Rx
अथवा R =N.Zx.Rx
R-वास्तविक लागत व्यापार की शर्तें
Rx- निर्यात के उत्पादन में प्रति का साधन की उपयोगिता का सूचकांक
R में होने वाली इस बात का सूचक है कि प्रति इकाई वास्तविक लागत से प्राप्त आयातो की मात्रा अधिक है
2.उपयोगिता व्यापार शर्तें
Tu =N.Zx.Rx.u
यहां Tu व्यापार की उपयोगिता शर्त का सूचकांक है
इस तरह यदि वास्तविक लागत व्यापार की उपयोगिता तथा की गई वस्तुओं के सूचकांक का गुणा कर दिया जाए तो व्यापार को ज्ञात किया जाता है
आनआं साम्य का सिद्धांत का उतर दीजिए
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