इतिहास 2

■ राजस्थान के क्रांतिकारी

: 🔰केसरी सिंह बारहट

➡ जन्म :- 21 नवम्बर, 1872 ई.  देवपुरा रियासत, शाहपुरा

➡ केसरीजी के भाई :- जोरावर सिंह बारहट
➡पुत्र प्रतापसिंह बारहट [ रास बिहारी बोस के साथ लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय की सवारी पर बम फेका]

➡ 'चेतावनी रा चुंग्ट्या'  सोरठे :- 1903 ई. में लॉर्ड कर्ज़न द्वारा आयोजित 'दिल्ली दरबार' में शामिल नहीं हुए थे

 ➡'राजस्थान केसरी' - साप्ताहिक समाचार पत्र  (1920-21) वर्धा में केसरी जी के नाम से  जिसके संपादक विजय सिंह पथिक

 ➡ दिल्ली-लाहौर षड्यन्त्र केस  :- राजद्रोह, षड्यन्त्र व कत्ल आदि के जुर्म लगा कर 21 मार्च 1914 को गिरफ्तार आजीवन कारावास 10 जुलाई 1919 अमृतसर अधिवेशन में  तिलक की मांग पर रिहा

➡ [प्यारेलाल साधु की हत्या आरोप] जेल- हजारी बाग  बिहार

➡कोटा में पुत्र प्रतापसिंह बाहरठ की मृत्यु का समाचार सुनकर कहा " भारत माता का पुत्र मुक्ति के लिए शहीद हो गया "

➡ 1910 में गोपाल सिंह खरवा, लक्ष्मीनारायण ,गुरुदत्त, हिरालाल लिहड़ी ने मिलकर राजस्थान केसरी कहा

■ रचना
✡ रूठी राणी
✡ प्रताप चरित्र
✡ राजसिंह चरित्र
✡ दुर्गादास चरित्र
✡ कुसुममाजली

➡ ‘हरिओम तत् सत्’ के उच्चारण के साथ 14 अगस्त, 1941 को आखिरी सांस ली

☯ जोरावरसिंह बारहठ

➡ जन्म : 12 सितम्बर 1883 को उदयपुर 

➡ यह केशरी सिंह का छोटा भाई व प्रताप सिंह बाहरठ का चाचा था

➡ इनके गुरु अमीचन्द थे (जैन वर्धमान पाठशाला में शिक्षा दी)

➡ लार्ड हार्डिग बम कांड :-  23 सितंम्बर 1912 को  रास बिहारी बोस की बनाई गई योजना अनुसार दिल्ली में बसन्त कुमार विस्वास व जोरावरसिंह बाहरठ ने PNB की बिल्डिंग पर चढ़कर लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका अंगरक्षक महावीर सिंह मारा गया

➡ निजेम हत्याकांड में इनके गिरफ्तारी वारंट जारी हुए ये पकड़े नही गए इसलिए इन्हें राजस्थान का चन्द्रसेखर कहते है ये गिरफ्तार नही हुए ये 27 वर्षों तक अज्ञात रहे

➡ इनकी मृत्यु कोटा की अतरालिया हवेली में निमोनिया रोग से 17 अक्टूबर 1939 में हुई

➡  एक ही परिवार के पिता-पुत्र भाई ने स्वाधीनता के लिए कुर्बानी दी हो ऐसा यह अनूठा उदाहरण है

☯ विजय सिंह पथिक

▪ जन्म: 27 फ़रवरी 1882 बुलन्दशहर जिले के ग्राम गुठावली कलाँ

▪भूपसिंह 1907 से  क्रान्तिकारियों गतिविधियों में भाग लेने लगे तब वे सचिन्द्र सान्याल व रास बिहारी के संपर्क में आए

▪ राजस्थान सशस्त्र क्रांति :-  नेतृत्व रास बिहारी बोस 21 फरवरी 1915 को 1857 की तर्ज पर क्रांति की योजना बनाई

▪ वीर भारत सभा  - इस योजना के तहत गोपाल सिंह खरवा को राजपुताना में भेजा गया जहां केसरी सिंह बाहरठ से मिलकर " वीर भारत सभा " का गठन किया

▪1912 में लार्ड हार्डिग बम कांड में क्रांतिकारियों ने जुलूस पर बम फेंक कर लार्ड हार्डिग को मारने की कोशिश की किन्तु वायसराय साफ बच गया।

-:- रास बिहारी बोस,  जोरावर सिंह,  प्रताप सिंह, पथिक जी व अन्य सभी सम्बन्धित क्रान्तिकारी अंग्रेजों के हाथ नहीं आये और वे फरार हो गए

▪जेल :- टाडगढ़ किले (अजमेर) भूपसिंह  गुर्जर व गोपाल सिंह खरवा पकड़े गए इन दोनों  टाडगढ़ किले (अजमेर) में नजरबंद कर दिया गया
या

▪ टाडगढ़ जेल से फरार होकर के भाणा गांव (कांकरोली) पर एक पाठशाला की स्थापना की थी - यहा से निकलर " ओछ्ड़ी गांव (चितोड़) में निवास किया

◾ विद्या प्रचारणी सभा :- गठन विजय सिंह पथिक / संचालन हरिभाई किंकर ने किया

▪ विजय सिंह पथिक को बिजोलिया आंदोलन का नेतृत्व का आमंत्रण सिताराम दास ने किया इसे स्वीकार कर 1916 में बिजौलिया पहुचे

▪ इसे सफल बनाने पर अर्जुन लाल सेठी ने " राजस्थान का शेर " कहकर सम्मानित किया

🔰 बिजोलिया किसान आंदोलन 1916

▪  1917 में हरियाली अमावस्या के दिन बारीसल गांव में उपरमाल पंच बार्ड (किसान पंचायत बार्ड) की स्थापना की गई
↪ मन्ना पटेल को पंचायत का अध्यक्ष बनाया गया था
↪ इस आंदोलन में पछिडा गीत वर्मा जी ने गाया गया
↪ 1918 में कोग्रेस अधिवेशन दिल्ली में सामील
↪ 1919 में तिलक से समक्ष आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया
↪ इसकी जांच 1919 में तिलक के प्रयास से अप्रेल 1919 में बिंदुलाल भट्टाचार्य जांच कमेटी का गठन किया

◆ राजपुताना मध्य भारत सभा (1918)

देशी रियासत के कर्मठ कार्यकताओ का संगठन था जिसमे
:- विजयसिंह पथिक
:- अर्जुन लाल सेठी
:- स्वामी नरसिंह (जयपुर)
:- जमनालाल बजाज (सीकर)
:- सेठ गोविंददास (जबलपुर)
:- गणेश संकर विद्यार्थी (ग्वालियर)
:- चाँदमल सारदा (अजमेर)
:- केशरी सिंह बाहरथ

▪ प्रथम अधिवेशन 29 दिसम्बर 1918 मारवाड़ी पुस्तकालय दिल्ली (अध्यक्ष -प गिरधर शर्मा)

▪ 1919 में वर्धा जाना -गांधी ने अपने सचिव  महादेव देसाई को बिजौलिया भेजा

◆राजस्थान सेवा संघ 1919 (वर्धा महाराष्ट्र) :-राजस्थान सेवा संघ का 1920 अजमेर में स्तान्तरण कर दिया नवीन राजस्थान आया प्रकाशन अजमेर से प्रारंभ हुआ

◆ प्रकाशन
▪  तरुण राजस्थान -हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका
▪ अजय मेरु (उपन्यास)
▪ पथिक प्रमोद (कहानी संग्रह)
▪ पथिकजी के जेल के पत्र
▪ पथिक की कविताओं का संग्रह
▪ राजस्थान केसरी (संपादक पथिक)
▪ नव संदेश (साप्ताहिक पत्रिका)
▪ पथिक निबंधवाली ग्रन्थ
▪ वाट आर इंडियन स्टेट (पुस्तक)
▪ राजस्थान संदेश

▪ 29 अप्रेल 1991 को याद में डाक टिकट जारी किया

▪गांधीजी का उनके बारे में कहना था-
" और लोग सिर्फ़ बातें करते हैं परंतु पथिक एक सिपाही की तरह काम करता है। "

 🔰 अर्जुन लाल सेठी

जन्म-  9 सितम्बर 1880 में जयपुर

▪1902 में BA महाराजा कॉलेज जयपुर से किया इसके बाद राजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने  चोमू का जिलाधीश बनाया लेकीन यह कहते हुए छोड़ दिया " अर्जुन लाल नोकरी करेगा तो अंग्रेजो को भारत से बाहर कौन निकलेगा "

▪अर्जून लाल सेठी को जन जागरण के अग्र दूत कहा जाता है तथा जयपुर राज्य में जनजागृति का जनक कहा गया

▪ अर्जून लाल सेठी ने
-:- 1905 मे जैन शिक्षा प्रचारक समिति
-:- वर्धमान  विद्यालय
-:- वर्धमान छात्रावास
-:- वर्धमान पुस्तकालय का संचालन किया

▪ 1907 में जैन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की अजमेर में की थी जिसे  1908 में जैन वर्धन पाठशाला के नाम से जयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया

▪ अर्जून लाल सेठी ने ई.1905 में बंगाल स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया

◆ निजाम हत्याकाण्ड :- 20 मार्च 1913 में निजेम हत्याकांड बनारस के सेठ की हत्या कर दी गई यह स्थान बिहार के आरा जिले में निजाम स्थान पर स्थित है

-:- नेतृत्व - विष्णुदत्त ने किया (आजीवन कारावास)
-:- मोतीचंद - मृत्युदंड
-:- अर्जुन लाल सेठी - 7 वर्ष का कारावास
-:- जोरावरसिंह
-:- जयचंद

-::- मुखबिर - क्रांतिकारी स्योनारायण बना

-::- जेल :- वेलूर जेल (तमिलनाडु) में स्थित है (इससे पूर्व मद्रास जेल में थे वहां विरोध किया गया)

▪ प्रथम विश्वयुद्ध के बाद राजनीतिक माफियों के कारण सात वर्ष बाद ई.1920 में उन्हे छोडा गया उनके साथ केशरी सिंह बाहरठ व गोपाल सिंह खरवा को छोड़ दिया गया

▪ 1920-21में असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर उन्हे [सागर जेल] भेज दिया गया डेढ वर्ष बाद जेल रिहाई होने पर वे पुन: अजमेर आ गये

▪ 1922 -23 में गांधी के कहने पर ''अजमेर क्षेत्रीय कॉग्रेश'' के अध्यक्ष रहे  परन्तु 1924 में हरिभाऊ उपाध्याय ने सेठीजी को हरा दिया जिसका ज़िमेदार गांधी को ठहराया

▪ इसके बाद क्रांति गतिविधियों को त्यागकर अजमेर दरगाह में बचो को फारशी अरबी पढ़ाते थे

▪ 23 दिसम्बर 1941 को उनका निधन हो गया इन्हें इच्छा अनुसार दफनाया गया

▪ 1939 में अंतिम भाषण जेनीजियम तथा सोशलिज्म में दिया

◆ Book बुक -::-
↪ सूद्र मुक्ति
↪ स्त्री मुक्ति
↪ महेंद्र कुमार नाटक लिखा
↪ हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रयास

▪ काकोरी कांड के मुख्य आरोपी अशफाक उल्ला खा को राजस्थान में छुपाया था

◆ छत्रपति शिवाजी (1630-1680)

▪पहले मराठा बिजापुर और अहमदनगर राज्यो में सैनिक सेवा उपलब्ध करवाते थे

▪ सन 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने

 ▪उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की

 ▪ फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया

 ◆ जीवन परिचय

▪ शिवाजी महाराज का जन्म 20 अप्रेल 1627 में पूना के निकट शिवनेरी दुर्ग में हुआ था

▪ दादाजी कोंडदेव (शिवजी के राजनीतिक गुरु थे शास्त्र व शस्त्र की शिक्षा दी 12 वर्ष में जागीर प्राप्त

▪ शिवाजी के आध्यत्मिक गुरु समर्थ गुरु रामदास (इन्होंने दासबोध पुस्तक लिखी )

◆ महत्वपूर्ण तिथि
★1639:- पूना की जागीर (12 वर्ष की अवस्था में)

★1643:- सिंहगढ़ के किले को जीता (बीजापुर से)प्रथम विजय

★1646:- तोरण को जीता (बीजापुर से)

★1648– पुरंन्दर का अजेय किला जीता (मराठा सरदार नीलोजी नीलकंठा से षड्यंत्र करके जीता)

★1656:- जाउली दुर्ग जीता (मराठा सरदार चन्द्रराव मोरे को मारकर अधिकार कर लिया सबसे बड़ी जीत थी)

★1656 में (चाकन,पुरंदर, बारामती,तिकोना,लोहगढ़ पर अधिकार कर लिया)

★1656:- रायगढ़ (चन्द्र राय मोरे से) ’सितोपुजारा’’

★1656:- सूपा पर अधिकार

★1657:- मुगलों से पहली मुठभेड़

★1657:- कोंकण जीता (मराठा सरदार चन्द्रराव मोरे से) कोलाबा व भिवण्डी जीत कर नोसेना अड्डा स्थापित किया

★1659:- अफजल खाँ का वध (वीजापुर का सामन्त)


◆ अफजल खा घटना (1659)  बीजापुर के शासक का सेनापति था इसे शिवाजी को  मारने  भेजा गया था

▪ अफजल खाँ ने गले मिलने के समय अपने तलवार से शिवाजी की हत्या करना चाही परन्तु शिवाजी ने अपने बघनखे से अफजल खाँ की हत्या कर दी यह घटना 2 नवम्बर 1659 को घटी

◆ शाइस्ता खाँ प्रकरण (15 अप्रेल 1663)

▪ शाइस्ता खाँ औरंगजेब का मामा रात्रि के समय में शिवाजी 400 सैनिकों के साथ  अचानक उसके निवास पर हमला बोल  अंगूठा कट गया जबकि उसका पुत्र अब्दुल फतेह खाँ मारा गया इस घटना से मुगल प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा।

◆ 1664 सूरत की प्रथम लूट:– औरंगजेब ने जयसिंह को दक्षिण का सूबेदार बनाकर शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा।

◆ पुरन्दर की सन्धि (24 जून 1665):-  मिर्जा राजा जयसिंह

शर्तें निम्नलिखित थी-

1.शिवाजी अपने 35 में से 23 किले मुगलों को दे देगें। और 4 लाख हूण देगा
2.शिवाजी मुगलों की तरफ से युद्ध एवं सेवा करेगें
3.शिवाजी के पुत्र सम्भा जी को मुगल दरबार में 5000 का मनसब दिया जायेगा।

▪ 1666 ई में शिवाजी आगरा पहुँचे राजा जयसिंह के पुत्र रामसिंह ने शिवाजी की सुरक्षा की गारंटी ली।

▪ हीरोजी फरजन्द जो शिवा जी की हमराक्ल का था उसको लिटाकर शिवा जी भाग निकले।

◆  सूरत की दुबारा लूट (1670):- इस लूट में शिवाजी को लगभग 66 लाख की सम्पत्ति प्राप्त हुई।

◆ रायगढ़ में राज्याभिषेक ( 14 जून 1674 रायगढ़ में ):-

▪ राज्याभिषेक के समय राजयशक संवत चलाया

◆ कर्नाटक अभियान (1677-78):- यह शिवाजी का अन्तिम अभियान था। इसी समय शिवाजी ने 1678 ई में जिंजी के किले को जीता इसे दक्षिण की राजधानी बनाया  अन्तिम विजय थी। 1680 ई में शिवाजी बीमार पड़े और और 1680 में उनकी मृत्यु हो गई।

↪ शिवाजी का प्रशासन

▪केन्द्रीय प्रशासन:– प्रशासन का केन्द्र बिन्दु राजा था। राजा की सहायता के लिए 8 व्यक्तियों का एक ग्रुप था जिसे अष्ट प्रधान कहा गया। यह एक सलाहकारी संस्था थी जिसके निर्णय को मानने के लिए राजा बाध्य नहीं था।

1.पेशवा:-  प्रधानमंत्री

2.अमात्य अथवा मजमुआदार:-  आय और व्यय का व्यौरा

3.मंत्री अथवा वाकिया नवीस:–  आधुनिक गृह मंत्री

4.सचिव अथवा गुरुनवीस अथवा चिटनिस:– यह पत्राचार विभाग

5.सुमन्त अथवा दबीर:- विदेश मंत्री

6.सरेनौवत अथवा सेनापति:- यह सेना का प्रमुख था

7.पंडित राव:– धार्मिक मामलों का प्रमुख

8.न्यायाधीश:– न्याय विभाग का प्रमुख।

▪ केन्द्रीय विभाजन:- शिवाजी का सम्पूर्ण क्षेत्र स्वराज नाम से जाना जाता था। यह स्वराज चार प्रान्तों में विभाजित था-

1.उत्तरी प्रान्त:- [ सूरत से पूना तक] प्रमुख मोरो त्रिम्बक पिंगले

2.दक्षिण पश्चिमी प्रान्त:- [ कोंकण से लेकर सावंतवाड़ी तक]  प्रमुख अन्नाजी दत्वो

3.दक्षिण पूर्वी प्रान्त:–  [सतारा कोल्हापुर धारवाड़] आदि क्षेत्र  प्रमुख दत्तो जी पन्त

4.दक्षिणी प्रान्त:–  जिंजी  प्रमुख रघुनाथ पन्त हनुमन्तै

◆ दुर्ग:- शिवाजी के क्षेत्र में कुल 240 या 250 दुर्ग थे इस दुर्ग की सुरक्षा का कार्य हवलदार का था जबकि इसके भू-राजस्व से सम्बन्धित सारा कार्य सूबेदार का था।

◆ नौ-सेना:– शिवाजी के पास एक नौ सेना थी, तीन नगरों में उनके नौ सैनिक अड्डे भी थे।
1. कोलाबा
2. कल्याण
3. भिवण्डी

◆घुड़सवार सेना :-
1. सिलेदार :-जिन्हें अस्त्र-शस्त्र एवं घोड़े का स्वयं प्रबन्ध करना पड़ता था
2. बरगीर :-इन्हें राज्य की ओर से घोड़े अस्त्र-शस्त्र मिलते थे।

◆ पैदल सैनिक:-पैदल सैनिकों को पाइक कहा जाता था

◆ भू-राजस्व व्यवस्था -  1679 ई में समस्त भूमि की माप करवाई माप का आधार छड़ी, लाठी, काठी अथवा लाठा था
▪यह काठी पाँच हाथ और पाँच मुठ्ठी लम्बी होती थी
▪20 काठी लम्बाई व 20 काठी चौड़ाई  भूमि को बीघा कहा जाता था।
▪120 बीघे को चावर कहा जाता था
▪शिवाजी ने उपज का 33% से 40% के बीच भू-राजस्व लिया

◆ शिवाजी की आय के दो अन्य महत्वपूर्ण स्रोत थे-

1. चैथ:- यह पड़ोसी राज्यों की आय का 1/4 भाग

2. सरदेश मुखी:- शिवा जी अपने को सम्पूर्ण मराठा क्षेत्र का सबसे बड़ा देशमुख मानते थे। इसी कारण वह उनके भू-राजस्व का 10% लेते थे इसे सरदेशमुखी कहा गया।

■ राजपूतकाल  7वी से 12वी शताब्दी तक के काल को कहा गया है

▪ उतर भारत मे हर्षवर्धन साम्राज्य के बाद राजपूत राज्यो का उदय हुआ है

▪ राजपूतों की उतपत्ति के मत :-
१.विदेशी उतपत्ति मत
२.देशी उतपत्ति मत

▪ विदेशी उतपत्ति मत
💠 शक सीथियन की संतान - कर्नल जेम्स टॉड
💠 कुषाण (राजपूत की संतान - कनिघम
💠 शक हूण गुर्जर की संतान -V.A स्मिथ
💠 विदेशी गुर्जर वंशीय की संतान - D.R भंडारकर

▪ देशी उतपत्ति मत
💠 अग्नी कुंड संतान - चन्द्रबरदाई (पृथ्वीराज रासो में) ®समर्थन सूर्यमल्ल मिश्रण (वंश भास्कर ) में
💠 ब्राह्मण से उत्पन्न  - D.R भंडारकर & गोपीनाथ शर्मा
💠 प्राचीन क्षत्रियो की संतान  -हीराचंद ओझा, C.V वैध
💠 सामाजिक आर्थिक प्रक्रिया की उपज - V.D चटोपाध्याय
💠 आदिम जाति (खोकर गोड़) - V.A स्मिथ

◆ गुर्जर प्रतिहार वंश (8वी -11वी शताब्दी)

# उतपत्ति की जानकारी

▪ माहिर भोज के ग्वालियर अभिलेख से गुर्जर प्रतिहारो की उतपत्ति ,वंशावली, राजनीतिक उपलब्धि की जानकारी मिलती है

▪एहोल अभिलेख :- पुलकेशिन द्वितीय (बादामी के चालुक्य शासक) के अभिलेख में गुर्जर जाती का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है

▪गुर्जर साहित्य स्रोत (हेनसांग,कुवतमाला,हरिवंश पुराण,पुरातन प्रबंधन) में प्रतिहार वंश की जानकारी मिलती है

▪ प्रतिहारो का शासन उतर पश्चिम भारत मे 8वी सताब्दी से 11वी सताब्दी तक था

▪ प्रतिहार वंश की तीन साखा थी  [१.मंडौर (सबसे प्राचीन) २. भीनमाल ३. कन्नौज]

▪मारवाड़ का पश्चिम भाग गुर्जरात्रा प्रदेश कहलाता है इसके संस्थापक हरिश्चंद्र थे (आदि पुरूष)

◆ नागभट्ट  प्रथम (730-756 ई )

▪नागभट्ट को नवीन संस्थापक कहा जाता है

▪नागभट्ट ने मलेच्छ को हराया था इसलिए इसको मलेच्छो का नाशक व नागवलोक कहा जाता है

▪ नागभट्ट ने भीनमाल (जालौर) को नवीन राजधानी बनाया (पुरानी मंडौर थी)

▪ नागभट्ट ने बाद में उज्जैन को दूसरी राजधानी बनाया था

◆ वत्सराज (783-795 ई.)

▪वत्सराज को प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है

▪वत्सराज को रणहस्तिन कहा जाता है

▪ वत्सराज ने कन्नौज का त्रिपक्षीय संघर्ष प्रारम्भ किया था

▪ धर्मपाल (पाल) को पराजित किया था और ध्रुव (राष्ट्रकूट) से हार गया था

▪ ओसियां (जोधपुर) में महावीर स्वामी का मंदिर बनवाया था

▪ वत्सराज को जयवराह की उपाधि धारण की थी इसकी जानकारी वलीप्रबंध अभिलेख में जानकारी मिलती है

▪अधोनत सूरी ,कुयतमाला का लेखक इसके दरबार मे था

◆ नागभट्ट द्वितीय (795-833ई.)

▪नागभट्ट द्वितीय ने परमभटार्क, महाराजधिराज ,परमेश्वर की उपाधि धारण की थी

▪ चक्रा युद्ध को हराकर कन्नौज को राजधानी बनाया

▪ मुंगेर युद्ध (बिहार) मे धर्मपाल को हराया था

▪ गोविंद देव तृतीय (राष्ट्रकूट) से हार गया था

▪ग्वालियर अभिलेख से जानकारी मिलती है कि इन्हें कर्ण की उपाधि मिली थी

▪ 833 में गंगा में जलसमाधि ली थी

◆ मिहिरभोज (836-885 ई.)

▪ इस काल का सबसे महत्वपूर्ण शासक था

▪ अरबी यात्री सुलेमान ने कहा " मुसलमानों का घोर शत्रु था"

▪ कन्नौज को पुनः जीतकर राजधानी बनायब

▪ देवपाल (पाल) व धुरुव (राष्ट्रकूट) को हराकर त्रिकोणीय संघर्ष का अंत कर दिया

▪ वैष्णव धर्म का अनुयायी था जिसने आदि वराह व प्रभास की उपाधि धारण की

▪ चांदी के सिक्कों (द्रम) पर अंकित है सुलेमान ने चांदी के सिक्कों वरूवा कहा

◆ महेन्द्रपाल प्रथम

▪उपाधि :- महाराजधिराज, परम्भटार्क, परमेश्वर

▪राजशेखर उनके राजगुरु थे जिन्होंने बालरामायण, हर विलास,कपुरमजरी, काव्य मीमांसा, विशाल भंजिका, भुवन कोष,बाल भारत(प्रचण्ड पांड्य)

▪कन्नौज उतरी भारत की सांस्कृतिक राजधानी थी

◆ महिपाल प्रथम (913-943 ई)

इनको उत्तराधिकार द्वारा सासन प्राप्त हुआ था

▪अलमसुदी ने गुर्जर प्रतिहारो को अल गुर्जर (अलगुजर) कहा जो राजा का बोरा कहलाया

▪राष्ट्रकूट शासक इंद्रजीत ने कन्नौज पर आक्रमण किया (चन्देलों व गुहिलों की मदद से) साथ ही कन्नौज, यमुना दोआब,काठियावाड़, बनारस,ग्वालियर पर अधिकार कर लिया

▪उपाधि :- आर्यवर्त का महाराजधिराज

◆ महेन्द्रपाल द्वितीय (पतन प्रारम्भ)

▪चालुक्य (गुजरात) जेजोकमुक्ति (चंदेल) कछपात (ग्वालियर) ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी

▪963 में इंद्र तृतीय जे कन्नौज पर अधिकार कर लिया

◆ राज्यपाल

▪1018 ने गजनी ने लूटपाट की राज्यपाल भागा तब विद्याधर (चंदेल) ने हत्या कर दी

◆ यशपाल (अंतिम शासक)

● महत्पूर्ण सूत्र :-

▪नागभट्ट प्रथम :- उपाधि -मलेच्छनाशक व नागवलोक
▪वत्सराज - रण हस्तिन ,जयवराह
▪नागभट्ट द्वितीय - परमभटार्क, महाराजधिराज, परमेश्वर ,कर्ण
▪माहिरभोज - आदिवराह, प्रभाष
▪महेन्द्रपाल प्रथम - महाराजधिराज, परम्भटार्क, परमेश्वर
▪महिपाल प्रथम - आर्यवर्त का महाराजधिराज
)
■ प्रमुख सम्प्रदाय व उनके प्रवर्तक

▪श्री सम्प्रदाय         :- रामनुजचार्य    : विशिष्ठ द्वेतवाद

#ट्रिक - श्री राम विष्णु का अनुज भाई है
: श्री :- श्री सम्प्रदाय
: राम + अनुज :- रामनुचार्य
: विष्णु :- वि से विशिष्ठ द्वेतवाद

▪ब्रह्म सम्प्रदाय       :- माधवाचार्य     :- द्वेतवाद

#ट्रिक -माधव ब्रह्मा अकेला देवता है
 माधव -माधवाचार्य
ब्रह्मा -  ब्रह्म सम्प्रदाय
अकेला देवता -द्वेतवाद

▪रुद्र सम्प्रदाय     :- विष्णु स्वामी   :- सुद्ध देवत्वाद
 #सूत्र - स्वामी जी रुद्राक्ष सुद्ध है सुद्धा नहीं
स्वामी जी - विष्णु स्वामी
रुद्राक्ष - रुद्र सम्प्रदाय
सुद्ध है सुद्धा नहीं  - सुद्ध देवत्वाद

▪सनकादि सम्प्रदाय :- निम्बार्काचार्य  :- दैवता देवतवाद

#ट्रिक - सनकी नीबू दो दो लाना
सनकी - सनकादि सम्प्रदाय
नीबू - निम्बकचार्य
दो दो - दैता द्वेतवाद

स्मृति सम्प्रदाय      :- शंकराचार्य      :- अदेतवाद

#ट्रिक - याद (स्मृति) रखो शंकर आदित्य है उनका जैसा कोई नही है
स्मृति - स्मृति सम्प्रदाय
शंकर - शंकराचार्य
आदित्य- अद्वेतवाद

▪गाड़ीय सम्प्रदाय    :- चेतन्य महाप्रभु :- अचिन्त्य भेदानन्द

#सूत्र -गाडू  चिंतित होकर भेद खोल दिया
गांडू - गौड़ीय सम्प्रदाय
चिंतित - चैतन्य महाप्रभु
भेद - अचिन्त्य भेदानन्द

▪वलभचार्य -  सुद्धा द्वेतवाद

#सूत्र - माँ का ल्व सुद्ध है
ल्व - वलवचार्य
सुद्धा - सुद्धा द्वेतवाद

▪तुकाराम - वारकरी सम्प्रदाय ( सूत्र - तू के वार करेगा)

निर्गुण संत

सूत्र - जब गुरु से मिलो तब सूंदर सा नाम करण देना दादू
जब - रज्जब
गुरु - गुरुनानक
सूंदर - सुंदरदास
नाम - नामदेव
क -कबीर
रण- रैदास
दादू - दादूदयाल

 ◆ मुगलकाल में शिक्षा (Development of Education)

▪ मुगलकाल में प्राथमिक शिक्षा :- मकतबों में दी जाती थी
▪ मुगलकाल में उच्य शिक्षा :- मदरसों में दी जाती थी

▪शिक्षा की उपाधियां :-
१.तर्क व दर्शन के लिए :- फ़ाजिल उपाधी
२.धार्मिक शिक्षा के लिए :- आमिल उपाधी
३.साहित्य शिक्षा के लिए :- काबिल उपाधि से नवाजा जाता था

◆ बाबर :- सूरते आम विभाग " शिक्षा की देखरेख के लिए
◆ हुमायु :- मदरसा ए बेगम " महाम अनगा के सहयोग से दिल्ली
◆ अकबर :-
▪ " खैर-उल-मनाजील " (दिल्ली में महाम अनगा के सहयोग से)
▪ " अबूल फजल मदरसा " :- फतेहपुर सीकरी (UP)
▪ " शाह उल्ला स्कूल " दिल्ली  -परम्परागत मान्यता शिक्षा के
▪ " फरहंगी महल मदरसा "लखनऊ में  न्याय शिक्षा के लिए
▪ " स्यालकोट मदरसा - व्याकरण के लिए प्रसिद्ध था

◆ जहाँगीर :-  फ़ारसी के साथ उर्दू भाषा का विकास हुवा ( रेख्ता हिन्दवी कहा  )
▪  दिल्ली में मदरसा बनवाया
▪" दारुल बुर्का "मदरसे की मरमत करवाई
[ संपन्न व्यक्ति की मृत्यु पर संपत्ति मदरसों में लगयेगा]

◆ साहजहां  :-

▪ " दारा उल बुर्क़ा " की मरम्मत
▪ " मुल्ला फरीद मनाजम " ने नक्षत्र विज्ञान की जानकारी और " जिज ए सहजहानी " तालिका का निर्माण

◆ औरंगजेब :-  औरगजेब ने फ़ारसी को प्रोत्साहन दिया
▪ " मदरसा ए रहमिया "
▪ " बैतूल -उल -उलूम " पुत्री जेबुन्निसा ने बनवाया

☯ मुगलकालीन साहित्य

◆ बाबर

➡1826 तुजके बाबरी :- (आत्मकथा तुर्की भाषा)

4 बार फारशी में 3 बार अग्रेजी में अनुवाद
1. जैना खा  2. पाइंदा खा (हुमायु के समय)
3. अब्दुल रहीम खानेखाना " (अकबर के समय)
4. मीर अबू तलिब तुरबाती (साहजहां के समय)

6.श्रीमती ए.एस. बेबरीज 1905 ( तुर्की से अंग्रेजी)
7.लिडन व एरिक्सन ने 1826 (फ़ारसी से अग्रेजी)

8.मथुरादास शर्मा ( हिंदी में अनुवाद) 

➡ काव्य सैली " मुंबइयान " को प्रारम्भ किया गया

➡ खोदि मीर (गयासुद्दीन) के ग्रन्थ :-
- खुलासत उल अखबार - मुस्लिम जगत का इतिहास है
- दस्तूर उल वजुरा
- हबीब ए सियार
- कानून ए हुमायूनी

◆ हुमायू (पुस्तकालय लेकर चलता था)
↪ हुमायूंनामा :- ( गुलबदन बेगम) हरम की जानकारी है
↪ तारीख-ए-रशीदी :- (मिर्जा हैदर दोलगत खा)
↪ ताजिकिरात-ए- हुमायू : - (बायजीद बयाद)
↪ वाकयात ए मुस्ताकी : -(रिजकुल्हा मुस्ताकी)
↪ तजकीरात उल वाक़ियात :- (जौहर आफ़ताबचीं)

◆ अकबर (दरबार मे 59 श्रेष्ठ कवियों का उल्लेख)

↪ नफाइस -उल- मासिर (मीरअलाऊदोला) प्रथम ऐतिहासिक पुस्तक

↪ अकबरनामा (अबुलफजल) तीन जिल्दों में बटी है आखरी जिल्द में आईने अकबरी है

↪ इंसा- ए - अबुलफजल (अबुलफजल) अकबर के पत्रों का संग्रहन

↪ तकमियत - ए- अकबरनामा (इनायत अल्लाह)

↪ तारीख ए हकी (अबूल हक देहलवी)  धार्मिक नीति की कड़ी आलोचना

↪ जुबाउत - उल -तवारीख़ (नूर उल हक)

↪ मुन्तख़ब- उल -तवारीख़ (बदायुनी) इस्लाम विरोधी नीतियों की एक लंबी लिस्ट बनाई

↪दाबिस्तान-ए-मजाहिब (मीर अल्लाउदोला कजविनी)

▪अकबर ने फैजी की देखरेख में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की

◆ जहाँगीर

↪ तुजके जहांगीरी (आत्मकथा) प्रथम 12 वर्षो  स्वम ने - 19 वे वर्ष  मोतमिद खा ने व मुहम्मद हादी ने पूर्ण किया

◆ औरंगजेब

➡ फतवा ए आलमगीरी (शेख निज़ाम सहित 6) क़ानून व्यवस्था
➡ आलमगीरीनामा (मिर्जा मुहम्मद काजिम)

◆ साहजहां - पादशाहनामा (मुहम्मद अमीनी कजविनी)

☯ मुगलकालीन स्थापत्य कला(हिन्दू व जैन शैली का प्रभाव)

▪मुगल शैली में विशाल गुम्बद,नोकदार मेहराब,तहखाना,बगल डॉट, बेलबूटों का प्रयोग, ज्यामिति विन्यास ,पित्रड्यूरा का प्रयोग, चार बाग पद्धति ,बहते पानी का प्रयोग किया गया है

⏯ बाबर

▪काबुली बाग मस्जिद :-पानीपत 1529
▪संभल जामा मस्जिद :-रुहेलखंड [चगताई शैली का प्रयोग]
▪अयोध्या मस्जिद :-मीर बंक सेनापति द्वारा

▪चार भाग बनवाएं
1. वागेवफ़ा बाग (काबुल)
2. बागेकला बाग (काबुल)
3. आरामबाग (इसे नूर-ए-अफगान ) ज्यामिति विधि का प्रयोग
4. जाहेराबाग - आगरा

⏯ हुमायू कालीन स्थापत्य कला

▪दीनपनाह स्मारक :- दिल्ली 1533 में[ पुस्तकालय बनाया]
▪आगरा की मस्जिद :- आगरा
▪फतेहाबाद की मस्जिद :-(ईरानी शैली में)
▪फतहाबाद नगर बसाया :-(हिसार में)

⏯ शेरशाह सुर

▪शेरगढ़ नगर :- 1540 लालदरवाजा खूनी दरवाजा अवशेष बचे
▪किला-ए-कुहान मस्जिद :-  (पुराने किले)
▪शेरशाह का मकबरा :- सहसराम बिहार  पुत्र इस्लामशाह ने
[ प्रथम अष्टकोणीय मकबरा दिगुणी शैली से निर्मित है जिसका झील में प्रतिबिंब दिखता है ]

▪जी. टी.रोड़- सोनार गांव (पूर्वी बंगाल से सिंधु नदी अटक पंजाब )
 ▪रोहतासगढ़ दुर्ग बनाया

⏯ अकबर कालीन स्थापत्यकला

[गुम्बदों का कम प्रयोग मेहराबों का प्रयोग सिर्फ अलकरण हेतु संगमरमर का सीमित प्रयोग ]


🈁 हुमायू का मकबरा (दिल्ली)1565

- सौतेली मां हाजी बेगम द्वारा
- वास्तुकार " मिरक मिर्जा गियास "
- लाल बलुआ पत्थरों व संगमरमर का प्रयोग
- दी गुम्बद प्रणाली इसे ताजमहल का पूर्वगामी कहा गया है
- सर्वाधिक मुगल राजकुमारों को दफनाया (कुल 18)
-1857 में बहादुर शाह को इसी मकबरे में बन्दी
- यह मुगलकाल का पहला मकबरा है जिसमे संगमरमर के प्रयोग
- मेहराब व गुम्बद व स्तम्भ व शह्तिर का प्रयोग किया गया है
- 1993 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया

 ☯ अकबर कालीन दुर्ग

1.🈁 आगरा का किला [1565 कारीगर कासिम]

 - यह यमुना नदी के किनारे डेढ़ मील तक विस्तृत है इसके दो दरवाजे है दिल्ली दरवाजा व अमरसिंह दरवाज़ा , 500 इमारत
- अकबर का किला 1504 में सिकंदर लोदी ( पुनर्निर्माण अकबर व साहजहा )
- गुम्बद का प्रयोग नही  गुजरात व राजस्थानी का मिश्रण , अर्ध-वृत्ताकार नक्शा

2.🈁 इलाहाबाद दुर्ग [1583 अकबर का सबसे बड़ा किला ]
- कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए  बाकी हिस्से भारतीय सेना
- अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल, अक्षय वट, पातालपुर मंदिर, जनानी महल(जहांगीर महल)
- अशोक का कौशाम्बी स्तम्भ लेख (प्रयाग प्रशस्ति)

3.🈁 लाहौर दुर्ग (1585)
- शीश महल, आलमगीर गेट, नौलखा पेवेलियन और मोती मस्जिद
- यूनेस्को ने 1981 में इसे विश्व धरोहरों सूची में
4.🈁 अटक दुर्ग (1581)

■ फतेहपुर सीकरी (आगरा 1569)

▪स्मिथ ने इसे पत्थरों में ढाला गया रोमांस कहा है  फर्गुसन ने " किसी महान व्यक्ति की दिमाग की उपज " कहा है

- लाल पत्थरों ,परम्परागत शहतीर ,कगुरनामा स्तम्भ पद्धति प्रयोग 
- धार्मिक भवन :- जामा मस्जिद व सलीम चिश्ती का मकबरा
- लौकिक भवन :- बुलन्द दरवाजा ,पंचमहल , दीवाने आम,दीवाने खास,जोधाबाई का महल,बीरबल का महल,तुर्की सुल्ताना महल, मरियम महल, आदि

🈁 दीवान ए आम -अकबर बैठकर न्याय करता था
🈁 दीवान ए खास - वृर्ताकार मंच , 36 गुथे हुए ताड़ो पर मंच 
🈁 जोधाबाई का महल [फतेहपुर सीकरी का सबसे बड़ा]
 गुजरात शैली  प्रभाव , अलंकरण दक्षिणी वास्तुकला से प्रभावित
 उत्तरी तथा दक्षिणी ओर नील रंग के टाइलों का प्रयोग किया गया था, जो कि मुल्तान से
फ़तेहपुर सीकरी में बने सभी भवनों  मुल्तान टाइल प्रयोग
महल 320 फुट लम्बा और 215 फुट ऊँचा

🈁 तुर्की सुल्ताना महल - निर्माण पंजाब के कारीगरों ने आंशिक रूप से संगमरमर के प्रयोग
🈁 पंचमहल (हवामहल)। पिरामिड आकार मे बोद्ध शैली में निर्मित पांच मंजिला ईमारत निचली मंजिल पर 84 स्तम्भ ऊपर की मंजिल पर मात्र 4 स्तम्भ है पांचवी मंजिल पर बना गुम्बद इस्लामिक कला का प्रतीक है

▪पंचमहल में कुल 176 खम्भे हैं,
[ 84 भूतल + 56 प्रथम +20 दूसरा +12 खम्भे तीसरा + 12 खम्बे चौथा +पांचवा पर 4 खम्भे = 176 खम्बे] सामने अनूप तालाब

🈁 बीरबल का महल :- नवरत्न महेशदास (बीरबल)

🈁 मरियम का महल [ जहाँगीर की मां - ईरानी चित्र थे जिन्हें बाद में औरगजेब ने पुतवा दिए राजा भारमल की सबसे बड़ी बेटी]

🈁 बुलन्द दरवाजा  [1572 में गुजरात विजय - फतेहपुर सीकरी - उचाई 176 फिट  हिन्दू और फारसी स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण ,- 1601 में दक्कन पर अकबर की विजय के अभिलेख  42 सीढ़ियों के ऊपर स्थित बुलन्द दरवाज़ा 53.63 मीटर ऊँचा और 35 मीटर चौडा़ है
 हैं

🈁 जामा मस्जिद- फतेहपुर सीकरी का गौरव "

🈁 शेख सलीम चिश्ती का मकबरा - में 1581 में निर्माण 

▪अकबर ने इसे लाल पत्थरों से बनवाया था लेकिन जहाँगीर ने इसे संगमरमर द्वारा परिवर्तित करवा दिया

: ☯ जहाँगीर कालीन स्थापत्य कला [एक भी मस्जिद नही ]
- पच्चीकारी की नई विधि " पित्रदुरा " का प्रारम्भ हुवा इसके अंतर्गत कीमती रत्नों व पत्थरो को संगमरमर से जोड़ा जाता था
- पित्रदुरा का प्रथम प्रयोग एत्मादुद्दौला का मकबरा में किया गया

🈁 अकबर का मकबरा [सिकंदरा आगरा-योजना स्वयं अकबर ने बनाई थी, परन्तु 1612 ई. निर्माण कार्य जहाँगीर ने पूरा करवाया]

🈁 एत्मादूदद्दौला का मकबरा [ नूरजहां ने  पिता - घियास-उद-दीन बेग़ की स्मृति ]पहला पूर्ण संगमरमर से बना मकबरा है तथा भवनों में पित्रा - दुरा का प्रयोग हुवा है निर्माण 1625 ई  बेबी ताज के नाम से मशहूर

🈁 जहाँगीर का मकबरा [लाहौर के रावी तट]
🈁 मरियम उज-जमानी का मक़बरा- सिकन्दरा ।
🈁 अब्दुल रहीम खानेखाना का मकबरा
🈁 शालीमार बाग की स्थापना

☯ शाहजहाँ कालीन स्थापत्य कला

🈁 आगरा का किला [ लाल पत्थरों की इमारत को तुड़वाकर संगमरमर]

⏯ दीवान ए आम (1628)  तख्ते ताउस या " मयूर सिंहासन " रखा जाता था इसमे शाही दरबार लगता था 1627 ई. में

⏯ दीवान ए खास (1637) गुप्त मंत्रणा

⏯ मोती मस्जिद (1637) सबसे सुंदर इमारत है यह पूर्णतयः संगमरमर की इमारत है जो विसुद्ध फ़ारसी शैली का है

⏯ मुसम्मन बुर्ज - साहजहाँ ने अंतिम समय मे इस बुर्ज से ताजमहल को निहारते मरा था

⏯ जामा मस्जिद 【 साहजहां की बड़ी पुत्री जहाँआरा]

  🈁 ताजमहल
- 1631 सुरु 1653 के लगभग पूर्ण [ 22 वर्ष  9 करोड़ लागत]
- वास्तुकार इटली के  " वेरेनियो वेरेनियो "
- प्रधान प्रारूपकर उस्ताद -अहमद लाहौरी
- प्रधान शिल्पी उस्ताद ईसा खा
- आकार 187 फुट चौड़ा तथा 234 फुट लम्बा
- ताजमहल 580×305 मीटर आयताकार भूखण्ड

 🈁 साहजहांबाद नगर (1638) दिल्ली  निर्माण " हामिद अहमद "  शिल्पकार की

🈁 जामा मस्जिद (1638 साहजहाँ) सबसे बड़ी मस्जिद है इसमे शाहजहानी शैली में फूलदार अलंकरण की मेहराब बनी है
🈁 शालीमार बाग (लाहौर)
🈁 हयायत बाग (दिल्ली)
🈁 तालकटोरा मुगल बाग

☯ औरँगजेब कालीन स्थापत्य कला

▪1659 ई. में दिल्ली की मोती मस्जिद  कार्य को पूरा
▪1674 ई. में उसने लाहौर में ‘बादशाह मस्जिद’ का निर्माण ।

 ⏯ बीबी का मकबरा
▪1678 ई. में औरंगज़ेब ने अपनी 'बेगम रबिया दोरानी' की स्मृति में 'औरंगजाबाद' में एक मक़बरे का निर्माण करवाया।

⏯ सफ़दरजंग का मक़बरा

▪औरंगज़ेब के बाद का उल्लेखनीय मुग़लकालीन भवन दिल्ली का 'सफ़दरजंग का मक़बरा' (1753 ई.) है, जो अवध के दूसरे नवाब का मक़बरा है।

☯ मुगलकालीन संगीत कला

⏯बाबर

▪ बाबर अपने साथ मध्य ऐसिया से संगीत लाया था

▪बाबर ईरानी तंबूरा बजाने में माहिर था तथा सूफियाना संगीत का अच्छा जानकर था

⏯ अकबर

▪अकबर का काल संगीत कला की दृष्टि से सर्वोत्तम काल था

▪संगीत में हिन्दू मुस्लिम शैली का प्रयोग अमीर खुसरो से प्रारम्भ हुवा (अकबर के समय)

▪अकबर स्वम एक अच्छा नककारा (नगाड़ा) वादक था

▪अकबर के दरबार मे 36 संगीतकारो को राज्याश्रय प्राप्त था (इसका वर्णन आईने अकबरी में किया गया था)

⏯ तानसेन  '- धुप्रद शैली का गायक  " कंठभरणवाणीविलास " की उपाधि प्रदान की थी
⏯ बाज बहादुर , बैज बक्स ,कुलवंत , गोपाल , हरिदास , रामदास , सुजान खा, मियां चांद, मियां लाल ,बैजू बावरा आदि संगीतकार थे

● जहाँगीर काल में संगीत कला

▪तानसेन का पुत्र बिलास खा ,हमजान परवेज दाद, मख्यू खा, खुर्रम दाद, छत्र खा, महजद प्रमुख थे

▪जहाँगीर ने गजल गायक शौकी को " आनंद खा " की उपाधि दी

● साहजहाँ कालीन संगीत कला

▪साहजहाँ संगीत का मर्मज्ञ था व बहुत अच्छा गायक था सूफियाना नृत्य का अच्छा जानकर था

▪खुशहाल खा व बिसराम खा " टोड़ी " राग के विशेषज्ञ थे

▪ साहजहाँ ने लाल खा को " गुण समुद्र " की उपाधि प्रदान कर

● औरगजेब कालीन संगीतकला[ संगीत को इस्लाम विरोधी ] स्वम महान वीणाकर  प्रमुख संगीतज्ञ रसबेन खा, सुखी सेन,कलावंत, हसायात सरस नैन ,किरपा आदि थे

▪औरगजेब के समय फ़ारसी भाषा मे " भारतीय शास्त्रीय संगीत " पर सर्वाधिक पुस्तक लिखी गई

☯ मुगलकालीन चित्रकला

▪मुगलकाल में चित्रकला की वास्तविक नीव हुमायु ने डालीं ये फारशी चित्रकला से प्रभावित थे

▪मुगलकाल का सबसे महत्तपूर्ण चित्र संग्रहन " हज्जनामा" था जो दस्ताने -अमीर-हज्जमा के नाम से विख्यात है
↪ इसमे 1200 चित्रों का संग्रहन है
↪ इसमे 100 चित्रों के 12 खंड है
↪ पैगम्बर मुहम्मद के चाचा अमीर हजमा की वीरता के कार्यो का संग्रहन है
↪ इसका प्रारम्भ हुमायु ने करवाया जबकि समापन अकबर ने करवाया

▪ मुल्ला अलाउद्दीन कजविनी ने अपने ग्रँथ " नफाइसुल मासिर" ने हज्ज्मनामा को हुमायु के मस्तिष्क की उपज बताया मुगलकाल की प्रथम चित्रित पुस्तक है

▪ चित्रों की विशेषता "विदेसी विजातीय पेड़ पौधे उनके रंग बिरंगे फूल पत्ते, स्थापत्य अलकरण की बारीकियां आदि

▪अकबर ने चित्रकला को " एक राजसी कारखाना " के रूप में गठित किया

▪अब्दुल समद के नेतृत्व में अलग विभाग " तस्बीर खाना" (चित्रशाला विभाग) का निर्माण किया

▪रज्ज्मनाम में दसवंत के बनाएं चित्र मिलते है इनके अलावा दशवंत के चित्र कहि नही मिलते

▪दसवंत की दो अन्य कृति :- खानदाने तैमूरिया , तुतीनामा

▪बसावन अकबर के समय का सबसे सर्वोत्कृष्ट चित्रकार था इसकी सबसे उत्कृष्ट कृति " एक कृष्यकाय घोड़े के साथ मजनूं का निर्जन स्थान में भटकता चित्र " है

▪अकबर कालीन प्रमुख चित्रकारों में – दसवंत,बसावन,महेश, लाल मुकंद, सावलदास तथा अब्दुल समद प्रमुख थे

▪ जहाँगीर ने हेरात के एक प्रसिद्ध चित्रकार आकारिजा (आगा रजा) के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रणशाला की स्थापना की

☯ मुगलकालीन कुछ विशिष्ट चित्र-

1.एक कृशकाय घोङे के साथ एक मजनूँ का निर्जन स्थान में भटकता चित्र-बसावन (अकबर)

2.बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह का एक चित्र- फारुख बेग(जहाँगीर)

3.जहाँगीर के आदेश पर बिसनदास गोवर्धन एवं अबुल हसन का एक सामूहिक चित्र तथा अपना भी एक चित्र- दौलत।

4.साइबेरियन का एक बिरला सारस-उस्ताद मंसूर

5.बंगाल का एक अनोखा पुष्प-उस्ताद मंसूर

6.ड्यूटर के संत जान पॉल की तस्वीर-अबुल हसन

7.तुजुके – जहाँगीरी के मुख-पृष्ठ के लिए अबुल हसन

8.लंदन की लाइब्रेरी में एक चित्र उपलब्ध है, जिसमें एक चिनार के पेङ पर असंख्य गिलहरियाँ अनेक मुद्राओं में चित्रित हैं इसे अबुल हसन की कृति माना जाता है किन्तु पृष्ठ भाग पर अबुल हसन एवं मंसूर दोनों का नाम अंकित होने के कारण इसे दोनों को संयुक्त कृति माना जाता है।

⏯ जहाँगीर कालीन एक प्रसिद्ध चित्रकार मनोहर का नाम –तुजुके जहाँगीरी में नहीं मिलता है।

☯ महाराणा प्रताप : मुग़लो के साथ संघर्ष

➡ जन्म :-ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597 (9 मई 1540) कुम्भलगढ़ के कटारगढ़ दुर्ग के बादल महल में हुवा

 ➡ राजमहल क्रांति :- 16 मार्च 1572 को उदयसिंह की मृत्यु हो गई दाह संस्कार हो रहा था तब जगमाल अनुपस्थित थे जगमाल को उत्तराधिकारी उसकी माता राणी धीर बाई राजा बना दिया था

▪विरोध
↪ ग्वालियर का राजा रामसिंह
↪ पाली का राजा अखैराज सोनगरा
↪ रावत सांगा देवगढ़
↪ रावत कृष्णदास संबलूर ने किया

➡ प्रथम राज्याभिषेक :- 28 फरवरी 1572 में गोगुन्दा (उम्र 32) तलवार बधाई रावत कृष्णदास (राव चूड़ा का पोता) ने

➡ दूसरा राज्याभिषेक :- कुंभलगढ़ दुर्ग में

■ प्रताप को अधीनता स्वीकार करने के लिए चार दल भेजे थे (सूत्र JMBT) न-जु अब डेगी

 [J - न ]पहली बार :- जलाल खा कोरची (नवम्बर 1572) मुगल दरबारी
[M- जु] दूसरी बार :- मानसिंह  आमेर शासक (जून 1573) उदयसागर झील पर इसका वर्णन राजरत्नाकर व अमरकाव्य में हुवा
[B-अब] तीसरी बार :- भगवंत दास (आमेर) - अक्टूबर 1573 प्रथम राजपूती दीवान
[T-देगी] चौथी बार :- टोडरमल(नवरत्न) - दिसम्बर 1573

☯ हल्दी घाटी युद्ध [18 जून 1576] -गोगुन्दा युद्ध

▪ 3 अप्रेल 1576 को अजमेर से रवाना - प्रथम पड़ाव मांडलगढ़ (2 माह तक यही रुकी) - दूसरा पड़ाव मालेला गांव खमनोर (नाथद्वारा) यही पर प्रताप को अकबर सेना के आगमन की सूचना मिली

▪प्रताप गोगुन्दा से चला व गोगुन्दा व खमनोर पहाड़ियों के मध्य  हल्दी घाटी तंग रास्ते पर अपना पड़ाव डाल दिया [मुख्य नियंत्रण केंद्र केलवाड़ा राजसमंद] को बनाया गया

▪दोनो सेना आमने ❌ सामने 18 जून 1576 को हुई ( शिलालेख अनुसार) तथा गोपीनाथ शर्मा अनुसार 21 जून 1576 को आमने सामने हुई

▪ हल्दीघाटी युद्ध में 500 भीलो को साथ लेकर राणा प्रताप ने आमेर सरदार राजा मानसिंह के 80,000 की सेना का सामना किया

▪राणा के हाथी :- पूणा व रामप्रसाद
▪मुगल हाथी :- गजयुक्ता व गजराज,हवाई,मर्दाना हाथी

▪युद्ध के बाद कोलयारी गांव पहुचा उन्होंने घायल सैनिकों का इलाज करवाया  व आवरगढ़ को अस्थाई राजधानी बनाया

▪सचित्र वर्णन बदायुनी खा ने अपनी पुस्तक " मुक्तकाफ उल तारीख " में किया गया

⏯ कुम्भलगढ़ युद्ध (3 अप्रेल 1578 को विजय) अकबर ने शाहबाज खा को युद्ध के लिए भेजा प्रताप मामा मानसिंह सोनगरा को सोप कर निकल गए
⏯ दूसरा प्रयास नवम्बर 1578 में
⏯ तीसरा प्रयास अक्टूबर 1579 में

■ दिवेर का युद्ध (अक्टूबर 1582)

काका सेरिमा सुल्तान खा पर अमरसिंह ने भाले से वॉर किया जो घोड़े को पार करता चला गया

⏯ अकबर का अंतिम प्रयास 5 दिसम्बर 1584 जगन्नाथ कस्वाहा को भेजा (कस्वाहा की मांडलगढ़ में मृत्यु)

➡ –19 जनवरी 1597 में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए चोट लगने से 1 चावड़ में मृत्यु हो गई बाड़ोली में दाह संस्कार कर दिया जो खेजड़ बाँध के किनारे 8 खम्बो की छतरी बनी है

↪ मायरा गुफा  :-  प्रताप का सास्त्रगर
↪ उपनाम :- कीका ,मेवाड़ केसरी , मेवाड़ सिंह
↪ चित्रकार कवि -:- नसरुद्दीन (तबकात ए अकबरी)
↪ प्रताप की सेना 20 हजार व मुगल सेना 70 हजार
↪ प्रताप की 11 पत्नियां व 19 पुत्र थे
↪ 1572 - 1597 तक (25 वर्षो तक शासन किया)

-:- 1576 मानसिंह
-:- 1576 भगवंत दास व कुतुबुद्दीन खा
-:- 1576 अकबर
-:- 1577 अक्टूबर 15 शाहबाज खा
-:- 1578 दिसम्बर 15 शाहबाज खा
-:- 1576 अप्रेल शाहबाज खा
-:- 1580 दिसम्बर अब्दुल रहिम खाने खाना
-:- 1584 दिसम्बर 5 जगन्नाथ कस्वाहा
-:- 1584 अकबर

▪क्षमा पत्र पर वार्ता पृथ्वीराज (बीकानेर) व प्रताप के मध्य हुई कर्नल टॉड के अनुसार

■ अशोक का अभिलेख में नाम

सूत्र - नीतू मास्को से उड़कर गुजरी
# नीतू - नेतुर (MP)
# मास्को - मस्की (कर्नाटक)
# उड़कर - उदोलन (कर्नाटक)
# गुजरी - गुर्जरा ( कर्नाटक)

■ शाजहान के निर्माण                       
सूत्र -मत जा रेशमा दिवानी

Explanation
म – मयुर सिन्हासन
त – ताजमहल
जा – जामा मस्जिद
रे – रेशमा बाग
श – शाहजहां बाग
मा – मोती मस्जिद
दिवानी – दिवाने आम, दिवाने खास

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