इतिहास 1

इतिहास सारांष

☯1. मौर्यकाल 

▪मौर्य काल में सम्राट की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद की व्यवस्था होती थी जिसमें 12, 16 या 20 सदस्य होते थे।

▪मंत्रिपरिषद के सदस्यों का चुनाव अमात्यों में से उपधा परीक्षण के बाद होता था। मंत्रिपरिषद के सदस्यों को 12 हजार पण वार्षिक वेतन मिलता

▪चाणक्य के अर्थशास्त्र में शीर्षस्थ अधिकारी के रूप में तीर्थ का उल्लेख मिलता है। इन्हें महामात्र भी कहा जाता था। इनकी संख्या 18 थी।

1- मंत्री और पुरोहित- -पुरोहित प्रमुख धर्माधिकारी होते थे। चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में ये दोनों विभाग चाणक्य के पास थे। बिन्दुसार का प्रधानमंत्री खल्लाटक तथा अशोक के प्रधानमंत्री राधागुप्त थे।
2-समाहर्ता--यह राजस्व विभाग का प्रमुख अधिकारी 
3-सन्निधाता-- कोषाध्यक्ष होता था वेतन 24000 पण वार्षिक
4-सेनापति--यह युद्ध विभाग  प्रधान वेतन 48 हजार पण
5-युवराज--राजा का उत्तराधिकारी
6-प्रदेष्ठा--फौजदारी (कण्टकशोधन) न्यायालय का न्यायाधीश
7-नायक--यह युद्ध में सेना का नेतृत्व करता था।
8-कर्मान्तिक--साम्राज्य के उद्योग धंधों का प्रधान निरीक्षक।
9-व्यवहारिक--यह दीवानी न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होता था
10-मन्त्रिमण्डल अध्यक्ष--यह मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता था।
11-दण्डपाल--सेना की सामग्री को एकत्रित करने वाला अधिकारी।
12-अन्तपाल--सीमावर्ती दुर्गों का रक्षक।
13-दुर्गपाल--देश के अन्दर के दुर्गों का रक्षक।
14-नागरक--नगर का प्रमुख अधिकारी।
15-प्रशास्ता--राजकीय आदेशों को लिपिबद्ध कराने वाला एवं राजकीय कागजातों को सुरक्षित रखने वाला अधिकारी।
16-दौवारिक या द्वारपाल--राजमहलों की देख रेख करने वाला प्रमुख अधिकारी।
17-अन्तर्वशिक--राजा की अंग रक्षक सेना का प्रमुख अधिकारी।
18-आटविक--वन विभाग का प्रधान अधिकारी।

■ कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित अध्यक्ष

▪पण्याध्यक्ष- वाणिज्य विभाग का अध्यक्ष
▪सुराध्यक्ष- आबकारी विभाग का अध्यक्ष
▪सूनाध्यक्ष- बूचड़खाने का अध्यक्ष
▪गणिकाध्यक्ष- गणिकाओं का अध्यक्ष
▪सीताध्यक्ष- कृषि विभाग का अध्यक्ष
▪अकराध्यक्ष- खान विभाग का अध्यक्ष
▪कुप्याध्यक्ष- वनों का अध्यक्ष
▪शुल्काध्यक्ष- व्यापार कर वसूलने वाला
▪सूत्राध्यक्ष- कताई-बुनाई विभाग का अध्यक्ष
▪लोहाध्यक्ष- धातु विभाग का अध्यक्ष
▪लक्ष्नाध्यक्ष- छापेखाने का अध्यक्ष
▪गो-अध्यक्ष- पशुधन विभाग का अध्यक्ष
▪विविताध्यक्ष- चरागाहों का अध्यक्ष
▪मुद्राध्यक्ष- पासपोर्ट विभाग का अध्यक्ष
▪नवाध्यक्ष- जहाजरानी विभाग का अध्यक्ष
▪पत्त्नाध्यक्ष- बन्दरगाहों का अध्यक्ष
▪संस्थाध्यक्ष- व्यापारिक मार्गों का अध्यक्ष
▪देवताध्यक्ष- धार्मिक संस्थाओं का अध्यक्ष
▪पोताध्यक्ष- माप-तौल का अध्यक्ष
▪मानाध्यक्ष- दूरी और समय से सम्बंधित साधनों की नियंत्रित करने वाला अध्यक्ष
▪अश्वाध्यक्ष- घोड़ों का अध्यक्ष
▪हस्ताध्यक्ष- हाथियों का अध्यक्ष
▪सुवर्णाध्यक्ष- सोने का अध्यक्ष
▪अक्षपटलाध्यक्ष- महालेखाकार

■प्रांतीय प्रसासन (चक्र) 5 भागो में बंटा है
प्रान्त : राजधानी ( अधिकारी प्रदेष्टा कहा)
1.उत्तरापथ                                                    तक्षशिला
2.दक्षिणापथ                                                 सुवर्णगिरि
3.अवन्ति राष्ट्र                                                उज्जयिनी
4.प्राची (पूर्वी प्रदेश)                                       पाटलिपुत्र
5.कलिंग                                                       तोसली

■ मौर्य कालीन नगर प्रशासन

 ▪ मैगस्थनीज की इण्डिका में पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार नगर का प्रमुख अधिकारी एस्ट्रोनोमोई था।

▪एग्रोनोमोई सड़क निर्माण के प्रमुख अधिकारी को कहा जाता था।

▪पाटलिपुत्र के नगर का प्रशासन 30 सदस्यों का एक मण्डल करता था।

▪इसकी कुल 6 समितियां थी प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे।

1-शिल्प कला समिति--इसका प्रमुख कार्य नगर की सड़कों एवं भवनों का निर्माण करना तथा नगर की सफाई व्यवस्था करना था।

2-विदेश समिति--इसका मुख्य कार्य विदेशियों की देख-रेख तथा अप्रत्यक्ष रूप से उनकी गतिविधियों पर नजर रखना था।

3-जनसंख्या समिति--यह समिति जन्म-मरण का विवरण रखती थी।

4-उद्योग व्यापार समिति--इसका कार्य वाणिज्य एवं व्यापार की देखभाल, वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण आदि करना था।

5-वस्तु निरीक्षक समिति--बाजार में बिकने वाली वस्तुओं में मिलावट का निरीक्षण करती थी।

6-कर निरीक्षक समिति--बिक्री कर को वसूलना एवं कर चोरी को रोकना। कर चोरी करने वाले को मृत्युदण्ड दिया जाता था

■ मौर्य शासन में दो तरह के गुप्तचर कार्य करते थे।

1-संस्था--ये गुप्तचर संस्थाओं में संगठित होकर एक ही स्थान पर रुककर कार्य करते थे। ये 5 प्रकार के थे--कापटिक (छात्र वेश), उदास्थित (सन्यासी वेश), गृहपतिक (किसान वेश), वैदेहक (व्यापारी वेश), तापस (तपस्वी वेश)

2-संचार--ये गुप्तचर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए कार्य करते

■ प्रमुख मौर्यकालीन साहित्य किताब व लेखक निम्न है
१.अर्थशास्त्र  - कौटिल्य
२.मुद्राराक्षस  - विशाखदत्त
३.सरित्सागर  - सोमदेव
४.वरहत्कथामजरी - क्षेमेन्द्र
५.मुद्रा राक्षस व्याख्या - घुंडीराज
६.विष्णुपुराण की टीका - रत्नगर्भ की
७.मुद्रा राक्षस कथा - महादेव की
८.चाणक्य कथा  - रविंनर्तक
९.महाभाष्य & दशकुमारचरित - पतंजलि
१०.राजतरंगिणी - कल्हण

24.प्रमुख मौर्यकालीन बोद्ध साहित्य
१.दीपवंश
२.महावंस
३.महावंस टिका
४.महाबोधि वंस
५.कम्बोडियाई महावंस
६.मिलिंद पन्हों
७.दिव्यदान
८.आरजममंजुश्री मूलकल्प
९.कलयुग राजवर्ततात

.मौर्यकालीन जैन साहित्य
१.पृरीष्ठपरवन & त्रिस्तकसला -हेमचन्द्र
२.भद्रबाहु चरित्र -रतननन्दी का
३.वरहद कथाकोश - हरिषेण

■ मौर्यकालीन स्तम्भ निर्माण

1.लोरिया नंदगढ़ स्तम्भ (शिर्ष पर सिंह)
2.संकिसा स्तम्भ (फरुखाबाद) हाथी
3.रामपुरवा स्तम्भ (बृषभ)
4.सारनाथ स्तम्भ (सिंह)

🔰 मौर्यकालीन स्तम्भ लेख

1.▪मेरठ का स्तम्भ लेख(वर्तमान में दिल्ली) यह टिफेन थैलर द्वारा पढा गया 1750 में
2.▪टोपरा स्तम्भ लेख (उत्तरप्रदेश)
3.▪प्रयाग स्तम्भ लेख (उत्तरप्रदेश)
4.▪लोरिया नंदनगढ़ स्तम्भ लेख (प .चंपारण बिहार)
5.▪लोरिया अरेराज लेख (बिहार)
6.▪रामपुरवा स्तम्भ लेख (बिहार)

⭕अशोक के शिलालेख और उसके विषय

♻शिलालेख -1. इसमें पशु बलि की निंदा की गई।

♻शिलालेख-2. समाज कल्याण, मनुष्य व पशु चिकित्सा।

♻शिलालेख-3. अशोक के तीसरे शिलालेख से ज्ञात होता है कि उसके राज्य में प्रादेशिक, राजूक , युक्तों को हर 5 वें वर्ष धर्म प्रचार हेतु भेजा जाता था जिसे अनुसन्धान कहा जाता था। इसमें बचत, धार्मिक नियम और अल्प व्यय को धम्म का अंग बताया है।

♻शिलालेख-4. भेरिघोष की जगह धम्म घोष की धोषणा।

♻शिलालेख-5. धर्म महामत्रों की नियुक्ति (13 वें वर्ष )

♻शिलालेख-6. आत्म नियंत्रण की शिक्षा। .

♻शिलालेख-7.व 8. अशोक द्वारा तीर्थ यात्राओ का वर्णन।

♻शिलालेख-9. सच्ची भेंट व सच्चे शिष्टाचार का वर्णन।

♻शिलालेख-10. राजा व उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें।

♻शिलालेख-11. धम्म की व्याख्या। धर्म के वरदान को सर्वोत्तम बताया।

♻शिलालेख-12. स्त्री महामत्रों की नियुक्ति व सभी प्रकार के विचारो के सम्मान की बात कही। धार्मिक सहिष्णुता की निति।

♻शिलालेख-13. कलिंग युद्ध, अशोक का हृदय परिवर्तन, पड़ोसी राजाओं का वर्णन।

♻शिलालेख-14. धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी।

■मौर्यो की उत्तपति

#."परिशिष्ठ पर्वत" जैन ग्रन्थ में मोरपालक क्षत्रिय बताया
#."कथामंजरी" क्षेमेन्द्र ने नन्दवंश का बताया
#."मुद्राराक्षस"विशाखदत्त में घनानंद पुत्र बताया
#."कथा सरिसागर"सोमदेव ने नंदवंश का बताया
#."स्ट्रेबो व जस्टिन "यूरोपियन इतिहासकारो ने सेन्ड्रोकोटस कहा है
# "प्लूटार्क व एरियल" ने एंड्रोकोट्स कहा था
# विलियम जोन्स ने सेन्द्रोकोट्स की तुलना चन्द्रगुप्त से की थी

 ☯ गुप्तकाल [275 से 325 ई ]

● मन्दिर-निर्माण कला

1.तिगवा का विष्णु मंदिर(जबलपुर मध्यप्रदेश)
2.एरण का विष्णु मंदिर (बुंदेलखंड सागर जिला मध्यप्रदेश)
3. नचना कुठार पार्वती मंदिर (गज सहेला पन्ना मध्यप्रदेश)
4.भूमरा शिव मंदिर(मध्यप्रदेश के सत्ताना)
5.देवगढ़ का दशावतार मंदिर (ललितपुर झांसी)
6.भीतरी गांव का मंदिर (कानपुर उत्तरप्रदेश)
7.लक्ष्मण मन्दिर सिरपुर(राजपुर छत्तीसगढ़)
8.भीतरी गांव मंदिर (उत्तरप्रदेश कानपुर)
 9.मुकुन्दरा शिव मंदिर (कोटा राजस्थान)
10.राम जानकी मंदिर (रायपुर छत्तीसगढ़)
11.नागोदा का शिव मंदिर(सत्ताना मध्यप्रदेश)
12.खोह शिव मंदिर (सत्ताना मध्यप्रदेश)
13.मढ़ी मंदिर (जबलपुर मध्यप्रदेश)
14.मणि नाग मंदिर (राजगीर नालन्दा बिहार)

☯ 3. प्राचीन भारत मे शिक्षा व्यवस्था और शिक्षण संस्थाए

▪ पितुरन्तेवासी :- पिता से अध्ययन करने वाले विद्यार्थी
▪ अंतेवासी :- आचार्य से अध्धयन करने वाले कहलाते थे
▪ शिक्षा की सुरुवात उपनयन संस्कार से सुरुवात होती थी
▪ शिक्षा का समापन " दीक्षांत (समवर्तन) से होता था

▪ विवाह तक जो स्त्रियां बृह्मचर्य :  सधोवधु
▪ जीवनपर्यन्त ब्रह्मचारी : ब्रह्मवादिनी

▪ पाणिनि सूत्र में प्रविष्ठित स्त्री कंठी कहलाती है
▪चरक - घूम घूम कर शिक्षा देता है उसे चरक कहते है

▪घोराध्यापक -कठौर नियमो का पालन करवाने वाले अध्यापक
▪काष्ठाअध्यापक - सरल सभाव वाले अध्यापक
▪अत्यध्यापक - अधिक रटाने वाले अध्यापक

▪ छात्रों की स्थति
↪ गुरुदक्षिणा देकर शिक्षा लेना - उपकुर्वाण
↪ गुरुकुलों में निवासी छात्रा को अंतेवासी कहा
↪ सुल्क चुकाकर शिक्षा - आचार्य भागिड़ाई
↪ सुल्क देने में असमर्थ - धम्मतेवासी

●  प्राचीनकाल के शिक्षा के केंद्र

◆ तक्षशिला : पंजाब प्रांत रावलपिंडी
▪गांधार महाजनपद की राजधानी
▪ सिंधु व झेलम के मध्य
▪ स्थापना भरत ने की थी इसका प्रसाशन पुत्र तक्ष को सौप था
▪ जैन धर्म का तीर्थ स्थल की उपमा दी गई
▪ यह हिन्दू व बोद्ध धर्म दोनो के लिए महत्व का केंद्र था
▪चाणक्य यहा के आचार्य थे
▪ प्रसिद्ध चीनी यात्री फाईयाह्न 405 ई पु में  तक्षशिला आया था तथा इसको चो - श- शीलो के रूप में वर्णित किया
▪ खंडहरों की खोज जनरल कनिघम ने 1863 में सुरु
▪ कार्य 1912 मे सर जान मॉर्शल व भारतीय पुरातात्विक विभाग ने
▪ तक्षशिला में  केवल द्विज वर्ग के विद्यार्थियों को ही शिक्षा दी जाती थी
▪ शिक्षा प्रारम्भ की आयु ' सोलह वर्ष ' थी
▪ शिक्षा का माध्यम - संस्कृत 
▪ लेखन लिपि (ब्राह्मी व खरोष्ठी) थी
▪चौथी सताब्दी में हूण शासक तोरमाण ने विश्वविद्यालय के परिषर को नष्ट कर दिया
▪यूनेस्को की धरोहर में 1980 में शामिल कर लिया

◆ नालन्दा विश्वविद्यालय (बड़गांव राजगिरी बिहार)
▪उपनाम
↪ मृगसिखावन
↪ ऑन ऑफ दा फस्ट ग्रेट यूनिवर्सिटी इन रिकॉर्ड्स हिस्ट्री
↪ महायान बोद्ध धर्म का ऑक्सफ़ोर्ड
↪ विश्व का प्रथम पूर्णतयः आवासीय विश्वविद्यालय

▪ स्थापना : कुमारगुप्त प्रथम के समय 450 ई

▪हेनसांग : हर्षवर्धन के काल मे (630 ई) भारत आया  शीलभद्र के चरणों मे बैठकर शिक्षा ली
▪नृसिंह गुप्त बालादित्य ने 470 ई में एक मंदिर बनवाया जिसमे भगवान बुद्ध की 80 फिट तांबे की मूर्ति बनवाई
▪ इत्सिंग :10 वर्ष तक लौटते समय 400 संस्कृत ग्रन्थ ले गया
▪ तिब्बत के राजा गम्पो ने मंत्री थानवी को  शिक्षा के लिए भेजा
▪ प्रवेश परीक्षा के लिए द्वार पंडित कठिन प्रश्न पूछकर प्रवेश लेता था
▪इसमें शिक्षण की भाषा पाली थी
▪ धर्मगंज (पुस्तकालय) 9 मंजिला भवन तथा इसके तीन भाग है
 -: -रत्नसागर -:-  रत्नोदधि  -:-  रत्नरजंक
▪1193 ई में बख्तियार खिलजी ने इसे जलाकर नष्ठ कर दिया
▪ नालंदा बुद्ध के प्रमुख शिष्य सारिपुत्र की जन्मस्थली है

◆ विक्रमशिला (भागलपुर बिहार) कोसी- गंगा से संगम पर
▪ उपनाम महाविहार व शिलासंगम है
▪मगध का दूसरा विश्विद्यालय है (पहला नालन्दा था)
▪निर्माण :  धर्मपाल द्वारा 8 वी सताब्दी में
▪ परिषर में छः महाविद्यालय व  प्रत्येक में एक केंद्रीय कक्ष
▪शिक्षकों की संख्या 108 थी
▪ केंद्रीय कक्ष को विज्ञान भवन कहा जाता था
▪ दीपांकर श्रीज्ञान को तिब्बत के राजा ने आमंत्रित किया और दूसरा बुद्ध कहा
▪1203 में मुसलमानों ने बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में विक्रमशिला को दुर्ग समझकर नष्ठ कर दिया उस समय कुलपति शाक्य श्रीभद्र थे जो जान बचाकर तिब्बत चले गए
▪ विक्रमशिला के विनाश का वर्णन तबकात-ए-नासिरी में किया गया है

◆ जगदला (बंगाल)
▪रामपाल ने एक शहर रामवती की स्थापना जो वज्रयान सम्प्रदाय का केंद्र था

◆  बल्लभी (कठीवाडा सौराष्ट्र गुजरात)भटार्क ने स्थापना
▪प्रथम विहार की स्थापना :-दधा ने
▪दूसरा विहार राजा धरसेन ने 580 में
▪हीनयान बौद्ध धर्म दर्शन का प्रमुख केंद्र था
▪बल्लभी शहर जैन धर्म का केंद्र था
▪ इसकी स्थापना नालंदा के प्रतिद्वंद्वी के रूप में की गई थी

◆ उदयन्तपुरी विश्विद्यालय (बिहार)
▪ हिरण्यक प्रभात पर्वत व पंचानंद नदी के तट पर
▪ स्थापना 8वी सताब्दी में पालवंश के शासक धर्मपाल ने की थी

◆ काशी (वाराणसी)
▪ 10 वी सताब्दी में अलबरूनी भारत आया था तब हिन्दू शास्त्रों का परिचय करने के लिए वाराणशी आया था
▪ प्रसिद्ध कवि हर्ष ने " नैषध चरित " की रचना काशी में ही कि थी

◆  कश्मीर  : शैव धर्म के साथ साथ बोद्ध धर्म का भी प्रधान स्थल
◆ धार  " भोजशाला "विश्विद्यालय के रूप में प्रसिद्ध थी
◆ कन्नौज  कन्नौज हिन्दू व बोद्ध शिक्षा का केंद्र था
◆ सारनाथ  :  बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था
▪यहा अष्ट म्हास्थान शैली गध कुटी का निर्माण हुआ
◆ अहिलपाटन (गुजरात)

☯  4.भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार

▪ भारतीय संस्कृति को दो भागों में बाटा गया है
1. मध्य एशिया में सम्बन्ध (इसे तुर्किस्तान कहते है)
2. दक्षिण पूर्वी एशिया में प्रसार (हिन्द चीन,कंबोडिया, चंपा,बर्मा,स्याम(थाईलैंड) मलाया, सुमात्रा (श्रीविजय) जावा,ब्रुनेई,बाली आदि

● खोतान

▪ मध्य एशिया का दक्षिण भाग है जो भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र है
▪ खेतान के निकट धम्म की पांडुलिपि मिली
▪ अशोक का पुत्र कुणाल ने हिन्दू राज्य की स्थापना की थी
▪ कुणाल के पौत्र "विजत सम्भव " का कार्यकाल सबसे लंबा है जिसके काल मे बेरोचन आचार्य ने बोद्ध धर्म का प्रचार किया
▪भारतीय शासकों को " विजित " कहा जाता था
▪ बोद्ध स्तुपो को " पैगोडा " कहा जाता था गोमती विहार बोध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था
▪ 433 ई में धर्मक्षेप ने महापरिनिर्वाण सूत्र पांडुलिपि की खोज की थी
▪ खोतान में महायान साखा का प्रचलन था

● कूची

▪ कुची बोद्ध धर्म का केंद्र था यहा के शासक व जनता बोद्ध धर्म के कट्टर अनुयायी थे
▪यहा के भारतीय शासक में सुवर्णपुष्प ,हरिपुष्प,हरदेव, सुवर्णदेव आदि थे
▪ कुची में 10 हजार स्तूप है जहाँ कुमारजीवा का जन्म हुआ था

● भारत व चीन

▪रेशम मार्ग भारत के उत्तर से होकर गुजरता था
▪भारत के बोद्ध प्रचारक 217 ई पु में चीन पहुचे
▪ 65 ई में मीतिग ने धर्मरत्न व कश्यप को बोद्ध धर्म की जानकारी हेतु भेजा
▪तंग काल को चीन का बोद्ध काल कहते है
चीन में बोधिसत्व की मूर्ति बनाकर मूर्ति पूजा का प्रारम्भ हुवा

● अफगानिस्तान (वामियान घाटी में अनेक बोध मठ थे)

● तिब्बत

▪दीपंकर प्रमुख बोद्ध धर्म का प्रचारक था तिब्बत में बोध धर्म लामा तारानाथ ने संस्कृत भाषा मे अनुवाद किया

■ दक्षिणी पूर्वी एशिया

[कंबोडिया, स्याम,मलया,चम्पा,बर्मा देश आते है इन्हें सामुहिक रूप से हिन्दचीन कहा जाता है]

[जावा,सुमात्रा,ब्रूनई व बाली दिप को शामिल किया जाता है इन्हें सुवर्णभूमि कहते है]

● कंबोडिया(कंबुज)

▪कंबुज को चीनी साहित्य में फुनान कहा गया है
▪स्थापना कोडियनन ने की थी
▪सूर्यवर्मन ने अंकोरवाट में विष्णु मंदिर की स्थापना की गई
▪विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर है यह मेकांग नदी के किनारे है  राष्ट्रीय ध्वज में है  जिसमे समुद्र मंथन का दर्शन है

● चम्पा (वियतनाम)
▪ मोइसोन में भगवान शिव का मंदिर है

● बर्मा तथा स्याम (थाईलैंड) - आंनद मंदिर(वैष्णव संप्रदाय) का निर्माण क्यानजित ने किया

● पूर्वी दिप - यहा सबसे प्राचीन हिन्दू राज्य श्रीविजय था

■ दक्षिणी पूर्वी एशिया

▪ चम्पा के लेख में कहा गया " राजा को पृथ्वी पर निवास करने वाला वाला देवता कहा "

▪बोरोबुदुर स्तूप (जावा) -  निर्माण स्लेंडर शासकों ने किया जिसमें 9 चबूतरे है 6 वर्गाकार व 3 गोलाकार है  इन तीन पर 72 स्तूप है
▪ यह संसार का आठवां महान आश्चर्य है

● कंबोज / कंबुज का विष्णु मंदिर - सूर्यवर्मन द्वितीय  सम्पूर्ण मंदिर पाषाण से निर्मित है

● आनंद मंदिर पगांन बर्मा 564 फिट प्रांगण है इटो से निर्मित है

☯5. ब्रिटिश काल मे शिक्षा  1764 -1947

2.प्रथम मदरसा  -:- कलकत्ता में 1781 वारेन हेगस्टिन ने किया जिसमे फारशी व अरबी का अध्ययन किया जाता है

3.1784 एसियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल -:- सर विलियम जोन्स ने की थी (अध्यापन- संस्कृत में अध्य्यन )

4.वारेन हेगस्टिन  का पत्र (21 फरवरी 1784)
भारत के नगरों में विद्यालय जर्जर है इस कारण उचित शिक्षा का विकास नही हो पा रहा

5.★ संस्कृत कालेज  (बनारस में) जोनाथन डंकन में
1791 में हिन्दू साहित्य का प्रचार करना इसको हिन्दू कॉलेज भी कहते है

6.भारत मे आधुनिक शिक्षा का जन्मदाता -:- चार्ल्स ग्रांट को कहा जाता है 1792

7.में फोर्टविलियम कॉलेज 1800 ई.  (वेलिजेली ने अधिकारी बचो के लिए 1802 में बंद)

8. 1813 का चार्टर (प्रथम प्रयास था)
 शिक्षा विकास हेतु 1 लाख का प्रावधान था

■ हिन्दू कॉलेज 1817
राजाराम मोहन राय ,डेविड हेयर,सर हाइड ईस्ट ने की इसको प्रसिडेंसी नाम कर दिया

10. बेथुन कॉलेज 1849 बालिका शिक्षा हेतु

■ मैकाले रिपोर्ट 1834

10. इस रिपोर्ट में दो दल बन गए
1-:-  प्राचीन भाषा समर्थक - HT प्रिंसेप ,HH विल्सन
2-:-  अंग्रेजी भाषा समर्थक - मुनरो ,एलिफिन्स

11. 2 फरवरी 1835 को स्मरण पत्र परिषद के सामने मैकाले ने विचार सुना

12. " यूरोप के एक अच्छे पुस्तकालय की अलमारी का एक खाना भारत व अरब साहित्य से कही अधिक मूल्यवान है भारत मे ऐसी शिक्षा का विकास करना है जो रंग से भरतीय हो विचारों से अंग्रेज" ...मैकाले

मैकाले ने भारतीय संस्कृति की उपेक्षा की इसे अंधविश्वास का भंडार कहा

13.विलियम बेटीक ने 7 मार्च 1835 मैकाले रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया

14.★ अधोमुखी निष्पन्दन सिद्धात -:- जनरल ऑकलैंड

" उच्य वर्ग को शिक्षा दी जाए जिससे छन छन कर निम्न वर्ग तक शिक्षा पहुच जाए

■ चार्ल्स वुड डिस्पेच घोषणा (19 जुलाई 1854 ..डलहौजी)

15.चार्ल्स वुड डिस्पेच को भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है इसमें 100 अनुछेद जोड़े  व भावी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की नींव कहा गया है

16.सुझाव -:- पाश्चात्य शिक्षा का विकास, उच्य शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ,देसी भाषा को प्रोत्साहन ,अध्यपको को प्रक्षिक्षण , व्यवसायिक शिक्षा ,महिला शिक्षा को प्रोत्साहन दिया

17.तीनो नगरों कलकत्ता ,बम्बई ,मद्रास में विश्विद्यालय की स्थापना की गई

18. 5 जगह लोक शिक्षा विभाग (1855) की स्थापना की गई

■ हंटर कमीशन -:- 1882 -83

19. इस समय लार्ड रिप्पन गवर्नर जनरल था शिक्षा प्रगति मूल्यांकन के लिए (1 अध्यक्ष व 20 सदस्य जिसमे 8 भारतीय थे)

20.इसका उद्देश्य  प्राथमिक शिक्षा का विकास पर बल,महिला शिक्षा प्रोत्साहन, नैतिक शिक्षा अनिवार्य, फर्नीचर व्यवस्था, नियंत्रण नगर बार्ड द्वारा किया गया

21.पंजाब व इलाहाबाद वी वी खुले थे

 ■ रेल कमीशन 1902 लार्ड कर्जन

22.मैकाले रिपोर्ट की आलोचना की  तथा यूनिवर्सिटी कमीशन बनाया गया जिसका अध्यक्ष रैले था तथा 2 भारतीय सदस्य थे
• सैयद हुसैन विलग्राम (हैदराबाद)
• गुरुदास बेनर्जी (कलकत्ता)

23.शिमला सम्मेलन -:- सितम्बर1901 में बढ़ती हुई राष्ट्रवाद घटना को रोकने के लिए इसमे शेक्षणिक संस्थाओं पर नियंत्रण किया  व प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा से दूर रहा

■ भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904

24.विश्विद्यालय सीनेट में परिवर्तन किया गया इसमें सदस्यों की संख्या 50 से 100 निश्चित की गई

25.1910 में गोपाल कृष्ण गोखले केंद्रीय में प्रस्ताव रखा जिसमे निःषुल्क व अनिवार्य शिक्षा का प्रस्ताव रखा इसपर सीमांत प्रान्त में 1912 में निःषुल्क शिक्षा दी गई

■ सेडलेर आयोग 1917

26.कलकत्ता वी वी की शिक्षा की जांच आयोग गठित किया जिसमें दो भारतीय थे
-:- आसुतोष मुखर्जी
-:- जियाउद्दीन अहमद  इन्होंने 1919 में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया

27.इंटरमीडिएट कक्षा का अलग से संचालन करना तथा माध्यमिक बोर्ड का गठन करना सामील है

28. त्रिस्तरीय वर्षीय स्नातक ,कुलपति व अंतर विद्यालय की स्थापना करना व संचालन प्रान्त सरकार करेगी

■ होर्टिग समिति (1929) भारतीय परिणीति आयोग)

29.प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य करने की निंदा की गई, केंद्रीय सलाहकार बार्ड का पुनर्गठन, एडवर्ड व वुड समिति का गठन किया गया

■ वर्धा शिक्षा (बुनियादी शिक्षा योजना) अक्टूबर 1937

 30.जाकिर हुसैन ने ब्यौरा दिया मातृ भाषा मे शिक्षा तथा 7-11के बच्चो को निःषुल्क शिक्षा देना व व्यवससिक शिक्षा देना

■ सार्जेंट योजना 1944 (वेबेल)

31.6 से 11 तक के बच्चो को निःषुल्क शिक्षा व 11 से 17 वर्ष के बच्चों को 6 वर्षीय शिक्षा दी गई

■ राधाकृष्ण आयोग 1964

32.त्रिस्तरीय स्नातक ,शिक्षा समवर्ती सूची में रखा ,प्रशंनिक परीक्षा के लिए स्नातक अनिवार्य रखा

33.विश्विद्यालय आयोग 1953 (राधाकृष्ण की सिफारिश पर)
35.कोठारी आयोग 1964 (नैतिक शिक्षा पर बल)

☯ 1857 का स्वतंत्रता संग्राम

1-:- 29 मार्च 1857 बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने चर्बी लगे कारतूस वाली पिस्टल प्रयोग करने से मना कर दिया

↪ दो अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बाग व जनरल ह्यूसन की हत्या कर दी
↪ 8 अप्रेल 1857 को फाँसी दे दी गई  और 34 वी N. I रेजीमेंट को तोड़ दिया गया

-:- मंगलपाण्डे  बालियां गाजीपुर का था बैरकपुर छावनी प बंगाल में जवान था

2.क्रांति की तिथि 31 मई 1857 घोसित थी

3.10 मई 1857 को मेरठ स्थित छावनी में 20NI तथा 3LC पैदल टुकड़ी के 85 जवान ने कारतूस प्रयोग से मना कर दिया

4.11 मई 1857 को बहादुर शाह जफर द्वितीय को पुनः सम्राट घोसित कर दिया बख्त खा उनका सहयोगी था

5.आसमा के राजा कड़पेशर मनीराम दत्त को फाँसी दे दी गई

6.-:- दिल्ली का विद्रोह 20 सितम्बर 1857 जान निकलसन मार के दिल्ली पर अधिकार कर लिया

7.20 सितम्बर 1857 को जफर ने हडसन के समक्ष समपर्ण कर दिया इन्हें रंगून (बर्मा) जेल में डाल दिया गया

8.▪ लखनऊ विद्रोह 4 जून 1857 (बेगम हज़रत महल)
↪ लॉरेंस की हत्या कर दी
↪ केपवेल द्वारा दमन
↪ हजरत महल व पुत्र विजरिस कादिर ने विद्रोह किया (मौलवी अहमदुल्ला के साथ )

9.▪ कानपुर का विद्रोह 5 जून 1857 (नाना साहब)
↪ तात्या टोपे सहयोगी थे
↪ जनरल हु हीलर ने 27 जून को समपर्ण कर दिया
↪ केपवेल द्वारा दमन

10.झांसी का विद्रोह (लक्ष्मीबाई )
↪ डलहौजी की हड़प नीति के कारण
↪ तात्या टोपे ने मदद की थी
↪ सर होरूज 3 अप्रेल 1858 में पुनः अधिकार
↪ 17 जून 1858 को होरूज से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की
↪ 18 अप्रेल 1859 में तात्या टोपे मित्र मानसिंह के कारण पकड़ा गया और उसे तोप से उड़ाया गया था

11. फैजपुर  (मौलवी अहमदुल्ला)
5 जून 1858 को रूहेलखंड की सीमा पर गोली से मारा गया "विद्रोहियों सर्वश्रेष्ठ सैनिक कहा"

12.जगदीशपुर (आरा बिहार) जमींदार कुँवर सिंह

13.रुहेलखण्ड (खान बहादुर खा)

14.विद्रोह का रूप
↪ सैनिक विद्रोह (जार्ज लोरेन ,सिले,मजूमदार, मेल्सन)
↪ हिन्दू मुस्लिम षड्यंत्र (जेम्स आउटट्राम)
↪ धमधो का ईसाई विद्रोह (LER रिज)
↪ बर्बरता व सभ्यता का (TR होम्स)
↪ प्रथम स्वतंत्रता विद्रोह (वी डी सावरकर)

Top - :-
प्रधानमंत्री - पोर्मस्टंन
गवर्नर जनरल - केनिग
कंपनी का सेनापति जार्ज एनिसन
सेना का मुख्यालय - शिमला
तोपखाना मुख्यालय - मेरठ

15. डलहौजी ने हड़पा (सतारा नागपुर, सम्भलपुर, झांसी)

16.कुसाशन का आरोप - अवध

17.नवाब पद समाप्त - कर्नाटक व तंजौर

# 1857 की राजस्थान में क्रान्ति

राजस्थान में क्रान्ति का प्रारम्भ नसीराबाद में 28 मई 1857 को सैनिक विद्रोह से होता है।

सूत्र -  नसिब में -नीम - देव राएरनी है 28 में - 3 - 4 -  घटाया 21 आया

1. नसीराबाद - 28 मई 1857 (अजमेर)
2. नीमच - 3 जुन 1857 (मध्यप्रदेश) नेतृत्व - हीरा सिंह
3. देवली - 4 जुन 1857 (टोंक) मीर आलम खां।
4. एरिनपुरा - 21 अगस्त 1857 (पाली) नेतृत्व - मोती खां, तिलकराम, शीतल प्रसाद

जोधपुर लीजन के सैनिको ने "चलो दिल्ली मारो फिरंगी" का नारा दिया।

5.आउवा(पाली) - जोधपुर रियासत का एक ठिकाना  कुशाल सिंह ने भी विद्रोह किया।
6.बिथौड़ा का युद्ध - 8 सितम्बर 1857(पाली) कुशाल सिंह से कैप्टन हीथकोट के मध्य
7.चेलावास का युद्ध - 18 सितम्बर 1857(पाली)
इसमे कुशाल सिंह व ए. जी. जी. जार्ज पैट्रिक लारेन्स के मध्य युद्ध होता है और कुशाल सिंह की विजय होती है।

उपनाम - गौरों व कालों का युद्ध

8.कोटा - 15 अक्टुबर 1857  महाराजा रामसिंह प्र्रथम थे।
नेतृत्व - लाला जयदयाल, मेहराव खां

☯प्रमुख राष्ट्रीय लीडरशिप स्वतंत्रता संग्राम

■1.विनायक दामोदर सावरकर

▪ जन्म 28 मई 1883 भागलपुर (नासिक, महाराष्ट्र)

▪शिक्षा फर्ग्युसन कॉलेज पुणे व बार एट ला लंदन ने (तिलक के सम्पर्क में आये)

▪ मित्र मेला (अभिनव भारत) संस्था का गठन सस्त्र शिक्षा दी जाती थी

▪10 मई 1907 को क्रांति की अर्द्ध सताब्दी मनाई थी इंडिया हाउस में

▪ Book - 1857 की क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (मराठी पुस्तक)

▪ प्रकासन पर 1909 में  रोक (द इंडिया वॉर आफ इंडिपेंडेंस) पिक पेपर्स व साक्ट्स पेपर्स द्वारा भारत भेजा

▪8 जुलाई 1910 में गिरफ्तार कूदकर भागा फ्रांस में पकड़ा गया

▪ जैक्सन की हत्या के आरोप में नासिक षड्यंत्र में काला पानी की आजीवन सजा  (सेल्ल्युर जेल अंडमान) 1937 में रिहा

▪ भारत छोड़ो आंदोलन  का विरोध इसकी जगह भारत छोड़ो सेना रखा

▪1947 में दो ध्वजारोहण किये एक तिरंगा व दूसरा भगवा(अखण्ड भारत का)

▪ बुक :- हिदुत्व,हिन्दू राष्ट्र दर्शन, इनसाइड एनिमी कैम्प, इंडिया वॉर इंडिपेंडेंट थी

▪हिंदुस्तान 7 बेड़ियों में जकड़ा है

☯ बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

➡  जन्म :-  27 जून 1838 में नेहाती " काठल पाड़ा " बंगाल

➡ जेसोर के डिप्टी कलेक्टर नियुक्त ,बंगाल सरकार के सचिव,

 ➡ प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि (पहले भारतीय) थ

 ➡1844 :[ चेम्पियन ऑडर आफ द इंडियन इम्प्रे ] बनाया

➡ रायबहादुर व  CIE की उपाधियाँ पाईं

▪उनका निधन 8 अप्रैल 1897 में हुआ।

◆ रचनाए

➡ राजमोहन्स वाइफथी :-  प्रथम रचना अंग्रेजी में
➡ दुर्गेशनंदिनी  :- प्रथम बांग्ला कृति 1865 में  [रूमानी रचना]
➡ कपालकुंडला (1866)
➡ विषवृक्ष (1873) :- बंग दर्शन में उपन्यास का क्रमिक प्रकाशन
➡ सीताराम (1886) :- अंतिम उपन्यास [मुस्लिम सत्ता के प्रति एक हिंदू शासक का विरोध दर्शाया]
➡ बंगदर्शन (1872) :-  साहित्य पत्र निकाला [स्वम संपादक]
➡ आनंदमठ (1882) राजनीतिक उपन्यास है [उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन]

▪अन्य
-:-  मृणालिनी (1869)
-:-  इंदिरा
-:-  रजनी (1877)
-:-  चन्द्रशेखर (1877)
-:-  राधारानी
-:-  कृष्णकांतेर दफ्तर
-:-  कृष्णकांत का वसीयतनामा (1878)
-:-  देवी चौधरानी
-:- मोचीराम गौरेर जीवन चरित शामिल है।

▪ कविताएं "ललिता ओ मानस "नामक संग्रह में प्रकाशित हुई 

🔝 वन्देमातरम 1874 में लिखा बाद में आनंद मठ में शामिल किया  वन्देमातरम् गीत को सबसे पहले 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था

☯ लाला लाजपतराय [ शेर -ए -पंजाब & पंजाब केसरी]

➡ जन्म :-  28 जनवरी 1865 - दुद्दीके गांव, जगरांव, लुधियाना
➡ कॉलेज :- दयानन्द एंग्लो वैदिक स्कूल (DAV) लाहौर 
➡• नेशनल कालेज लाहौर
➡• तिलक स्कूल ऑफ पॉलटिक्स लाहौर

 ➡ उर्दू  दैनिक पत्र -  पंजाबी  व "वंदे मातरम
➡ अंग्रेजी दैनिक पत्र "द पीपल "(The People)
➡  यंग इंडिया • अमेरिका से प्रकाशित किया

■  उर्दू की पुस्तक
➡• महान अशोक
➡• श्रीकृष्ण और उनकी शिक्षा
➡• छत्रपति शिवाजी
➡• यंग इंडिया
➡• अन हेप्पी इंडिया विल टू फ्रीडम

▪ "सार्जेंट आफ पीपुल सोसायटी" की स्थापना अंतिम दिनों में की थी

▪1920 में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता की थी इसमे महात्मा गांधी के  असहयोग आंदोलन को स्वीकृति दी थी

▪साइमन कमीशन का विरोध 30 अक्टूबर 1928 को किया

▪ 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया

▪ चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया ।

▪ महात्मा गांधी ने कहा भारतीय सौर मंडल का तार डूब गया

 ➡ अखिल भारतीय छात्र संघ सम्मेलन :- नागपुर  (1920)  अध्यक्ष  राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ने का आह्वान किया

 ➡1921 जेल :- 18 माह मांडले जेल

➡ आर्य समाज :- स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया

▪ 1907 में कृषक आंदोलन पंजाब का नेतृत्व किया
▪ [ स्वराज पार्टी] की स्थापना की
▪ 1925 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे
▪ पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी स्थापना

☯ बाल गंगाधर तिलक [हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता]

➡ जन्म :- 23 जुलाई 1856 चिखली गांव, रत्नागिरी महाराष्ट्र

➡ आधुनिक  पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी के थे  गणित पढ़ाया [अंग्रेजी के आलोचक]

➡ दक्कन शिक्षा सोसायटी :- स्थापना भारत में शिक्षा का स्तर सुधार हेतु
➡नवीन इग्लिश विधालय - [पूना 1900 में स्थापना] 

■ पत्र

↪ केसरी (मराठी भाषा मे) 1881 बम्बई
↪ मराठा (अंग्रेजी भाषा मे)1882

■ उत्सव (लोगो मे राष्ट्र भावना जगाने के लिए)
↪ गणपति उत्सव [1893]
↪ शिवजी उत्सव  [1896]

■.Book
↪ Arctic Home of the Aryans
↪ गीता रहस्य लिखी

➡ [पुंसच्चय हरि ॐ आंदोलन]  चलाया था

▪ पूना के कमिशनरो की चापेकर बंधुओ की हत्या हत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में तिलक को 18 माह की सजा हुई (तिलक भारत के प्रथम राजनीतिक कैदी थे)

▪सूरत अधिवेशन [1907] -  अध्यक्ष लाला लाजपतराय को बनाने का प्रस्ताव  रखा था लेकिन रास बिहार बोस को बनाया गया था  इसके कारण दो गुट बने नरम दल व गरम दल
"
▪1908 के प्रेसः अधिनियम :- तिलक के केसरी लेख छापने के मामले मे जेल [मॉडले जेल में (1908-1914) गीता रहस्य पुस्तक लिखी]

▪होमरूल लीग स्थापना :- 28 अप्रेल 1916 एनिबिसेन्ट के साथ 
▪ 1916 के लखनऊ अधिवेशन तिलक ने कोग्रेस में प्रवेश किया
▪ 1अगस्त 1920 को मृत्यु हो गई

कथन
▪ भारतीय क्रांति का जनक नेहरू ने कहा था
▪ महात्मा गांधी ने " भारत का निर्माता " कहा था
▪सर वेलेंटाइन चिरोल (इंडियन अनरेस्ट के लेखक) ने तिलक को " भारत मे  अशांति का जनक " कहा था

▪ 1891 एज ऑफ़ कंसेन्ट विधेयक के खिलाफत [लड़की के विवाह आयु को 10 से बढ़ाकर 12 वर्ष कर दिया]

☯ बिपिन चंद्र पाल

 ➡ जन्म :7 नवंबर 1858 पोईल गांव सिलहट जिला हबीबगंज (वर्तमान बांग्लादेश)

▪ब्रह्म समाज की दीक्षा -  केशवचंद्र सेन के व्याख्यान सुनकर

▪ उग्र राष्ट्रवाद , आध्यात्मिक राष्ट्रवाद की धारणा को जन्म दिया इसी कारण इन्हें " प्रचंड राष्ट्रवाद का पैग़म्बर " कहा जाता है

■ प्रमुख प्रकाशन
▪ स्वराज पत्रिका (1892 इंग्लैंड से)
▪ न्यू इंडिया (अग्रेजी साप्ताहिक)
▪ प्रदर्शिका साप्ताहिक (1880) का प्रकाशन
▪ बंगाली  का संपादन
▪द ट्रिब्यूनल का संपादन

▪बंगाल पब्लिक ओपिनियन ( 1882)
▪लाहौर ट्रिब्यून (1887)
▪द इंडिपेंडेंट इंडिया (1901)
▪बन्देमातरम  (1906, 1907)
▪स्वराज (1908 -1911)
▪द हिन्दू रिव्यु (1913)
▪ द डैमोक्रैट (1919, 1920)
▪बंगाली (1924, 1925)

■ विपिन चन्द्र पाल की कुछ प्रमुख रचनाएं :-
▪इंडियन नेस्नलिज्म
▪नैस्नल्टी एंड एम्पायर
▪स्वराज एंड द प्रेजेंट सिचुएशन
▪द बेसिस ऑफ़ रिफार्म
▪द सोल ऑफ़ इंडिया
▪द न्यू स्पिरिट
▪स्टडीज इन हिन्दुइस्म
▪क्वीन विक्टोरिया – बायोग्राफी

☯ चन्द्रशेखर आजाद

➡ जन्म :- 23 जुलाई 1906भांवर गांव (झाबुआ ,मध्यप्रदेश)  पैतृक गांव बदरका (उननाव, उत्तरप्रदेश)

➡ फरवरी 1922 की चोरा-चोरी घटना के बाद असहयोग आंदोलन वापस लेने पर इन्होंने हिदुस्तान प्रजातांत्रिक संघ में शामिल [ मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी के सम्पर्क में ]

➡  क्रान्तिकारी दल के सदस्य :- "हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ"

➡ " द रिवलियोशनरी पर्चा  "1 जनवरी 1925 पर्चा बाटा जिसमे दल की नीतियों का खुलासा किया गया

➡ काकोरी कांड :- 9 अगस्त 1925 को इस दल ने काकोरी कांड को अंजाम दिया था 

➡ परिणाम :-
- पंडित रामप्रसाद बिस्मिल + अशफाक उल्ला खा, + रोशन सिंह को 19 दिसम्बर 1927 फांसी
- 17 दिसम्बर 1927 को राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को फाँसी चढ़ा दिया

➡ निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन बम कांड  - 23 दिसम्बर 1930 को वायसराय लार्ड इरविन को ट्रेन को उड़ाने हेतु दिल्ली मथुरा लाइन के नीचे बम विस्फोट कर दिया

➡ मृत्यु :- 27 फरवरी 1931 इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में
 [SP नाटबाबर के नेतृत्व में  में गोलीबारी में]  मित्र सुखदेव से मन्त्रणा कर रहे थे

 रामप्रसाद बिस्मिल ने  इनको कविक्सिलवर (पारा) पुकारा

▪ नारा "अब भी जिसका खून नही खोला वो खून नही वो पानी है जो देश के काम ना आए वो बेकार जवानी है"

■ भगतंसिंह

 ➡ जन्म : 28 सितंम्बर 1907  बंगाचक गांव जारावाला तहसील  लायलपुर जिला पंजाब  [शिक्षा DAV कालेज लाहौर]

➡ " मैं नास्तिक क्यों हू " शिर्षक दार्शनिक निबंध लिखा [शिक्षक परमानन्द व जयचन्द विद्यालंकार से प्रभावित होकर]

 ➡"  नोजवान भारत सभा " 1926 लाहौर में भगतंसिंह ने भगवती चरण के साथ मिलकर सभा की स्थापना की इस सभा का नारा " हिंदुस्तान जिंदाबाद " था

➡  हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन :- अक्टूबर 1924 में कानपुर में रामप्रसाद बिस्मिल, योगेश चटर्जी ,सचीन्द्र सान्याल ने इसकी स्थापना की थी जिसमे भगतसिंह सामील हुए

➡ सितंम्बर 1928 नाम बदलकर भगतसिंह ने "हिंदुस्तान सोसलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन " कर दिया 

➡ सांडर्स की हत्या :- 17 दिसम्बर 1928 की मेजर स्टॉक की जगह (ठीक 1 माह बाद) [भगतसिंह, राजगुरु, जयगोपाल, व चन्द्रशेखर आजाद]

 ➡असेम्बली बम कांड :-  8 अप्रेल 1929 को भगतसिंह, बटुकेश्वर दत्त, पर्चे बाटे जिस पर लिखा था " बहरे कानो तक अपनी आवाज़ पहुचाने के लिए हमने इस बम का प्रयोग किया था "

➡ नारा :- "इंकलाब जिंदाबाद " [ रचना मुहम्मद इकबाल ने प्रयोग भगतसिंह ने ]

➡ प्रारंभिक जेल -
▪ सुनवाई :-4 जून 1929 [जज मिस्टर मिडलटन]
▪10 जून 1929 को सुनवाई समाप्त
▪ मियांवाली " जेल भेजा
▪ बटुकेश्वर दत्त को लाहौर जेल भेजा
▪ 12 जून को 1929 को दोनो को [आजीवन कारावास दण्ड]  ▪जेल में साथियों ने 64 दिन की भूख हड़ताल  13 सितंम्बर 1929 को "यतीन्द्रनाथ दास " सहीद हो गए

■ जेल में रहते हुए पुस्तक लिखी
↪ आत्मकथा
↪ भारत मे क्रांतिकारी आंदोलन
↪ समाजवाद का आदर्श
↪ मृत्यु के द्वारा पर  (कुल चार पुस्तक लिखी)

▪  भगतसिंह कहा करते थे :-....." में तुफानो से खेलूंगा ,में गर्दाबो को झेलूँगा लंबे दरिया मुझे डर डर के मर जाना नही आता "

➡ 7 अक्टूबर 1930 [ ट्रिब्यूनल का एकतरफा निर्णय जिसमें भगतसिंह ,राजगुरु ,सुखदेव को फाँसी] 68 पृष्ठों का निर्णय

➡ 26 अगस्त,1930 अदालत ने फैसला [धारा के तहत अपराधी]
-  भारतीय दंड संहिता [धारा 129, 302]
-  विस्फोटक पदार्थ अधिनियम [ धारा 4 और 6एफ]
- आईपीसी की धारा 120

 ➡ 23 मार्च 1930 को सायंकाल  7: 33 पर लाहौर जेल में फांसी दे दी गई (फाँसी लेते वक्त गाना .मेरा रंग दे बसंती चोला)

➡ अंतिम संस्कार फिरोजपुर के हुसैनिवाला में

➡" जब से सुना है मरने  का नाम जिंदगी है सर पर कफ़न लपेटे कातिलों को ढूढ रहा हु"

➡  पं. मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी, 1931 को अपील दायरयोग करते हुए मानवता के आधार पर फांसी की सजा माफ कर दें।

☯ सुखदेव

➡ जन्म : 15 मई 1907 की लुधियाना (पंजाब) में ताऊ अचिंतराम ने इसका पालन पोषण किया

➡ लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला 17 दिसम्बर 1928 सांडर्स को मारकर लिया

➡ लाहौर षड्यंत्र केस में मुकदमा चला और 23 मार्च 1931 को भगतसिंह सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई तब इनकी आयु मात्र 24 वर्ष थी

➡ भगतसिंह और सुखदेव एक सन में पैदा हुए एवम एक दिन मरे

▪ गान्धी-इर्विन समझौते के सन्दर्भ में इन्होंने एक खुला खत गान्धी के नाम अंग्रेजी में लिखा था जिसमें इन्होंने महात्मा जी से कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे उनका उत्तर यह मिला कि निर्धारित तिथि और समय से पूर्व जेल मैनुअल के नियमों को दरकिनार रखते हुए फाँसी दे दी गई

☯ रासबिहारी बोस

➡ जन्म : 25 मई 1886  सुबालदह गाँव बंगाल में वर्धमान जिला

➡ जतिन मुखर्जी की अगुवाई वाले युगान्तर संगठन के अमरेन्द्र चटर्जी से परिचय हुआ और वह बंगाल के क्रान्तिकारियों के साथ जुड़ गये

➡ अरबिंदो घोष के राजनीतिक शिष्य रहे

➡ लार्ड हार्डिग बम कांड (23 दिसम्बर 1912) बसन्त कुमार विश्वास ने  बम फेंका लेकिन निशाना चूक गया

➡  लिबर्ल " पर्चा (1913) में अंग्रेजी में छापा इसमे कहा  " इंकलाब आज के समय का तकाजा है हमारी आजादी की मंजिल सशस्त्र क्रांति के रास्ते ही हासिल हो सकती है "

➡ प्रथम विश्व युद्ध  के समय गदर की योजना बनायी। फरवरी 1914 में अनेक भरोसेमंद क्रान्तिकारियों की सेना में घुसपैठ कराने की कोशिश की गयी

➡ जून 1915 में राजा पी. एन. टैगोर के छद्म नाम से शंघाई (जापान) में पहुँचे और वहाँ जापानी लड़की से विवाह

➡ नारा" एशिया एशियावासियों का है " 

➡ इंडियन इंडिपेंडेंस लीग : 1924 में टोक्यो (जापान) की  21 जून 1942 को बैंकॉक में रास बिहारी ने सम्मेलन बुलाया

➡ समाचार पत्र - न्यू एशिया (जापान सरकार ने राइजिंग सन सम्मान से अलंकृत किया)

 ➡16 पुस्तकें लिखीं उन्होंने टोकियो में होटल खोलकर भारतीयों को संगठित किया तथा 'रामायण' का जापानी भाषा में अनुवाद किया

➡ आज़ाद हिंद फौज की स्थापना (15 दिसम्बर 1941)
मलाया नामक स्थान पर स्थापना की गई कैप्टन मोहनसिंह को उसका प्रधान नियुक्त किया

➡ 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद फौज की बागडोर सुभाषचंद्र बोस को दे दी

☯ सुभाष चन्द्र बोस

➡जन्म : 23 जनवरी 1897 - मृत्यु: 18 अगस्त 1945 को हुवा

➡1919 में  इंडियन सिविल सर्विस / ICS परीक्षा (1920) में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया.1920 में सुभाषचंद्र बोस पद त्यागने वाले प्रथम थे

➡ चितरंजन दास सुभाषचंद्र बोस के राजनीतिक गुरु थे

➡ प्रिंस आफ वेल्स विरोध -  असहयोग आंदोलन के समय  के समय इस कारण  साथियो सहित 10 दिसम्बर 1921 को जेल में डाल दिया गया [ बांग्लार कथा समाचारपत्र के संपादन]

➡ क्रांतिकारी गतिविधियों के षड्यंत्र में पुनः अक्टूबर 1924 को मांडले जेल (बर्मा) में डाल दिया गया

➡अध्यक्षता
▪1938 कॉग्रेश के हरिपुरा (गुजरात) सम्मेलन के अध्यक्ष बने
▪1939 में पुनः त्रिपुरी अध्यक्ष (गांधी विरोध के बावजूद)
▪1 मई 1939 को उन्हें त्यागपत्र देकर फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की (शेष समय के लिए राजेन्द्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया)

➡ होलबेल स्मारक को ध्वस्त - 4 जुलाई 1940 पुनः जेल  17 दिसम्बर 1940 को मुक्त कर दिया

➡16 फरवरी 1941 को कलकत्ता - पेशावर - रूस - बर्लिन पहुचे यहा ओरलैंडो मजेटा नाम से पुकारा गया

➡ स्वतंत्र भारत केंद्र  स्थापना  -2 नवम्बर 1941 भारतीय सैन्य दल का निर्माण किया

➡ 16 मई 1943 को टोक्यो पहुचकर जापान के प्रधानमंत्री जनरल तोजो से मिलकर सहायता का आस्वासन दिया

➡ 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के केथे सिनेमा हाल में रास बिहारी बोस ने आजाद हिंद फौज की बागडोर संभाली और इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का सभापति चुना गया

➡ सुभाषचंद्र बोस ने INA का पुनर्गठन कर चलो दिल्ली का नारा दिया

➡ सपथ :- ईश्वर के नाम पर मैं यह पावन सपथ लेता हूं कि भारत और उसके 38 करोड़ निवासियों को स्वतंत्र करुगा"

➡ 8 नवम्बर 1943 को अंडमान निकोबार को जीता और आजाद हिंद फौज की सरकार बनाई अण्डमान को सहीद व निकोबार को स्वराज द्विप नाम रखा प्रथम मुख्यालय रंगून व दूसरा सिगापुर में रखा

➡ 18 मार्च 1944 को INA ने भारत की सीमा में प्रथम कदम रखा 21 मार्च को प्रेसः ने ऐतिहासिक घटना की सूचना दी

➡ 8 अप्रेल 1944 को कोहिमा (नागालैंड) के किले पर कब्जा किया

➡ 18 अप्रेल 1944 को इम्फाल में बारिस के कारण हार हुई तब "तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूँगा का नारा दिया

➡ 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं

➡ 22 सितंम्बर 1944 को बोस ने शहीदी दिवस मनाया गया

➡ 13 अगस्त 1945 को जापान ने पराजय स्वीकार कर ली इस कारण आजाद हिंद फौज को समर्पण करना पड़ा

➡17 अगस्त 1945 को सेगोंन हवाई अड्डे से टोक्यो प्रस्तान कर रहे थे तब 18 अगस्त 1945 को फारमोसा द्विप (ताइपे) में वायुयान टकराने से मृत्यु हो गई

➡कमेटी
:- शाहनवाज समिति 1956 जवाहरलाल नेहरु
:- खोसला आयोग 1970 इंद्रा गांधी
:- मनोज मुखर्जी आयोग 1999 अटल बिहारी वाजपेयी

☯ 19 वी व 20 वी सताब्दी में सामाजिक व धार्मिक आंदोलन

◾ राजाराम मोहनराय

 ▪जन्म बंगाल :- 22 मई 1772  बंगाल के यहा काम करते थे वही से राय की उपाधि मिली 

↪  राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत
↪  आधुनिक भारत का जनक (पिता)
↪  भारतीय राष्ट्रीयवाद का जनक
↪  भोर का तारा
↪  ब्रह्म समाज के संस्थापक
↪  भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक
↪  जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता
↪  बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे
↪  अतीत व भविष्य के मध्य सेतु

-:- Books ( बुक )
↪ तुहफात -उल-मुबहिदीन (1809 फारशी भाषा मे)
↪ प्रीसेप्ट्स ऑफ जीजस (1820 जान डिग्बी की मदद से)
↪ हिन्दू उतराधिकार नियम (1822)
↪ संवाद कौमुदी (प्रज्ञाचन्द) 1821 में अखबार प्रकाशित
↪ मितरातुल अखबार (फारशी भाषा मे)

■ आत्मीय सभा -  गठन 1815 में  (हेनरी डिरोजिया प्रभावित होकर) मूर्ति पूजा का विरोध कर एकेश्वरवाद पर बल दिया स्त्री शिक्षा,जाती प्रथा,छुआछूत की निंदा की

▪ 1811 में भाई की मृत्यु पर भाभी सती हो गई इस घटना से आहत होकर 1818 ई में सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष सुरु कर दिया

▪सती प्रथा पर रोक - 4 दिसम्बर 1829 को विलियम बैंटिक 
▪हिन्दू कॉलेज स्थापना (1817 कलकत्ता में डेविड हेयर के सहयोग से)
▪ वेदांत कॉलेज (1825 बंगला व्याकरण की रचना की)

🎯 ब्रह्म समाज :-  20 अगस्त 1828 में (हिन्दू धर्म मे पहला सुधार आंदोलन था)

▪ स्वतंत्र प्रेसः का प्रयासः किया
▪ संवाद कौमुदी अखबार
▪मितरातुल अखबार बन्द कर दिया (भारत मे राष्ट्रीय पत्रकारिता के जनक)

▪ उनके वेदों और उपनिषद के संस्कृत से हिंदी, इंग्लिश और बंगाली भाषा में अनुवाद के लिए फ्रेंच Société Asiatique ने उन्हें 1824 में सम्मानित भी किया

☯ स्वामी विवेकानन्द

▪ स्वामी विवेकानन्द जन्म: 12 जनवरी 1863 - कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार

▪ गुरु रामकृष्ण परमहंस :- (मूल नाम :- गदोधर चटोपाध्याय) दक्षिणेश्वर का स्वामी कहते है

▪खेतड़ी के राजा  मजराजा अजीतसिंह ने विवेकानंद को अपना गुरु बनाया था
-▪- प्रथम बार खेतड़ी 7 अगस्त 1891 को बुलाया
-▪- दूसरी बार 21 अप्रेल 1893 को सिकंगो धर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए

-:- 21 मई 1893 को ओरियंटल कम्पनी के पेननींशुना जहाज में प्रथम श्रेणी का टिकट कटवा कर दिया था तब इनको विवेकानंद नाम दिया गया था

▪ सिकांगों सम्मेलन [11 सितम्बर 1893 अमेरीका] धर्म संसद
:- उनके भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” के साथ करने के लिये जाना जाता

▪ वेदांत सभा -:- न्यूयॉर्क अमेरिका (1896) में स्थापना की

▪ रामकृष्ण मिशन [1 मई 1897 को बारा नगर बंगाल]
इसके दो मुख्यालय (मठ) बनवाये
-:-  पहला वेलूर (कलकत्ता)
-:- दूसरा अल्मोड़ा मायावती
-:- धेयय वाक्य " आत्मनो मोक्षार्थ जगत हिताय च  "
-:- 1998 में गांधी शांति पुरस्कार दिया गया

▪ राजस्थान में  रामकृष्ण मिशन प्रथम साखा :- खेतड़ी में सुरु

▪कथन " उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये "

■ स्वामी दयानंद सरस्वती

➡जन्म 1824 में मोरवी टंकारा गुजरात मे

➡दीक्षा 24 वर्ष की उम्र में स्वामी सम्पूर्णानंद द्वारा  उपदेश का प्रारम्भ मथुरा आगरा से किया

➡पाखंडखड़नी पताका फहराई :- 1863 हरिद्वार से

➡आर्य समाज की स्थापना ( 7 अप्रेल 1875) बम्बई
➡राजस्थान में 13 फरवरी 1881 अजमेर में आर्य समाज को सैनिक हिंदुत्व कहा गया

■ प्रकाशन
➡सत्यार्थ प्रकाश (1874)
➡पाखंड खण्डन (1866)
➡वेदभाष्य भूमिका (1876)
➡ऋंगवेद भाष - (1877)
➡पंच महायज्ञ विधि
➡बलभचार्य मत खण्डन

➡मृत्यु :- अजमेर 29 सितंबर 1883 में

☯ महात्मा गांधी और राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आंदोलन

▪ जन्म 2 अक्टूबर 1869 में काठियावाड़ (पोरबंदर गुजरात)  में हुआ

▪ 4 सितंबर 1888 को "यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन (इंग्लैंड) में वकालात के लिए मुंबई समुद्र तट पर से इंग्लैंड रवाना हो गई

◆ दक्षिण अफ्रीका का सफर (1893 से 1914)

▪ राजकोट में उन्होंने वकालत प्रारंभ की 1893 में दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी द्वारा पैरवी हेतु आमंत्रण नेटाल दक्षिण अफ्रीका गए 

▪ 1906 दक्षिण अफ्रीका में प्रथम सत्याग्रह किया डरबन में फिनिक्स आश्रम की स्थापना की

▪ट्रांसवल से  डरबन प्रीक्टोरिया रेल यात्रा के समय मार्टिनबर्ग में (नताला) में 9:00 बजे गांधीजी को ट्रेन से धक्का दे दिया गया

▪नेताला में कांग्रेस की स्थापना हुई

▪महात्मा गांधी 9 जनवरी 1915 में भारत लौटे अपोलो बंदरगाह पर उतरे तब आयु 46 वर्ष थी

◆ भारत मे गांधी युग (1917-47)

▪साबरमती आश्रम का निर्माण मई 1915 में किया गया यह स्थान अहमदाबाद में स्थित है

▪ महात्मा गांधी ने प्रथम सार्वजनिक सभा में भाषण 4 फरवरी 1916 को बनारस विश्व हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान किया अंग्रेजी में भाषण देने पर खेद प्रकट किया
 "एक तरफ जनता भूखी मर रही है और दूसरी तरफ राजा सज धज कर आए हैं" यह उनका प्रथम भाषण था है

सूत्र :-गांधी ने चम्पा को छेड़ा अहमदाबाद में खिलाफत

◆चंपारण  सत्याग्रह (1917)

राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर  में तीन कठिया प्रणाली को समाप्त कर

◆ खेड़ा सत्याग्रह (22 मार्च 1918) अकाल के बावजूद लगान 

▪ इस आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी को बापू कह कर संबोधित किया [कुनबी पाटीदारों व बरइया नामक जाति त्रस्त]

 ◆ अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918)  प्रथम भूख हड़ताल

मांग -35 प्रतिशत बोनस की अंबालाल साराभाई की बहन अनुसुइया बेन ने योगदान

◆ असहयोग आन्दोलन (1920-22) तुर्की शासक "कमाल अतातुर्क" द्वारा समाप्त किए गए सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक खलीफ़ा की पुनर्स्थापना की माँग कर रहा था

▪  असहयोग आन्दोलन गांधी जी ने 1 अगस्त, 1920 को आरम्भ किया

▪ सितम्बर, 1920 में असहयोग आन्दोलन  कलकत्ता में 'कांग्रेस महासमिति के अधिवेशन' का आयोजन किया गया अध्यक्षता लाला लाजपत राय ने की।

◆ प्रस्ताव का विरोध.- ऐनी बेसेन्ट , सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, मदनमोहन मालवीय, देशबन्धु चित्तरंजन दास, विपिनचन्द्र पाल, मुहम्मद अली जिन्ना, शंकर नायर, सर नारायण चन्द्रावरकर ने प्रारम्भ में विरोध

समर्थन - अली बन्धुओं एवं मोतीलाल नेहरू के समर्थन

▪ 17 नवम्बर 1921 र्इ. को ब्रिटेन के राजकुमार प्रिन्स ऑफ वेल्स के भारत आने पर उसका देशभर में हड़तालों और प्रदर्शनों से स्वागत किया गया

▪ दिसम्बर, 1921 र्इ. में कांग्रेस का वार्षिक सम्मेलन अहमदाबाद [हकीम अजमल खाँ  चालू रखने का निश्चय]

■चौरी-चौरा काण्ड  स्थगन :-5 फरवरी 1922 र्इ. को गोरखपुर  थानेदार सहित 29 पुलिस के सिपाही जल कर मर गये

▪न्याधीश बुरूम फिल्ड ने गांधी को 6 साल की सजा

◆ जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 मार्च 1919)

▪ माइकल जनरल ओ डायर द्वारा आम सभा पर गोलियां चलाई गई  वैलेंटाइन ने इसे काला दिवस कहा

▪ अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए

◆ सविनय अवज्ञा आन्दोलन (6 अप्रैल, 1930)

◆ दांडी यात्रा ( 6 अप्रैल 1930)

▪ नमक बनाने की मांग 7 अप्रैल 1933 में आंदोलन वापस लिया गया

▪29 नवंबर 1934 को गांधी जी ने खुद को कांग्रेस से अलग कर लिया

▪ द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 29 अगस्त 1931 से 12 सितंबर 1931 को निरस्त कर दिया गया

▪ भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था|

 ▪ मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे

▪ नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं।

: पाँच अभियुक्तों में से तीन - गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी

◆ पुस्तके

✒ यंग इंडिया -अंग्रेजी- अहमदाबाद 1919
✒ नवजीवन -हिंदी गुजराती- अहमदाबाद
✒ हरिजन -हिंदी गुजराती- पुणे
✒ माय एक्सपीरियंस विद ट्रुथ
✒.इंडियन ओपिनियन

☯ राजस्थान में किसान व श्रम आंदोलन

■ बिजोलिया किसान आंदोलन [1897-1941]भीलवाड़ा

▪ प्रणेता :- साधु सीताराम दास 

▪धाकड़ किसानों द्वारा किया

▪शुरुआत :- 1897 में गिरधरपुरा गांव [नानजी पटेल व ठाकरी पटेल]

▪चँवरी कर - 1903 मे बिजोलिया के ठाकुर कृष्ण सिंह नेचँवरी नामक नया कर लगा [लड़की के विवाह पर 5रू]

▪मेवाड में 84 प्रकार की लागबाग थी

▪साधु सीताराम दास, फतेहकरण चारण व ब्रह्मदेव ने 2 साल तक विरोध किया  कर नहीं दिया 

▪1914 में सीतारामदास ने विजय सिंह पथिक को बिजोलिया आमंत्रित किया था विजय सिंह पथिक 1916 में इस आंदोलन से जुड़ गए थे

▪बिजोलिया में उपरमाल पञ्च बोर्ड का गठन किया था जिसका पहला सरपंच मन्ना पटेल को बनाया गया था

▪1919 कांग्रेस अधिवेशन में बिजोलिया आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया था

▪ इस आंदोलन से माणिक्य लाल वर्मा हरिभाऊ उपाध्याय रामनारायण चौधरी जमुनालाल बजाज आदि जुड़े

 ▪मेवाड़ के प्रधानमंत्री टी राघवाचारी जी के प्रयासों से यह आंदोलन 1941 में समाप्त हो गया था

■ आंदोलन को तीन चरणों में विभाजित किया गया था
# प्रथम चरण 1897 से 1915 तक
 रावकृष्ण सिंह "चँवरी कर"   1913 में बिजोलिया ठीकाने में अकाल पड़ा था 

# द्वितीय चरण 1916 से 1922 तक विजय सिंह
 बिजोलिया के द्वितीय चरण में बारीसल गांव में किसान पंचायत बोर्ड की स्थापना की गई पथिक

# तृतीय चरण 1923 से 1941 तक माणिक्य लाल वर्मा और रामनारायण चौधरी बिजोलिया आंदोलन के तृतीय चरण में माणिक्य लाल वर्मा द्वारा 1938 में मेवाड में प्रजामंडल की स्थापना की गई थी

■ शेखावटी किसान आंदोलन

▪ सीकर मे ठाकुर कल्याण सिंह द्वारा 1922 ईस्वी में 25% से 50% तक भूमि लगान वसूल किए जाने के कारण किसानों ने व्यापक आंदोलन प्रारंभ कर दिया

▪ शेखावटी किसान आंदोलन में जयपुर प्रजामण्डल का योगदान था। 1946 में हीरालाल शास्त्री के माध्यम से आंदोलन समाप्त हु

■ बेंगु किसान आंदोलन ,चित्तौड़गढ़ 1921 मेनाल  स्थान पर

▪नेतृत्व :-रामनारायण चौधरी 

▪ बेगू की जागीरदार ठाकूर अनूपसिंह ने सभा पर फायरिंग करवा दी जिसमें रूपाजी बाकड़ व कृपा जी बाकड़ दो किसान मारे गए अतः आन्दोलन और तेज हुआ।

▪आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चौधरी ने की बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी

▪ ठाकुर अनूपसिंह को किसानों के आगे झुकना पड़ा अनूप सिंह ने किसानों की मागे मान ली

■ डाबड़ा किसान आंदोलन -13मार्च 1947 नागौर

 ▪कांग्रेस ने सभा का निर्णय लिया कांग्रेस की बैठक का समय 11 बजे था परन्तु सभी नेता सुबह साढ़े सात बजे ही डाबड़ा पहुँच गए.

▪चौधरी पन्नाराम लोमरोड़ के घर पहुंचे पन्नाराम जी ने उनका स्वागत किया और कुछ चर्चाएँ की इतने में जागीरदार के बुलाये हजारों की तादाद में ऊँटों व घोड़ों पर सवार आतंकवादियों ने धावा बोल

▪ हालत देखकर पन्ना रामजी ने कांग्रेसियों को गुप्त रणनीति बनाने के लिए कहा और कांग्रेसी मोटर में बैठ कर रवाना हो गए

■  चंडावल आंदोलन [सोजत परगने] 28 मार्च 1942

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