अर्थशास्त्र का अर्थ व परिभाषाऐ

🔰1. Meaning and Definition of Economics
           (अर्थशास्त्र का अर्थ व परिभाषाऐ)

▪मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है

▪मनुष्य द्वारा निर्मित समस्त कार्य - संगठन का अध्यन ही अर्थशास्त्र है

▪अर्थशास्त्र का ढांचा दो आधारो पर टिका हुआ है

1.साधन जो सीमित है
2.आवश्यकताये जो असीमित है

▪ मनुष्य या समाज सीमित साधनों को किफ़ायत के साथ प्रयोग करके वस्तु व सेवाओं का उत्पादन करता है और उनके द्वारा अपने आवश्यकताओं की पूर्ति करता है

▪सेम्युलसन के अनुसार "अर्थशास्त्र कला समय प्राचीनतम तथा विज्ञान समूह में  नवीनतम वस्तु है - यह सभी सामाजिक विज्ञान की रानी है"

▪अर्थशास्त्र ... वह विषय वस्तु जो दुर्लभ साधनों की विवेकशील प्रबंधन से इस प्रकार संबंधित है कि व्यष्टि स्तर पर व्यक्ति अपने आर्थिक लाभ को अधिकतम करते है तथा समष्टि स्तर पर समाज अपने कल्याण को अधिकतम करता है

▪अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह साखा है  जिसके अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन , वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है

▪अर्थशास्त्र सब्द संस्कृत के दो शब्द से मिलकर बना है
अर्थ + शास्त्र

अर्थ (धन)  शास्त्र (संधि से बना है)

जिसका शाब्दिक अर्थ है (धन का अध्ययन)

Oikou + Nomous दो ग्रीक सब्द है जिनसे मिलकर Oikounomous बना है जिसका अर्थ है "परिवार का नियम "

▪जिस प्रकार गृहणी सीमित साधनो में अधिकतम संतुष्टि किस प्रकार प्राप्त करें इस का अध्धयन अर्थशास्त्र में किया जाता है

▪ किसी भी विषय के संबंध में कार्यो  के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यो के अर्थ संबंधित कार्यों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है

▪अर्थशास्त्र में उन कार्यो का अध्ययन  होता है जो अपनी असीमित आवश्यकताओ को प्राप्त करने के लिए सीमित साधनो से प्राप्त करते हैं

🔰अर्थशास्त्र की परिभाषा

किसी भी विषय के अध्ययन  से पूर्व उसकी परिभाषा का ज्ञान होना जरूरी है क्योंकि परिभाषा के द्वारा संबंधित विषय की विशेष सामग्री , प्रकृति तथा क्षेत्र के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है

▪ समय-समय पर विभिन्न अर्थशास्त्रीयों ने अर्थशास्त्र की अलग-अलग परिभाषा दी है और प्रत्येक अर्थशास्त्री ने परिस्थिति के अनुसार अर्थशास्त्र को परिभाषित किया है

🔝 श्रीमती बारबारा बूटन ने सही लिखा है कि  " जहां छ:  अर्थशास्त्री होते हैं वहां सात मत होते हैं "

🔸अध्यन की सरलता की दृष्टि से अर्थशास्त्र की परिभाषा को पांच बड़े भागों में बांटा जा सकता है

🔺अर्थशास्त्र की परिभाषा

(क) धन केंद्रित परिभाषा -एडम स्मिथ,  जे.बी से,N सीनियर, जेवन्स, FA वाकर

(ख) कल्याण केंद्रित परिभाषा - अल्फ्रेड मार्शल, पिगू ,JS मील,कैनन ,एली, बेबरीज

(ग) दुर्लभता प्रधान परिभाषा - रॉबिन्सन, लर्नर एरिकॉल,विक्सिड

(घ) आवश्यकता विहीनता - JK मेहता

(ड़)नवीन दृष्टिकोण - पाल ए सेम्युलसन, हेनरी स्मिथ

♨(क) धन केंद्रित परिभाषा

प्रोफ़ेसर एडम स्मिथ, जे .बी . से , वाकर ने ऐसी परिभाषा दी है जिनका केंद्र बिंदु "धन" था

▪प्रो. एडम स्मिथ ने 1776  में प्रकाशित अपनी पुस्तक "राष्ट्रों के धन के स्वरूप तथा कारणों की खोज" (An enquiry into Nature and causes of wealth of Nations ) में अर्थशास्त्र की परिभाषा निम्न दी है

"अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है"

🔝 एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता (जन्मदाता)कहा जाता है साथ ही इन्हें प्रतिष्टित विचारधारा के संस्थापक थे

अर्थशास्त्र धन के कारणों व धन की प्रकृति की जाती है

🔘वाकर के अनुसार
 " अर्थशास्त्र ज्ञान के उस भाग का नाम है जिसका संबंध धन से है"

🔘 जे.बी. से के अनुसार
" अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन का अध्यन करता है"

🔝 संस्थापक सभी अर्थशास्त्री यह मानते थे कि मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अंतिम उदेश्य धन अर्जित करना है

⚠आलोचना

1.धन पर आवश्यकता से अधिक बल दिया
2.आर्थिक मानव की कल्पना अनुचित
3.अर्थशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित किया

♨(ख) कल्याण सम्बंधित परिभाषाये

19 वी शताब्दी में अर्थशास्त्रीयों ने माना कि अर्थशास्त्र का उद्देश्य केवल धन की उत्पत्ति का विश्लेषण करना ही नही है धन की उतपत्ति से अधिक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि धन का उपयोग द्वारा अपनी आवश्यकताओं संतुष्टि की जाए तथा भौतिक कल्याण में वृद्धि की जाए

▪मार्शल ने  धन के स्थान पर मनुष्य के आर्थिक कल्याण पर अधिक जोर दिया है

🔘 मार्शल के अनुसार
"अर्थशास्त्र मानव जीवन के सामान्य व्यवसाय का अध्यन है उसने व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जांच की जाती है जो भौतिक सुख के साधन की प्राप्ति एवं उपभोग घनिष्ठ रुप से संबंधित है"

🔘 पिगू के शब्दों में
" अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का अध्यन है और आर्थिक कल्याण के उस भाग तक सीमित रहता है जिसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से मुद्रा में मापदण्ड से संबंधित किया जा सकता है

🔝 संक्षेप में मार्शल,पिगू  आदी अर्थशास्त्रियों के अनुसार अर्थशास्त्र "भौतिक कल्याण का अध्यन है"

⚠आलोचना

सन 1932 में प्रो रॉबिन्सन ने अपनी पुस्तक"An Essay on Nature and significance of economic science " में कल्याण सम्बंधित परिभाषा को संकुचित ,अव्यवहारिक एवम भ्रामक कहा

1.साधनों का भौतिक व अभौतिक में वर्गीकरण अनुचित है
2.अर्थशास्त्र केवल सामाजिक विज्ञान नही है इसमे समाज से बाहर रहने वाले व्यक्ति भी वसे व्यवहार करते है

♨(ग) दुर्लबता प्रधान परिभाषा

प्रो.रॉबिन्सन ने अर्थशास्त्र को नया दृष्टिकोण प्रदान किया उन्होंने न तो धन पर अधिक जोर दिया न मनुष्य के कल्याण पर बल्कि उन्होंने व्यक्ति की असीमित आवश्यकताओ का  सीमित साधनों के संबंध स्थापित करने का प्रयास किया है

🔘 रॉबिन्सन के अनुसार "अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसके साध्यो तथा सीमित और अनेक उपयोग वाले साधनो में संबंधित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है

🔸इनकी परिभाषा में 4 बिंदु दिए
➖मानव की आवश्यकता अनन्त व असीमित है
➖आवश्यकता की पूर्ति के लिए साधन (समय व धन ) सीमित है
➖साधनों का वैकल्पिक प्रयोग हो सकता है
➖आवश्यकता की तीव्रता में भिन्नता होती है

▪प्रो रॉबिन्सन ने अर्थशास्त्र को कला व विज्ञान दोना माना है

⚠आलोचना
1.अर्थशास्त्र के क्षेत्र को आवश्यकता से अधिक व्यापक बनाया
2.अर्थशास्त्र में  सामाजिक सवभाव पर उचित ध्यान  नहीं दिया
3.अर्थशास्त्र केवल मूल्य निर्धारण नहीं है 4.उद्देश्यों के प्रति तटस्थता
5. अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान  नहीं है बल्कि कला भी है

▪मार्शल व रॉबिन्सन परिभाषा

🔸समानता
👉अर्थशास्त्र को विज्ञान माना
👉दोनों का अंतिम उदेश्य अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करना है
👉अध्ययन में मानव को प्रधान व साधनों को गौण माना है

▪असमानता
1.मार्शल की परिभासा
2.राबिंस की परिभाषा

:- मार्शल की परिभाषा वर्गीकरणी है
:- राबिंस की परिभाषा विश्लेषणणात्मक है

:- मार्शल की परिभाषा में धन सम्बंधित क्रिया को सामील किया है
:- राबिंस की परिभाषा में व्यवहार दृष्टिकोण का अध्ययन किया है

:- आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन है
:- चुनाव करने के पहलू का अध्ययन है

▪सिद्धात की दृष्टि से रॉबिन्सन की परिभाषा श्रेष्ठतम है जबकि व्यवहार की दृष्टि से देखने पर मार्शल की परिभाषा श्रेष्ठतम है

♦अर्थशास्त्र चुनाव का विज्ञान है (राबिंस)
♦अर्थशास्त्र आदर्श विज्ञान है (मार्शल)
♦अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है (रॉबिन्स)

♨(घ) आवश्यकता विहीन परिभाषा

▪ भारत की सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जे. के.मेहता  ने भारतीय दर्शन से प्रभावित होकर अर्थशास्त्र के संबंध में पाश्चात्य दृष्टिकोण से सर्वथा भिन्न  दृष्टिकोण अपनाया  तथा इस आधार पर आवश्यकता विहीनता की परिभाषा दी

🔘प्रो.मेहता के अनुसार
'' अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय आचरण का इच्छा रहित अवस्था में पहुंचने के लिए साधन के रुप में अध्ययन करता है"

♨(ड़) आधुनिक परिभाषा

▪प्रो .सेम्युलसन अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि व्यक्ति और समाज अनेक प्रयोग में आ सकने उत्पादन के सीमित साधनों का चुनाव है "

▪प्रोफ़ेसर के. जी सेठ के अनुसार
"अर्थशास्त्र उसमें मानव व्यवहार का अध्ययन करता है जो साध्यो के संदर्भ में साधनों के परिवर्तन व विकास से संबंधित होता है"

▪ प्रो.हिक्स के अनुसार
" अर्थशास्त्र में मानव व्यवहार के विशिष्ट पहलू का अध्ययन किया जाता है अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो व्यवहारिक क्रियाकलापों का अध्ययन करता है "

▪आधुनिक अर्थशास्त्र ने अर्थशास्त्र का विकासवादी व कल्याणकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है जो वास्ताविकता के अधिक निकट माना जा सकता है

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