आर्थिक प्रणाली की विशेषता और कार्य

🔰3. Economic systems; Characteristics and functions
               (आर्थिक प्रणाली की विशेषता और कार्य)

▪आर्थिक प्रणाली संस्थाओं का ढांचा है जिसके द्वारा संस्थाओं का संचालन किया जाता है

▪आर्थिक प्रणाली की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योकि अर्थव्यवस्था में साधन सीमित है और इनके कई प्रयोग है यह आर्थिक समस्या है

🔺आर्थिक प्रणाली में अर्थव्यवस्था को तीन भागों में बांटा गया है
1.पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
2.समाजवादी अर्थव्यवस्था
3.मिश्रित अर्थव्यवस्था

🔰पूंजीवादी अर्थव्यवस्था

इस व्यवस्था को बाजार व्यवस्था भी कहते है जो कीमत सयंत्र द्वारा संचालित होता है

▪ यह वे अर्थव्यवस्था है जहां आर्थिक क्रियाओं पर बाजारी शक्तियों का नियंत्रण होता है

▪आर्थिक निर्णय लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से लिया जाता है

▪उपभोक्ता प्रभुत्व होता है उपभोक्ता अपनी पसंद के अनुसार वस्तुएं खरीदता है

▪अधिकतर संसाधनों पर जनता का नियंत्रण होता है

▪ वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है

▪ आर्थिक क्रियाएं निजी क्षेत्र में सक्रिय होती है

▪सरकार का उत्पादकों व परिवार के मध्य हस्तक्षेप नही होता है

🔰 समाजवादी अर्थव्यवस्था

▪इस अर्थव्यवस्था में सम्पूर्ण नियंत्रण सरकार द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकारी द्वारा किया जाता है (क्या उत्पादन किया जाए,कैसे उत्पादन किया जाए,किसके लिए उत्पादन किया जाए इनका निर्णय करता है)

▪ यह वे अर्थव्यवस्था होती हैं जहां आर्थिक क्रियाएं  (उत्पादन, उपभोग, निवेश तथा विनिमय )पर सरकार अथवा किसी केंद्रीय अधिकारी का संपूर्ण नियंत्रण होता है

▪आर्थिक निर्णय सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखकर किए जाते हैं

▪ उपभोक्ता की प्रभुता बाधित होती है (केंद्रीय अधिकारी यह निर्णय लेते हैं कि लोगों के लिए कौन सी वस्तु का उत्पादन करना है )

▪अधिकतर संसाधनों पर सरकार का नियंत्रण (स्वामित्व) होता है सरकार ही यह निर्णय लेती है कि बाजार में वस्तुओं को किस कीमत पर बेचा जाए

▪आर्थिक क्रियाएं सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय होती है

▪उत्पादन साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है इसमे सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखा जाता है

🔰 मिश्रित अर्थव्यवस्था

▪ये वे अर्थव्यवस्था है जहां आर्थिक क्रियाओं पर बाजारी शक्तियों का नियंत्रण होता है फिर भी वह सरकार द्वारा नियमित की जाती है

▪आर्थिक निर्णय सामाजिक कल्याण तथा अधिकतम लाभ दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं

▪उपभोक्ता प्रभुत्व होता है परंतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा सरकार आवश्यक वस्तुओं की उपभोक्ताओं के पास पूर्ति सुनिश्चित करती है

▪संसाधनों पर जनता तथा सरकार दोनों का नियंत्रण होता है कीमत बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है परंतु सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमत नियंत्रित नियमित करती है

▪आर्थिक क्रियाएं निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में सक्रिय होते हैं
🔰अर्थशास्त्र के भाग

1.व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economice)
2.समष्टि अर्थशास्त्र ( Macro Economice )

🔺सर्वप्रथम "1933 में रेगनर फ़्रीस" व्यष्टि व समष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग किया है को ग्रीक भाषा के Mikros व Makros से उतपत्ति हुई है

 अर्थशास्त्र की व्यष्टि व समष्टि अवधारणा का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है

🔺व्यष्टि - अर्थशास्त्र

▪व्यष्टि का अर्थ है 'छोटा'

 ▪व्यष्टि अर्थशास्त्र छोटी आर्थिक  इकाइयों के आर्थिक मुद्दों से संबंधित हैं

▪अर्थशास्त्र में छोटी आर्थिक इकाईयों का तातपर्य इन इकाइयों से है
(क) एक व्यक्तिगत उपभोक्ता
(ख) एक व्यक्तिगत उत्पादक
(ग) एक  व्यक्तिगत फर्म
(घ) एक व्यक्तिगत उधोग
(ड़) एक व्यक्तिगत बाजार

▪व्यष्टि अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धात भी कहते है इसमे व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है

🔸इसके सिद्धात
1.उपभोक्ता का व्यवहार सिद्धात / मांग का सिद्धात

▪उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत यह विश्लेषण करता है कि एक उपभोक्ता कैसे अपनी आय की विभिन्न प्रयोगों में आवंटित करता है ताकि अपनी संतुष्टि को अधिकतम कर सके

2. उत्पादक व्यवहार सिद्धांत या पूर्ति का सिद्धांत

▪उत्पादक व्यवहार सिद्धांत के विश्लेषण करता है कि एक उत्पादक यह निर्णय  कैसे लेता है कि उसे किस वस्तु का उत्पादन करना है कितना उत्पादन करना है

▪उत्पादक का ध्यान अपना लाभ अधिकतम करने पर केंद्रित होता है

3.कीमत सिद्धांत

▪कीमत सिद्धांत यह अध्ययन करता है कि बाजार में वस्तुओं की कीमते पूर्ति  मांग शक्तियों की अंतरक्रिया द्वारा किस प्रकार निर्धारित होती है

▪इन सभी में कीमत सिद्धांत व्यष्टि अर्थशास्त्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है वास्तव में अर्थशास्त्री अक्सर व्यष्टि कीमत सिद्धात से पहचाने जाते हैं

🔺समष्टि - अर्थशास्त्र

▪समष्टि का अर्थ है 'बड़ा'

▪अर्थशास्त्र में बड़े से अभिप्राय है  सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से है ,समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के आर्थिक मुद्दों से सम्बंधित है

▪इसमे समष्टि अर्थशास्त्र के आधरभूत मुद्दों को सामील किया जाता है
(क) अर्थव्यवस्था का संतुलन  - अर्थव्यवस्था में समग्र मांग व समग्र पूर्ति के बीच संतुलन कैसे स्थापित हो
(ख) अर्थव्यवस्था में असन्तुन केसे हो
(ग) संसाधनों का पूर्ण प्रयोग के साथ सोधन कसे हो

🔸इसके सिद्धात

1.अर्थव्यवस्था में संतुलन सम्बन्धी सिद्धात
2.अर्थव्यवस्था में असन्तुन  सम्बंधित सिद्धात
3.अर्थव्यवस्था में संतुलन शोधन सिद्धात

▪समष्टि अर्थव्यवस्था में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर के आर्थिक मुद्दों से सम्बंधित है

♦व्यष्टि व समष्टि में अंतर

⚠व्यष्टि एक व्यक्तिगत अध्ययन इकाई है
⚠समष्टि एक सम्पूर्ण अध्ययन अर्थव्यवस्था सम्बन्धी है

▪व्यष्टि की मान्यता पूर्ण प्रतियोगिता व रोजगार व सरकार का दखल नही हो व स्वतंत्र कीमत तंत्र हो
▪समष्टि की मान्यता है उत्पादन के साधनों का वर्तमान वितरण पहले से निर्धारित है

: 🔰वास्तविक तथा आदर्शात्मक अर्थशास्त्र

Positive and Normative Economics

🔺वास्तविक अर्थशास्त्र
वास्तविक अर्थशास्त्र क्या था ?,क्या है?, क्या होगा ? से सम्बंधित है

🔺आदर्शात्मक अर्थशास्त्र 
इसमे अर्थव्यवस्था में क्या होना चाइए

🔝कीमत सयंत्र का आधार एडम स्मिथ की अबन्ध नीति से होता है

▪स्थेतिक अर्थशास्त्र के समर्थक एडम स्मिथ ,डेविड रिकार्डो है जबकि प्रायोगिक अर्थशास्त्र के समर्थक हर्मन रोशा, टिन वर्जन बोमेल आदि है

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