अधिगम
शिक्षण अधिगम
1.सीखना व्यवहार में परिवर्तन करना है
2.अधिगम एक ऐसे मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति परिपक्वता की और बढ़ते हुए तथा अपने अनुभवों का लाभ उठाते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन करता है अधिगम कहलाता है
➖क्रो एंड क्रो :-सीखना आदत ज्ञान व अभिवर्तियो का अर्जन है
➖वुडवर्थ :-नवीन ज्ञान नवीन प्रक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया है
➖क्रोनबेक :-अनुभव के परिणाम स्वरूप व्यवहार में परिवर्तन
➖गेट्स व अन्य :-अनुभव व परीक्षण द्वारा
➖गिलफर्ड :-व्यवहार के परिणाम स्वरूप
➖स्किनर :-प्रगतिशील व्यवहार व्यस्थापन की प्रक्रिया को
4.अधिगम के सोपान
➖अभिप्रेरणा - A
➖विभिन अनुक्रियाये V
➖बाधाए - B
➖पुनर्बलन - P
➖अनुभवों का संगठन -
➖लक्ष्य
सूत्र AVBP संगठन का लक्ष्य है
🔰अधिगम के सिद्धात
1.उदीपक अनुक्रिया सिद्धात :-थार्नडाइक
➖प्रयोग भूखी बिल्ली पर
➖उपनाम(प्रयास व त्रुटि नियम/प्रयत्न व भूल सिद्धात/बंध सिद्धात /SR थ्योरी
➖(ततपरता का नियम,अभ्यास का नियम,परिमाण का नियम)
➖शिक्षा पहले की गई गलतियों से लाभ उठाना
2.सक्रिय अनुबन्धन सिद्धात (स्किनर)
➖प्रयोग चूहे व कबूतर पर क्रियाओं पर विशेष जोर दिया
➖क्रिया के बाद तुरन्त पुनर्बलन मिलना चाइए जिससे क्रिया करने में तेजी आती है
➖आपेक्षित व्यवहार में परिवर्तन किया जाना चाइए
➖उपनाम क्रिया प्रसूत अनुबन्धन/कार्यात्मक प्रतिबधता का सिद्धात/अभिक्रमित अनुदेशन
3.गेसाल्ट सिद्धात/सूझ सिद्धात/अंतर्दृष्टि सिद्धात (कोहलर )
➖प्रयोग चिंपाजि पर किया
➖प्रवर्तक मैक्स वर्दीमर/प्रयोगकर्ता कोहलर/सह्योगकर्ता कोफ़्का
➖पूर्ण से अंस की और सिद्धात
➖कठिन विषय सीखने में सहायक
4.अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात (पावलव)
➖प्रयोग कुत्ता पर किया
➖घंटी असवभाविक उदीपक (CS)
➖भोजन स्वभाविक उदीपक (UCS)
➖लार स्वभाविक अनुक्रिया (UCR)
♻ CS + UCS + UR या
♻ CS + US + UR
5.सामाजिक अधिगम सिद्धान्त (अलबर्ट बानडूरा)
➖प्रयोग बेबीडॉल व जीवत जोकर
➖निष्कर्ष बालक अनुक्रिया से सीखता है
➖(अवधान--धारण --पुनः प्रस्तुतिकरण --पुनर्बलन)
6.पुनर्बलन का सिद्धात (क्लार्क हल)
➖उपनाम सबलीकरण/क्रमबद्ध व्यवहार
7.संरचनात्मक निर्मितवाद का सिद्धात (जेरोम ब्रूनर)
➖सर्चनात्मक का अर्थ है ज्ञान की सरचना
➖बालको को पढाया जाए ताकि उसमें विचार शक्ति,कल्पना शक्ति,सर्जनात्मकता शक्ति का विकास हो
➖पढ़ाने से पूर्व विषय वस्तु की सरचना की जानकारी दी जानी चाइये इसमे पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान किया जाना चाइए
➖संज्ञानात्मक निर्मितवाद -जीन पियाजे(वातावरण के सम्पर्क के आने से ज्ञान का विकास होता है
➖सामाजिक निर्मितवाद बोइगोत्सकी(ज्ञान का विकास सामाजिक कारकों व भाषा के माध्यम से होता है)
➖त्रिज्यात्मक निर्मितवाद जेरोम ब्रूनर(ज्ञान का निर्माण व्यक्तिगत परिस्थितियों में होता है जो विसिष्ठ परिस्थितियों में प्रदान किया जाता है)
🔰अधिगम अवस्था ब्रूनर
विधि सवेदना निर्माण अवस्था 0-2
प्रतिमान आधरित अवस्था 3-12
चिन्ह आधरित अवस्था 12 के बाद
8.आसुबेल का अधिगम सिद्धात(उदहारण के बाद समझाना निगमनात्मक है)
9.क्षेत्रीय सिद्धात (कुर्ते लेबिन)
अधिगम = फलन (व्यक्ति × वातावरण )
10.चिन्ह अधिगम सिद्धात टोलमेंन
11.प्रतिस्थापन का सिद्धांत गुथरी
12.अनुभवजन्य सिद्धात कार्ल रोजर
13.मानवतावादी सिद्धात मसेलो
14.राबर्टगिनी ने अधिगम के 8 सिद्धात दिए है
🔰अधिगम
▪व्यक्ति के व्यवहार में अभ्यास प्रक्षिक्षण, अनुभव के कारण आये स्थाई परिवर्तन को अधिगम कहते है
🔝परिपक्वता ,बीमारी,थकान ,मादक पदार्थ सवेगात्मक विकास व जन्मजात मूल परवर्तियों से अधिगम नही होता है
▪अधिगम का अर्थ है सीखना व व्यवहार में परिवर्तन लाना है
▪व्यवहार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति परिपक्वता की और बढ़ते हुए अनुभवों से लाभ उठाते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन (परिमार्जन) करता है अधिगम है
▪अधिगम का अर्थ है सीखना (निरंतरता व सार्वभौमिकता का गुण पाया जाता है)
🔰मनोवैज्ञानिक के अनुसार परिभाषा
1.क्रो एंड क्रो " आदत,ज्ञान,अभिवर्तियो का अर्जन सीखना है "
🔝ट्रिक दो क्रो aaj तीन बाते बता रहे है
a आदत
a अभिवर्ती
J जानना(ज्ञान)
2.गिल्फोर्ड के अनुसार "व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन आना अधिगम है "
▪उदहारण एक व्यक्ति गाल पर थप्पड़ मारता है तो दूसरा भी वापस मारेगा इससे व्यवहार में परिवर्तन आया एक के व्यवहार में परिवर्तन के कारण
🔝ट्रिक गाल पर थपड के कारण थप्पड़ मारा
3.वुडवर्थ के अनुसार "नवीन ज्ञान व नवीन प्रतिक्रिया को अर्जित करने की प्रक्रिया अधिगम है " अर्थात सीखना विकास का प्रक्रम है
🔝ट्रिक विलियम के सब्द वी =विकास
🔝वुडवर्थ में दो व है इसे प्रकार परिभाषा में दो नवीन सब्द है
4.ब्यूरान स्किनर के अनुसार "व्यावाहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया अधिगम कहलाती है "
🔝सीढ़ी दर सीढ़ी परिवर्तन करना केवल नर कर सकता है
सीढ़ी दर सीढ़ी =उत्तरोत्तर
नर =सिकिनर
5.गेट्स के अनुसार "व्यक्ति अनुभव व प्रक्षिक्षण द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाना अधिगम है "
🔝Getts से व्यक्ति स्कूल जाता है वहा अनुभव व परिशिक्षण प्राप्त करता है
6.अधिगम के तीन भागो मे बांटा है
▪अधिगम के पक्ष
▪अधिगम की विधियां
▪अधिगम के प्रकार
♦अधिगम के पक्ष (आप अधिगम किन किन रास्तो से कर सकते हो)
1.सज्ञाननात्मक पक्ष(ज्ञान) ज्ञान द्वारा अधिगम करते है तो ज्ञानात्मक पक्ष है
2.क्रियात्मक पक्ष (क्रिया करके सिख रहे है तो)
3.भावात्मक पक्ष (इसका सम्बन्ध मन से होता है)
♦अधिगम की विधियां
1.अनुकरण (नकल)
2.सूझ द्वारा
3.अभ्यास द्वारा
4.भूल द्वारा
♦अधिगम के प्रकार
1.गामक अधिगम (सरीर की विभिन्न क्रियाओं द्वारा हम क्रिया करते है सीखते है)
2.प्रतिबोधनात्मक अधिगम
3.स्कल्पनात्मक अधिगम
7.गामक अधिगम
➖इसका अर्थ सरीर होता है व्यक्ति अपने शरीर द्वारा विभिन्न क्रिया करता है उसे गामक क्रिया कहा जाता है
➖गामक करने के लिए अनुकरण विधि का प्रयोग किया जाता है
➖यह अधिगम सेश्ववस्था में सर्वाधिक होता है
8.प्रतिबोधनात्मक अधिगम
यह बाल्यावस्था में पाई जाती है इसमे बालक सम्प्रत्य(चित्र) मस्तिष्क में बन जाता है इसमे प्रत्येक वस्तु का बोध किया जाता है
इसमे प्रयत्न व भूल विधि उपयुक्त होती है
9.संकल्पनात्मक अधिगम
यह किशोरवस्था में पाई जाती है इसमे किसी वस्तु को देखकर विभिन कल्पना मस्तिष्क में आती है इसेसे वह सीखता है
इसमे सूझ विधि का प्रयोग किया जाता है
🔰अधिगम की विशेषता
1.अधिगम एक प्रक्रिया है (एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है
2.अधिगम सदैव उदेश्य पूर्ण होता है
3.अधिगम जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है (जन्म से मृत्यु तक सीखता है)
4.अधिगम एक क्रियात्मक प्रक्रिया है (सीखने के लिए क्रिया करनी पड़ेगी क्रिया लक्ष्य आधरित होती है)
5.अधिगम सकारात्मक व नकारात्मक दोनों होता है यह समाज के परिपेक्ष्य में सीखता है
6.अधिगम स्वभाविक प्रक्रिया नही है (क्योंकि यह अपने आप नही सिख सकते)
7.अधिगम में कई प्रकार की विधियां सामील हो सकती है
8.अधिगम में अघ्यापक, मित्रमंडली, परिवार की महत्पूर्ण भूमिका होती है
9.अधिगम सदैव नवीनतम नही होता है
10.अधिगम व्यवहार में परिवर्तन करना है इसे अनुभवों, अभ्यास,प्रक्षिक्षण द्वारा प्राप्त किया जाता है
11.अधिगम से सर्वागीण विकास होता है
12.अधिगम परिवर्तित है
13.अधिगम उदेश्य पूर्ण व विवेकपूर्ण है
🔰अधिगम वक्र
अधिगम की मात्रा व और अधिगम में लगने वाले समय के मध्य परस्पर बंधन हो इसे रेखांकित करने पर जो वक्र प्राप्त होता है उसे अधिगम वक्र कहते है
1.सरल रेखीय वक्र /निष्पादन वक्र /समान उपलब्धि वक्र
जितना समय लग रहा है उतना अधिगम हो रहा है
2.उन्नतोदर वक्र /बढ़ता हुवा वक्र /धनात्मक/ इसमे समय की तुलना में अधिक अधिगम करता है
3.ऋणात्मक अधिगम /नतोदर
इसमे समय की अपेक्षा कम अधिगम होता है
4.मिश्रित व सर्पिला वक्र (s टाइप वक्र)
आरम्भ में समय ज्यादस अधिगम कम बाद में समय कम अधिगम ज्यादा
🔰अधिगम को प्रभावित करने वाले तत्व
1.अभिप्रेरणा
2.विषयवस्तु
3.वातावरण
4.नवीन ज्ञान
5.विधियां
🔰अधिगम के सिद्धात
इसको दो भागों में बाटा गया है
▪1.व्यवहारवादी सिद्धात / साहचर्य सिद्धात / परिधीय सिद्धात
१.थार्नडाइक - उदीपक अनुक्रिया सिद्धात
२.पावलाव - अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात
३.B F स्किनर - सक्रिय अनुबन्धन सिद्धात
४.क्लार्क हल - पुनर्बलन सिद्धात
५.गथरी - प्रतिस्थापन का सिद्धात
▪2.गेस्टाल्टवादी सम्प्रदाय /संज्ञानात्मक सिद्धात / केंद्रीय सिद्धात / क्षेत्रीय सिद्धात
१.मैक्स वर्दीमर ,कोहलर ,कोफ़्का - गेस्टाल्टवादी सिद्धात
२.अल्बर्ट बानडुरा - सामाजिक अधिगम सिद्धात
३.टोलमेंन -चिन्ह सिद्धात
४.कुर्ते लेविन - तरलता सिद्धात
🔰व्यावहवादी सिद्धात व स्नाज्ञावादी सिद्धात में अंतर
1.व्यावहवादी में (पुनर्बलन ,अनुक्रिया, उदीपक, अभिप्रेरणा ) को सामील किया जाता है
➖ स्नाज्ञावादीयो के सिद्धात में (सवेदना, बुद्धि, प्रत्ययक्षिकर्ण, संज्ञान ,समस्या आदि सब्दो का प्रयोग किया जाता है
2.व्यवहारवादी यंत्रवत अधिगम को मानते है
➖सज्ञानवादी यंत्रवत व्यवहार को नही मानते
3.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम धीरे धीरे होता है
➖संज्ञानवादीयो के अनुसार अधिगम अचानक होता है
4.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम अनुबन्धन से होता है
➖संज्ञानवादीयो के अनुसार अधिगम अचानक होता है
5.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम का अर्थ अनुबन्धन से होता है
➖सज्ञानवादियो के अनुसार अधिगम का अर्थ समस्या समाधान होता है
▪यदि प्राणी क्रिया करके उदीपक को प्राप्त कर लेता है तो अनुक्रिया है
♦थॉर्नडाईक
▪यह अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्होंने पशुओं पर अध्ययन किया है इसलिए इन्हें पशु मनोवैज्ञानिक कहा जाता है
▪यह प्रथम शेक्षणिक मनोवैज्ञानिक कहा जाता है इन्होंने सीखने के दो नियम बताए है
🖋मुख्य /प्राथमिक /प्रधान नियम
🖋गौण / द्वितीयक नियम
🔰मुख्य नियम
♦1.अभ्यास का नियम (बार बार अभ्यास करके पहाड़ा सीखना
♦2.प्रभाव का नियम / परिणाम का नियम (संतोष व असन्तोष का नियम)
♦ततपरता का नियम / प्रेरणा का नियम / मानसिक तैयारी का नियम (घोड़े को पानी तक )
🔰गौण नियम
♦1.बहु प्रतिक्रिया का नियम (अनेक क्रिया बार बार करना)
♦2.मानसिक विन्यास का नियम (मनोवर्ती का नियम)
♦3.आंशिक क्रिया का नियम (पूर्ण को समझने के लिए छोटे छोटे आंशिक रूप में पढ़ना
♦4.आत्मीकरण का नियम (पूर्व ज्ञान से सीखना)
♦5.साहचर्य परिवर्तन का नियम (वर्तमान परिपेक्ष का नियम)
🔰बोइंडिग लर्निंग थ्योरी (उदीपक अनुक्रिया सिद्धात - थार्नडाइक अमेरिका
▪इन्होंने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया है जो पिजरे में बंद है बाहर मास का टुकड़ा लटका है जो उदीपक है जिसके फलस्वरूप अनुक्रिया करता है
▪इसमे अनुक्रिया द्वारा उदीपक प्राप्त किया जाता है जिससे अनुबंध होता है
▪थार्नडाइक के अनुसार उदीपक को देखकर अनुक्रिया होती है अर्थात दोनों में सम्बन्ध या बंधन होता है इस आधार पर इसका नाम सम्बन्ध / बन्ध सिद्धात कहते है
🔝उपनाम (उदीपक अनुक्रिया सिद्धात, SR थ्योरी, / प्रयत्न भूल सिद्धात/ सम्बन्धन या बन्ध सिद्धात / सेंटिनल रिस्पांस थ्योरी / अनुवादी सिद्धात
♦शेक्षणिक महत्व
▪पहले की गई गलतियों से होने वाले अनुभवों से लाभ उठाता है
▪निरन्तर प्रयास पर बल देता है
▪अभ्यास क्रिया पर आधारित है
▪करके सीखने पर बल देता है
▪निराशा में आशा का भाव छुपा है
▪आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता का विकास करता है
▪छोटे बालको के सीखने के लिए विशेष उपयोगी है
▪मंद गति से सीखने वालो के लिए उपयोगी है
♻उदाहरण के लिए
➖करत करत अभ्यास जड़मति हो सुजान
➖सफलता से बढ़कर कोई पुरुस्कार नही है
➖एक घोड़े को पानी तक ले जाया जा सकता है पानी पीने को बाध्य नही कर सकते
🔝1930 में पुनः संसोधन किया इसमे कहा जरूरी नही की अभ्यास की पुनरावर्ती से अनुबन्धन हो
▪चालक - लक्ष्य - अनियित अनुक्रिया - संयोजन सफलता - द्र्धिकर्ण सोपान है
🔅निष्कर्ष
▪अधिगम में प्रयास व भूल समाहित होती है
▪अधिगम अनुबंधन का परिणाम है
▪अधिगम उत्तरोत्तर होता है
▪अधिगम सज्ञान पर आधरित नही होता यह प्रत्यक्ष पर आधारित होता है
🔰पुनर्बलन का सिद्धात (क्लार्क हल)
इसे प्रबलन / सबलीकरण / क्रमबद्धता व्यवहार का सिद्धांत / चालक न्यूनता का सिद्धात / परिष्कृत यथाथ सिद्धात कहते है
▪इस सिद्धांत का प्रतिपादन बुक प्रिंसीपल आफ बिहेवियर में किया गया था
▪इसमे आवश्यकता की कमी होती है जिसकी पूर्ति करने के लिए क्रिया करता है
▪अनुक्रिया उदीपक के कारण ना होकर आवश्यकता के कारण होता है
▪आवश्यकता की पूर्ति के लिए उठाया गया हर प्रयास व्यक्ति को पुनर्बलन देता है तथा क्रमबद्ध तरीके से व्यवहार करता हुआ आगे बढ़ता है तथा आवश्यकता की पूर्ति करने पर अपने चालक को शांत करता है
▪सीखना आवश्यकता की पूर्ति की प्रक्रिया के द्वारा होता है
▪सर्वाधिक महत्व पुनर्बलन को देता है
3.अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात .पावलव
▪ईवान P पावलव यह एक रूसी सरीर शास्त्री मनोवैज्ञानिक था जिसे 1904 में पाचन क्रिया पर शोध के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया
▪इसे अनुबन्धन का जनक कहा जाता है (कुत्ते पर प्रयोग किया था)
🔝इसके प्रमुख उपनाम
▪शास्त्रीय या परम्परागत अनुबन्धन
▪अनुकूलित अनुक्रिया अनुबन्धन
▪प्रतिवादी अनुबन्धन
▪अनुबंधित अनुक्रिया अनुबन्धन
▪सम्बन्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
♦प्रयोग का प्रथम चरण
भोजन ............•• लार
UCS UCR
प्राकृतिक उदीपक प्राकृतिक अनुक्रिया
अअनुबन्धित उदीपक
स्वभाविक उदीपक
♦प्रयोग का द्वितीय चरण
घण्टी + भोजन = लार
CS + UCS = UCR
♦तीसरा चरण
घण्टी -- लार
CS CR
🔝कुत्ते को घंटी के साथ भोजन दिया जाता है तो निरन्तर क्रिया के बाद घण्टी के साथ लार टपकायेगा यह एक अनुबन्धन बन जाता है
▪जो क्रिया (लार का गिरना) पहले भोजन को देखकर हो रही थी वही क्रिया घण्टी की आवाज़ के प्रति होने लगी इसे हम अनुकूलित अनुक्रिया कहते है
▪पुनरावर्ती के आधार पर जो सम्बन्ध स्थापित होता है उसे अनुबन्धन कहते है पावलाव को अनुबन्धन का पिता कहते है
▪CS + UCS + UCR या
▪CS + US + UR
▪अस्वभाविक उदीपक + स्वभाविक उदीपक +स्वभाविक अनुक्रिया
🔰मुख्य सब्दवाली
⛰विलोप / विलिकरण
अनुबन्धन स्थापित हो जाने के बाद यदि बार बार मात्र अनुबन्धित उदीपक (घण्टी) ही प्रस्तुत करेगा तो अंत मे अनुबन्धित अनुक्रिया बन्द हो जाएगी इसे विलोप कहते है
⛰उदीपक सामान्यीकरण
▪बालक मिलती जुलती परिस्थितियों में वैसे ही व्यवहार करता है जैसे पूर्व अनुभव में कर चुका हो
जैसे :-
वाटसन ने अल्बर्ट नामक बालक पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि बालक खरगोश से डरता है साथ साथ वह रोवेदर चीजो से डरने लगता है इसे उदीपक सामान्यीकरण कहते है
पावलव ने घंटी की आवाज के स्थान पर सिटी की आवाज़ को घंटी से मिलती जुलती थी उस पर कुत्ते की वही प्रतिक्रिया रही जो घण्टी पर थी
एक बालक को लाल गुलाब का काटा चुभने पर चोट पहुचती है तो उसे अब किसी भी लाल वस्तु से डरने लगता है इसे उदीपक सामान्यीकरण कहते है
⛰उदीपक विभेदकरन
कुत्ते को घण्टी की आवाज़ पर पुनर्बलित किया गया सिटी की आवाज़ पर नही इस पर दोनों आवाज़ों में विभेद करना सीख जाएगा
⛰समय कारक
इसमे 5 सेकेंड से ज्यादा अंतराल नही होना चाइए
♻शेक्षणिक महत्व
▪प्राणी तभी सीखता है जब वह सतर्क रहता है (क्रियाशिल रहे)
▪शिक्षण में दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग इस सिद्धात पर आधारित है
▪यह सिद्धात क्रिया की पुनरावृत्ति पर बल देता है
▪भाषा सीखने सीखने में उपयोगी है
▪आदत निर्माण में सहायक है
▪भय व भ्रांति को दूर किया जा सकता है
▪यांत्रिक तरीके से सीखने पर बल देता है
4.सक्रिय अनुबन्धन का सिद्धात ( B F स्किनर )
▪ब्युरहस फ्रेडरिक स्किनर ने अपना प्रयोग चूहे और कबूतरों पर किया
▪प्रयोग में [स्किनर बॉक्स]•••[उछलकूद] ••• [ लिवर पर पैर रखना)] ••• [दरवाजा खुलना] •••भोजन [पुनर्बलन मिलना]
▪स्किनर ने क्रियाओं पर विशेष जोर दिया इसलिए इन्होंने थॉर्नडाईक की SR थ्योरी को RS थ्योरी में बदल दिया
▪स्किनर का कहना है कि क्रिया करते रहना चाइए तथा क्रिया के तुरंत बाद बालक को पुनर्बलन मिलना चाइए जिससे क्रिया करने की गति में तीव्रता आती है
♦पुनर्बलन के दो प्रकार होते है
1.सकारात्मक पुनर्बलन (पुरुस्कार, प्रशंसा,सम्मान आदि)
2.नकारात्मक पुनर्बलन (दण्ड,भय,सोक लगाना,डांटना आदि
🔅शेक्षणिक महत्व
1.अभिक्रमित अनुदेशन का जन्म होता है
2.पुनर्बलन को सर्वाधिक महत्व देता है
3.प्राणी को सही अनुक्रिया करने पर तुरन्त पुनर्बलन देना चाइए
4.वांछित अनुक्रिया के पुनर्बलन से बालको को प्रोत्साहन मिलता है
5.क्रिया के अनुसार सकारात्मक व नकारात्मक पुनर्बलन तुरन्त देना चाइए क्योकि देर करने से इसका प्रभाव कम पड़ता है
6.इस सिद्धात के द्वारा बालको को अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन किया जा सकता है
7.इस सिद्धात में चूहों को भोजन मिलना उसके लिए पुनर्बलन है
🔰संज्ञानवादी सिद्धात /गेसाल्टवादी सिद्धात
🖋गेसाल्ट सब्द का अर्थ है पूर्णाकार या संमग्राकार जो जर्मन स्कूल की देन है
🖋1920 में गेसाल्ट सम्प्रदाय का उदय जर्मनी में हुवा
▪मेक्स वर्दीमर - रिक्त पूर्तिता का सिद्धांत
▪कोहलर - सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
▪कुर्ते लेविन - क्षेत्रवादी सिद्धात
▪कोफ़्का
🔰सूझ या अंतर्दृष्टि सिद्धात
👉इसका प्रवर्तक मेक्स वर्दीमर था
👉इसका प्रयोगकर्ता कोहलर
👉 सहयोगी कोफ़्का था
▪प्रयोग ••[चिमपजी सुल्तान ] ••• [कमरे में बंद ] ••• [छत पर लटके केले] •••[सूझ बूझ का प्रयोग] ••• [ बॉक्स पर चढ़कर केले प्राप्त कर लिए]
▪दूसरा प्रयोग में दो छड़ी से केला तोड़ना है
♦शेक्षणिक महत्व
▪1.छोटे बालको का पूर्ण बुद्धि का विकास नही हो पाता है वो प्रयास व त्रुटि द्वारा सीखते है व जिनकी बुद्धि का विकास पूर्ण हो गया है वो सूझ व अंतर्दृष्टि द्वारा सीखते है
▪2.पाठ्यक्रम का निर्धारण सूझ सिद्धात की देन है अर्थात एकीकृत पाठ्यक्रम इसी सिद्धात के परिणाम स्वरूप बनाया जाता हैं
▪3.पूर्ण से अंस इसी सिद्धात की देन है
▪4.अध्यापक को बच्चों को समस्या का पूर्ण ज्ञान करा देना चाइए अगर अपूर्ण ज्ञान होगा तो अंतर्दृष्टि का विकास नही होगा
▪5.इस सिद्धांत द्वारा सीखने की शक्ति, कल्पना शक्ति ,निरीक्षण शक्ति आदि मानसिक योग्यता का विकास होता है
▪6.विज्ञान,गणित ,व्याकरण जैसे कठिन विषय को सीखने व सिखाने के लिए यह सिद्धांत विशेष उपयोगी है
▪7.अनुसंधान व समस्या समाधान में विशेष उपयोगी है
▪8.तार्किक तरीके से सीखने पर बल देता है समस्या समाधान विधि इसी पर आधारित है
🔰6.क्षेत्रीय सिद्धात °[कुर्त लेविन ]
▪यह मूलतः गणितीय सिद्धात है जिसका वर्णन " फील्ड थ्योरी ऑफ साइक्लोजी " में किया गया है
▪इसमे वाह्य व आंतरिक तत्वों द्वारा अधिगम होता है
▪अधिगम व्यक्ति व वातावरण का प्रतिफल है जिसको निम्न संकेतो से दर्शाया गया है
अल्फा € = f (PF × EF)
अधिगम =फलन (व्यक्ति × वातावरण)
सूत्र B =F [ P × E ]
व्यवहार = कारक [ व्यक्ति × वातावरण ]
🔰अष्टपदिय सोपान सिद्धात - रॉबर्ट गेने
▪इन्होंने अधिगम के अष्ठ (8 प्रकार) सिद्धात प्रस्तुत किए है जो सरल से कठिन की ओर प्रस्तुत किया जाता है
🔺8.समस्या समाधान अधिगम स्तर (सर्वोच्च स्तर है)
🔺7.सिद्धात अधिगम स्तर
🔺6.संप्रत्यय स्तर
🔺5.विभेदात्मक स्तर
🔺4.शाब्दिक साहचर्य स्तर
🔺3.श्रंखला अधिगम स्तर (स्किनर)】
🔺2.उदीपक अनुक्रिया स्तर थॉर्नडाईक】
🔺1.संकेत अधिगम स्तर पावलव】निम्न स्तर
सूत्र -राबर्ट गेने ने संकेत किया दीपक की एक श्रखला बनाई शब्द भेदी सम्प्रत्य सिद्धात देकर समस्या समाधान किया
व्याख्या राबर्ट गेने के अष्ठ सिद्धात
1.संकेत अधिगम
2.दीपक = उदीपक
3.श्रखला
4.सब्द =शाब्दिक
5.भेदी =विभेदात्मक
6.सम्प्रत्य
7.सिद्धात
8.समस्या समाधान
▪श्रखला अधिगम सिद्धात एडविन रे गुथरी ने दिया इसमे क्रमगत श्रखला की व्याख्या की है इसमे गलती को सुधार सकते है पूरा पद सुधारे की आवश्यकता नही है
▪राबर्ट गिनी के अनुसार क्रम 1 से 3 तक मानव व पशु व्यवहार का अध्ययन है जो व्यवहार वादियों से मिलता है तथा सोपान 4 से 8 केवल मानव व्यवहार का अध्ययन करता है यह व्यवहारवादी से मिलता है
4.शाब्दिक अधिगम स्तर - इसके द्वारा शाब्दिक व्यवहार में परिवर्तन का वर्णन है
5.बहु विभेदात्मक अधिगम स्तर
दो या दो से अधिक उदीपको में अंतर को बताता है
🔰 सामाजिक अधिगम सिद्धात (अल्बर्ट बानडूरा)
▪निदर्शन का सिद्धात
▪प्रतिरूपण का सिद्धात
▪अवलोकनात्मक अधिगम का सिद्धात
▪अप्रत्यक्षमता अधिगम सिद्धात
☯इन्होंने 1986 में सोसियल फंडामेंटल थॉट एंड एक्शन में सामाजिक सज्ञाननात्मक सिद्धात दिया जिसमें व्यक्ति दुसरो के व्यवहार को देखकर सीखता है
▪समाज द्वारा मान्य व्यवहार को अपनाता है तथा अमान्य व्यवहार को त्यागता है इस कारण यह सिद्धात सामाजिक अधिगम सिद्धात कहलाया और इन्होंने कहा कि पशुओं पर किया गया प्रयोग बालको पर लागू करना अनुचित है
♨प्रयोग 1 बेबी डॉल स्टडीज
♨प्रयोग 2 जीवन जोकर पर
🔺निष्कर्ष -बालक अनुकरण के माध्यम से सीखता है अनुकरण सीखने की प्रक्रिया है जो दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है
▪प्रमुख सोपान
📍अवधान - निरीक्षण कर्ता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आकर्षण
📍धारण
📍पुनः प्रस्तुतिकरन
📍पुनर्बलन
▪नोट :- दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखना सामाजिक अधिगम कहलाता है जिसको देखकर बालक व्यवहार करना सीखता है उसे प्रतिमान (मॉडल )कहते हैं
🔺 शैक्षणिक महत्व
1.बालकों के व्यक्तित्व निर्माण में यह सिद्धांत विशेष उपयोगी है
2.छोटे बालक सही -गलत में अंतर करने में असमर्थ पाते हैं यही कारण है कि गलत व्यवहार को अनुकरण के माध्यम से सीख लेते हैं अतः बालक के सामने सही प्रतिमान वाले मॉडल को आकर्षित तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए
3.कक्षा कक्ष में सदैव आदर्श व्यक्तित्व वाले प्रतिमान मॉडल प्रस्तुत करना चाहिए
⚠अधिगम स्तान्तरण या अधिगम अंतरण
एक क्षेत्र का सिखा गया ज्ञान,कौशल,अनुभव,परीक्षण दूसरे स्थति में प्रयोग किया जाता है उसे अधिगम स्तान्तरण कहते है
▪सहसम्बन्ध दो वस्तुओं के सम्बन्ध को बताता है
♨सकारात्मक स्तान्तरण
जब एक स्थिति में अर्जित ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में सहायक होता है तो उसे सकारात्मक स्थानांतरण / धनात्मक स्थानांतरण या अनुकूलता में स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.साईकिल चलाने वाला व्यक्ति स्कूटर चलाना आसानी से सीख जाता है
2.गणित विषय का ज्ञान भौतिकी के ज्ञान में सहायक होता है
3.हिंदी विषय का ज्ञान संस्कृत विषय में सहायक होता है
सकारात्मक अंतरण के 3 भागों में बाटा जाता है
1.क्षेतिज अंतरण -एक विषय का ज्ञान उसी विषय मे मदद करता है
2.उध्रव अधिगम - एक विषय का अधिगम दूसरे विषय मे सहायक हो जैसे बीजगणित का रेखा गणित में
3.दीपारखीय अंतरण - दोनों हाथों के दौरान एक दूसरे में सम्बन्ध रखता है
♨नकारात्मक स्तान्तरण
जब एक स्थिति में अर्जित ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में बाधक बन जाता है तो नकारात्मक / ऋणआत्मक या प्रतिकूल स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.कला विषय का विद्यार्थी विज्ञान विषय का ज्ञान पढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है
2. अमेरिका का ड्राइवर भारत में कार चलाने में कठिनाई होती है
♨ शून्य स्थानांतरण
एक स्थिति का ज्ञान दूसरी स्थिति में ना तो सहायक होता है ना बाधक होता है ऐसे स्थानांतरण को शून्य स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.कबीर के दोहे रहीम के दोहे में ना तो सहायक होते हैं ना बाधक होते हैं
2.बॉलिंग और बैटिंग
3.प्रार्थना व देश भक्ति गीत आपस में शून्य स्थानांतरण के प्रमुख उदाहरण है
☯अधिगम के स्तान्तरण सिद्धात
1.मानसिक शक्ति का नियम
चिंतन ,बुद्धि ,सोच विचारधारा के अनुसार अधिगम करता है
2.औपचारिक मानसिक प्रक्षिक्षण नियम
जो व्यक्ति जितना प्रक्षिक्षण करता है उतना ही अधिक अधिगम करता है इसकी आलोचना विलियम जेम्स ने की थी
3.समान तथ्यों का सिद्धात /समरूप अव्ययवो का सिद्धात - थार्नडाइक
जब दो विषयों में समानता होती है तो एक विषय का ज्ञान दूसरे विषय विज्ञान में सहायक होता है
4.समानीकरण सिद्धांत - चार्ल्स जड़ (CH जड़ )ने दिया
एक स्थिति में अर्जित ज्ञान का समानीकरण कर उसका प्रयोग किसी दूसरी स्थिति में करना सामान्यकरण सिद्धांत कहलाता है
5.आदर्श एवं मूल्यों का सिद्धांत - बागले ने दिया
🔰 संरचनात्मक / निर्मितवाद सिद्धांत
▪जेरोम ब्रूनर का संरचनात्मक सिद्धांत
▪ संरचनात्मक शब्द से तात्पर्य है ज्ञान की संरचना से है
▪निर्मितवाद शब्द की उत्पत्ति मनोविज्ञान के संज्ञानात्मक क्षेत्र से हुई है
▪ जेरोम ब्रूनर का मानना है कि बालकों को इस प्रकार पढ़ाया जाए ताकि उनमें विचार शक्ति ,कल्पना शक्ति ,सृजनात्मक क्षमता आदि का विकास हो सके
▪जेरोम ब्रूनर का मानना है कि जो विषय वस्तु पढ़ाई जाए उसकी मूल संरचना प्रकृति से बालकों को अवगत कराया जाए ताकि ऐसा करने से सीखना सरल हो जाता है ,बालक रुचि के साथ अधिगमकर्ता है व ऐसा ज्ञान अधिगम स्थानांतरण में सहायक होता है
♨निर्मितवाद
▪निर्मित वाद एक छात्र केंद्रित किया है इसमें बालक स्वयं का ज्ञान का सृजन करता है
▪नवीन ज्ञान का सृजन पूर्व ज्ञान के आधार पर किया जाता है
▪निर्मितवाद पूर्व ज्ञान के अनुभव पर बल देता है यह छात्रों की सक्रियता पर बल देता है
▪यह अर्थपूर्ण अधिगम पर बल देता है इन बालकों के ज्ञान की पर्याप्त की जांच की जाती है
▪यह बालकों के उत्तरदायित्व जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है
▪यह बालकों की आपसी साझेदारी में अंतर क्रिया पर बल देता है
▪शिक्षक की भूमिका निर्देशन, पथ प्रदर्शक अथवा सुविधा प्रदाता की होती है
▪ शिक्षक बालको के समझ चुनौतीपूर्ण अधिगम प्रस्तुत करता है
▪शिक्षक द्वारा बालकों को समूह बनाकर विषय संबंधी समस्या दी जाती है
▪ विचार-विमर्श सक्रिय रहकर करते हैं पूर्व ज्ञान व नवीन ज्ञान द्वारा अंतः क्रिया करते समस्या समाधान निकालते हैं
🔸निर्मितवाद के 3 प्रकार के है
1. सज्ञाननात्मक निर्मितवाद -जिन पियाजे
बालक जैसे-जैसे वातावरण (उद्दीपक जगत) के संपर्क में आता है उसके ज्ञान का विकास होता जाता है
2.सामाजिक निर्मितवाद बोईगोश्तस्की
ज्ञान का विकास सामाजिक कारको व भाषा के माध्यम से होता है
3.त्रिज्यात्मक निर्मित वाद - जेरोम ब्रूनर
ज्ञान का निर्माण व्यक्तिगत रूप से होता है जो विशिष्ट परिस्थितियों में प्रदान किया जाता है
▪ जेरोम ब्रूनर की पुस्तक
: द प्रोसेस ऑफ एजुकेशन (शिक्षा की प्रक्रिया )
: द रिलेशन ऑफ एजुकेशन (शिक्षा की प्रासंगिकता)
अधिगम के उद्देश्यों को बालक को परिचित कराना चाहिए ताकि हमें प्रेरित होकर रुचि के साथ कार्य करें
▪अधिगम की अवस्था
1.विधि निर्माण आधारित अवस्था 0-2
सवेदना व सारेरिक क्रिया के माध्यम से ज्ञान ग्रहण करना
2.प्रतिमान आधारित अवस्था 3 से 12
मूर्त प्रत्यक्षीकरण द्वारा अधिगम
3.चिंह आधारित अवस्था (12 के बाद)
चिन्हों व प्रतीकों व अमूर्त चिंतन द्वारा अधिगम करता है
▪आसुबेल का अधिगम सिद्धात
▪चिन्ह अधिगम सिद्धात टोलमेंन
▪प्रतिस्थापन का सिद्धात गुथरी
▪अनुभवजन्य अधिगम कार्ल रोजर्स
▪मानवतावादी अधिगम मसेलो
🔸अधिगम के सोपान
▪अभिप्रेरणा A
▪विभिन्न अनुक्रिया V
▪बाधाये B
▪पुनर्बलन P
▪अनुभवों का संगठन
▪लक्ष्य
सूत्र AVBP संगठन का लक्ष्य अधिगम है
★★★▪संशिप्त
▪सीखना आदत , ज्ञान व अभिवर्द्धि का अर्जन करना है .. क्रो एंड क्रो
▪सीखना नवीन ज्ञान ,नवीन प्रतिक्रिया प्राप्त करना है ...क्रोनबेक
▪ अनुभव के कारण अधिगम क्रोनबेके
▪ अनुभव व परीक्षण कारण अधिगम गेट्स
▪ व्यवहार में परिवर्तन के कारण अधिगम गिल्फोर्ड
♨उदीपक अनुक्रिया सिद्धांत - थार्नडाइक -बिल्ली ( तत्परता /अभ्यास/ प्रभाव/ s-r थ्योरी)
♨ सक्रिय अनुबंधन सिद्धांत स्किनर
चूहा पर (क्रिया के बाद पुनर्बलन )क्रिया प्रस्तुत
♨गेसाल्ट सिद्धात वर्दीमर प्रवर्तक / प्रयोग कोहलर / सहयोग कोफ़्का कठिन विषय को सीखने मे सहायक चिम्पांजी पर
♨अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत पावलव कुत्ते पर
♨सामाजिक अधिगम सिद्धांत बंडूरा डाल पर अवधान द्वारा सीखते है
♨ पुनर्बलन सबलीकरण सिद्धांत क्लार्क हल अनुक्रिया आवश्यकता के कारण
♨सर्चनात्मक निर्मितवाद सिद्धात जेरोम ब्रूनर (बालको को पढ़ने से पूर्व पाठ का ज्ञान करना चाइए)
☯ पूर्व ज्ञान पर आधारित नवीन ज्ञान निर्मितवाद है
1.संज्ञानात्मक निर्मितवाद - जीन पियाजे 2.सामाजिक निर्मितवाद - बोगतकोई
3.त्रिज्यात्मक निर्मित वाद जेरोम ब्रूनर
▪क्षेत्र सिद्धांत -कुर्त लेविन (अधिगम = वातावरण× व्यक्ति)
▪चिन्ह सिद्धांत टोलमैन
▪प्रतिस्थापन सिद्धात गुथरी
▪अनुभव जन्य सिद्धांत कार्ल रोजर्स
▪ मानवतावादी सिद्धांत मसेलो
▪राबर्ट गिनी ने 8 सिद्धांत बताएं
1.सीखना व्यवहार में परिवर्तन करना है
2.अधिगम एक ऐसे मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति परिपक्वता की और बढ़ते हुए तथा अपने अनुभवों का लाभ उठाते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन करता है अधिगम कहलाता है
➖क्रो एंड क्रो :-सीखना आदत ज्ञान व अभिवर्तियो का अर्जन है
➖वुडवर्थ :-नवीन ज्ञान नवीन प्रक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया है
➖क्रोनबेक :-अनुभव के परिणाम स्वरूप व्यवहार में परिवर्तन
➖गेट्स व अन्य :-अनुभव व परीक्षण द्वारा
➖गिलफर्ड :-व्यवहार के परिणाम स्वरूप
➖स्किनर :-प्रगतिशील व्यवहार व्यस्थापन की प्रक्रिया को
4.अधिगम के सोपान
➖अभिप्रेरणा - A
➖विभिन अनुक्रियाये V
➖बाधाए - B
➖पुनर्बलन - P
➖अनुभवों का संगठन -
➖लक्ष्य
सूत्र AVBP संगठन का लक्ष्य है
🔰अधिगम के सिद्धात
1.उदीपक अनुक्रिया सिद्धात :-थार्नडाइक
➖प्रयोग भूखी बिल्ली पर
➖उपनाम(प्रयास व त्रुटि नियम/प्रयत्न व भूल सिद्धात/बंध सिद्धात /SR थ्योरी
➖(ततपरता का नियम,अभ्यास का नियम,परिमाण का नियम)
➖शिक्षा पहले की गई गलतियों से लाभ उठाना
2.सक्रिय अनुबन्धन सिद्धात (स्किनर)
➖प्रयोग चूहे व कबूतर पर क्रियाओं पर विशेष जोर दिया
➖क्रिया के बाद तुरन्त पुनर्बलन मिलना चाइए जिससे क्रिया करने में तेजी आती है
➖आपेक्षित व्यवहार में परिवर्तन किया जाना चाइए
➖उपनाम क्रिया प्रसूत अनुबन्धन/कार्यात्मक प्रतिबधता का सिद्धात/अभिक्रमित अनुदेशन
3.गेसाल्ट सिद्धात/सूझ सिद्धात/अंतर्दृष्टि सिद्धात (कोहलर )
➖प्रयोग चिंपाजि पर किया
➖प्रवर्तक मैक्स वर्दीमर/प्रयोगकर्ता कोहलर/सह्योगकर्ता कोफ़्का
➖पूर्ण से अंस की और सिद्धात
➖कठिन विषय सीखने में सहायक
4.अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात (पावलव)
➖प्रयोग कुत्ता पर किया
➖घंटी असवभाविक उदीपक (CS)
➖भोजन स्वभाविक उदीपक (UCS)
➖लार स्वभाविक अनुक्रिया (UCR)
♻ CS + UCS + UR या
♻ CS + US + UR
5.सामाजिक अधिगम सिद्धान्त (अलबर्ट बानडूरा)
➖प्रयोग बेबीडॉल व जीवत जोकर
➖निष्कर्ष बालक अनुक्रिया से सीखता है
➖(अवधान--धारण --पुनः प्रस्तुतिकरण --पुनर्बलन)
6.पुनर्बलन का सिद्धात (क्लार्क हल)
➖उपनाम सबलीकरण/क्रमबद्ध व्यवहार
7.संरचनात्मक निर्मितवाद का सिद्धात (जेरोम ब्रूनर)
➖सर्चनात्मक का अर्थ है ज्ञान की सरचना
➖बालको को पढाया जाए ताकि उसमें विचार शक्ति,कल्पना शक्ति,सर्जनात्मकता शक्ति का विकास हो
➖पढ़ाने से पूर्व विषय वस्तु की सरचना की जानकारी दी जानी चाइये इसमे पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान किया जाना चाइए
➖संज्ञानात्मक निर्मितवाद -जीन पियाजे(वातावरण के सम्पर्क के आने से ज्ञान का विकास होता है
➖सामाजिक निर्मितवाद बोइगोत्सकी(ज्ञान का विकास सामाजिक कारकों व भाषा के माध्यम से होता है)
➖त्रिज्यात्मक निर्मितवाद जेरोम ब्रूनर(ज्ञान का निर्माण व्यक्तिगत परिस्थितियों में होता है जो विसिष्ठ परिस्थितियों में प्रदान किया जाता है)
🔰अधिगम अवस्था ब्रूनर
विधि सवेदना निर्माण अवस्था 0-2
प्रतिमान आधरित अवस्था 3-12
चिन्ह आधरित अवस्था 12 के बाद
8.आसुबेल का अधिगम सिद्धात(उदहारण के बाद समझाना निगमनात्मक है)
9.क्षेत्रीय सिद्धात (कुर्ते लेबिन)
अधिगम = फलन (व्यक्ति × वातावरण )
10.चिन्ह अधिगम सिद्धात टोलमेंन
11.प्रतिस्थापन का सिद्धांत गुथरी
12.अनुभवजन्य सिद्धात कार्ल रोजर
13.मानवतावादी सिद्धात मसेलो
14.राबर्टगिनी ने अधिगम के 8 सिद्धात दिए है
🔰अधिगम
▪व्यक्ति के व्यवहार में अभ्यास प्रक्षिक्षण, अनुभव के कारण आये स्थाई परिवर्तन को अधिगम कहते है
🔝परिपक्वता ,बीमारी,थकान ,मादक पदार्थ सवेगात्मक विकास व जन्मजात मूल परवर्तियों से अधिगम नही होता है
▪अधिगम का अर्थ है सीखना व व्यवहार में परिवर्तन लाना है
▪व्यवहार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति परिपक्वता की और बढ़ते हुए अनुभवों से लाभ उठाते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन (परिमार्जन) करता है अधिगम है
▪अधिगम का अर्थ है सीखना (निरंतरता व सार्वभौमिकता का गुण पाया जाता है)
🔰मनोवैज्ञानिक के अनुसार परिभाषा
1.क्रो एंड क्रो " आदत,ज्ञान,अभिवर्तियो का अर्जन सीखना है "
🔝ट्रिक दो क्रो aaj तीन बाते बता रहे है
a आदत
a अभिवर्ती
J जानना(ज्ञान)
2.गिल्फोर्ड के अनुसार "व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन आना अधिगम है "
▪उदहारण एक व्यक्ति गाल पर थप्पड़ मारता है तो दूसरा भी वापस मारेगा इससे व्यवहार में परिवर्तन आया एक के व्यवहार में परिवर्तन के कारण
🔝ट्रिक गाल पर थपड के कारण थप्पड़ मारा
3.वुडवर्थ के अनुसार "नवीन ज्ञान व नवीन प्रतिक्रिया को अर्जित करने की प्रक्रिया अधिगम है " अर्थात सीखना विकास का प्रक्रम है
🔝ट्रिक विलियम के सब्द वी =विकास
🔝वुडवर्थ में दो व है इसे प्रकार परिभाषा में दो नवीन सब्द है
4.ब्यूरान स्किनर के अनुसार "व्यावाहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया अधिगम कहलाती है "
🔝सीढ़ी दर सीढ़ी परिवर्तन करना केवल नर कर सकता है
सीढ़ी दर सीढ़ी =उत्तरोत्तर
नर =सिकिनर
5.गेट्स के अनुसार "व्यक्ति अनुभव व प्रक्षिक्षण द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाना अधिगम है "
🔝Getts से व्यक्ति स्कूल जाता है वहा अनुभव व परिशिक्षण प्राप्त करता है
6.अधिगम के तीन भागो मे बांटा है
▪अधिगम के पक्ष
▪अधिगम की विधियां
▪अधिगम के प्रकार
♦अधिगम के पक्ष (आप अधिगम किन किन रास्तो से कर सकते हो)
1.सज्ञाननात्मक पक्ष(ज्ञान) ज्ञान द्वारा अधिगम करते है तो ज्ञानात्मक पक्ष है
2.क्रियात्मक पक्ष (क्रिया करके सिख रहे है तो)
3.भावात्मक पक्ष (इसका सम्बन्ध मन से होता है)
♦अधिगम की विधियां
1.अनुकरण (नकल)
2.सूझ द्वारा
3.अभ्यास द्वारा
4.भूल द्वारा
♦अधिगम के प्रकार
1.गामक अधिगम (सरीर की विभिन्न क्रियाओं द्वारा हम क्रिया करते है सीखते है)
2.प्रतिबोधनात्मक अधिगम
3.स्कल्पनात्मक अधिगम
7.गामक अधिगम
➖इसका अर्थ सरीर होता है व्यक्ति अपने शरीर द्वारा विभिन्न क्रिया करता है उसे गामक क्रिया कहा जाता है
➖गामक करने के लिए अनुकरण विधि का प्रयोग किया जाता है
➖यह अधिगम सेश्ववस्था में सर्वाधिक होता है
8.प्रतिबोधनात्मक अधिगम
यह बाल्यावस्था में पाई जाती है इसमे बालक सम्प्रत्य(चित्र) मस्तिष्क में बन जाता है इसमे प्रत्येक वस्तु का बोध किया जाता है
इसमे प्रयत्न व भूल विधि उपयुक्त होती है
9.संकल्पनात्मक अधिगम
यह किशोरवस्था में पाई जाती है इसमे किसी वस्तु को देखकर विभिन कल्पना मस्तिष्क में आती है इसेसे वह सीखता है
इसमे सूझ विधि का प्रयोग किया जाता है
🔰अधिगम की विशेषता
1.अधिगम एक प्रक्रिया है (एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है
2.अधिगम सदैव उदेश्य पूर्ण होता है
3.अधिगम जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है (जन्म से मृत्यु तक सीखता है)
4.अधिगम एक क्रियात्मक प्रक्रिया है (सीखने के लिए क्रिया करनी पड़ेगी क्रिया लक्ष्य आधरित होती है)
5.अधिगम सकारात्मक व नकारात्मक दोनों होता है यह समाज के परिपेक्ष्य में सीखता है
6.अधिगम स्वभाविक प्रक्रिया नही है (क्योंकि यह अपने आप नही सिख सकते)
7.अधिगम में कई प्रकार की विधियां सामील हो सकती है
8.अधिगम में अघ्यापक, मित्रमंडली, परिवार की महत्पूर्ण भूमिका होती है
9.अधिगम सदैव नवीनतम नही होता है
10.अधिगम व्यवहार में परिवर्तन करना है इसे अनुभवों, अभ्यास,प्रक्षिक्षण द्वारा प्राप्त किया जाता है
11.अधिगम से सर्वागीण विकास होता है
12.अधिगम परिवर्तित है
13.अधिगम उदेश्य पूर्ण व विवेकपूर्ण है
🔰अधिगम वक्र
अधिगम की मात्रा व और अधिगम में लगने वाले समय के मध्य परस्पर बंधन हो इसे रेखांकित करने पर जो वक्र प्राप्त होता है उसे अधिगम वक्र कहते है
1.सरल रेखीय वक्र /निष्पादन वक्र /समान उपलब्धि वक्र
जितना समय लग रहा है उतना अधिगम हो रहा है
2.उन्नतोदर वक्र /बढ़ता हुवा वक्र /धनात्मक/ इसमे समय की तुलना में अधिक अधिगम करता है
3.ऋणात्मक अधिगम /नतोदर
इसमे समय की अपेक्षा कम अधिगम होता है
4.मिश्रित व सर्पिला वक्र (s टाइप वक्र)
आरम्भ में समय ज्यादस अधिगम कम बाद में समय कम अधिगम ज्यादा
🔰अधिगम को प्रभावित करने वाले तत्व
1.अभिप्रेरणा
2.विषयवस्तु
3.वातावरण
4.नवीन ज्ञान
5.विधियां
🔰अधिगम के सिद्धात
इसको दो भागों में बाटा गया है
▪1.व्यवहारवादी सिद्धात / साहचर्य सिद्धात / परिधीय सिद्धात
१.थार्नडाइक - उदीपक अनुक्रिया सिद्धात
२.पावलाव - अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात
३.B F स्किनर - सक्रिय अनुबन्धन सिद्धात
४.क्लार्क हल - पुनर्बलन सिद्धात
५.गथरी - प्रतिस्थापन का सिद्धात
▪2.गेस्टाल्टवादी सम्प्रदाय /संज्ञानात्मक सिद्धात / केंद्रीय सिद्धात / क्षेत्रीय सिद्धात
१.मैक्स वर्दीमर ,कोहलर ,कोफ़्का - गेस्टाल्टवादी सिद्धात
२.अल्बर्ट बानडुरा - सामाजिक अधिगम सिद्धात
३.टोलमेंन -चिन्ह सिद्धात
४.कुर्ते लेविन - तरलता सिद्धात
🔰व्यावहवादी सिद्धात व स्नाज्ञावादी सिद्धात में अंतर
1.व्यावहवादी में (पुनर्बलन ,अनुक्रिया, उदीपक, अभिप्रेरणा ) को सामील किया जाता है
➖ स्नाज्ञावादीयो के सिद्धात में (सवेदना, बुद्धि, प्रत्ययक्षिकर्ण, संज्ञान ,समस्या आदि सब्दो का प्रयोग किया जाता है
2.व्यवहारवादी यंत्रवत अधिगम को मानते है
➖सज्ञानवादी यंत्रवत व्यवहार को नही मानते
3.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम धीरे धीरे होता है
➖संज्ञानवादीयो के अनुसार अधिगम अचानक होता है
4.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम अनुबन्धन से होता है
➖संज्ञानवादीयो के अनुसार अधिगम अचानक होता है
5.व्यावहवादीयो के अनुसार अधिगम का अर्थ अनुबन्धन से होता है
➖सज्ञानवादियो के अनुसार अधिगम का अर्थ समस्या समाधान होता है
▪यदि प्राणी क्रिया करके उदीपक को प्राप्त कर लेता है तो अनुक्रिया है
♦थॉर्नडाईक
▪यह अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्होंने पशुओं पर अध्ययन किया है इसलिए इन्हें पशु मनोवैज्ञानिक कहा जाता है
▪यह प्रथम शेक्षणिक मनोवैज्ञानिक कहा जाता है इन्होंने सीखने के दो नियम बताए है
🖋मुख्य /प्राथमिक /प्रधान नियम
🖋गौण / द्वितीयक नियम
🔰मुख्य नियम
♦1.अभ्यास का नियम (बार बार अभ्यास करके पहाड़ा सीखना
♦2.प्रभाव का नियम / परिणाम का नियम (संतोष व असन्तोष का नियम)
♦ततपरता का नियम / प्रेरणा का नियम / मानसिक तैयारी का नियम (घोड़े को पानी तक )
🔰गौण नियम
♦1.बहु प्रतिक्रिया का नियम (अनेक क्रिया बार बार करना)
♦2.मानसिक विन्यास का नियम (मनोवर्ती का नियम)
♦3.आंशिक क्रिया का नियम (पूर्ण को समझने के लिए छोटे छोटे आंशिक रूप में पढ़ना
♦4.आत्मीकरण का नियम (पूर्व ज्ञान से सीखना)
♦5.साहचर्य परिवर्तन का नियम (वर्तमान परिपेक्ष का नियम)
🔰बोइंडिग लर्निंग थ्योरी (उदीपक अनुक्रिया सिद्धात - थार्नडाइक अमेरिका
▪इन्होंने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया है जो पिजरे में बंद है बाहर मास का टुकड़ा लटका है जो उदीपक है जिसके फलस्वरूप अनुक्रिया करता है
▪इसमे अनुक्रिया द्वारा उदीपक प्राप्त किया जाता है जिससे अनुबंध होता है
▪थार्नडाइक के अनुसार उदीपक को देखकर अनुक्रिया होती है अर्थात दोनों में सम्बन्ध या बंधन होता है इस आधार पर इसका नाम सम्बन्ध / बन्ध सिद्धात कहते है
🔝उपनाम (उदीपक अनुक्रिया सिद्धात, SR थ्योरी, / प्रयत्न भूल सिद्धात/ सम्बन्धन या बन्ध सिद्धात / सेंटिनल रिस्पांस थ्योरी / अनुवादी सिद्धात
♦शेक्षणिक महत्व
▪पहले की गई गलतियों से होने वाले अनुभवों से लाभ उठाता है
▪निरन्तर प्रयास पर बल देता है
▪अभ्यास क्रिया पर आधारित है
▪करके सीखने पर बल देता है
▪निराशा में आशा का भाव छुपा है
▪आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता का विकास करता है
▪छोटे बालको के सीखने के लिए विशेष उपयोगी है
▪मंद गति से सीखने वालो के लिए उपयोगी है
♻उदाहरण के लिए
➖करत करत अभ्यास जड़मति हो सुजान
➖सफलता से बढ़कर कोई पुरुस्कार नही है
➖एक घोड़े को पानी तक ले जाया जा सकता है पानी पीने को बाध्य नही कर सकते
🔝1930 में पुनः संसोधन किया इसमे कहा जरूरी नही की अभ्यास की पुनरावर्ती से अनुबन्धन हो
▪चालक - लक्ष्य - अनियित अनुक्रिया - संयोजन सफलता - द्र्धिकर्ण सोपान है
🔅निष्कर्ष
▪अधिगम में प्रयास व भूल समाहित होती है
▪अधिगम अनुबंधन का परिणाम है
▪अधिगम उत्तरोत्तर होता है
▪अधिगम सज्ञान पर आधरित नही होता यह प्रत्यक्ष पर आधारित होता है
🔰पुनर्बलन का सिद्धात (क्लार्क हल)
इसे प्रबलन / सबलीकरण / क्रमबद्धता व्यवहार का सिद्धांत / चालक न्यूनता का सिद्धात / परिष्कृत यथाथ सिद्धात कहते है
▪इस सिद्धांत का प्रतिपादन बुक प्रिंसीपल आफ बिहेवियर में किया गया था
▪इसमे आवश्यकता की कमी होती है जिसकी पूर्ति करने के लिए क्रिया करता है
▪अनुक्रिया उदीपक के कारण ना होकर आवश्यकता के कारण होता है
▪आवश्यकता की पूर्ति के लिए उठाया गया हर प्रयास व्यक्ति को पुनर्बलन देता है तथा क्रमबद्ध तरीके से व्यवहार करता हुआ आगे बढ़ता है तथा आवश्यकता की पूर्ति करने पर अपने चालक को शांत करता है
▪सीखना आवश्यकता की पूर्ति की प्रक्रिया के द्वारा होता है
▪सर्वाधिक महत्व पुनर्बलन को देता है
3.अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धात .पावलव
▪ईवान P पावलव यह एक रूसी सरीर शास्त्री मनोवैज्ञानिक था जिसे 1904 में पाचन क्रिया पर शोध के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया
▪इसे अनुबन्धन का जनक कहा जाता है (कुत्ते पर प्रयोग किया था)
🔝इसके प्रमुख उपनाम
▪शास्त्रीय या परम्परागत अनुबन्धन
▪अनुकूलित अनुक्रिया अनुबन्धन
▪प्रतिवादी अनुबन्धन
▪अनुबंधित अनुक्रिया अनुबन्धन
▪सम्बन्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
♦प्रयोग का प्रथम चरण
भोजन ............•• लार
UCS UCR
प्राकृतिक उदीपक प्राकृतिक अनुक्रिया
अअनुबन्धित उदीपक
स्वभाविक उदीपक
♦प्रयोग का द्वितीय चरण
घण्टी + भोजन = लार
CS + UCS = UCR
♦तीसरा चरण
घण्टी -- लार
CS CR
🔝कुत्ते को घंटी के साथ भोजन दिया जाता है तो निरन्तर क्रिया के बाद घण्टी के साथ लार टपकायेगा यह एक अनुबन्धन बन जाता है
▪जो क्रिया (लार का गिरना) पहले भोजन को देखकर हो रही थी वही क्रिया घण्टी की आवाज़ के प्रति होने लगी इसे हम अनुकूलित अनुक्रिया कहते है
▪पुनरावर्ती के आधार पर जो सम्बन्ध स्थापित होता है उसे अनुबन्धन कहते है पावलाव को अनुबन्धन का पिता कहते है
▪CS + UCS + UCR या
▪CS + US + UR
▪अस्वभाविक उदीपक + स्वभाविक उदीपक +स्वभाविक अनुक्रिया
🔰मुख्य सब्दवाली
⛰विलोप / विलिकरण
अनुबन्धन स्थापित हो जाने के बाद यदि बार बार मात्र अनुबन्धित उदीपक (घण्टी) ही प्रस्तुत करेगा तो अंत मे अनुबन्धित अनुक्रिया बन्द हो जाएगी इसे विलोप कहते है
⛰उदीपक सामान्यीकरण
▪बालक मिलती जुलती परिस्थितियों में वैसे ही व्यवहार करता है जैसे पूर्व अनुभव में कर चुका हो
जैसे :-
वाटसन ने अल्बर्ट नामक बालक पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि बालक खरगोश से डरता है साथ साथ वह रोवेदर चीजो से डरने लगता है इसे उदीपक सामान्यीकरण कहते है
पावलव ने घंटी की आवाज के स्थान पर सिटी की आवाज़ को घंटी से मिलती जुलती थी उस पर कुत्ते की वही प्रतिक्रिया रही जो घण्टी पर थी
एक बालक को लाल गुलाब का काटा चुभने पर चोट पहुचती है तो उसे अब किसी भी लाल वस्तु से डरने लगता है इसे उदीपक सामान्यीकरण कहते है
⛰उदीपक विभेदकरन
कुत्ते को घण्टी की आवाज़ पर पुनर्बलित किया गया सिटी की आवाज़ पर नही इस पर दोनों आवाज़ों में विभेद करना सीख जाएगा
⛰समय कारक
इसमे 5 सेकेंड से ज्यादा अंतराल नही होना चाइए
♻शेक्षणिक महत्व
▪प्राणी तभी सीखता है जब वह सतर्क रहता है (क्रियाशिल रहे)
▪शिक्षण में दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग इस सिद्धात पर आधारित है
▪यह सिद्धात क्रिया की पुनरावृत्ति पर बल देता है
▪भाषा सीखने सीखने में उपयोगी है
▪आदत निर्माण में सहायक है
▪भय व भ्रांति को दूर किया जा सकता है
▪यांत्रिक तरीके से सीखने पर बल देता है
4.सक्रिय अनुबन्धन का सिद्धात ( B F स्किनर )
▪ब्युरहस फ्रेडरिक स्किनर ने अपना प्रयोग चूहे और कबूतरों पर किया
▪प्रयोग में [स्किनर बॉक्स]•••[उछलकूद] ••• [ लिवर पर पैर रखना)] ••• [दरवाजा खुलना] •••भोजन [पुनर्बलन मिलना]
▪स्किनर ने क्रियाओं पर विशेष जोर दिया इसलिए इन्होंने थॉर्नडाईक की SR थ्योरी को RS थ्योरी में बदल दिया
▪स्किनर का कहना है कि क्रिया करते रहना चाइए तथा क्रिया के तुरंत बाद बालक को पुनर्बलन मिलना चाइए जिससे क्रिया करने की गति में तीव्रता आती है
♦पुनर्बलन के दो प्रकार होते है
1.सकारात्मक पुनर्बलन (पुरुस्कार, प्रशंसा,सम्मान आदि)
2.नकारात्मक पुनर्बलन (दण्ड,भय,सोक लगाना,डांटना आदि
🔅शेक्षणिक महत्व
1.अभिक्रमित अनुदेशन का जन्म होता है
2.पुनर्बलन को सर्वाधिक महत्व देता है
3.प्राणी को सही अनुक्रिया करने पर तुरन्त पुनर्बलन देना चाइए
4.वांछित अनुक्रिया के पुनर्बलन से बालको को प्रोत्साहन मिलता है
5.क्रिया के अनुसार सकारात्मक व नकारात्मक पुनर्बलन तुरन्त देना चाइए क्योकि देर करने से इसका प्रभाव कम पड़ता है
6.इस सिद्धात के द्वारा बालको को अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन किया जा सकता है
7.इस सिद्धात में चूहों को भोजन मिलना उसके लिए पुनर्बलन है
🔰संज्ञानवादी सिद्धात /गेसाल्टवादी सिद्धात
🖋गेसाल्ट सब्द का अर्थ है पूर्णाकार या संमग्राकार जो जर्मन स्कूल की देन है
🖋1920 में गेसाल्ट सम्प्रदाय का उदय जर्मनी में हुवा
▪मेक्स वर्दीमर - रिक्त पूर्तिता का सिद्धांत
▪कोहलर - सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
▪कुर्ते लेविन - क्षेत्रवादी सिद्धात
▪कोफ़्का
🔰सूझ या अंतर्दृष्टि सिद्धात
👉इसका प्रवर्तक मेक्स वर्दीमर था
👉इसका प्रयोगकर्ता कोहलर
👉 सहयोगी कोफ़्का था
▪प्रयोग ••[चिमपजी सुल्तान ] ••• [कमरे में बंद ] ••• [छत पर लटके केले] •••[सूझ बूझ का प्रयोग] ••• [ बॉक्स पर चढ़कर केले प्राप्त कर लिए]
▪दूसरा प्रयोग में दो छड़ी से केला तोड़ना है
♦शेक्षणिक महत्व
▪1.छोटे बालको का पूर्ण बुद्धि का विकास नही हो पाता है वो प्रयास व त्रुटि द्वारा सीखते है व जिनकी बुद्धि का विकास पूर्ण हो गया है वो सूझ व अंतर्दृष्टि द्वारा सीखते है
▪2.पाठ्यक्रम का निर्धारण सूझ सिद्धात की देन है अर्थात एकीकृत पाठ्यक्रम इसी सिद्धात के परिणाम स्वरूप बनाया जाता हैं
▪3.पूर्ण से अंस इसी सिद्धात की देन है
▪4.अध्यापक को बच्चों को समस्या का पूर्ण ज्ञान करा देना चाइए अगर अपूर्ण ज्ञान होगा तो अंतर्दृष्टि का विकास नही होगा
▪5.इस सिद्धांत द्वारा सीखने की शक्ति, कल्पना शक्ति ,निरीक्षण शक्ति आदि मानसिक योग्यता का विकास होता है
▪6.विज्ञान,गणित ,व्याकरण जैसे कठिन विषय को सीखने व सिखाने के लिए यह सिद्धांत विशेष उपयोगी है
▪7.अनुसंधान व समस्या समाधान में विशेष उपयोगी है
▪8.तार्किक तरीके से सीखने पर बल देता है समस्या समाधान विधि इसी पर आधारित है
🔰6.क्षेत्रीय सिद्धात °[कुर्त लेविन ]
▪यह मूलतः गणितीय सिद्धात है जिसका वर्णन " फील्ड थ्योरी ऑफ साइक्लोजी " में किया गया है
▪इसमे वाह्य व आंतरिक तत्वों द्वारा अधिगम होता है
▪अधिगम व्यक्ति व वातावरण का प्रतिफल है जिसको निम्न संकेतो से दर्शाया गया है
अल्फा € = f (PF × EF)
अधिगम =फलन (व्यक्ति × वातावरण)
सूत्र B =F [ P × E ]
व्यवहार = कारक [ व्यक्ति × वातावरण ]
🔰अष्टपदिय सोपान सिद्धात - रॉबर्ट गेने
▪इन्होंने अधिगम के अष्ठ (8 प्रकार) सिद्धात प्रस्तुत किए है जो सरल से कठिन की ओर प्रस्तुत किया जाता है
🔺8.समस्या समाधान अधिगम स्तर (सर्वोच्च स्तर है)
🔺7.सिद्धात अधिगम स्तर
🔺6.संप्रत्यय स्तर
🔺5.विभेदात्मक स्तर
🔺4.शाब्दिक साहचर्य स्तर
🔺3.श्रंखला अधिगम स्तर (स्किनर)】
🔺2.उदीपक अनुक्रिया स्तर थॉर्नडाईक】
🔺1.संकेत अधिगम स्तर पावलव】निम्न स्तर
सूत्र -राबर्ट गेने ने संकेत किया दीपक की एक श्रखला बनाई शब्द भेदी सम्प्रत्य सिद्धात देकर समस्या समाधान किया
व्याख्या राबर्ट गेने के अष्ठ सिद्धात
1.संकेत अधिगम
2.दीपक = उदीपक
3.श्रखला
4.सब्द =शाब्दिक
5.भेदी =विभेदात्मक
6.सम्प्रत्य
7.सिद्धात
8.समस्या समाधान
▪श्रखला अधिगम सिद्धात एडविन रे गुथरी ने दिया इसमे क्रमगत श्रखला की व्याख्या की है इसमे गलती को सुधार सकते है पूरा पद सुधारे की आवश्यकता नही है
▪राबर्ट गिनी के अनुसार क्रम 1 से 3 तक मानव व पशु व्यवहार का अध्ययन है जो व्यवहार वादियों से मिलता है तथा सोपान 4 से 8 केवल मानव व्यवहार का अध्ययन करता है यह व्यवहारवादी से मिलता है
4.शाब्दिक अधिगम स्तर - इसके द्वारा शाब्दिक व्यवहार में परिवर्तन का वर्णन है
5.बहु विभेदात्मक अधिगम स्तर
दो या दो से अधिक उदीपको में अंतर को बताता है
🔰 सामाजिक अधिगम सिद्धात (अल्बर्ट बानडूरा)
▪निदर्शन का सिद्धात
▪प्रतिरूपण का सिद्धात
▪अवलोकनात्मक अधिगम का सिद्धात
▪अप्रत्यक्षमता अधिगम सिद्धात
☯इन्होंने 1986 में सोसियल फंडामेंटल थॉट एंड एक्शन में सामाजिक सज्ञाननात्मक सिद्धात दिया जिसमें व्यक्ति दुसरो के व्यवहार को देखकर सीखता है
▪समाज द्वारा मान्य व्यवहार को अपनाता है तथा अमान्य व्यवहार को त्यागता है इस कारण यह सिद्धात सामाजिक अधिगम सिद्धात कहलाया और इन्होंने कहा कि पशुओं पर किया गया प्रयोग बालको पर लागू करना अनुचित है
♨प्रयोग 1 बेबी डॉल स्टडीज
♨प्रयोग 2 जीवन जोकर पर
🔺निष्कर्ष -बालक अनुकरण के माध्यम से सीखता है अनुकरण सीखने की प्रक्रिया है जो दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है
▪प्रमुख सोपान
📍अवधान - निरीक्षण कर्ता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आकर्षण
📍धारण
📍पुनः प्रस्तुतिकरन
📍पुनर्बलन
▪नोट :- दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखना सामाजिक अधिगम कहलाता है जिसको देखकर बालक व्यवहार करना सीखता है उसे प्रतिमान (मॉडल )कहते हैं
🔺 शैक्षणिक महत्व
1.बालकों के व्यक्तित्व निर्माण में यह सिद्धांत विशेष उपयोगी है
2.छोटे बालक सही -गलत में अंतर करने में असमर्थ पाते हैं यही कारण है कि गलत व्यवहार को अनुकरण के माध्यम से सीख लेते हैं अतः बालक के सामने सही प्रतिमान वाले मॉडल को आकर्षित तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए
3.कक्षा कक्ष में सदैव आदर्श व्यक्तित्व वाले प्रतिमान मॉडल प्रस्तुत करना चाहिए
⚠अधिगम स्तान्तरण या अधिगम अंतरण
एक क्षेत्र का सिखा गया ज्ञान,कौशल,अनुभव,परीक्षण दूसरे स्थति में प्रयोग किया जाता है उसे अधिगम स्तान्तरण कहते है
▪सहसम्बन्ध दो वस्तुओं के सम्बन्ध को बताता है
♨सकारात्मक स्तान्तरण
जब एक स्थिति में अर्जित ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में सहायक होता है तो उसे सकारात्मक स्थानांतरण / धनात्मक स्थानांतरण या अनुकूलता में स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.साईकिल चलाने वाला व्यक्ति स्कूटर चलाना आसानी से सीख जाता है
2.गणित विषय का ज्ञान भौतिकी के ज्ञान में सहायक होता है
3.हिंदी विषय का ज्ञान संस्कृत विषय में सहायक होता है
सकारात्मक अंतरण के 3 भागों में बाटा जाता है
1.क्षेतिज अंतरण -एक विषय का ज्ञान उसी विषय मे मदद करता है
2.उध्रव अधिगम - एक विषय का अधिगम दूसरे विषय मे सहायक हो जैसे बीजगणित का रेखा गणित में
3.दीपारखीय अंतरण - दोनों हाथों के दौरान एक दूसरे में सम्बन्ध रखता है
♨नकारात्मक स्तान्तरण
जब एक स्थिति में अर्जित ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में बाधक बन जाता है तो नकारात्मक / ऋणआत्मक या प्रतिकूल स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.कला विषय का विद्यार्थी विज्ञान विषय का ज्ञान पढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है
2. अमेरिका का ड्राइवर भारत में कार चलाने में कठिनाई होती है
♨ शून्य स्थानांतरण
एक स्थिति का ज्ञान दूसरी स्थिति में ना तो सहायक होता है ना बाधक होता है ऐसे स्थानांतरण को शून्य स्थानांतरण कहते हैं
🔸उदाहरण
1.कबीर के दोहे रहीम के दोहे में ना तो सहायक होते हैं ना बाधक होते हैं
2.बॉलिंग और बैटिंग
3.प्रार्थना व देश भक्ति गीत आपस में शून्य स्थानांतरण के प्रमुख उदाहरण है
☯अधिगम के स्तान्तरण सिद्धात
1.मानसिक शक्ति का नियम
चिंतन ,बुद्धि ,सोच विचारधारा के अनुसार अधिगम करता है
2.औपचारिक मानसिक प्रक्षिक्षण नियम
जो व्यक्ति जितना प्रक्षिक्षण करता है उतना ही अधिक अधिगम करता है इसकी आलोचना विलियम जेम्स ने की थी
3.समान तथ्यों का सिद्धात /समरूप अव्ययवो का सिद्धात - थार्नडाइक
जब दो विषयों में समानता होती है तो एक विषय का ज्ञान दूसरे विषय विज्ञान में सहायक होता है
4.समानीकरण सिद्धांत - चार्ल्स जड़ (CH जड़ )ने दिया
एक स्थिति में अर्जित ज्ञान का समानीकरण कर उसका प्रयोग किसी दूसरी स्थिति में करना सामान्यकरण सिद्धांत कहलाता है
5.आदर्श एवं मूल्यों का सिद्धांत - बागले ने दिया
🔰 संरचनात्मक / निर्मितवाद सिद्धांत
▪जेरोम ब्रूनर का संरचनात्मक सिद्धांत
▪ संरचनात्मक शब्द से तात्पर्य है ज्ञान की संरचना से है
▪निर्मितवाद शब्द की उत्पत्ति मनोविज्ञान के संज्ञानात्मक क्षेत्र से हुई है
▪ जेरोम ब्रूनर का मानना है कि बालकों को इस प्रकार पढ़ाया जाए ताकि उनमें विचार शक्ति ,कल्पना शक्ति ,सृजनात्मक क्षमता आदि का विकास हो सके
▪जेरोम ब्रूनर का मानना है कि जो विषय वस्तु पढ़ाई जाए उसकी मूल संरचना प्रकृति से बालकों को अवगत कराया जाए ताकि ऐसा करने से सीखना सरल हो जाता है ,बालक रुचि के साथ अधिगमकर्ता है व ऐसा ज्ञान अधिगम स्थानांतरण में सहायक होता है
♨निर्मितवाद
▪निर्मित वाद एक छात्र केंद्रित किया है इसमें बालक स्वयं का ज्ञान का सृजन करता है
▪नवीन ज्ञान का सृजन पूर्व ज्ञान के आधार पर किया जाता है
▪निर्मितवाद पूर्व ज्ञान के अनुभव पर बल देता है यह छात्रों की सक्रियता पर बल देता है
▪यह अर्थपूर्ण अधिगम पर बल देता है इन बालकों के ज्ञान की पर्याप्त की जांच की जाती है
▪यह बालकों के उत्तरदायित्व जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है
▪यह बालकों की आपसी साझेदारी में अंतर क्रिया पर बल देता है
▪शिक्षक की भूमिका निर्देशन, पथ प्रदर्शक अथवा सुविधा प्रदाता की होती है
▪ शिक्षक बालको के समझ चुनौतीपूर्ण अधिगम प्रस्तुत करता है
▪शिक्षक द्वारा बालकों को समूह बनाकर विषय संबंधी समस्या दी जाती है
▪ विचार-विमर्श सक्रिय रहकर करते हैं पूर्व ज्ञान व नवीन ज्ञान द्वारा अंतः क्रिया करते समस्या समाधान निकालते हैं
🔸निर्मितवाद के 3 प्रकार के है
1. सज्ञाननात्मक निर्मितवाद -जिन पियाजे
बालक जैसे-जैसे वातावरण (उद्दीपक जगत) के संपर्क में आता है उसके ज्ञान का विकास होता जाता है
2.सामाजिक निर्मितवाद बोईगोश्तस्की
ज्ञान का विकास सामाजिक कारको व भाषा के माध्यम से होता है
3.त्रिज्यात्मक निर्मित वाद - जेरोम ब्रूनर
ज्ञान का निर्माण व्यक्तिगत रूप से होता है जो विशिष्ट परिस्थितियों में प्रदान किया जाता है
▪ जेरोम ब्रूनर की पुस्तक
: द प्रोसेस ऑफ एजुकेशन (शिक्षा की प्रक्रिया )
: द रिलेशन ऑफ एजुकेशन (शिक्षा की प्रासंगिकता)
अधिगम के उद्देश्यों को बालक को परिचित कराना चाहिए ताकि हमें प्रेरित होकर रुचि के साथ कार्य करें
▪अधिगम की अवस्था
1.विधि निर्माण आधारित अवस्था 0-2
सवेदना व सारेरिक क्रिया के माध्यम से ज्ञान ग्रहण करना
2.प्रतिमान आधारित अवस्था 3 से 12
मूर्त प्रत्यक्षीकरण द्वारा अधिगम
3.चिंह आधारित अवस्था (12 के बाद)
चिन्हों व प्रतीकों व अमूर्त चिंतन द्वारा अधिगम करता है
▪आसुबेल का अधिगम सिद्धात
▪चिन्ह अधिगम सिद्धात टोलमेंन
▪प्रतिस्थापन का सिद्धात गुथरी
▪अनुभवजन्य अधिगम कार्ल रोजर्स
▪मानवतावादी अधिगम मसेलो
🔸अधिगम के सोपान
▪अभिप्रेरणा A
▪विभिन्न अनुक्रिया V
▪बाधाये B
▪पुनर्बलन P
▪अनुभवों का संगठन
▪लक्ष्य
सूत्र AVBP संगठन का लक्ष्य अधिगम है
★★★▪संशिप्त
▪सीखना आदत , ज्ञान व अभिवर्द्धि का अर्जन करना है .. क्रो एंड क्रो
▪सीखना नवीन ज्ञान ,नवीन प्रतिक्रिया प्राप्त करना है ...क्रोनबेक
▪ अनुभव के कारण अधिगम क्रोनबेके
▪ अनुभव व परीक्षण कारण अधिगम गेट्स
▪ व्यवहार में परिवर्तन के कारण अधिगम गिल्फोर्ड
♨उदीपक अनुक्रिया सिद्धांत - थार्नडाइक -बिल्ली ( तत्परता /अभ्यास/ प्रभाव/ s-r थ्योरी)
♨ सक्रिय अनुबंधन सिद्धांत स्किनर
चूहा पर (क्रिया के बाद पुनर्बलन )क्रिया प्रस्तुत
♨गेसाल्ट सिद्धात वर्दीमर प्रवर्तक / प्रयोग कोहलर / सहयोग कोफ़्का कठिन विषय को सीखने मे सहायक चिम्पांजी पर
♨अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत पावलव कुत्ते पर
♨सामाजिक अधिगम सिद्धांत बंडूरा डाल पर अवधान द्वारा सीखते है
♨ पुनर्बलन सबलीकरण सिद्धांत क्लार्क हल अनुक्रिया आवश्यकता के कारण
♨सर्चनात्मक निर्मितवाद सिद्धात जेरोम ब्रूनर (बालको को पढ़ने से पूर्व पाठ का ज्ञान करना चाइए)
☯ पूर्व ज्ञान पर आधारित नवीन ज्ञान निर्मितवाद है
1.संज्ञानात्मक निर्मितवाद - जीन पियाजे 2.सामाजिक निर्मितवाद - बोगतकोई
3.त्रिज्यात्मक निर्मित वाद जेरोम ब्रूनर
▪क्षेत्र सिद्धांत -कुर्त लेविन (अधिगम = वातावरण× व्यक्ति)
▪चिन्ह सिद्धांत टोलमैन
▪प्रतिस्थापन सिद्धात गुथरी
▪अनुभव जन्य सिद्धांत कार्ल रोजर्स
▪ मानवतावादी सिद्धांत मसेलो
▪राबर्ट गिनी ने 8 सिद्धांत बताएं
Sir eski pdf kese milegi
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